भोर का तारा एकांकी Bhor ka Tara bhor ka tara ekanki in hindi bhor ka tara ekanki summary bhor ka tara kahani bhor ka tara jagdish chandra mathur stories bhor ka tara ke lekhak भोर का तारा एकांकी का कथानक भोर का तारा एकांकी का सारांश भोर का तारा एकांकी का उद्देश्य भोर का तारा एकांकी भोर का तारा एकांकी की समीक्षा भोर का तारा एकांकी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए जगदीश चंद्र माथुर की एकांकी भोर का तारा के लेखक
भोर का तारा एकांकी Bhor ka Tara
भोर का तारा एकांकी bhor ka tara ekanki in hindi bhor ka tara ekanki summary bhor ka tara kahani bhor ka tara jagdish chandra mathur stories bhor ka tara ke lekhak भोर का तारा एकांकी का कथानक भोर का तारा एकांकी का सारांश भोर का तारा एकांकी का उद्देश्य भोर का तारा एकांकी भोर का तारा एकांकी की समीक्षा भोर का तारा एकांकी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए जगदीश चंद्र माथुर की एकांकी भोर का तारा के लेखक - भोर का तारा श्री जगदीशचंद्र माथुर का एक भावना प्रधान राष्ट्रीय एकांकी है जिसका निर्माण ऐतिहासिक वातावरण के फलक पर किया गया है .कवि की कविता में राष्ट्रीय जीवन की आत्मा झलकती है ,उसमें राष्ट्रीयता का स्वर गूंजता है .शान्ति के समय प्रेम और श्रृंगार के गीत गाने वाला कवि राष्ट्रीय संकट के क्षणों में भैरव राग गाने लगता है .यदि वह ऐसा नहीं कर पाता है तो उसका काव्य राष्ट्रीय जीवन का काव्य नहीं हो सकता है .यही सत्य इस एकांकी में अत्यंत नाटकीय सुकुमारता और ऐतिहासिक भाव भूमि की चारुता के साथ प्रस्तुत किया गया है .
भोर का तारा एकांकी की कथावस्तु /सारांश -
कथा वस्तु का चयन गुप्तकालीन ऐतिहासिक वातावरण से किया गया है .शेखर उज्जयनी का एक प्रतिभाशाली कवि है .गुप्त साम्राज्य का एक वरिष्ठ कर्मचारी माधव उसका मित्र है .छाया स्कंदगुप्त के मंत्री देवदत्त की बहन और शेखर की प्रेयसी है .देवदत्त तक्षशीला के क्षत्रप वीरभद्र के विद्रोह को दबाने के लिए ,माधव के साथ तक्ष शीला जाते समय ,छाया और शेखर का विवाह कर देता है .शेखर अपनी प्रेयसी और पत्नी छाया की प्रेरणा से भोर का तारा नामक मधुर काव्य की रचना करता है .छाया इसे अपने प्रेम की प्रतिक मानती है .इसी समय माधव तक्षशीला से लौटकर हूणों के बर्बर आक्रमण और आर्य देवदत्त की वीरगति का समाचार देता है .वह छाया और शेखर से प्रार्थना करता है कि वे राष्ट्र के पौरुष को जगाएं .शेखर अपनी कविता से राष्ट्र की सोयी शक्तियां लगा दे ,जिससे हूणों का आक्रमण विफल हो जाए .शेखर को अपने राष्ट्रीय कर्तव्य का ज्ञान हो जाता है वह अपने श्रृंगार काव्य भोर का तारा को आग में जला देता है और अपनी कविता के भैरव घोष से राष्ट्र की आत्मा को जगाने चल देता है .
भोर का तारा एकांकी अभिनय की दृष्टि -
इस एकांकी की कथावस्तु बड़ी मनोहर है .पूरी एकांकी दो दृश्यों में समाप्त हुई है .दोनों दृश्यों के समय में भी थोडा अंतर है .अतः देश और काल का चुस्त संकलन नहीं है ,किन्तु अभिनय की दृष्टि से यह एकांकी पर्याप्त सफल रहा है .इसके संवाद काव्यात्मक और कथावस्तु प्रेरणादायक है .
भोर का तारा एकांकी के पात्र -
शेखर ,छाया और माधव केवल तीन चरित्रों के माध्यम से एकांकी का रचना विधान है .शेखर का चरित्र ही एकांकी का प्राण है .इसे राष्ट्रीय चेतना प्रधान कवि के रूप में चितित्र किया गया है .जनहित और राष्ट्रीय उपयोगिता को श्रेष्ठ कविता की कसौटी स्वीकार किया गया है .कल्पना प्रधान व्यक्तिगत प्रेम के गीत काव्य को अग्नि को समर्पित करके शेखर ने इस उद्देश्य को स्पष्ट कर दिया है .
विडियो के रूप में देखें -
मैं वास्तव में शेखर जैसे कवि को धन्यवाद कहूंगा जो उनकी ज्ञान की दृष्टि अनंत है शेखर ने अपनी छाया पर लिखे गई काव्य को वह अग्नि को समर्पित कर देता है और अपने राष्ट्र के प्रति अपनी कविताओं को समर्पित कर देता और हुआ है अपने राष्ट्र को एक प्रकार से अपने राष्ट्र से एक नई ज्योति को उत्पन्न करना है जिससे वह रोशनी सभी राज्य के नागरिकों पर उज्जवल हो
जवाब देंहटाएंआपकी एकांकी बहुत अच्छी लगी लेकिन थोडासा आपसे आग्रह ही कि ओर विस्तार से हो जाये इस एकांकी का घटना क्रम
जवाब देंहटाएंवैसे तो भोर का तारा प्रेयसी के मानसिक संवेदना का परिचायक है परंतु क्या सूरज का शौर्य भोर के तारा की प्रेरणा लेकर उदित नहीं होता?
जवाब देंहटाएंYes
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