चुनाव हारने वाले प्रत्याशी चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। भाजपा पूर्ण बहुमत से सरकार बना रही है । जिन्होंने चुनाव जीत लिया है वह फूलों का हार गले में सजाकर शहर की परिक्रमा कर रहे हैं और उनके समर्थक भी उनकी जयजयकार में व्यस्त हैं ।
चुनाव हारने वाले प्रत्याशी
चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। भाजपा पूर्ण बहुमत से सरकार बना रही है । जिन्होंने चुनाव जीत लिया है वह फूलों का हार गले में सजाकर शहर की परिक्रमा कर रहे हैं और उनके समर्थक भी उनकी जयजयकार में व्यस्त हैं । वह लोग पत्रकारों को साक्षातकार देते हुए कर रहे हैं कि , यह जीत हमारी नहीं बल्कि जनता की जीत है ।
उनकी सेवा में ही मेवा है । लेकिन जिन्हें हार मिली है उन्हें कटाक्ष सहना पड़ रहा है । उनपर जुमले फेंके जा रहे हैं । हारने वाले उम्मीदवार यह सोच रहे होंगे कि बाहुबल और अर्थबल की जीत नहीं होती बल्कि समर्थकों की जीत होती है । यह बात कहते समय उन्हें सोचता पड़ता होगा कि उन्होंने चुनाव के पहले और बाद में कितने पैसे खर्च किए हैं ?
उनकी सेवा में ही मेवा है । लेकिन जिन्हें हार मिली है उन्हें कटाक्ष सहना पड़ रहा है । उनपर जुमले फेंके जा रहे हैं । हारने वाले उम्मीदवार यह सोच रहे होंगे कि बाहुबल और अर्थबल की जीत नहीं होती बल्कि समर्थकों की जीत होती है । यह बात कहते समय उन्हें सोचता पड़ता होगा कि उन्होंने चुनाव के पहले और बाद में कितने पैसे खर्च किए हैं ?
आज मैं जीतने वाले प्रत्याशियों की बात नहीं कहूंगा । उनके बारे में तो सभी चर्चा कर रहे हैं । मैं हारने वाले प्रत्याशियों की बात करूंगा । इतने पैसों का श्राद्ध करने के बाद भी हार जाने पर प्रत्याशियों को कैसा लगता होगा वह आप और हम सोच भी नहीं सकते ? मन न होते हुए भी उन्हे कहना पड़ रहा है कि यह जनादेश है और उसका हम सम्मान करते हैं । मन मसोस कर जीतने वाले उम्मीदवारों को बधाई देनी पड़ती है । कैफ़ी आज़मी ने एक गीत लिखा था जो हारने वाले नेताओं पर फिट बैठता है...
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
क्या गम है जिसको छुपा रहो है
आखों में नमी , हंसी लबो पे
क्या हाल है क्या दिखा रहे हो...
मदर्स डे
हाल ही में मदर्स डे बिता । इस अवसर पर एक बात याद आ गई । मैं जब बच्चा था तो मां की सहेलियां घर घूमने आया करतीं थीं । एक दिन उनकी किसी सहेली ने कहा- अरे वाह...तुम्हारा बेटा कितना सुंदर है ! कितना क्यूट है !
मां तुरंत जवाब देती-अपने साथ ले जाओ..दो-चार दिन अपने पास रखो । फिर पता लगेगा कि कितना सुंदर और क्यूट है...
उस दिन मेरी पत्नी से मिलने उसकी एक खूबसूरत सहेली घर आई । बात-बात पर उसने कह दिया कि तुम्हारे पति बहुत हैंडसम हैं । मेरी बीवी मां थोड़ी न है कि वह कहती, साथ ले जाओ दो-चार दिन के लिए फिर पता लगेगा..उसने बिलकुल नहीं कहा...सच में मां जैसी कोई नहीं !
वह दिन अब दूर नहीं...
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- मृणाल चटर्जी
अनुवाद- इतिश्री सिंह राठौर
मृणाल चटर्जी ओडिशा के जानेमाने लेखक और प्रसिद्ध व्यंग्यकार हैं । मृणाल ने अपने स्तम्भ 'जगते थिबा जेते दिन' ( संसार में रहने तक) से ओड़िया व्यंग्य लेखन क्षेत्र को एक मोड़ दिया । हाल ही में इनके स्तंभों का संकलन 'पथे प्रांतरे' का प्रकाशन हुआ है .
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