काला धुआँ किसी समय किसी देश में एक हरा भरा टापू था .वहां के लोग स्वस्थ और प्रसन्न थे .वहां के बच्चे प्यारे प्यारे थे .उनका खिला चेहरा सबको भाता था .उनकी आँखों में चमक थी .बस देखते ही बनता था उन्हें .उस दिन वे और भी प्रसन्न थे क्योंकि उन्हें घर से पाठशाला तक ले जाने के लिए एक गाडी आई थी .
काला धुआँ
किसी समय किसी देश में एक हरा भरा टापू था .वहां के लोग स्वस्थ और प्रसन्न थे .वहां के बच्चे प्यारे प्यारे थे .उनका खिला चेहरा सबको भाता था .उनकी आँखों में चमक थी .बस देखते ही बनता था उन्हें .उस दिन वे और भी प्रसन्न थे क्योंकि उन्हें घर से पाठशाला तक ले जाने के लिए एक गाडी आई थी .उन्हें बताया गया की अब उन्हें पैदल नहीं जाना पड़ेगा .
गाडी पर बैठकर वे चले ,तो ठंडी हवा के झोंके लगते ही वे झूम उठे .गाडी के दोनों ओर पीछे की ओर दौड़ते हुए हरे भरे पेड़ - पौधे उनका कौतुहल बढ़ा रहे थे .पीछे मुड़कर देखा ,धुएं की एक लकीर निकलकर बादल की तरह फैलती जा रही है .
गाडी का चालक पूछ बैठा - मेरे प्यारे बच्चों ! कैसा लग रहा है तुम्हें ?"
"बहुत अच्छा ...मज़ा आ गया ." उसके पूछते ही बच्चे एक साथ बोल उठे .
"यह गाडी तुम्हे कहाँ से मिली ?" एक बच्चे ने पूछा .
"हमारे देश में ऐसी बहुत सी गाड़ियाँ होती हैं .हम यहाँ भी धीरे धीरे ऐसी ही और भी गाडी ले आयेंगे ."चालक ने बताया .
"तुम्हारा देश कहाँ है ? - दूसरा बच्चा पूछ बैठा .
तुम यहाँ कैसे आ गए ?" - तीसरे ने पूछा .
"बच्चों ! मेरे देश तो बहुत दूर है .मैं तुम्हारे देश से मित्रता करने और व्यापार करने आया हूँ .तुम्हारा यह टापू हरा भरा है .पर मेरा देश बिलकुल सूखा पड़ा है .मैं हरियाली लेने यहाँ आया हूँ .तुम्हे एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाकर तुम्हारा भरपूर मनोरंजन भी करूँगा .
"तुम बड़े अच्छे आदमी हो .तुम यहाँ पहले क्यों नहीं आये "? - एक बच्चा चहकता हुआ बोला .
"इससे पहले हम लोग एक दूसरे टापू पर व्यापार करने गए थे ."
"वह टापू भी ऐसा ही हरा भरा था ? - एक बच्चा बोला .
"वह टापू भी बड़ा सुन्दर था .रंग बिरंगे सुन्दर फूल खिलते थे वहां .पक्षियों की मीठी चहक से गूंजा करता था आसमान .पक्षी फूलों का रस पीते थे .इस प्रकार रात होते होते ही फूलों का रंग फीका पड़ने लगता था .भोर में पक्षी चाचाहते ,तो आसमान में इन्द्रधनुष लहराता था .देखते ही देखते उससे रंग टपकने लगता था .रंग फूलों पर गिरता .वे फूल फिर से चमकदार और रंग बिरंगे हो जाते ."उसने बच्चों को देखा .बच्चों ने पूछा - " फिर क्या हुआ ?"
"एक बार हम उधर गए। हम लोगों ने वहां फूलों का व्यापार शुरू कर दिया। फूल धोने के लिए हम गाड़ियाँ ले गए थे। प्रतिदिन ढेर सारे फूल हम वहां से लाकर विदेश भेज देते थे। हमारा व्यापार अच्छा चल निकला था लेकिन"
"लेकिन क्या ? - एक बच्चे ने पूछा।
"जाने क्या हुआ ? वहां की चिड़ियाँ बीमार होने लगी। उनमें पहले जैसी चहक न रही। इन्द्रधनुष का रंग भी फीका हो गया। जो फूल चिड़ियों के रस पीने से फीके हो जाते थे ,वे बदरंग ही रहने लगे। फिर तो चिड़ियाँ के पीने के लिए फूलों के रस का अकास सा पड़ने लगा। वे धीरे धीरे मरने लगी। उनके गले से बीमार के खांसने जैसी आवाज निकलती थी। "
"ऐसा क्यों हो गया ? बच्चे पूछ बैठे।
"हम लोगों ने बहुत ख़ोज की ,पर कुछ पता नहीं चला। हमारा व्यापार चौपट होने लगा ,तो हमें वह जगह भी छोडनी पड़ी। लेकिन हमारा चौपट होने लगा ,तो हमें वह जगह भी छोडनी पड़ी। लेकिन हमारा भाग्य अच्छा था। हमें यह टापू मिल गया। जहाँ हरियाली ही हरियाली है। हम हरियाली का व्यापार करके ही मालामाल हो सकते हैं। "
स्कूल आ गया था। बच्चे ख़ुशी - ख़ुशी गाड़ी चालक से विदा लेकर नीचे उतरे। उन्हें विश्वास था कि लौटते समय चालक फिर अच्छी - अच्छी कहानियाँ सुनाएगा। गाडी चालक प्रसन्न था। उसने हाथ हिलाकर बच्चों से विदा ली और फर्राटे के साथ अपनी गाड़ी चला दी।
गाड़ी चलते ही गाढे काले धुएँ की मोटी बौछार ने बच्चों को ढक लिया। वे खाँसते - खाँसते बेदम हो गए और गुलाब जैसे लाल रंग वाले उनके चेहरे पीले पड़ गए।
सब कह उठे - वह अच्छा आदमी नहीं था। उसे यहाँ से भगा दो। "
काला धुआं उड़ाती हुई गाड़ी दूर चली गयी। बच्चे सावधान हो गए थे।
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