आचार्य विनोबा भावे का जीवन परिचय Biography of Acharya Vinoba Bhave in Hindi आचार्य विनोबा भावे का जीवन परिचय आचार्य विनोबा भावे का जीवन परिचय Biography of Acharya Vinoba Bhave in Hindi आचार्य विनोबा भावे की जीवनी Vinoba Bhave Biography in hindi Vinoba Bhave In Hindi
आचार्य विनोबा भावे का जीवन परिचय
Biography of Acharya Vinoba Bhave in Hindi
आचार्य विनोबा भावे का जीवन परिचय आचार्य विनोबा भावे का जीवन परिचय Biography of Acharya Vinoba Bhave in Hindi आचार्य विनोबा भावे की जीवनी Vinoba Bhave Biography in hindi Vinoba Bhave In Hindi -विनोबा भावे ,स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता तथा प्रसिद्ध गांधीवादी नेता हैं .आचार्य विनोबा भावे का जन्म ११ सितम्बर सन १८९५ को महाराष्ट्र में कुलाबा जिले के गगोदा ग्राम में हुआ था .इनका पूरा नाम विनायक राव भावे है .ये बड़े मेधावी छात्र थे और गणित तथा संस्कृत इनके रूचि के विषय थे .इन्होने ICS की परीक्षा उत्तीर्ण की थी ,जिसका प्रमाणपत्र इन्होने निरर्थक समझ कर फाड़ दिया था .माता की प्रेरणा से इन्होने आजीवन अविवाहित रहकर देशसेवा का व्रत लिया .
भारत की ऋषि परंपरा -
विनोबा जी प्राचीन भारत की ऋषि परंपरा में आते हैं और आत्म कल्याण के लिए नहीं बल्कि विश्व कल्याण के लिए साधन रत थे .ये शारीरिक श्रम ,स्वावलंबी ,सदाचार ,राष्ट्रप्रेम ,त्याग ,सेवा आदि की भावनाओं की ओर आरम्भ से आकर्षित रहे हैं .इन्होने अंग्रजी शिक्षा को अनुपयुक्त समझकर बी.ए से पढाई छोड़ दी और तब से स्वाध्याय तथा मनन में लीन हो गए .विभिन्न विषयों और भाषाओं का अध्ययन मनन उनका व्यसन रहा .
जन जागरण का कार्य -
विनोबा जी |
विनोबा जी बहुत दिनों तक साबरमती आश्रम में गांधी के संपर्क में रहे .इनका सम्पूर्ण जीवन त्यागमय रहा है .बापू की भाँती इनका जीवन भी सत्य और अहिंसामय रहा है .वे कहा करते थे कि सत्य और अहिंसा के विनोबा प्रतिरूप हैं .सन १९४० के व्यक्तिगत सत्याग्रह के लिए बापू ने इन्ही को पहला सत्याग्रही चुना था .विनोबा जी बापू के रचनात्मक कार्यक्रमों को असली रूप देने के लिए सतत प्रयत्नशील रहे .इन्होने सर्वोदय ,बुनियादी शिक्षा और भूदान के द्वारा के द्वारा राष्ट्र को सही मार्ग दर्शन करने का प्रयत्न किया .इन्होने प्राचीन संतों की भाँती पैदल यात्रा करके जन - जागृत का मन्त्र फूंकने का प्रयत्न किया .
हिंदी से प्रेम -
विनोबाजी मराठी भाषी ,किन्तु हिंदी से इन्हें अगाध प्रेम है तथा इसे गंगा की धारा के समान भारत के लिए उपयोगी मानते हैं .ये बराबर हिंदी को राष्ट्र भाषा मानकर अधिकतर उसी में बोलते तथा लिखते रहे हैं .विनोबा जी का अध्ययन एवं अनुभव और साधना समृद्ध है .अतः इनके विचार हमेशा मौलिक होते हैं .इनके विचार स्पष्ट एवं उदार है जिन्हें सुबोध बनाने के लिए ये विभिन्न प्रकार के द्रिशंतों का सहारा लेते हैं .विनोबा के भाषणों का लगातार श्रवण करने वालों का कहना है कि इनके भाषणों में आवृत्ति नहीं होती है .
विनोबा जी की भाषा शैली -
विनोबा जी प्रवचन शैली में लिखते हैं .प्रवचन शैली में वक्ता की यह चेष्टा होती है कि वह अपने विचार श्रोताओं तक पहुंचा देते हैं .वह भाषण की झड़ी नहीं लगाते बल्कि एक एक बिंदु को सरल सहज ढंग से श्रोताओं के ह्रदय में उतारता चलता है .संस्कृत के गहन अध्ययन करने तथा बहुभाषित होने के कारण विनोबा का शब्द भण्डार अत्यंत समृद्ध है .इनकी वाणी में एक उन्मुक्त प्रज्ञा है जो कबीर की वाणी की याद दिलाती है .साथ ही इनकी शैली में गांधी जी की सरलता भी विद्यमान है .
विनोबा जी की पुस्तकें -
विनोबा जी ने बीसियों मौलिक पुस्तकें लिखी हैं .जिनका परिचय निम्नलिखित है -
- गीता प्रवचन
- विनोबा के विचार
- जीवन और शिक्षण
- आत्म ज्ञान और विज्ञान
- राजघाट की सन्निधि में
- गाँव सुखी हम सुखी
- गंगा
- स्थिति प्रज्ञ दर्शन
विनोबा भावे जी का निधन 15 नवम्बर 1982 को हुआ . आपको भारतरत्न का पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है .
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