मद्यपान एक सामाजिक कलंक मद्यपान एक सामाजिक कलंक मद्यपान पर निबंध मद्यपान की समस्या मद्यपान के दुष्परिणाम पर निबंध भारत में मद्यपान - मद्यपान एक सामाजिक बुराई है और भारत जैसे निर्धन देश के लिए शराब जैसी महंगी और स्वास्थ्य के लिए के लिए हानिहारक वस्तु त्याज्य है।
मद्यपान एक सामाजिक कलंक
मद्यपान एक सामाजिक कलंक मद्यपान पर निबंध मद्यपान की समस्या मद्यपान के दुष्परिणाम पर निबंध भारत में मद्यपान - मद्यपान एक सामाजिक बुराई है और भारत जैसे निर्धन देश के लिए शराब जैसी महंगी और स्वास्थ्य के लिए के लिए हानिहारक वस्तु त्याज्य है। क़ानून द्वारा भी इसकी बिक्री बंद करवा देनी चाहिए। अनाचार की जननी मदिरा का सेवन निरंतर बढ़ा ही है कम नहीं हुआ। पढ़े -लिखे और अमीर वर्गों में मदिरापान का फैशन व्याप्त है। यह बड़ी चिंता का विषय है कि आज मदिरापान न करने वाला व्यक्ति को असामाजिक ,रुढ़िवादी और पिछड़ा हुआ समझा जाने लगा है।
सरकार द्वारा शराबबंदी -
हमारे नेता ,अधिकारी ,लेखक और धार्मिक गुरु एक ओर तो शराबबंदी की बात करते थकते नहीं है ,परन्तु दूसरी ओर अन्दर ही अन्दर स्वयं इस लत के बुरी तरह शिकार हो चुके हैं। केंद्र सरकार और कुछ प्रान्तों की सरकारों ने
मद्य निषेध के जो उपाय भी किये हैं ,उनका परिणाम उलटा ही निकला है। अवैध रूप से शराब बनाने और बेचने का धंधा चल निकला है ,जिसमें कई लोगों की चांदी हो गयी है। गैर कानूनी रूप से बनायीं गयी शराब से अनेक स्थानों पर कई बार लोगों कि जान तक चली जाती है ,परन्तु सरकार इस धंधें को बंद नहीं कर पायी है।सरकार ने पहले शराबबंदी करने के लिए कुछ ठोस कदम भी उठाये थे ,जिनमें सार्वजनिक स्थानों ,होटलों ,छात्रावासों स्वागत सभाओं में सुरापान पर प्रतिबन्ध लगा दिया है।भीड़ भाड वाले स्थान ,बस्तियों व जनसंकुल स्थानों पर जहाँ निर्धन लोग निवास करते हैं अथवा काम करते हैं ,वहां शराब कि बिक्री पर रोक लगा दी गयी थी ,जिससे मजदूर वर्ग अपनी मेहनत की कमाई को शराब में नष्ट करने से बच सकें। शराब बंदी के कार्यक्रम को क्रियान्वयन के लिए पुलिस को अधिक सतर्क कर दिया गया था साथ ही साथ पुलिस अधिकारियों को अधिक अधिकार देकर सक्षम बनाया गया था।पाश्चात्य सभ्यता की नक़ल -
गांधी जी की इच्छा थी कि भारत में कोई भी व्यक्ति शराब का सेवन न करे ,लेकिन सत्ता के मद में अन्धें होकर नेता अंग्रेजों की नक़ल करने में ही गौरव समझने लगे। शराब पीने में ढील दिए जाने से उत्तर प्रदेश ,बिहार ,गोवा ,असम, पंजाब ,हरियाणा जैसे राज्यों में शराब खुलेआम पी जाने लगी। विवाह जैसे पवित्र संस्कार के अवसर पर शराब पीने और पिलाने का रिवाज हो गया है। होली -दिवाली जैसे पवित्र त्योहारों पर शराब का सेवन करना शानों शौकत एवं ख़ुशी प्रकट करने का प्रतिक बन गया है। उत्तर प्रदेश ,बिहार और राजस्थान में पूर्ण शराब बंदी कर दी गयी थी। लेकिन जब देखा गया कि अवैध शराब का धंधा जोरों से चल निकला तो फिर से शराब के ठेके दिए जाने लगे।
शराब एक विकट समस्या -
पीने वाले लोगों से शराब कैसे छुड़ाई जाए ,यह एक विकट समस्या है।न जाने क्यों लोगों को शराब पीने का शौक हो गया है। हमारे धर्मों में इसे धन का नाश ,स्वास्थ्य का नाश ,चरित्र का नाश और बुद्धि का नाश करने वाला बताया गया है। लेकिन फिर भी लोग इसके दीवाने हैं। महात्मा बुद्ध ने कहा है कि -
शराब से सदा भयभीत रहना क्योंकि
यह पाप तथा अनाचार कि जननी है।
शराब शरीर को खोखला बनाती है ,मानसिक संतुलन को बिगाडती है।असमय ही बूढा बना देती है। ऐसी हेय वस्तु को हाथ लगाना ही पाप है। शायद ही कोई शराबी ऐसा होगा जो नशे में धुत्त होकर पत्नी बच्चों को मारता न हो। ऐसी विवेकनाशिनी वस्तु घृणा योग्य है। सन १९२७ में महात्मा गांधी ने कहा था कि - मैं भारत में कुछ हज़ार शराबी देखने के बजाय देश को अत्यधिक गरीब देखना पसंद करूँगा। पूर्ण नशाबंदी के लिए सारा देश अनपढ़ भी रह जाए ,तो भी नशाबंदी के उद्देश्य के लिए यह कोई मूल्य नहीं है।
मद्यनिषेध अनिवार्य -
शराब से यकृत रोग ,ह्रदय रोग ,मानसिक तनाव ,असंतुलन हो सकते हैं। यह धीरे -धीरे व्यक्ति के शरीर को खोखला कर देती है। अधिक शराब पीने से व्यक्ति की मृत्यु भी सकती है। भारत जैसे निर्धन देश में मद्यपान जैसी बुराई दूर होनी चाहिए। यहाँ मद्यनिषेध अनिवार्य है। इसके लिए सरकार तथा समाज सेवी संस्थानों को मिल -जुलकर कार्य करना चाहिए।
विडियो के रूप में देखें -
मद्यपान पर काफी अच्छा निबंध लिखा आपने।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब।
kya mast paad wala nibandh hai
जवाब देंहटाएंmaja aagya parh ke
aap sab bhi paade
Aatankwaad
जवाब देंहटाएंMadhuban Ek Samajik Kalan
जवाब देंहटाएंYou are right
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