परोपकार पर निबंध Essay on Philanthropy in Hindi परोपकार पर निबंध Essay on Philanthropy in Hindi परोपकार का महत्व जीवन में परोपकार का महत्व परोपकार का महत्व essay paropkar ka mahatva Jeevan me Paropkar ka mahatva Essay On Paropkar In Hindi paropkar ka mahatva essay in hindi language paropkar par nibandh for class 8- मानव के सामाजिक प्राणी है।
परोपकार पर निबंध
Essay on Philanthropy in Hindi
परोपकार पर निबंध Essay on Philanthropy in Hindi परोपकार का महत्व जीवन में परोपकार का महत्व परोपकार का महत्व essay paropkar ka mahatva Jeevan me Paropkar ka mahatva Essay On Paropkar In Hindi paropkar ka mahatva essay in hindi language paropkar par nibandh for class 8- मानव के सामाजिक प्राणी है।अतः समाज में रहकर से अन्य प्राणियों के प्रति कुछ दायित्वों एवं कर्तव्यों का निर्वाह करना पड़ता है। इसमें परहित सर्वोपरि है। जिनके ह्रदय में परहित का भाव विद्यमान है ,वे संसार में सब कुछ कर सकते हैं। उनके लिए कोई भी कार्य मुश्किल नहीं हैं।
प्रेमपूर्वक जीवन -
ईश्वर द्वारा बनाये गए सभी मानव समान हैं। अतः इन्हें आपस में प्रेमपूर्वक रहना चाहिए। जब कभी एक व्यक्ति पर संकट आये तो दूसरे को उसकी सहायता अवश्य करनी चाहिए।जो व्यक्ति अकेले ही भली भाँती के भोजन करता है और मौज करता है ,वह पशुवत प्रवृत्ति का कहलाता है। अतः मनुष्य वही है ,जो मानव मात्र के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए हमेशा तैयार रहता है।
परोपकार भावना के दर्शन -
प्राकृतिक क्षेत्र में हमें सर्वत्र परोपकार भावना के दर्शन होते हैं। चंद्रमा की शीतल किरणों सभी का ताप हरती हैं। सूर्य मानव को प्रकाश देता हैं। बादल सबके लिए जल की वर्षा करते हैं। फूल मानव के लिए अपनी सुगंध लुटाते हैं। इसी प्रकार सत्पुरुष दूसरों के हित के लिए शरीर धारण करते हैं।परोपकार से मानव के व्यक्तित्व का विकास होता है। परोपकार की भावना का उदय होने पर मानव स्व की सिमित परिधि से ऊपर उठकर पर के विषय में सोचता है।
प्रेम की भावना -
परोपकार मातृत्वभाव का परिचायक है। परोपकार की भावना ही आगे बढ़कर विश्व बंधुत्व के रूप में उत्पन्न होती है। परोपकार के द्वारा भाईचारे की वृद्धि होती है ,तथा सभी प्रकार के लड़ाई झगड़ें समाप्त होते हैं।परोपकार द्वारा मनुष्य को अलौकिक आनंद की प्राप्ति होती है। हमारे यहाँ परोपकार को पुण्य तथा परपीडन को पाप माना जाता है।परोपकार की भावना अनेक रूपों में प्रस्फुटित होती दिखाई पड़ती है। धर्मशालों ,चिकित्सालयों ,जलाशयों आदि का निर्माण तथा भोजन ,वस्त्र आदि का दान सब परोपकार के अंतर्गत आते हैं। इनके पीछे सर्वजन हित एवं प्राणिमात्र के प्रति प्रेम की भावना निहित रहती है।
आधुनिक युग में परोपकार -
आधुनिक युग में परोपकार की भावना मानव मात्र तक सिमित नहीं है। इसका विस्तार प्राणिमात्र में भी निरंतर बढ़ता जा रहा है। अनेक धर्मात्माओं द्वारा गौ संरक्षण के लिए गौशालाओं ,पशुओं के पानी पीने के लिए हौजों का निर्माण किया जा रहा है। बहुत से लोग बंदरों को चने व केले खिलाते हैं। मछलियों को दाने व कबूतरों को बीज तथा चीटियों के बिल पर शक्कर डालते हैं।
सबका हित -
परोपकार में सर्वभूतहिते रत की भावना विद्यमान है। यदि इस पर गंभीरता से विचार किया जाए तो ज्ञात पड़ता है कि संसार के सभी प्राणी परमात्मा के ही अंश है। अतः हमारा कर्तव्य है कि हम सभी प्राणियों के हित के चिंतन में रत रहें।यदि संसार के सभी लोग इस भावना का अनुसरण करें तो संसार से दुःख और दरिद्रता का लोप हो जाएगा।
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