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ध्वनि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
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अभी न होगा मेरा अंत
अभी-अभी ही तो आया है
मेरे वन में मृदुल वसंत –
अभी न होगा मेरा अंत।
हरे-हरे ये पात,
डालियाँ, कलियाँ, कोमल गात।
मैं ही अपना स्वप्न – मृदुल-कर
फेरूँगा निद्रित कलियों पर
जगा एक प्रत्यूष मनोहर।
व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियों में कवि एक आशावादी व्यक्ति है। वह जीवन के झंझावातों से परेशान न होकर उनको डटकर लड़ने वाला व्यक्ति है। उसके जीवन में अभी अभी वसंत आया है। यह समय उसके जीवन में आनंददायक है। उसका अंत अभी नहीं होने वाला है। वसंत के आगमन से पेड़ों में पत्तियाँ ,नयी डालियाँ ,कलियाँ आदि आ जाती हैअर्थात पेड़ का स्वरुप ही नवीन हो जाता है। उसी प्रकार कवि के जीवन में वसंत के आने से कवि का जीवन ही नवीन होना है। कवि वसंत रूपी जीवन में अपने स्वप्निल हाथों से निद्रा से भरी कलियों पर हाथ फेर कर एक नयी सुबह का आवाहन करना चाहता है।
पुष्प-पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लूँगा मैं,
अपने नव जीवन का अमृत सहर्ष सींच दूँगा मैं
द्वार दिखा दूँगा फिर उनको।
हैं मेरे वे जहाँ अनंत –
अभी न होगा मेरा अंत।
व्याख्या - कवि कहता है कि उसके जीवन में आशा एवं उत्साह का संचार हुआ है। वसंत रूपी उत्साह का वह पुष्प -पुष्प में संचार कर देना चाहता है। पुष्प यदि सोये हुए हैं तो उसके आलस्य को छीनकर उनमें आशा रूपी अमृत का संचार कर देगा। जीवन में विकास व प्रगति के जो भी रास्ते है कवि उस पुष्पों को राह दिखायेगा। ताकि वे भी कवि के समान ही उनका जीवन महक उठे। वास्तव में ये सारे पुष्प कवि के ही अंश है। अतः कवि उन्हें रचनात्मक कार्यों की प्रेरणा देता रहता है। कवि के जीवन वसंत का आगमन हो चुका है। अतः उनका अंत अभी नहीं होगा।
Dhwani Summary ध्वनि का सार suryakant tripathi nirala poem dhwani in hindi summary
प्रस्तुत कविता ध्वनि सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला जी लिखित एक प्रसिद्ध कविता है। इस कविता में आपने वसंत
ध्वनि |
जिन पुष्प रूपी नवयुवक में आलस्य भरा है ,कवि उन्हें जागृत कर नवीन जीवन का अमृत भर देगा। नवयुवक दिग्भ्रमित है ,उन्हें राह दिखाते वाले की आवश्यकता है। कवि जो की नव वसंत से पूरित है ,वही इस कार्य को कर सकता है। कवि का जीवन आशावाद व नवीन उत्साह से परिपूर्ण है ,इसीलिए कवि का अंत अभी नहीं होगा।
Dhwani Questions Answers कविता से
प्र.१. कवि को ऐसा विश्वास क्यों है कि उसका अंत अभी नहीं होगा?
उ.कवि के जीवन में वसंत का आगमन अभी अभी हुआ है।वह जीवन में उत्साह व रचनात्मकता महसूस कर रहा है।वह समाज को उत्साहित कर रहा है।उसे नए पुष्पों को राह दिखाती है।अतः ऐसी स्थिति में कवि का अंत अभी नहीं होगा।
प्र.२. फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि कौन-कौन-सा प्रयास करता है?
उ.कवि के जीवन में वसंत का आगमन हुआ है। इससे उसका जीवन आशा व उर्जा से परिपूर्ण हुआ है।अतः अब वह केवल अपने तक ही सीमित नहीं रहना चाहता है। वह नवयुवकों यानि नए पुष्पों को राह दिखाना चाहता है। नवयुवक अपने पथ पर भ्रमित हो चुके हैं। कवि नवयुवकों के जीवन की बोझिलता को दूरकर उन्हें नवजीवन रूपी अमृत का पान कराना चाहता है।
प्र.३.कवि पुष्पों की तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए क्या करना चाहता है?
उ.कवि स्वयं अपने तक ही सीमित न रहकर नवयुवकों को सही मार्ग दिखाना चाहता है।इस कार्य में वह नवयुवकों की नींद व आलस्य दूरकर ,अपने स्वप्निल हाथों को फेरकर उनके जीवन में नयी आशा रूपी सुबह का आवाहन करेगा। नवयुवक भी कवि की तरह रचनात्मक कार्यों में लगे। देश की समस्याओं के प्रति नवयुवक भी जागरूक व सतर्क रहे और स्वराज पाने के लिए रचनात्मक कार्यों में लगे। कवि उर्जा का संचार नवयुवकों में करना चाहता है।
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Bhut aacha
जवाब देंहटाएंअति सराहनीय
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जवाब देंहटाएंMas👌👌👌👌
जवाब देंहटाएंHard h bhai
जवाब देंहटाएंWAAAHHHHH
जवाब देंहटाएंVery nice 🙃👍
जवाब देंहटाएंHelpful😊
जवाब देंहटाएंVry nyc
जवाब देंहटाएंvery helpful
जवाब देंहटाएंvery helpful
जवाब देंहटाएंGood work
जवाब देंहटाएंiske sparsang to nahi ha
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा
जवाब देंहटाएं⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐
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