Chitthiyon Ki Anoothi Duniya चिट्ठियों की अनूठी दुनिया चिट्ठियों की अनूठी दुनिया question answer चिट्ठियों की अनूठी दुनिया का सारांश चिट्ठियों की अनूठी दुनिया प्रश्न उत्तर चिट्ठियों की अनूठी दुनिया के प्रश्न उत्तर chitthiyon ki anoothi duniya question answer chitthiyon ki anoothi duniya extra questions class 8 hindi chapter 5 question answer class 8 hindi chapter 5 solutionचिठियो की अनूठी दुनिया question and answers कक्षा 8 वीं हिंदी वसंत समाधान चिट्ठियों की अनूठी दुनिया के क्वेश्चन आंसर चिट्ठियों की अनूठी दुनिया क्वेश्चन आंसर
Chitthiyon Ki Anoothi Duniya चिट्ठियों की अनूठी दुनिया
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Chitthiyon Ki Anoothi Duniya Summary चिट्ठियों की अनूठी दुनिया का सारांश
चिट्ठियों की अनूठी दुनिया अरविन्द कुमार सिंह जी द्वारा लिखा गया एक प्रसिद्ध निबंध है ,जिसमें आपने पत्रों की उपयोगिता पर प्रकाश डाला है .लेखक के अनुसार पत्र जो काम कर सकते हैं ,वह काम फोन या एसएमएस नहीं कर सकता है। मानव सभ्यता के विकास में पत्रों का विशेष महत्व रहा है। पत्रों का स्वरुप और भाव एक जैसा ही है। पत्र को उर्दू में खत ,संस्कृत में पत्र ,कन्नड़ में कागद ,तेलगु में उत्तरम ,जाबू और लेख तथा तमिल में काडिद कहा जाता है। दुनिया भर में रोज करोड़ों पत्र भेजे जाते हैं। भारत में पत्रों की लोकप्रियता का प्रमाण यही है कि हर दिन चार करोड़ पत्र डाक में डाली जाती है।
पिछली शताब्दी में पत्र लेखन कला का रूप ले लिया। डाक व्यवस्था को सुधार करने के पर्यंत किये गए। पत्र
चिट्ठियों की अनूठी दुनिया |
पत्रों को सहेज और संजोंकर विरासत के रूप में रखने की परंपरा है। पंडित नेहरु द्वारा इंदिरा गांधी को लिखे गए पत्र करोड़ों लोगों को प्रेरणा देते हैं। दुनिया के तमाम संग्रहालय जानी मानी हस्तियों के पत्रों का अनूठा संकलन भी है। तमाम पत्र देश काल और समाज को जानने समझने का असली पैमाना है। महात्मा गांधी के पास दुनिया भर से तमाम पत्र केवल उन्ही द्वारा लिखे जाते थे और वे जहाँ भी रहते थे ,वहीँ से वे उसका जबाब लिखते थे। महात्मा गांधी ही नहीं आन्दोलन के तमाम नायकों के पत्र गाँव - गाँव में मिल जाते थे। पत्र भेजने वाले लोग उन पत्रों को किसी प्रशस्तिपत्र से कम नहीं मानते थे और कई लोगों ने तो उन पत्रों को फ्रेम कराके रख लिया था।
पत्र किसी दस्तावेज़ से कम नहीं है। पन्त के दो सौ पत्र बच्चन के नाम और निराला के पत्र हमको लिख्यो है तथा पत्रों के आईने में दयानंद सरस्वती आदि कई पुस्तकों है। प्रेमचंद नए लेखकों को प्रेरणादायी पत्र लिखते थे। महात्मा और कवि के नाम से महात्मा गांधी और रवीन्द्रनाथ टैगोर के बीच सन १९१५ से १९४१ के बीच पत्राचार का संग्रह प्रकाशित हुआ है।
आज डाक विभाग का गुडविल बहुत है। यह लोगों को जोड़ने का काम करती है। घर -घर तक इसकी पहुँच है। चाहे किसी भी वर्ग का व्यक्ति हो या किसी भी क्षेत्र में रहता हो ,उसके पत्र आसानी से उसके पास पहुँच जाते हैं। दूर देहात में लाखों गरीब ,घरों में चूल्हे ,मनी आर्डर अर्थ व्यवस्था से ही चलते हैं। गाँव या गरीब बस्तियों में मनीआर्डर पहुंचाने वाला डाकिया देवदूत के रूप में देखा जाता है।
Chitthiyon Ki Anoothi Duniya Questions Answers प्रश्न अभ्यास पाठ से
प्र.१.पत्र जैसा संतोष फोन या एसएमएस का संदेश क्यों नहीं दे सकता?
उ. पत्र जैसा संतोष फोन या एसएमएस का सन्देश नहीं दे पाते हैं। इसके कारण है जिसमें सबसे पहला कारण है कि पत्रों में स्वाभिमान होता है। इन्हें सहेजकर रखा जा सकता है। पत्र लेखन करने वाले व्यक्ति की अपनी व्यक्तिगत शैली होती है। उसके व्यक्तित्व का प्रभाव उसके पत्र पर रहता है। पत्र लेखन सस्ते होते हैं ,जबकि फोन के लिए हमें अधिक पैसे खर्च करने पड़ते हैं।
प्र.२. पत्र को खत, कागद, उत्तरम्, जाबू, लेख, कडिद, पाती, चिट्ठी इत्यादि कहा जाता है। इन शब्दों से संबंधित भाषाओं के नाम बताइए।
उ. पत्र को उर्दू में खत ,संस्कृत में पत्र ,कन्नड़ में कागद ,तेलगु में उत्तरम ,जाबु और लेख तथा तमिल में काडिद कहा जाता है।
प्र.३. पत्र लेखन की कला के विकास के लिए क्या-क्या प्रयास हुए? लिखिए।
उ. पत्र लेखन कला के विकास में अनेक प्रयास किये गए हैं ,जिसमें विद्यालय पाठ्यक्रमों में पत्र लेखन को सम्मिलित किया गया। विश्व डाक संघ के १० वर्ष से काम आयु वर्ग के बच्चों के लिए पत्र लेखन की प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती है। भारत सरकार ने भी अपनी तरफ से पत्र लेखन को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किये।
प्र.४. पत्र धरोहर हो सकते हैं लेकिन एसएमएस क्यों नहीं? तर्क सहित अपना विचार लिखिए।
उ. पत्र लिखित रूप में होते हैं। इन्हें हम सहेजकर रख सकते हैं। कई महान हस्तियों के पत्रों को संग्रहालय में सहेजकर रखा गया। जबकि इसके विपरीत फोन या एसएमएस को सहेजकर रखना संभव नहीं है। पत्रों को पुस्तक का आकार दिया जा सकता है ,जबकि फोन को नहीं।
प्र.५. क्या चिट्ठियों की जगह कभी फैक्स, ई-मेल, टेलीफोन तथा मोबाइल ले सकते हैं?
उ. आज संसार में संचार साधनों की प्रगति हुई है। पत्रों के स्थान पर ईमेल ,फोन ,इन्टरनेट का प्रचलन बढ़ा है। लोग त्वरित ही सन्देश प्राप्त कर लेते हैं। दूर बैठे लोगों से तुरंत ही संपर्क किया जा सकता है। इसके विपरीत पत्रों को पहुँचने में बहुत समय लग जाता है। पत्रों को पढ़ने या प्राप्त करने में जो आत्मीयता होती है ,वह इन आधुनिकतम संचार साधनों में नहीं है। अतः मेरे विचार से पत्रों का स्थान फैक्स ,ईमेल या मोबाइल नहीं ले सकते हैं।
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