बाज और साँप Baaz Aur Saanp बाज और साँप पाठ का सारांश Baaz Aur Saanp बाज और साँप summary in hindi निर्मल वर्मा जी द्वारा लिखी गयी बाज और साँप एक बोध कथा है ,जिसमें दों प्राणियों के अलग -अलग विचारधारा और संसार का वर्णन किया है।
बाज और साँप Baaz Aur Saanp
बाज और साँप पाठ का सारांश Baaz Aur Saanp बाज और साँप summary in hindi निर्मल वर्मा जी द्वारा लिखी गयी बाज और साँप एक बोध कथा है ,जिसमें दों प्राणियों के अलग -अलग विचारधारा और संसार का वर्णन किया है। कथा के आरंभ में एक सांप समुन्द्र किनारे एक अँधेरी गुफा में रहता था। समुद्र की लहरें धूप में चमकती ,झिलमिलाती और दिन भर पर्वत की चट्टानों से टकराती रहती थी। पास की अँधेरी घाटियों में एक नदी भी बहती थी। जहाँ पर नदी ,समुद्र में मिलती थी ,वहां लहरें दूध के झाग सी सफ़ेद दिखाई पड़ती थी। सांप इन सब कोलाहल से दूर अपनी गुफा में बड़े आराम से रहता था। वह जग की आपाधापी से दूर ही रहना पसंद करता था।
एक दिन दैवयोग से आकाश में उड़ता हुआ घायल बाघ सांप की गुफा में आ गिरा। पहले तो सांप डर गया ,फिर घायल बाज की स्थिति देखकर उसके पास गया। बाज ने सांप से कहा कि जीवन की आखिरी घडी आ गयी है। उसने समस्त सुखों का भोग कर लिया है। आकाश की असीम उंचाईयों को उसने अपने पंखों से नापा है। तुमने जीवन भर आकाश में उड़ने का आनंद नहीं लिया है।
बाज और साँप |
बाज एक नयी आशा के साथ अपने घायल शरीर को घसीटता हुआ चट्टान के किनारे जा कर अपने पंख फैलाकर हवा में कूंद पड़ा। किन्तु कमजोर होने के कारण लुढ़कता हुआ नदी में जा गिरा। लहरों ने उसे उठाकर सागर में बहा दिया। बहुत देर तक सांप बाज की मृत्यु और उसके आकाश के प्रति प्रेम के सम्बन्ध में सोचता रहा। उसने सोचा कि मैं भी आकाश की ऊँचाइयों को नापूंगा। कम से कम एक बार मैं भी आकाश का स्वाद चख लूं। यह सोचकर सांप ने शरीर को सिकोडा और रेंगकर अपने को आकाश की शून्यता में छोड़ दिया। क्षणभर के लिए सांप का शरीर बिजली की लकीर सा चमक उठा किन्तु उसने जीवन भर रेंगना सीखा था ,वह उड़ न पाया और धड़ाम से पत्थरों पर जा गिरा। दैवयोग से उसकी जान बच गयी। वह सोचने लगा कि बाज अभागा था जिसने आकाश की आजादी को प्राप्त करने में अपने प्राणों की बाजी लगा दी।
थोड़ी देर बाद सांप ने चट्टानों से धीमा संगीत सुना कि लहरें मधुर स्वर में बाज के लिए गा रही हैं कि तुम अमर हो। तुमने अपना जीवन बलिदान कर दिया। जब कभी साहस और वीरता के गीत गाये जायेंगे ,तुम्हारा नाम बड़े गर्व और श्रद्धा से लिया जाएगा।
baaj aur saanp class 8 question answer बाज और साँप question and answer प्रश्न अभ्यास कहानी से
प्र.१.घायल होने के बाद भी बाज ने यह क्यों कहा, “मुझे कोई शिकायत नहीं है।“ विचार प्रकट कीजिए।
उ.घायल होने के बाद भी बाज अपने जीवन से कोई शिकायत इसीलिए नहीं करता है क्योंकि उसने जीवन भर सुखों को भोगा है। दूर दूर तक उड़ाने भरी हैं। आकाश की असीम ऊँचाइयों को अपने पंखों से नापा है।
प्र.२.बाज जिंदगी भर आकाश में ही उड़ता रहा फिर भी घायल होने का बाद भी वह उड़ना क्यों चाहता था?
उ. बाज को आकाश की ऊँचाइयों से प्रेम था। उसने सारा जीवन स्वतंत्रता पूर्वक जिया है।अतः वह स्वतंत्रता का अर्थ जानता है। इसीलिए वह अंत समय में भी उड़ना चाहता है।
प्र.३.साँप उड़ने की इच्छा को मूर्खतापूर्ण मानता था। फिर उसने उड़ने की कोशिश क्यों की?
उ. सांप को बाज से बात करते हुए आकाश की ऊँचाइयों के प्रति लालसा जाग उठी। वह सोच रहा था कि आकाश की ऊंचाईयों में ऐसा क्या है कि बाज ने अपने प्राण गँवा दिए। आकाश के रहस्य को जानने के लिए वह भी उड़ना चाहता था।
प्र.४. बाज के लिए लहरों ने गीत क्यों गाया था?
उ.लहरें बाज की बहादूरी से प्रभावित थी। वह कहती है कि तुम्हारे खून की एक एक बूँद जिन्दगी के अँधेरे में प्रकाश फैलायागी और साहसी ,बहादूर दिलों में स्वतंत्रता और प्रकाश के लिए प्रेम पैदा करेगी। तुमने अपना जीवन बलिदान देकर अमर हो गए हो।
प्र.५. घायल बाज को देखकर साँप खुश क्यों हुआ होगा?
उ. बाज साँप के शत्रु होते हैं। वह साँप को खाते हैं ,किन्तु घायल बाज जिसके पंख टूटे हुए हो ,ऐसे बाज से साँप को कोई खतरा नहीं है। अतः घायल बाज ,सांप का कुछ बिगाड़ नहीं सकता है। अतः वह इसीलिए खुश हुआ।
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