उमा महेश्वर व्रत और पूजा विधि मा-महेश्वर व्रत और पूजा विधि भाद्रपद पूर्णिमा उमा महेश्वर व्रत कथा उमा-महेश्वर व्रत और पूजा विधि भाद्रपद पूर्णिमा Uma Maheshwar Vrat Vidhi in Hindi वर्ष के ग्यारह मासों में तो पूर्णमासी को भगवान् विष्णु की विशेष पूजा और सत्यनारायण की कथा कहने सुनने का विधान है
उमा-महेश्वर व्रत और पूजा विधि भाद्रपद पूर्णिमा
उमा महेश्वर व्रत कथा उमा-महेश्वर व्रत और पूजा विधि भाद्रपद पूर्णिमा Uma Maheshwar Vrat Vidhi in Hindi वर्ष के ग्यारह मासों में तो पूर्णमासी को भगवान् विष्णु की विशेष पूजा और सत्यनारायण की कथा कहने सुनने का विधान है ,परन्तु भादों के महीने में एक दिन पूर्व अनंत चतुर्दशी का किये जाते हैं यह दोनों कार्य। इस मास में अनंत चतुर्दशी के दूसरे दिन अर्थात भादों की पूर्णिमा को महेश्वर भगवान शिवजी और उमा अर्थात पार्वती जी की विशेष पूजा और शिव जी का व्रत रखने का शाश्त्रीय विधान है। प्रातः और सायंकाल भगवन शिव एवं पार्वती को स्नान कराएँ और बेल ,पत्र ,पुष्प ,धूप दीप ,नैवद्य आदि से पूजन करें तथा शिव चालीसा का पाठ करें। रात्री में मूर्तियों के समीप जागरण करें और शिव पुराण सुने तथा शिवजी के भजन गायें। इस प्रकार यह व्रत पंद्रह वर्ष तक करना चाहिए और पंद्रह वर्ष पूरे हो जाने पर उद्यापन करना चाहिए। उद्यापन में विधिविधान से भगवती उमा और भगवन शंकर की पूजा ,हवन व आरती करके ब्राह्मणों को भोजन कराएँ व दान दक्षिणा देकर विदा करें।
उमा महेश्वर व्रत कथा
महान क्रोधी महर्षि दुर्वाषा जी एक बार भगवन विष्णु के पास गए और उन्हें शिवजी की दी हुई एक माला भेंट की। भगवान विष्णु ने वह माला अपने वाहन गरुण देव के गले में डाल दी। यह देखकर दुर्वासा ऋषि को क्रोध आ गया और उन्होंने भगवान विष्णु को शाप दे दिया। वे क्रोधित होकर बोले - हे विष्णु ! आपने शंकरजी की माला का अपमान किया है ,इसीलिए लक्ष्मी जी आपका साथ छोड़ जायेंगी। क्षीर सागर से आपका अधिकार तथा निवास समाप्त हो जाएगा तथा शेषनाग जी भी आपको त्याग देंगे। इस पर भगवान् विष्णु ने दुर्वासा ऋषि को प्रणाम कर नम्रतापूर्वक उनके दिए गए शाप के निवारण का उपाय पूछा।
दुर्वासा ऋषि बोले - यदि आप भगवान उमा महेश्वर का व्रत भादों की पूर्णिमा को रखेंगे ,तो मेरे दिए हुए शाप का शमन हो जाएगा और आपको सभी वस्तुएं पुनः प्राप्त हो जायेंगी और उन्हें सभी कुछ पहले के समान ही प्राप्त हो जाएगा। हे शिव जी ! जिस प्रकार सभी वस्तुएं विष्णु भगवान को प्राप्त हो गयी थी ,उसी प्रकार आपकी कृपा से हमको भी सब कुछ प्राप्त हो।
शिव जी आरती
जय शिव ओंकारा हर ॐ शिव ओंकारा |
शिव |
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव ओंकारा......
एकानन चतुरानन पंचांनन राजे |
हंसासंन, गरुड़ासन, वृषवाहन साजे॥ ॐ जय शिव ओंकारा......
दो भुज चारु चतुर्भज दस भुज अति सोहें |
तीनों रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहें॥ ॐ जय शिव ओंकारा......
अक्षमाला, बनमाला, रुण्ड़मालाधारी |
चंदन, मृदमग सोहें, भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव ओंकारा......
श्वेताम्बर,पीताम्बर, बाघाम्बर अंगें |
सनकादिक, ब्रह्मादिक, भूतादिक संगें॥ ॐ जय शिव ओंकारा......
कर के मध्य कमड़ंल चक्र, त्रिशूल धरता |
जगकर्ता, जगभर्ता, जगससंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव ओंकारा......
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका |
प्रवणाक्षर मध्यें ये तीनों एका॥ ॐ जय शिव ओंकारा......
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रम्हचारी |
नित उठी भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव ओंकारा......
त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावें |
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावें ॥ ॐ जय शिव ओंकारा.....
जय शिव ओंकारा हर ॐ शिव ओंकारा|
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव ओंकारा......
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