कल्पेश प्रमोद फेसबुक और मैं हमेशा की तरह आज फिर क्लास पिछली बेंच पर बैठा पिछले कुछ दिनों की तरह अलग विचारों में डूबा हुआ था चौधरी माट साब (मास्टर साहब) गणित के कुछ जोड़ बता रहे थे।
कल्पेश प्रमोद फेसबुक और मैं
हमेशा की तरह आज फिर क्लास पिछली बेंच पर बैठा पिछले कुछ दिनों की तरह अलग विचारों में डूबा हुआ था चौधरी माट साब (मास्टर साहब) गणित के कुछ जोड़ बता रहे थे। कल्पेश ब्लैकबोर्ड पर लिखे पाँच और दो के मिलन से बनने वाले सात को बड़े गौर से देख कर ये सोच रहा था कि आखिर पांच और सात का मिलन होता कैसे है। उन दिनों हिंदी के पीरियड में तिवारी जी मीरा की पंक्तियाँ पढ़ा रहे थे। मीरा और कृष्ण के प्रेम की पंक्तियों में वह उसी तरह ध्यान लगाता था जिस तरह साधु संत ईश्वर की प्रार्थना में।
"तिवरिया का पीरियड मेरे जीवन के सुखद पलों में से एक है" कल्पेश प्रमोद से अक्सर कहा करता था।
प्रेम पंक्तियाँ सुनते हुए वह कभी हंसता तो कभी अजीब अजीब फूटी फूटी शायरी प्रस्तुत कर देता। वो शायरी हुआ करती थी या कुछ और परमात्मा ही जाने ...
आ उड़ जाए गगन की ओर
जैसे संग पतंग और डोर,,,और न जाने क्या क्या
शायरी शुद्ध हिंदी में कहकर शायद वो हिंदी पर एहसान किया करता था। शायरी बोलने के बाद भावार्थ कुछ इस तरह बताता था कि " प्रस्तुत पंक्तियों में कवि शायद अपनी प्रेमिका से कुछ कह रहा है"। एक बार तिवारी जी ने उसकी कमजोर दर्दभरी शायरी सुन ली उस दिन अमरूद के डंडे से तिवारी जी ने उसे बेइंतहा पीटा। तिवारी माट साब ने उसे ऐसी जगह पीटा की कुछ देर तक वो बेंच पर बैठ नहीं पाया। बात कुछ ऐसी थी कि उसे किसी लड़की से प्रेम हो गया था। जैसे लैला को मजनू से, राधा को कृष्ण से, राज को सिमरन से अर्थात काजोल को शाहरुख से उसी प्रकार कल्पेश को शोभा से हो चला था। ये वही एकमात्र कारण था जिसकी वजह से वह पिछले कुछ दिनीं से अजीबोगरीब हरकतें किया करता था। पिटाई का उसे कुछ ज्यादा असर नहीं हुआ। उसके लिए गरीमत की बात यह थी की जिस लड़की से वह प्रेम किया करता था वो उससे एक क्लास आगे थी यानी यह
आठवी में था और वह नववी में। जैसे तैसे कल्पेश के पास एक स्मार्टफोन हुआ करता था और संयोग से शोभा के पास भी। फेसबुक उस समय बाजार में अभी ताज़ा आया था और ट्रेंड पर था हालांकि फेसबुक तो बहुत पहले ही बन चुका था लेकिन हमारे इलाके में अभी ताज़ा ही आया था। प्रमोद के पास अच्छे किस्म का स्मार्टफोन था और वह फेसबुक के बारे में कुछ ज्यादा ज्ञान रखता था। क्लास की लगभग सभी लड़कियां फेसबुक पर कुछ अजीबोगरीब नामों से आई डी बना चुकी थीं। एंजेल परी स्वीटी और न जानें क्या क्या। लेकिन प्रमोद भी कुछ कम नहीं था अपने शातिर दिमाग का बड़े मुस्तैदी से इस्तेमाल करते हुए लड़कियों की आदतों के मद्देनजर और कुछ लड़कियों के नाम से नकली आई डी के जरिये उसने क्लास की सभी लड़कियों की आई डी की जानकारी इकठा कर रखी थी। किसी तरह कल्पेश को यह जानकारी हो गयी की सोभा के पास भी स्मार्टफोन है। अतः उसने बिना देर किये सोभा की आई डी पता करने का जिम्मा प्रमोद को सौप दिया। करीबी मित्र होने के बावजूद प्रमोद ने आई डी पता करने के बदले तीन कचौड़ियों की डिमांड रखी। आई डी पता करने के बदले तीन कचौड़ियों की डिमांड कोई बुरा सौदा नहीं था। चूंकि प्रमोद कल्पेश का करीबी मित्र था अतः उसने आई डी पता करने के जिम्मे को बड़ी मुस्तैदी से निभाया। और कुछ एक दर्जन दिनों में प्रमोद ने इस काम में सफलता पाई और आई डी ढूंढ निकाला । उसने ये काम कैसे किया ये आज तक रहस्य है। अब चूंकि आई डी पता चल चुकी थी तो बिना देर किये कल्पेश ने शोभा को मित्र अनुरोध भेज दिया। करीब 8 या 9 दिनों तक पेंडिंग में पड़े अनुरोध को शोभा ने जैसे ही स्वीकार किया कल्पेश के वीरान पड़े रेगिस्तान जैसे चेहरे पर हरियाली छा गयी। उसके जीवन के तीन सबसे सुखद दिनों में आज के दिन ने अपना स्थान बना लिया था। उसकी ज़िन्दगी का पहला सुखद दिन तब जब उसके पिता जी ने उसके जन्मदिन के अवसर पर उसे साइकिल भेंट किया था और दूसरा तब जब चिड़ियाघर जाने के असंभव लगने वाले प्रस्ताव को उसके पिता जी ने स्वीकार कर लिया था और तीसरा आज का दिन जब शोभा नें उसका मित्र अनुरोध स्वीकार कर लिया था। शोभा की नज़र में अपनी अच्छी सी इमेज बनाने के लिए उसने अपने फेसबुक की डीपी में अब्दुल कलाम की फ़ोटो लगा रखी थी। मित्र अनुरोध का स्वीकार हो जाना अजीब बात थी क्योंकि प्रमोद ने एक लड़की से ये सुन रखा था कि शोभा किसी लड़के का मित्र अनुरोध स्वीकार नही करती। शायद अब्दुल कलाम की फ़ोटो अपना काम कर चुकी थी। बहरहाल इस मामले में प्रमोद उसका सलाहकार था और अभी हाल ही में उसे फेसबुक के नए ऑप्शन "टैग" के बारे में पता चला था। प्रमोद के बहुमुखी प्रतिभा के धनी दिमाग में एक आइडिया ने जन्म लिया। दिमाग ने बिना देरी किये आइडिया को मुह तक पहुँचाया। दिमाग अपना काम कर चुका था मुँह का काम बाकी था। आइडिया प्रमोद के मुह से निकल कर कल्पेश के कानों से होते हुए दिमाग तक जैसे ही पहुँचा कल्पेश का किशमिस जैसा औसतम पाण्डेय |
"एक तुम और साथ तुम्हारे मोहब्बत बस इतना ही काफी है ज़िन्दगी जीने के लिए" खैर इस शायरी का उसपर कोई असर नहीं हुआ....
क्लास के चक्कर काटते काटते उसने शोभा के क्लास के कुछ लड़कों को बात करते हुए सुना की शोभा और मयंक एक दूसरे से बहुत प्यार करतें हैं। एक पल के लिए कल्पेश की सांसे रुक सी गयी और अगले ही पल उसके चेहरे पर उदासी साफ साफ देखी जा सकती थी।उसने ये पता करने की कोशिस भी नहीं की कि आखिर मयंक है कौंन। सीधा क्लास में गया और सिर बस्ते पर रख कर बैठ गया ।बेइन्तहां मोहब्बत एक ही पल में एक तरफा प्यार में बदल गयी। आज छुट्टी होने पर उसे उसके घर तक छोड़ने जाने की बजाय सीधा अपने घर गया। प्रमोद के पूछे जाने पर उसने बड़े सरल अंदाज में जवाब दिया कि "हम ख़ामोखा किसी के प्यार में उलझे रहे उसने तो किसी और के दिल में घर बना लिया।" खैर कहानी खत्म नहीं हुई उसने किसी तरह खुद को समझा बुझा कर कोशिश जारी रखी लव स्टोरी का एन्ड तो उस दिन हुआ जब कल्पेश नें शोभा के पोस्ट पर ढेर सारे कमेंट किये "वाओ, सुपर, फैंटास्टिक, ऑसम" और न जाने क्या क्या और जवाब में आया "थैंक्स भाई"।
- औसतम पाण्डेय
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