भोर और बरखा मीराबाई Bhor Aur Barkha भोर और बरखा कविता व्याख्या भोर और बरखा का सारांश bhor aur barkha question answers bhor aur barkha class 7 ncert solutions bhor aur barkha class 7 question answers भोर और बरखा समरी इन हिंदी भोर और बरखा का भावार्थ
भोर और बरखा मीराबाई
Bhor Aur Barkha
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भोर और बरखा कविता व्याख्या
जागो बंसीवारे ललना, जागो मोरे प्यारे ।।
रजनी बीती भोर भायो है, घर घर खुले किंवारे ।
गोपी दही मथत सुनियत है, कँगना के झनकारे ।
उठो लाल जी भोर भयो है, सुर नर ठाढ़े द्वारे ।
ग्वाल बाल सब करत कुलाहल, जय जय सबद उचारे ।
माखन रोटी हाथ में लीनी, गउवन के रखवारे ।
मीरां के प्रभु गिरधर नागर, सरण आयां कूं तारे ।।
व्याख्या - प्रस्तुत पद में कवियत्री मीराबाई अपने आराध्य श्रीकृष्ण का स्मरण करती हुई कहती है कि सुबह हो गयी है। अतः बंसी बजाने वाले कृष्ण आप जाग जाओ। रात्री बीत चुकी है ,सुबह हो गयी है ,जिससे घर -घर के किंवाड खुल रहे हैं। गोपियाँ दही मथ रही है ,उनके दही मथने से हाथ में पहने हुई कंगना झंकार उत्पन्न कर रहे हैं। अतः उठो सुबह हो गयी है ,आपके द्वार पर मनुष्य और देवतागण खड़े हैं।सारे गाँव में ग्वालों के बच्चे शोर करते हुए आपकी जय जयकार कर रहे हैं। आप उठकर अपने हाथ में माखन रोटी ले लीजिये ,गौ की रक्षक आप है।मीराबाई कहती है कि उनके भगवान श्रीकृष्ण पहाड़ों को भी उठाने में सक्षम है ,जो भी उनके शरण में आता है ,उसे वह भवसागर से पार लगा देते हैं।
भोर और बरखा मीराबाई |
बरसे बदरिया सावन की।
सावन की मन भावन की॥
सावन में उमंगयो मेरो मनवा।झनक सुनी हरि आवन की॥
उमड़ घुमड़ चहुँ देस से आयो।दामिनी धमके झर लावन की॥
नन्हे नन्हे बूंदन मेघा बरसे।शीतल पवन सुहावन की॥
मीरा के प्रभु गिरिधर नगर।आनंद मंगल गावन की॥
व्याख्या - प्रस्तुत पद में मीराबाई कहती है कि सावन के बादल बरस रहे हैं। सावन के बादल मन को बहुत अच्छे लगते हैं। मन में बहुत सारी उमंग जाग उठी है ,क्योंकि मुझे श्री कृष्ण के आगमन की सूचना मिली है। चारों दिशाओं से बादल घुमड़ घुमड़ कर बरस रहे हैं ,बिजली चमकने लगती है ,जिससे बरसा की झड़ी लग जाती है।बारिस की नन्ही नन्ही बूंदे बरसने लगती है ,जिससे ठंडी ठंडी शीतल हवा बहने लगती है।मीराबाई कहती है कि उनके प्रभु श्रीकृष्ण गिरिधर नागर है ,जिनके आगमन की ख़ुशी में बादल भी मंगल गान गा रहे हैं।
भोर और बरखा मीराबाई प्रश्न अभ्यास कविता से
प्र.१. ‘बंसीवारे ललना’, ‘मोरे प्यारे’, ‘लाल जी’, कहते हुए यशोदा किसे जगाने का प्रयास करती हैं और वे कौन-कौन सी बातें कहती हैं?
उ. यशोदा श्रीकृष्ण को विभिन्न शब्दों के संबोधन द्वारा जगाने का प्रयास कर रही है। वह श्रीकृष्ण को जागने के लिए कह रही है। रात्री बीत गयी है ,गोपिया दही मथ रही है। मनुष्य देवतागण दरवाजे पर खड़े है। ग्वाले कोलाहल कर रहे हैं और आपकी जय -जयकार रह रहे हैं।
प्र.२. नीचे दी गई पंक्ति का आशय अपने शब्दों में लिखिए-
‘माखन-रोटी हाथ मँह लीनी, गउवन के रखवारे।’
उ. श्रीकृष्ण को माखन रोटी खाना अधिक पसंद है। वे गायों को चराने जाते हैं। अतः गाये भी उनसे बहुत स्नेह रखती है।
प्र.३. पढ़े हुए पद के आधार पर ब्रज की भोर का वर्णन कीजिए।
उ. ब्रज का भोर बहुत ही आनंददायक होता है। सुबह ही गोपियाँ दही को मथने लगती है ,जिनसे उनके कंगन की खनकार होती है। ग्वाल -बाल गायो को चराने के लिए तैयारी करने और श्रीकृष्ण को अपने साथ ले जाने के लिए उनके द्वार पर आ जाते हैं।
प्र.४. मीरा को सावन मनभावन क्यों लगने लगा ?
उ. मीरा को सावन इसीलिए मनभावन लगते हैं क्योंकि वह बादल उमड़ -घूमड़ कर श्रीकृष्ण के आने का सन्देश दे रहा है।
प्र.५. पाठ के आधार पर सावन की विशेषताएँ लिखिए।
उ. सावन के बादल बहुत मनभावन होते हैं। इसमें बादल उमड़ -घुमड़ कर चारों ओर से बरसते है। बिजली चमकती है ,जिससे वर्षा की झड़ी लग जाती है। बारिश की नन्ही नन्ही बूँदें बरसती है ,साथ ही ठंडी शीतल हवा भी बहने लगती है। अतः सावन हर दृष्टि से मन को मोह ढ़ोने वाला होता है।
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