साठोत्तरी कहानी की विशेषता प्रमुख प्रवृतियाँ साठोत्तरी कहानी की विशेषता प्रमुख प्रवृतियाँ साठोत्तरी कहानी का भाव बोध sathottari hindi kahani Sathottari Hindi Kahani नयी कहानी के बाद कहानी जगत में अनेक कहानी आन्दोलन उभरे ,जिनमें प्रमुख है - अकहानी ,सचेतन कहानी ,सहज कहानी ,समान्तर कहानी ,जनवादी कहानी ,सक्रीय कहानी आदि .इन कहानी आंदोलनों को समवेत रूप से साठोत्तर कहानी कहा जाता है।
साठोत्तरी कहानी की विशेषता प्रमुख प्रवृतियाँ
साठोत्तरी कहानी की विशेषता प्रमुख प्रवृतियाँ साठोत्तरी कहानी का भाव बोध sathottari hindi kahani Sathottari Hindi Kahani नयी कहानी के बाद कहानी जगत में अनेक कहानी आन्दोलन उभरे ,जिनमें प्रमुख है - अकहानी ,सचेतन कहानी ,सहज कहानी ,समान्तर कहानी ,जनवादी कहानी ,सक्रीय कहानी आदि .इन कहानी आंदोलनों को समवेत रूप से साठोत्तर कहानी कहा जाता है। इस कहानी आन्दोलन से जुड़े कहानीकारों ने हिंदी कहानी को नया आयाम दिया। इन कहानीकारों के कथा साहित्य के आधार पर इस कहानी आन्दोलन की मुख्य प्रवृत्तियां का निर्धारण इस प्रकार किया जा सकता है -
परिवेश के प्रति सजग दृष्टि -
ये कथाकार परिवेश के प्रति अत्यंत जागरूक हैं ,इसीलिए अपनी कहानियों में बहुत अन्तरंग रूप से जुड़ें हैं। परिवेश से जुड़ने का अर्थ यह कदापि नहीं है कि लेखक शोषित और दलित वर्ग का प्रतिनिधि बनकर उनके साथ जुलुस या हड़ताल और धरनों में भाग लें ,अपितु समाज में इन स्थितियों को देखकर उनके प्रति अपनी रचनात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त करें।
नयी मूल्य दृष्टि -
प्रत्येक समाज और पीढ़ी अपनी परिवर्तित परिस्थितियों के सन्दर्भ में नए मूल्यों को स्वीकारती हैं। मूल्य परिवर्तन की यह प्रक्रिया सतत चलती रहती हैं। यही कारण है कि पहले मूल्य परिवर्तन आदि एक पीढ़ी में घटित होते रहते हैं ,तो आज पांच सात वर्षों में ही मूल्य दृष्टि परिवर्तित हो जाती है।
नया नैतिक बोध -
यहाँ स्त्री पुरुष संबंधों के विविध स्तरों को अत्यंत सूक्ष्मता एवं प्रमाणिकता से अभिव्यक्त किया गया है। स्त्री पुरुष संबंधों में आज सबसे बड़ी क्रांति विवाह और प्रेम संबंधों को लेकर हुई है। विवाह और प्रेम सम्बन्धी यह बदली हुई दृष्टि कहानियों में पूरी तरह रूपायित हुई है। कुछ कहानीकारों ने विवाह संस्था को ही निरर्थक घोषित कर दिया है। कतिपय कथाकारों ने विवाह को नारी शोषण का अंग माना है।
जीवन के आर्थिक पक्ष की प्रधानता -
आज की कहानी विषमतर जीवन परिश्थितियों में जी रहे सामान्य मनुष्य की आर्थिक लड़ाई की पक्षधर है। इन कहानियों में हाशिये पर जी रहे सामान्य मनुष्यों का चित्रण है ,जो विभिन्न रूपों में आर्थिक विषमता को दूर करने के लिए कटिबद्ध है। कठिन जीवन संघर्ष की ये कहानियां मध्यवर्ग ,उच्च मध्यवर्ग और निम्न वर्ग सभी को लक्षित कर लिखी गयी है।
व्यवस्था के प्रति तीव्र रोष -
आज का व्यक्ति अत्यंत भ्रष्ट सामाजिक व्यवस्था में रह रहा है जिससे सभी क्षेत्रों में प्रदूषित और घिनौने रूप का साक्षात्कार हर व्यक्ति को पग पग पर होता है। राजनीति ,समाज ,धर्म ,शिक्षा ,प्रशासन ,पुलिस व्यवस्था तथा विशेषतः औद्योगिक प्रतिष्ठान सभी व्यवस्था की भ्रष्टता में अपाद मस्तक डूबे हुए हैं।
कहानी का बौद्धिक हो जाना -
नयी कहानी से ही हिंदी कहानी एक गंभीर विधा के रूप में प्रचलित हुई। आज के दौर में आकर पूरी तरह चिंतन और मनन की विधा बन गयी है।
नगर एवं महानगर की ही कथाभूमि -
आज कहानी मुख्यतः नगर और महानगर में केन्द्रित हो गयी है। किन्तु इसका मतलब यह नहीं है कि उसमें ग्रामीण जीवन परिवेश पर बिलकुल नहीं लिखा गया है।
उपयुक्त विश्लेषण के आधार पर कहा जा सकता है कि कहानी का यथार्थ आज अत्यंत विस्तृत और विविधवर्णी है। जीवन की कोई समस्या और क्षेत्र नहीं छुटा है ,जहाँ रचनाकार की दृष्टि न गयी हो।
विडियो के रूप में देखें -
hi
जवाब देंहटाएंlol
जवाब देंहटाएंpls give example of sathotri kavitas
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