स्वामी रामानंद

SHARE:

स्वामी रामानंद swami ramanand स्वामी रामानंद जी हिंदी और सधुक्कड़ी भाषा के संत साहित्य महारथी स्वामी रामानंद जी प्रारम्भिक काल में सगुन ब्रह्म उपासक रहे और बाद में आपने निर्णुण ब्रह्म की उपासना करते रहे | आप के प्रातः गुरु डंडी स्वामी और बाद में स्वामी से दीक्षा ग्रहण काके अपने गुरु के रूप में स्वामी राघवानंद जी को स्वीकारा |

स्वामी रामानंद जी हिंदी और सधुक्कड़ी भाषा के  संत साहित्य महारथी 


स्वामी रामानंद जी प्रारम्भिक काल में सगुन ब्रह्म उपासक रहे और बाद में आपने निर्णुण ब्रह्म की उपासना करते रहे | आप के प्रातः गुरु डंडी स्वामी और बाद में स्वामी   से दीक्षा ग्रहण काके अपने गुरु के रूप में स्वामी राघवानंद जी को स्वीकारा | रामानंद स्वामी जी डंडी स्वामी के शिष्य और बाद में  स्वामी राघवानंद जी के शिष्य हुए भविष्य पुराण में इन्हें सामानन्द स्वामी कहा गया है | ऐसा ही वर्णन अगस्त संहिता में भी वर्णित है | आपने आचार्य रामानुज द्वारा चलाई गई परंपरा का सजग प्रहरी की भाँती निर्बहन किया | 

स्वामी रामानंद जी राम भक्ति परम्परा के प्रथम आचार्य थे | स्वामी जी के जन्म के सम्बन्ध में और तिथि पर मतभेद है | इंटरनेट की दुनिया में जाएँ तो भारत कोष में वैष्णवाचार्य  स्वामी रामानंद जी का जन्म १२९९ में 'प्रयाग' में लिखा गया है | जिसे अगस्त संहिता में भी वर्णित किया है | नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी से प्रकाशित पुस्तक जिसके प्रधान सम्पादक हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ,सम्पादक स्व ० डॉ ० पीताम्बर बड़थ्वाल जी हैं ने 'रामानंद की हिंदी रचनाएँ 'में उनका जन्म सं १२९९ और मृत्यु की तिथि पर दुरूहता व्यक्त की है | लोक मतानुसार उन्हें १४१० ई.  में शरीर छोड़ने की बातेन की | कुछ विद्वान् १४८ वर्ष के बाद ,साकेत धाम से और संसार को छोड़ने की बात सम्बत १५०५ बताया है | जबकि उनकी रचना का काल सं ०१५१७ और लिपि काल सं ० १९९७ वि. है | ग्रियर्सन की भाँती डॉ फर्कुहर ने तो  स्वामी रामानन्द जी की आयु ७०-८० साल की मानते है | उनका जीवन काल १४०० और १४७० सके बीच मानते है | स्वामी जी के परधान -गमन काल पर विभिन्न सम्प्रदायों में विवाद झलकता है ,अधिकाँश सम्प्रदाय वाले लोग उनकी मृत्यु सं ० १५०५ ही मानने लगे हैं | 

नाभादास के भक्तमाल और 'ज्ञानेश्वर -चरित्र ' के उल्लेख से भी रामानंद जी के जन्म काल के प्रमाण से भी, सही जन्म काल की  पुष्टि नहीं की जा सकती| यथा-

'अयोध्यापूरी  में  बादशाह सिकंदर लोदी ने अपने एक यंत्र द्वारा जिन-जिन हिन्दुओं को म्लेच्छ बना दिया था उन्हें रामानंद जी के शिष्यों ने स्वामी जी के प्रभाव से वैष्णव बना दिया '|  जबकि स्वामी जी के शिष्यों ने यह कार्य किया होगा इसमें संसय नहीं किया जा सकता है परन्तु वे विद्मान थे यह असंदिग्ध अप्रमाणित ही कहा जा सकता है |
स्वामी रामानंद जी
स्वामी रामानंद जी

पंडित रामचन्द्र शुक्ल जी का आधार माने तो ईसा की पंद्रहवीं शती  के पूर्वार्ध और सोलहवीं शती के प्रारम्भ के मध्यकाल में उनकी उपस्थिति बताया गया है | भक्तमाल और रामानंदी मठों की गुरु परम्पराओं में 'अगस्त्य संहिता' के मत का समर्थन किया गया है |स्वामी रामानन्द जी अपने मत का प्रचार- प्रसार के लिए भारत में विभिन्न तीर्थों में जाते थे और तीर्थाटन करके मत का प्रचार करते थे | एक बार की बात है कि उनके गुरु -भाइयों ने यात्रा करके लौटने पर दिए गए भोज को ग्रहण करने से इंकार कर दिया | जानकारी करने से ज्ञात हुआ कि  स्वामी रामानन्द छुआछूत का विचार नहीं करते अतएव हम सब उनका भोजन नहीं ग्रहण कर सकते हैं इस तथ्य के गहन अध्ययन के बाद स्वामी जी ने अपने शिष्यों को सम्प्रदाय चलाने की सलाह दी | वह सम्प्रदाय 'रामानंद सम्प्रदाय ' के नाम से जाना गया | रामानंद सम्प्रदाय में -१- दो भुजा वाले राम की उपासना|२- ओम  रामाय नमः का जप मन्त्र |- उस सम्प्रदाय के दो भाग -१- श्री सम्प्रदाय |- वैरागी संप्रदाय | 

इस सम्प्रदाय में कर्मकांड का महत्व बहुत काम है | आचार पर अधिक बल नहीं दिया गया | इस सम्प्रदाय के संत  लोग 'अवधूत ' और 'तापसी ' भी कहे जाते हैं | सर्वाधिक संख्या वाले रामानंदी सम्प्रदाय में जाती-पाँति में विभेद नहीं किया जाता है | इस सम्प्रदाय में जहां हिन्दू शिष्य साधु हैं वहीं मुसलमान आदि भी संख्या कम नहीं हैं | सोशल मीडिया के ;हिंदी कविता;  में स्वामी रामानंद जी पर संक्षिप्त परिचय सहित  भक्त रामानंद जी की रचनाएं में 'कत जाईऐ  रे घर लागो रंगु -शब्द '  द्वारा गुरु ग्रन्थ साहब की कुछ पक्तियाँ उद्धृत की गई है -
                रामानन्द जी घरु १ १ ॐ सतिगुर प्रसादि ||   
                कत जाईऐ  रे घर लागो रंगु  
                मेरा चितु न चलै मनु भइओ पंगु || १|| रहाउ || 
                       ------------------------------ 
                सतिगुरु मैं बलिहारी तोर | 
                जिनि सकल बिकल भ्रम काटे मोर | 
                 रामानंद सुआमी रमत ब्रह्म |
                 गुरु का शबदु  काटै कोटि करम | ३\१\११९५|  

साथ ही -ज्ञान लीला ,पद , आरती ,योग चिंतामणि और ज्ञान तिलक पद्य १२ तक साइट पर प्रकाशित है |स्वामी रामानंद जी के प्रमुख शिष्यों में -अनंतानंद ,कबीर ,सुखानंद ,सुरसुरानंद ,पद्मावती ,नरहर्यानन्द ,पीपा ,रैदास ,भवानन्द ,   धना सेन  और सुरसुरी आदि प्रमुख थे | 

वैसे तो स्वामी रामानन्द जी के भक्त शिष्य संत शिरोमणि महाकवि कबीर को संत साहित्य को हिंदी साहित्य मके इतिहास में स्थान दिलाने का श्रेय जाता है | (ना प्र पत्रि पेज ५५ अंक २ ,२००६,) रामानन्द जी को रसिक प्रकाश भक्तमाल के टीकाकार जानकी रसिक शरण ने उनका नाम पूर्व में रामदत्त कहा है |  अगस्त्य  संहिता और भविष्य पुराण में उनका नाम  रामानन्द ही है | किम्बदन्ती स्वरुप पहले प्रथम गुरु कोई संन्यासी डंडी स्वामी कहा गया है ,बाद में राघवानन्द स्वामी जी हुए | रामानंद जी  का मठ  काशी (वाराणसी ) के पंच गंगाघाट पर  था | जो आज भी है उनके अनुयाई उसमें विद्द्मान हैं | 

रामानंद जी की प्रमुख पुस्तकों में -
वेदान्त विचार ,श्री  रामार्चन पद्धति ,गीता भाष्य ,उपनिषद् भाष्य ,आनंद भाष्य ,योग चिंतामणि ,श्री वैषणवमताब्ज भास्कर ,सिद्धान्त - पटल ,रामअधानम,रामरक्षास्तोत्र , रामानन्दादेश,ज्ञान -लीला ,ज्ञान तिलक ,अध्यात्म रामायण ,आत्मबोध राम मन्त्र जोग ग्रन्थ और कुछ फुटकर हिंदी पद  आदि ग्रंथों की रचना की थी | 

रामभक्ति के प्रचार प्रसार को ऊंचाई प्रदान करने में स्वामी जी का महत्वपूर्ण योगदान था | इन्हीं की अनुकम्पा कहें अथवा प्रेरणा जिसकी वजह से राम भक्ति से सम्बंधित साहित्य का सृजन मध्य युग में हो सका | कबीर का लेखन और तुलसी दास का लेखन करने और निखार में रामानंद जी का प्रभाव किसी न किसी रूप में अवश्य ही था | कुछ सम्प्रदाय में स्त्री और शूद्र के लिए मठ  के द्वार बंद कर रक्खे थे जिससे अलग विचार धारा के पालनकर्ता रामानंद जी ने सभी के लिए छूट दे दी थी | 

उपरोक्त उदारता को ध्यान में रखते हुए यह कहा जा सकता है कि - संत साहित्य की अधिकाँश उदार चेतना रामानंद के ही कारण है | इस उदार चेतना ने हिन्दुओं को और मुसलामानों को और करीब आने का मौका दिया | भक्ति साहित्य के रचयिता कवियों द्वारा उदार विचारधारा ,राम के प्रति अगाध लगाव ,हिन्दू-मुसलमानों में ताल-मेल के कारण रामानंद जी को कवि उन्हें 'प्रेरणा -स्रोत' के रूप में देखते हैं | 

'रामानंद की हिंदी रचनाएं 'में प्रधान सम्पादक हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने ना ०  प्र ०  सभा के तत्कालीन मंत्री श्री कृष्ण लाल जी द्वारा जीवनी लिखना और डॉ पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल द्वारा अनेक श्रोतों से रचनाएं संकलित कर अधूरा छोड़े कार्य को पूरा  दौलत राम जुवाल जी ने सलीके से संकलित किया  | दौलत राम जुवाल और भुवनेश्वर गौड़ जी ने पुस्तक के हेतु सामग्री प्रदान किया को ध्यान में लेते हुए , कृतज्ञता ब्यक्त की और कहा कि पुस्तक को इतनी सामग्रियों से भूषत करने और सजा कर शुद्ध-शुद्ध छापने में सहायता दी है | नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रकाशित  'रामानंद की हिंदी रचनाएं 'में 'हनुमान की आरती 'को छोड़कर सभी पदों में निर्गुण मत की झलक मिलती है | 

हिंदी विकिपीडिया ने लिखा है कि - मध्यकालीन भक्ति आंदोलन का महान संत थे  रामानंद जी | वे रामभक्ति की धारा को समाज के अंतिम स्टार तक पहुंचाने का कार्य किया | उन्हें उत्तर भारत में राम भक्ति के प्रचार  का पहला आचार्य माना | आचार्य के बारे में प्रचलित कहावत को उद्धृत किया -

                         'द्रविड़ भक्ति उपजौ -लायो रामानंद '| 

अर्थात भारत के समूचे उत्तरी क्षेत्रीय क्षेत्र में भक्ति के प्रचार -प्रसार का श्रेय स्वामी रामानंद को जाता है |  आचार्य बोध और तत्व की दृष्टि से उन्होंने अनेक कालजयी मौलिक ग्रंथों की रचना की जिसमें वैष्णवमताब्ज  भास्कर ,श्री रामार्चना पद्धति ,श्रीरामपटल आदि हैं | 

इतिहास साक्षी है कि उस समय के अयोध्या नरेश हरि सिंह  के नेतृत्व में चौरासी हजार राजपूतों को एक साथ ,एक मंच से स्वामी जी ने स्वधर्म अपनाने के लिए प्रेरित किया था | जिन्हें- जिन्हें बलपूर्वक  इस्लाम धर्म के द्वारा दीक्षत कर दिया गया था उन हिन्दुओं को पुनः हिन्दू धर्म में वापस लाने का परावर्तन संस्कार का महान  कार्य सर्वप्रथम स्वामी रामानंदाचार्य द्वारा शुरुआत की गई | भारत के सम्प्रदाय इतिहास में परस्पर विरोधी सिद्धांतों और साधना पद्धति के अनुयायियों के बीच में इतनी लोकप्रियता किसी भी सम्प्रदाय को अब तक नहीं मिली थी |  महाराष्ट्र में नाथपंथियों ने ज्ञानदेव के पिता विट्ठल पंत के गुरु के रूप में उन्हें पूजा |अद्वैतमतावलम्बियों ने ज्योतिर्मठ के ब्रह्मचारी के रूप में स्वामी जी को अपनाया | यही नहीं बाबरी पंथ के संतों ने अपने सम्प्रदाय के प्रवर्तक मानकर उनकी वंदना की | वे कबीर के गुरू तो थे ही | ऐसा महान संत परम विचारक समन्वयी ,महात्मा का प्रादुर्भाव कान्यकुब्ज ब्राह्मण परिवार में तीर्थराज प्रयाग में हुआ था | ,       
         
स्वामी ने छुआछूत ,ऊंच -नीच ,जाट -पात जैसी समाज में व्याप्त कुरीतियों का जमकर विरोध किया | उनहोंने सभी के लिए भक्ति का मार्ग तो खोला परन्तु वर्ण शंकरता की अनुमति नहीं प्रदान की | श्री वैष्णवों के नारायण मन्त्र की जगह रामतारक या षड़क्षर राममंत्र को ही सम्प्रदायिक दीक्षा का बीज मन्त्र माना और बाह्य सदाचार के स्थान पर आतंरिक साधना ,भाव की शुद्धता  पर जोर दिया गया |  रामानंद द्वारा देश-धर्म के प्रति दी गई अमूल्य सेवाओं ने सभी सम्प्रदायों के ह्रदय में, वैष्णव सम्प्रदाय के प्रति, ह्रदय से महत्व स्थापित किया | 
      
काशी के पंचगंगा घाटी पर अवस्थित श्री मठ सगुण और निर्गुण राम भक्ति परम्परा,रामानंद सम्प्रदाय का मूल आचार्य पीठ है |इस पीठ के पीठाधीश्वर न्याय शास्त्र के  प्रकांड विद्वान् और सन्यासी जगत प्रसिद्द हैं | श्रीमठ में रामानंदाचार्य की चरण पादुका रक्खी है जिसके दर्शनार्थ देश विदेश में फैले रामानंदी संतों ,तपस्वियों और अनुयायियों के लिए श्रद्धा का अनन्यतम बिंदु ,पूज्य है | वर्त्तमान में रामनरेशाचार्य जी स्वामी रामानंद जी की प्रतिमूर्ति लगते हैं |  यह परम सौभाग्य और संतोष का विषय है की वर्त्तमान आचार्य की कल्पनाएं ,ज्ञान ,उदारता सब कुछ रामानन्दाचार्य जैसी लगती है | 

स्वामी रामानंद जी का व्यक्तिगत प्रभाव सम्पूर्ण भारत में हो चूका था | उनके प्रभाव में आकर हिन्दू-मुस्लिम वैमनस्य ,शैव -वैष्णव विवाद ,मत- मतान्तर का झगड़ा ,वर्ण -विद्वेष ,और परस्पर सामाजिक कटुता में कमी आई | उनके यौगिक शक्ति के चमत्कार से प्रभावित होकर तत्कालीन शासक मुग़ल मोहम्मद तुगलक ने  रामानंद जी की शरण में आया था | उसको लाने में माध्यम बने संत कबीर |  स्वामी के प्रभाव से प्रभावित होकर उसने हिन्दुओं पर लगे समस्त प्रतिबन्ध और जजियाकर को हटाने का निर्देश जारी कर दिया |  

भक्ति और भक्त की शक्ति को समाज का साधारण व्यक्ति तुलना करने में अपने आपको उत्तम नहीं मान सकता | गुरु परम्परा के समारम्भ आदिगुरु स्वामी रामानंद जी को मानने वाले श्री परमहंस राममंगल दास जी ने आदि गुरु स्वामी जी को बताते हुए इनके बारह  शिष्यों को द्वादश महाभारत के नाम से ज्ञात कराया है | यथा -
* श्री अनंतानंद जी, को ब्रह्मा जी का अवतार कहा इसी क्रम में *श्री सुखानन्द जी, को शंकर जी का | *श्री योगानन्द जी, को कपिलदेव जी का अवतार माना | *श्री सुरसुरानन्द जी ,को नारद देव् जी का अवतार | * श्री मालवानन्द जी, को शुकदेव जी का अवतार बताया | * श्री नरहरियानन्द जी, को सनत्कुमार जी का अवतार | 
* श्री भावनानन्द जी, को जनक जी का अवतार कहा | * श्री कबीर दास जी को प्रहलाद जी का अवतार |* श्री  पीपा जी, को राजा मनु का अवतार | * श्री रैदास जी ,को धर्मराज जी का अवतार | * श्री धन्ना जाट जी ,को राजा बलि का अवतार | और * श्री सेन भक्त जी, को भीष्म जी का अवतार कहा है | श्री परमहंस राममंगल दास जी के गुरु परम्परा में नियमानुसार -

आदि गुरु स्वामी रामानन्द जी को भारत का अंश और उनके शिष्य स्वामी भावनानन्द  जी को जनक जी का अवतार कहा है | श्री परमहंस जी के अनुसार -
                              'गुरु वंदना '
श्री गुरु महिमा को कहै ,अति ही ऊँच मुकाम | 
 ताते गुरु पद को करौं बार -बार परनाम || 

उनका मानना है कि 'यह गुरु महिमा का पद भगवान श्री रामचंद्र जी ने स्वयं प्रकट होकर श्री महाराज जी को लिखवाया है | 

अंत में केवल इतना पाठकों से आग्रह पूर्वक निवेदन किया जा सकता है कि रामानंद सम्प्रदाय के ' श्रीमठ 'में जायँ और स्वामी श्री रामनरेशाचार्य के सानिध्य में आदि गुरु रामानन्दाचार्य जी के कृतित्व ,व्यक्तित्व और सत्य -सत  साहित्य के  आनंद में सहभागी बनें | 
      "ॐ हरि अनंत हरी कथा अनंता ,जो कोई सुमिरत सोई संता ॐ "
                                                   
                                                      
-सुखमंगल सिंह 
अवध निवासी 

COMMENTS

Leave a Reply: 2
  1. हिन्दू धर्म के रक्षक ,जाती-पात के विरोधक ,धर्म शास्त्र ममें पारंगत,सेवाभाव में लीन ,राम के अनन्य उपासक ,कालजयी संस्कृत और हिन्दी में पुस्तकों के रचयिता ,हिन्दी संस्कृत -संस्कृति के रक्षक ,गुरु परंपरा का पालन कर्ता ,सभी धर्म -संप्रदाय को अपनी ओर आकृष्ट करने वाले महान संत ,आदि गुरु स्वामी रामानन्दाचार्य |

    जवाब देंहटाएं
  2. अजीत श्रीवास्तव ने कहा - दिनांक २९ नवंबर २०१९ को प्रकाशित स्वामी रामानंद जी पर प्रख्यात कवि लेखक सुखमंग ल सिंह का शोध परक लेख पढ़कर मेरे ज्ञान में को श्री बृद्धि हुई उसके लिए हिन्दी काव्य कुंज का हृदय से आभारी हूं
    - अजीत श्रीवास्तव

    जवाब देंहटाएं
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,37,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,4,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,5,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,7,कविता,1478,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,40,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,3,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,6,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,35,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,77,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,7,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,12,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,4,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,202,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,141,प्रयोजनमूलक हिंदी,38,प्रेमचंद,50,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,88,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,9,भक्ति साहित्य,143,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,18,भीष्म साहनी,9,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,10,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,3,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,8,मोहन राकेश,16,यशपाल,19,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,125,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,8,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,3,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,8,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,57,शैलेश मटियानी,3,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,4,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,34,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,44,समसामयिक हिंदी लेख,270,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,22,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,87,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,437,हिंदी लेख,536,हिंदी व्यंग्य लेख,14,हिंदी समाचार,186,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aapka-banti-mannu-bhandari,6,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,divya-upanyas-yashpal,5,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,12,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,20,hindi essay,429,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,682,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,77,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,23,kavyagat-visheshta,26,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,12,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,raag-darbari-shrilal-shukla,8,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,sponsored news,10,suraj-ka-satvan-ghoda-dharmveer-bharti,6,Syllabus,7,tamas-upanyas-bhisham-sahni,4,top-classic-hindi-stories,59,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: स्वामी रामानंद
स्वामी रामानंद
स्वामी रामानंद swami ramanand स्वामी रामानंद जी हिंदी और सधुक्कड़ी भाषा के संत साहित्य महारथी स्वामी रामानंद जी प्रारम्भिक काल में सगुन ब्रह्म उपासक रहे और बाद में आपने निर्णुण ब्रह्म की उपासना करते रहे | आप के प्रातः गुरु डंडी स्वामी और बाद में स्वामी से दीक्षा ग्रहण काके अपने गुरु के रूप में स्वामी राघवानंद जी को स्वीकारा |
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiIcsWpnl4rGlepvTqHIE0AcigQ9QQ8zyyfJoa-E8bGM_Q1Av6huw66hn8ICOg5_TBOt4KHH7bmD7Kn3XAr9qSItqkeq8U0GjYbho0LpRWKwivXCrJxtSlnbUWV857_OTZobiUrQ4ZLVs8c/s1600/download.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiIcsWpnl4rGlepvTqHIE0AcigQ9QQ8zyyfJoa-E8bGM_Q1Av6huw66hn8ICOg5_TBOt4KHH7bmD7Kn3XAr9qSItqkeq8U0GjYbho0LpRWKwivXCrJxtSlnbUWV857_OTZobiUrQ4ZLVs8c/s72-c/download.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2019/11/swami-ramanand.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2019/11/swami-ramanand.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका