हिंदी भाषा को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए सत्र “ हिंदी का फैलता दायरा” में वक्ताओं ने एक सुर में कहा कि हिंदी को न्याय चाहिए और न्याय की भाषा ही हिंदी होनी चाहिए .सरकारी संस्थानों में हिंदी भाषा को प्राथमिकता मिलनी चाहिए . हिंदी के लिए अहिंसक संघर्ष होना चाहिए. इस सत्र में राममोहन पाठक, कृष्ण बिहारी ,यतीन्द्र मिश्र से मुकुल श्रीवास्तव ने बात की .
जागरण संवादी के छठे संस्करण का आगाज
लखनऊ : तीन दिवसीय दैनिक जागरण संवादी के छठे संस्करण का उद्घाटन आज उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष ह्रदय नारायण दीक्षित द्वारा भारतेंदु नाट्य अकादमी ,गोमती नगर ,लखनऊ में किया गया. इस उद्घाटन अवसर पर दैनिक जागरण के मुख्य महा प्रबंधक विनोद श्रीवास्तव, इग्ज़ेक्यटिव एडिटर विष्णु त्रिपाठी भी मौजूद थे . तीन दिन तक चलने वाले दैनिक जागरण संवादी में धर्म,राजनीति , गीत-संगीत, सिनेमा आदि विषयों पर 25 सत्रों में 60 से भी अधिक वक्ता अपने विचार रखेगे.
इस मौके पर अपने विचार रखते हुए हृदय नारायण दीक्षित ने कहा “ भारत के कण कण में संवाद बसा है . ,जल,थल ,हवा,पेड़-पौधों और आकाश से हम प्राचीन काल से ही संवाद करते आयें हैं ..भारतीय संवाद के बारे में जानने के लिए दुनिया के बड़े बड़े विद्यवान भी उत्सक होते हैं”
संवादी के छठे संस्करण का आगाज ‘ज्ञान का ज्ञान’ सत्र से हुई ज्ञान का ज्ञान’ उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष ह्रदय नारायण दीक्षित की नई पुस्तक है. इस पुस्तक के लोकार्पण के बाद लेखक से अरुण माहेश्वरी द्वारा बात की गयी .ज्ञान का ज्ञान पुस्तक में भारत के 5000 साल पुराने उपनिषदों के ज्ञान को आज की भाषा में प्रस्तुत किया गया है
संवादी के छठे संस्करण का आगाज |
हिंदी भाषा को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए सत्र “ हिंदी का फैलता दायरा” में वक्ताओं ने एक सुर में कहा कि हिंदी को न्याय चाहिए और न्याय की भाषा ही हिंदी होनी चाहिए .सरकारी संस्थानों में हिंदी भाषा को प्राथमिकता मिलनी चाहिए . हिंदी के लिए अहिंसक संघर्ष होना चाहिए. इस सत्र में राममोहन पाठक, कृष्ण बिहारी ,यतीन्द्र मिश्र से मुकुल श्रीवास्तव ने बात की .
“महिला होने के दंश” सत्र में आज के समय में महिला के अधिकारों और उसके संघर्ष और समाज में अपने स्थान के लिए जद्जोहद के बारे में वक्ताओं ने बात की . निर्भया बलात्कार से लेके हाल ही में हैदराबाद में हुए जघन्य बलात्कार और पीड़ित की निर्मम हत्या को मंच पर वक्ताओं ने उठाया. किस तरह आज भी महिला घर से लेके समाज में दंश सह रही है. इस सत्र में नाइश हसन, मीनाक्षी स्वामी, सुशीला पूरी से फैजी खान ने बात की .
समाजिक कार्यकर्ता नाइश हसन ने मुस्लिम महिलाओं का होने वाले उत्पीड़न और उनके ऊपर सरिया कानून पर बोलते हुए कहा कि महिला को एक समान की तरह देखा जाता है और पुरुष उसे अपने मन मुताबिक रखना चाहते हैं.
‘हौसलें का हिमालय’ सत्र में उमेश पन्त ,आदित्य अमर से प्रशांत कश्यप ने बातचीत की.वक्ताओं ने हिंदी पट्टी के हिमालय और पूर्वोतर के हिमालय के बारे में अपने अपने विचार रखे.
‘क्षेत्रीय राजनीति का भविष्य’ सत्र में प्रदेश कांग्रेस नेता सुरेन्द्र राजपूत , प्रसिद्ध पत्रकार विजय त्रिवेदी, एवं ,समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राजेन्द्र चौधरी मंच पर आमने सामने थे. क्षेत्रीय राजनीति के भविष्य पर सभी वक्ताओं के विचार में मतभेद थे,लेकिन वक्ताओं ने माना की क्षेत्रीय पार्टी के ताकत को नजरंदाज नही किया जा सकता है . आज के समय में क्षेत्रीय राजनीति जरूर कमजोर हुई हैं लेकिन इन पार्टियों की ताकत कमजोर नही हुई है.
“सुनहले पर्दे का ख्याब” सत्र में नब्बे की दशक के मशहूर अभिनेत्री महिमा चौधरी से मनोज राजन त्रिपाठी ने बात की. महिमा चौधरी ने परदेश फिल्म के मिलने से लेके मीटू, टीवी धारावाहिक,वेब सीरीज एवं अभिनेताओं के मुकाबले अभिनेत्रिओं की स्क्रीन आयु के कम होने पर खुलकर बात की .उन्होंने अभिनेत्रिओं के स्क्रीन आयु के बारे बताया की ये केवल बॉलीवुड में नही हॉलीवुड में भी होता है,शादी और बच्चे होने के बाद फिल्मों से थोड़ा दूरी बना लेती हैं .
“सुनहले पर्दे का ख्याब” सत्र में ही मुकेश छाबड़ा हिंदी फिल्मों के कास्टिंग निर्देशक व अभिनेता हैं, दंगल, गैंग ऑफ़ वास्सेपुर ,चिल्लर पार्टी जैसे फिल्मों के लिए कास्टिंग कर चुके हैं . मंच पर मनोज राजन त्रिपाठी ने उनसे बात की और उन्होंने बताया कैसे राजकुमार राव, पंकज त्रिपाठी, नवाजुदीन सिद्क्की और मनोज वाजपेयी जैसे अभिनेता साधारण परिवार और आम शक्ल सूरत वाले बॉलीवुड में अपने टैलेंट के बदोलत नाम कमा रहे हैं
पहले दिन की अंतिम प्रस्तुति प्रसिद्ध लोक गायिका मालिनी अवस्थी के सत्र “अवध की मिट्टी से उठती धुन” से हुई इस सत्र का संचालन आत्मप्रकाश मिश्र ने किया. मालिनी ने अपने सुप्रसिद्ध गीत 'रेलिया बैरन पिया को लिए जाय रे', 'अवध मा धूम मची, घर लौटे हैं रमैया'गीत गाकर लोगों को तालियां बजाकर झूमने पर मजबूर कर दिया। मालिनी ने अनेक पारंपरिक गीतों को एक के बाद एक प्रस्तुत कर समां बांधा.
अभिव्यक्ति के इस उत्सव में धर्म,राजनीति,संघ ,दलित एवं स्त्री साहित्य जैसे जवलंतशील विषयों के साथ साथ गीत-संगीत,सिनेमा ,हास्यगीत और अवध के सूफी मिजाज आदि जैसे सत्रों में 60 से ज्यादा वक्ता श्राताओं से संवाद करेंगे.
सुन्दर पोस्ट
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