चाणक्य नीति की बातें Chanakya Neeti In Hindi मौर्य साम्राज्य के संस्थापक के रूप में महापंडित विष्णु गुप्त चाणक्य को सदा याद किया जाएगा। भारत वर्ष की इस पवित्र भूमि का जन्म लेने वाले इस महाज्ञानी व्यक्ति ने भारत का पूरा इतिहास बदल दिया।
चाणक्य नीति की बातें
Chanakya Neeti In Hindi
तीनों लोकों के स्वामी श्री विष्णु भगवान को साष्टांग नमस्कार करके अनेक शास्त्रों में से उद्धृत करके राजनीति का सार कहता हूँ।
इस राजनीति समुच्चय को विधिवत पढ़कर धर्म शास्त्र के प्रसिद्ध उपदेशों को शुभ और अशुभ ,अच्छे तथा बुरे का ज्ञान सद पुरुष ,उत्तम पुरुष ही जानते हैं। मैं लोक हित की इच्छा से उस शास्त्र का वर्णन करूँगा ,जिसके ज्ञान मात्र से मनुष्य को सर्वज्ञता प्राप्त हो जाती हैं।मूर्ख शिष्य को पढ़ाने से ,दुष्टा स्त्री के पालन पोषण से अथवा दीन दुखियों के संपर्क में रहने से ,बुद्धिमान मनुष्य भी दुःख पाते हैं। दुष्टा ,स्त्री ,कपटी मित्र ,हर बात में जबाब देने वाला नौकर तथा जिस घर में सांप रहता हो उसमें रहना ,ये सब मृत्यु तुल्य हैं ,इसमें संदेह नहीं हैं।
आपत्ति काल के लिए धन की रक्षा करे ,धन से बढ़कर स्त्री की रक्षा करे तथा धन और स्त्री दोनों से बढ़कर सर्वदा अपनी रक्षा करनी चाहिए। आपत्ति निवारण के लिए धन की रक्षा करना उचित है। धनी मनुष्य है तो विप्पति कैसी ? लक्ष्मी चंचल है।कभी कभी संजोया धन भी नष्ट हो जाता है। जिस देश में सम्मान नहीं है ,जिवोकोपार्जन का साधन नहीं ,बन्धु बांधव भी नहीं और न विद्या का ही लाभ हो ,तो ऐसे स्थान पर एक दिन भी वास नहीं करना चाहिए।
चाणक्य नीति |
जहाँ पर धनी ,वेद ज्ञाता ब्राह्मण ,राजा ,नदी या जलाशय अथवा वैद्य ये पाँचों विद्यमान न हों वहां एक दिन भी नहीं रहना चाहिए क्योंकि इनके रहने से यह लोक अथवा परलोक दोनों बन जाता है। जिस स्थान पर जीविका ,भय ,लज्जा ,चतुराई और थोड़ा बहुत त्याग करने की लगन इन पाँचों चीज़ों का अभाव को वहां के लोगों का साथ कदापि न करें। कठिन काम पड़ने पर सेवक की ,संकट के समय भाई बन्धु की आपत्ति काल में मित्र की तथा धन के नाश हो जाने पर स्त्री की परीक्षा होती है।
चाणक्य के बारे में
राजा नन्द क्रोध से चीख रहे थे ,उनकी नज़रें बार बार उस लम्बे तगड़े ,काले ,लम्बी चुटिया वाले आदमी के भयंकर चेहरे पर पड़ रही थी।राजा नन्द ने चाणक्य के बारे में कहा - यह कौन है ,काला कलूटा ,कुरूप,बदशक्ल। जंगली इंसान मेरे दरबार में क्यों आया है।
महाराज आप भूल कर रहे हैं। इनकी शक्ल की ओर मत जाइए। इनके गुण जानने का प्रयत्न कीजिये। महामंत्री ने राजा से कहा। गुण और वे भी इस इंसान में जो देखने में भूत लगता है।
महाराज ! वह भूत नहीं हैं ,महापंडित चाणक्य है ,पंडित विष्णु गुप्त शर्मा इनका पूरा नाम है।
जिस आदमी को तुम ब्राह्मण कहते हो वह देखने में किसी चंडाल से कम नहीं लगता है।
राजा नन्द के मुँह से अपमान भरे शब्द सुनकर चाणक्य जी को भी क्रोध आ गया ,वे चीख कर बोले -
हे राजा नन्द ,जिस आदमी को तुमने अपमान किया है ,वही आदमी एक दिन तुम्हारा सर्वनाश करेगा।
यहाँ से प्रारंभ होती है ,हमारी चाणक्य नीति ,जो विश्व की सबसे बड़ी राजनीति कला है।जिसने एक साधारण युवक को धरती से उठाकर विश्व राजनीति के सबसे ऊँचे शिखर पर पहुँचा दिया।उसी युवक को आज इतिहास में चन्द्रगुप्त मौर्य के नाम से जाना जाता है।
जब कहीं भी इतिहास में चन्द्रगुप्त मौर्य का नाम आएगा ,तो वहीँ पर हमें याद आएगी चाणक्य नीति।मौर्य साम्राज्य के संस्थापक के रूप में महापंडित विष्णु गुप्त चाणक्य को सदा याद किया जाएगा। भारत वर्ष की इस पवित्र भूमि का जन्म लेने वाले इस महाज्ञानी व्यक्ति ने भारत का पूरा इतिहास बदल दिया। एक साधारण युवक को महाराज बना देना ,बुद्धि की यह शक्ति केवल चाणक्य के पास ही थी।
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