फलाने की नइकी दुलहिन फलाने अपनी नयकी दुलहिन को पहली दफा गाँव लेकर गए काहे की बिआह शहरी देख दिखावे में हुआ था तो गांव-समाज,पित्तर-देवता-देवी सभी से मिलान करने के लिये पहली बार फलाने मेहरारु को गाँव लेकर गए
फलाने की नइकी दुलहिन
फलाने अपनी नयकी दुलहिन को पहली दफा गाँव लेकर गए काहे की बिआह शहरी देख दिखावे में हुआ था तो गांव-समाज,पित्तर-देवता-देवी सभी से मिलान करने के लिये पहली बार फलाने मेहरारु को गाँव लेकर गए।ठण्ड और कोहरे के वजह से ट्रेन देरी से चल रही थी तो घर भी पहुंचते पहुंचते काफी रात हो गया।फिर रात्रिभोजन पर ही घर की मुखिया फलाने की माई ने प्रोग्राम बना दिया की सुबह देवता पूजन और मुँह दिखाई की रस्म और गाँव समाज का भोज भी एके साथ करेंगी।अचानक से रात में भयंकर बारिश भी होना शुरू हो गया पर सुबह तक बारिश थम चुका था और घुन्ध भी छट गया था पर हर तरफ कीच-कीच पानी ही पानी।
घर मे तैयारी जोरों से चल रही थी और नयकी बहुरिया को भी तैयार होने को आदेश संग नाक से नीचे तक घूँघट करने का हिदायत मिल गया था। शहर की रहन सहन में पलने वाली नयकी बहुरिया को ये सब दकियानूसी लगा पर करती भी क्या...एक ले देकर फलाने ही तो थे जो जिसे उ समझती थी बाकी गाँव समाज रश्म रिवाज के बारे में जानती भी नही थी वो तो दस दिन की छुट्टी अपने फलाने के संग एन्जॉय करने आई थी।खींच कर फलाने को अपने कमरे में किवाड़ का बेड़ा चढ़ाकर लगी बरसने बोली की देखो जी हमसे ई सब नही होगा नाक से नीचे तक घूंघट और एक कोठरी में बन्द रहना। फलाने बड़े प्यार से बातों में फुसलाकर मनाने में सफल हो गए कि तुम पूरे गाँव मे सबसे लल्लनटॉप मेहरारु आई हो तुम्हारे मुकाबले कोई नही इसी लिए अम्मा घूँघट करने को बोली हैं। यहाँ गांव में खूबसूरत कनिया को नजर तुरते लग जाता है खैर तुम छोड़ो उ सब बात जल्दी से कपड़े बदल लो और मिरची ( फलाने की छोटकी बहिन जो नाम के जैसी ही स्वभाव रखती थी )के साथ पीछे के दरवाजे से बाहर आ जाना तुमको पार्लर लेकर जो चलना है इसके लिये बड़ी मुश्किल से दादी को मनाए हैं।फलाने को ई डर भी था कि गाँव का कोई आदमी देख भी न ले कि अभी कल की आई मेहरारु को कैसे बाइक पे लेकर घूम रहा है और फिर हर तरफ बातें बनेंगी तो फलाने अपने मुँह पर चोर जैसा मोफलर लपेटकर के गाँव का दूसरा रास्ता पकड़कर निकल लिए...पर यही पर फलाने सबसे बड़ी गलती कर बैठे।
फलाने की नइकी दुलहिन |
सड़क पूरा उखड़ा पड़ा गड्ढा और पानी से लबालब भरा...पानी के वजह से पता ही न चल रहा था कहाँ किंतना गड्ढा।मेहरारु बाइक पर बैठ कर चलने में बहुते डर रही थी..हचका पड़ रहा था बार-बार घूँघट से बाहर थोड़ा सा मुँह करके देखी तो भक्क रह गई हर तरफ पानी ही पानी और सुबह का समय होने के वजह से इस टूटे-फूटे इस सड़क के दोनो तरफ बच्चे बूढ़े नित्यक्रिया( पखाना ) से निबरित हो रहे थे वो इ सब देखकर झट से फिर से मुँह पर घूँघट डाल ली...फलाने को भी घूँघट के अंदर बढ़ती खामोशी वाला बवंडर का खतरा महसूस हो रहा था फिर सोंचा चलो बाजार जाकर कुछ शॉपिंग कराकर इसका मूड ठीक कर देंगे। तभी पानी भरे गड्ढे में एक पत्थर से पहिया टकराया और ""अर्ररररे"" बस इतना ही फलाने के मुँह से निकल पाया। दोनो फटफटिया सहित कीचड़ वाला पानी मे लोटपोट हो गए और उसी गड्ढे के दूसरे छोर पर ऊपर के पानी से एक छोटू बच्चा नित्यक्रिया से निबरित होकर सौंच रहा था..जो इन दोनों को गिरते देख पैंट पहनना भूल बहुत जोर से चिल्लाया- ""आवइ न रे ..जन्नी मरद गिर गेलथिन गहड़वा में "" ...लोग दौड़े आये तब तक फलाने भी अपनी जोरू के साथ सम्हल चुके थे पूरा कादो मिट्टी से सना हुआ कपड़ा और चेहरा ...लोग पहले इनकी हालत को देखकर हंसते और फिर अफसोस जताते... पानी भर जाने से फटफटिया स्टार्ट नही हुआ तो 500 मीटर पैदल उसी भूतेश्वर रूप में वापिस घर आना पड़ा..रास्ता भर फलाने अपनी मेहरारु से नजर तक नही मिला पाए पूरा मिट्टी पलीद हो चुका था...घर आते इनदोनो की हालत देखकर सारे घरवाले लगे चिल्लाने --क्या जरूरत थी मेकप और फैशन की ...अब हो गया न फैशन ...करवा लिए न थू थू ...दरवाजे पर भीड़ भी जमा हो चुका था...हलवाई, तंम्बू वाले मज़दूरे सभी काम छोड़कर देखने आगये...और अम्मा का कहर ले-देकर मेकप पर ही था तो अब फलाने समझ रहे थे कि कुछ बवंडर होने वाला है।
अम्मा को समझाबुझा कर रोकने ही वाले थे कि नयकी बहुरिया का सब्र का बांध जवाब दे गया...गलती मेरी या मेरे मेकप थी या यहाँ के गन्दी सड़को की थी मां जी....पूरा देश बदल चुका ..गांव अब गांव जैसा न रहा सरकार फंडिंग कर रही है पर जब तक आपसब जागरूक नही होएंगे तबतक यही हालात रहने वाला है और सारा फंडिंग का पैसा प्रधान ( मुखिया) के जेब मे जाता रहेगा तो ..15 मिनट में देख लिए हम इस गांव को न ढंग का सड़क है न ही गांव मे शौचालय इसका जिम्मेवार मेरा मेकप है या आपके गाँव का मुखिया ( बता दूँ बहुरिया fb पर daddi है तो वही बोली जो लिखती हैं ) एक कर्कश आवाज में बहुरिया गरजी तो लोग हैरान देखते रह गए और फलाने बिल्कुले भक्कक और अम्मा एकदम से संन्न ....इसलिये नही की जिसका मधुर आवाज सुनने को तरस रहे थे सुभे से उसकी कर्कश आवाज सुनने को मिली बल्कि इसलिये की पूरा गांव जमा हो चुका था और बहुरिया जो बोल गई गाँव मुखिया को चोर उ मुखिया कोई और नही खुद फलाने के बाबू जी और नयकी बहुरिया के ससुर जी थे। ( पोस्ट के मद्देनजर ये तस्वीर कही और से उड़ाया है)
-विकाश शुक्ला
मोहल्ला अस्सी , बनारस
मोबाईल- 9899789990
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