चाँद से थोड़ी सी गप्पें कविता चाँद से थोड़ी सी गप्पें कविता का सारांश चाँद से थोड़ी सी गप्पें कविता के प्रश्न उत्तर चाँद से थोड़ी सी गप्पें प्रश्न उत्तर कक्षा 6 हिंदी पाठ 4 chand se thodi si gappe poem summary in hindi chand se thodi si gappe poem meaning in hindi chand se thodi si gappe cartoon chand se thodi si gappe extra question answer chand se thodi si gappe ke prashn uttar chand se thodi si gappe ka bhavarth चाँद से थोड़ी सी गप्पें कविता का आशय चाँद से थोड़ी सी गप्पें कविता की व्याख्या चाँद से थोड़ी सी गप्पें पोएम मीनिंगचाँद से थोड़ी सी गप्पें summary
चाँद से थोड़ी सी गप्पें कविता
चाँद से थोड़ी सी गप्पें कविता का सारांश चाँद से थोड़ी सी गप्पें कविता के प्रश्न उत्तर चाँद से थोड़ी सी गप्पें प्रश्न उत्तर कक्षा 6 हिंदी पाठ 4 chand se thodi si gappe poem summary in hindi chand se thodi si gappe poem meaning in hindi chand se thodi si gappe cartoon chand se thodi si gappe extra question answer chand se thodi si gappe ke prashn uttar chand se thodi si gappe ka bhavarth चाँद से थोड़ी सी गप्पें कविता का आशय चाँद से थोड़ी सी गप्पें कविता की व्याख्या चाँद से थोड़ी सी गप्पें पोएम मीनिंगचाँद से थोड़ी सी गप्पें summary
गोल हैं खूब मगर
आप तिरछे नज़र आते हैं ज़रा।
आप पहने हुए हैं कुल आकाश
तारों-जड़ा;
सिर्फ मुँह खोले हुए हैं अपना
गोरा-चिट्टा
गोल-मटोल,
अपनी पोशाक को फैलाए हुए चारों सिम्त।
आप कुछ तिरछे नज़र आते हैं जाने कैसे
– खूब हैं गोकि!
वाह जी, वाह!
हमको बुद्द्धू ही निरा समझा है!
हम समझते ही नहीं जैसे कि
आपको बीमारी है:
आप घटते हैं तो घटते ही चले जाते हैं,
और बढ़ते हैं तो बस यानी कि
बढ़ते ही चले जाते हैं
दम नहीं लेते हैं जब तक बिल्कुल ही
गोल ना हो जाएंँ,
बिल्कुल गोल।
यह मरज़ आपका अच्छा ही नहीं होने में….
आता है।
व्याख्या - प्रस्तुत कविता चाँद से थोड़ी सी गप्पें में शमशेरबहादुर सिंह ने एक ऐसी लड़की जो दस ग्यारह साल की है ,चाँद से बातचीत कर रही हैं ,का वर्णन किया है।वह चाँद को कहती हैं कि आप भले ही गोल हो ,लेकिन जरा कुछ तिरछे नज़र आते हैं। आपके कपड़े पूरा आकाश है ,जिसमें तारे जड़े हुए हैं।कपड़े पहनकर आपका सिर्फ गोरा ,चिट्टा ,गोल मटोल चेहरा दिखाई पड़ता है।
चाँद से थोड़ी सी गप्पें |
लड़की कहती हैं कि आप भले ही आकाश को कपड़ा मानकर धारण किये हुए हो ,लेकिन आप मुझे बेवकूफ नहीं बना सकते हैं।हम भली भाँती जानते हैं कि आपको कोई बिमारी है।यही कारण है कि आप घटते हैं ,तो घटते ही चले जाते हैं और जब बढ़ना शुरू करते हैं ,तो बढ़ते ही जाते हैं।इस बढ़ाई और घटाई में आप बिलकुल ही आराम नहीं करते हैं। आप तब तक घटते रहते हैं कि जब तक कि आप बिलकुल ही गोल न हो जाएँ। आपको घटने और बढ़ने की जो बिमारी लग गयी हैं ,वह ठीक ही नहीं को आती हैं।
चाँद से थोड़ी सी गप्पें कविता के प्रश्न उत्तर
प्र.१. कविता में ‘आप पहने हुए हैं कुल आकाश’ कहकर लड़की क्या कहना चाहती है?
उ. दो ही स्थितियों में मुझे चाँद की पोशाक चारों दिशाओं में फैली हुई हैं ,स्थिति उचित प्रतीत होती हैं।
प्र.२. कवि ने चाँद से गप्पें किस दिन लगाई होंगी? इस कविता में आई बातों की मदद से अनुमान लगाओ और इसके कारण भी बताओ।
दिन कारण
पूर्णिमा ..................
अष्टमी ..................
अष्टमी से पूर्णिमा के बीच ..................
प्रथमा से अष्टमी के बीच ..................
उ. इसका उत्तर निम्नलिखित रूप से दिया जा सकता है -
दिन - कारण
- पूर्णिमा - चाँद पूरी तरह से गोल प्रतीत होता हैं।
- अष्टमी से पूर्णिमा के बीच - चाँद तिरछा नज़र आता है।
- प्रथम से अष्टमी के बीच - चाँद बहुत तिरछा होकर पतला नज़र आता है।
शायद कवि ने अष्टमी से पूर्णिमा के बीच चाँद से गप्पे लगायी होंगी।
प्र. ३. नई कविता में तुक या छंद की बजाय बिंब का प्रयोग अधिक होता है, बिंब वह तसवीर होती है जो शब्दों को पढ़ते समय हमारे मन में उभरती है। कई बार कुछ कवि शब्दों की ध्वनि की मदद से ऐसी तस्वीर बनाते हैं और कुछ कवि अक्षरों या शब्दों को इस तरह छापने पर बल देते हैं कि उनसे कई चित्र हमारे मन में बनें। इस कविता के अंतिम हिस्से में चाँद को एकदम गोल बताने के लिए कवि ने बि ल कू ल शब्द के अक्षरों को अलग-अलग करके लिखा है। तुम इस कविता के और किन शब्दों को चित्र की आकृति देना चाहोगे? ऐसे शब्दों को अपने ढंग से लिखकर दिखाओ।
उ. मैं कुछ शब्दों को आकृति देना चाहूँगा। जिनमें हैं - चाँद ,गोल -मटोल ,तिरछे आदि शब्द है।
its wastes
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