गोदान उपन्यास में गोबर का चरित्र चित्रण

SHARE:

गोदान उपन्यास में गोबर का चरित्र चित्रण गोबर का चरित्र चित्रण गोदान उपन्यास में गोबर का चरित्र character sketch of gobar in godan in hindi गोदान का पात्र परिचय गोदान का गोबर गोदान उपन्यास के नाम होरी के पुत्र का नाम बताइए character sketch of gobar in godan - गोदान में प्रेमचन्द ने अपने पात्रों के मनोभावों को केवल बुद्धि से ही नहीं, वरन् हृदय से भी समझा है।

गोदान उपन्यास में गोबर का चरित्र चित्रण


गोबर का चरित्र चित्रण गोदान उपन्यास में गोबर का चरित्र character sketch of gobar in godan in hindi गोदान का पात्र परिचय गोदान का गोबर गोदान उपन्यास के नाम होरी के पुत्र का नाम बताइए character sketch of gobar in godan - गोदान में प्रेमचन्द ने अपने पात्रों के मनोभावों को केवल बुद्धि से ही नहीं, वरन् हृदय से भी समझा है। यही कारण है कि उनके पात्र पाठकों के हृदय एवं मन दोनों को ही छू लेते हैं। उनका दृष्टिकोण सुधारवादी रहा है। वे सामाजिक क्रान्ति के उद्घोषक थे। गोबर भी उनका एक ऐसा ही पात्र है। उसमें हम निम्न चारित्रिक विशेषताएँ देखते हैं - 

विद्रोही स्वभाव 

गोबर अपने माता-पिता का एकमात्र पुत्र है परन्तु उसका स्वभाव अपने पिता होरी से सर्वथा भिन्न है। वह अपने पिता के भाग्यवाद तथा कर्मवाद में विश्वास नहीं करता। अपने शैशव काल से ही गोबर अपने पिता को खून-पसीना बहाते देखता है परन्तु फिर भी अभावग्रस्त स्थिति उसके मन को कचोटती रहती है। उसका मन जमींदार, महाजन आदि के अन्यायों के प्रति विद्रोह करना चाहता है परन्तु होरी उसे दबा देता है। वह देखता है कि समाज में सम्मान धन से ही प्राप्त होता है। धन के समक्ष सभी कुकर्म नगण्य हो जाते हैं। गाँव का ब्राह्मण चमारिन बैठा लेता है, झींगुरी सिंह ब्राह्मणी को घर में रख लेता है परन्तु समाज उनकी सम्पन्नता के कारण मुख नहीं खोलता। जमींदार और उनके कारिंदे निरन्तर भोले-भाले किसानों का शोषण करते हैं परन्तु कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता। गोबर अपने पिता के भाग्यवाद को उचित नहीं  मानता। वह अपने पिता को बार-बार रायसाहब के यहाँ जाते देखता है तो उसकी आत्मा उसे कचोटने लगती है यही कारण है कि वह अपने पिता से स्पष्ट कह देता है- “यह तुम रोज-रोज मालिकों की खुशामद करने क्यों जाते हो ? बेगार देनी पड़ती है, नजर-नजराना सभी तो हमसे. भराया जाता है। फिर किसी को क्यों सलामी करो?" 

सहज ज्ञान

गोबर समाज की व्यावहारिक मान्यताओं के प्रति पूर्णरूप से जागरूक है। उसका सहज ज्ञान उसे यह भली-भाँति बता देता है कि रायसाहब जैसे व्यक्ति भोले निरीह किसानों की गाढ़ी कमाई पर ही भजन-पूजन करते हैं, दान धर्म करते हैं। गोबर ऐसे व्यक्तियों की पोल खोलकर रख देता है। वह कहता है- “यह पाप का धन पचे कैसे? इसलिए दान भी करना पड़ता है। भगवान का भजन भी इसलिए होता है। भूखे-नंगे रहकर कोई भगवान का भजन करे तो हम भी देखें। एक दिन खेत में ऊख गोड़ना पड़े, तो सारी भक्ति भूल जायें।" गोबर ने यह मानना किसी से सीखी नहीं हैं वरन् अन्याय का यह ज्ञान उसे जीवन की पाठशाला से अपने सहज ज्ञान के आधार पर ही मिला है। 

रूढिवादी बन्धनों के प्रति विद्रोह की भावना

गोबर का चरित्र चित्रण
गोबर का चरित्र चित्रण
गोबर अपने आपको रूढिवादी बन्धनों के प्रति विवश पाता है। वह अपने गांव के साहूकारो की वास्तविकता को जानता है। यह लोग किसानों की कमाई पर विलासी जीवन व्यतीत करते हैं और आराम से कुकर्म करते रहते हैं। गोबर यह सब जानता है परन्तु वह अभी अबोध है। वह यह नहीं जान पाता कि इन सबका प्रतिकार कैसे करे। अपने पिता होरी की चापलूसी का स्वभाव उसे खलता है। दिन-रात खेतों में परिश्रम करने पर भी वह देखता है कि उसे भरपेट भोजन नहीं मिल पाता । गाँव में रहकर वह यह नहीं जान पाता परन्तु नगर में जाकर वह यह सब भली-भाँति समझ जाता है। नगर में वह राजनीतिक जलसों में खड़े होकर भाषण सुनता है। वह उनमें सुनता है कि अपना भाग्य खुद बनाना होगा। अपनी बुद्धि और साहस के बल पर ही उसे इन आपदाओं पर विजय प्राप्त करनी होगी। वह साहस सँजोता है और एक बार पुन: अपनी इच्छापूर्ति के लिये गोबर अपने गाँव वापस लौट आता है। फिर वह होरी जैसे व्यक्तियों की स्थिति देखकर हताश हो जाता है। वह इन रूढ़िवादी मान्यताओं को तोड़ने में अपने आपको विवश पाता है। यही कारण है कि वह पुनः मूलभाव से नगर को वापस लौट जाता है।

प्रणय-भावना

गोबर अब अपनी किशोरावस्था से आगे बढ़ रहा है। उसकी भाभियाँ उससे हास-परिहास करती हैं परन्तु वह प्रेम की भावना से अछूता ही रहता है। उसके यौवन में अभी फूल ही लगे थे जो सहसा ही सुगन्ध देने लगे थे, फल तो अभी दूर की बात थी। गोबर को किसी ओर से कोई प्रोत्साहन भी नहीं मिला था इसीलिए उसका कौमार्य अभी जाग्रत नहीं हुआ था । वह प्रेम की दहलीज पर अभी कदम रख ही रहा था कि उसकी जान-पहचान झुनियाँ से हो जाती है। झुनियाँ का वंचित मन भाभियों के हास-परिहास के कारण और भी लोलप बन गया था और गोबर के कौमार्य को लालच भरी दृष्टि से देखने लगा था। इससे उस कुमार का भी मन एक शिकारी की भाँति जाग उठा। इस घटना ने गोबर के जीवन में हलचल-सी मचा दी साथ ही उसके जीवन-प्रवाह को ही उसने बदल डाला।

अबोधता

गोबर अबोध है। वह सांसारिकता एवं प्रेम के रहस्यों से अनभिज्ञ है। यही कारण है कि वह सहज ही बिना कुछ सोचे-समझे झुनियाँ के प्रेमपाश में बँध जाता है। यही नहीं वह उस पर अपना सर्वस्व न्यौछावर करने को उद्यत हो जाता है, परन्तु इसके साथ ही उसका सहज ज्ञान उसे समझाता है कि झुनियाँ को अपना लेने पर सारा गाँव उसका शत्रु हो जायेगा। माँ फटकारेगी, बिरादरी अनेकों बवाल खड़े कर देगी। इतना होने पर भी वह गाँव छोड़ने की बात सोचता है। वह यह भी सोचता है कि मातादीन ने अपने घर में चमारिन रख ली है। झींगरी सिंह के घर में ब्राह्मणी है फिर भी समाज इन्हें बुरा-भला नहीं कहता। इसके विपरीत वह उन्हें सम्मान ही देता है तो फिर वह गाँव क्यों छोड़ दे। इस प्रकार उसके मन में अन्तर्द्वन्द्व चलता रहता है।

धनाकांक्षी

अपने समय के समाज की परिस्थितियों को देखकर गोबर इसी निष्कर्ष पर पहँचता है कि समाज में धन वालों का ही सम्मान होता है चाहे वे कितने ही ककर्म क्यों न करें। धन के समक्ष वे सब नगण्य हैं। इसके बल पर ही वह समाज में प्रतिष्ठा और यश दोनों ही प्राप्त कर लेते हैं। गरीब का श्रम, सद् चरित्रता आदि धन के समक्ष कोई महत्त्व नहीं रखते। अपने पिता होरी की स्थिति को देखकर उसे बड़ी दया आती है। साथ ही आक्रोश भी। यही मानसिकता उसे धन अर्जन के प्रति अग्रसर करती है। 
सूदखोरी और धूर्तता तथा अत्याचारों का विरोध करने वाला गोबर अपने सभी आदर्शों को धन-लिप्सा में ताख पर रख देता है।
वास्तव में, गोबर प्रेमचन्द जी की एक अनोखी सृष्टि है जिसके माध्यम से उन्होंने समाज के गठन के सच्चे स्वरूप का उद्घाटन कराया है। धन के लिये लोग न जाने क्या-क्या हथकण्डे अपनाते हैं। गोबर भी जैसा उसने देखा है उन्हीं हथकण्डों को अपनाता है।

नयी पीढ़ी का प्रतीक

गोबर किसानों की नयी पीढ़ी का प्रतीक है। वह उस पीढ़ी का संवाहक है जो धीरे-धीरे प्राचीन रुढियों के जाल से निकलने का प्रयास कर रही है। वह भाग्यवाद में विश्वास नहीं करता। उसका पिता जिन परिस्थितियों में काल का ग्रास बना है वह अपने पिता के उन हत्यारों के समक्ष चुनौती बनकर जीवित रहना चाहता है। वह इसी प्रयास में रहता है कि इन हत्यारों को भली-भाँति जान ले। वह यह सोचता है कि इस शोषण का समूल नाश कैसे किया जा सकता है। अपने पिता की दयनीय स्थिति उसे पुन: आदर्श की ओर खींच लाती है। वह यह पश्चाताप करने लगता है कि उसके होते हुए भी उसके पिता को इतने कष्ट सहन करने पड़े। वह कहता है- “दादा अब कोई चिन्ता मत करो, सारा भार मुझ पर छोड़ दो, मैं हर महीने खर्च भेगँगा। इतने दिन तो मरते-खपते रहे, कुछ दिन तो आराम कर लो। मुझे धिक्कार है कि मेरे रहते तुम्हें इतना कष्ट उठाना पड़ा।"

निर्भीकता

गोदान में प्रेमचन्द जी ने गोबर के चरित्र को एक निर्भीक युवक के रूप में चित्रित किया है। शहर के जीवन ने उसे अनेकों अनुभवों से पूर्ण किया है। वह रायसाहब जैसे हौआ समझे जाने वाले व्यक्तियों से किंचित मात्र भी भयभीत नहीं होता। जब उसे उनसे ही भय नहीं है तो उनके कारकुनों की उसे क्या चिन्ता। यही कारण है कि नोखेराम जब होरी से दुबारा लगान वसूल करने की बात कहता है तो गोबर आपे से बाहर हो जाता है। वह स्पष्ट रूप से कहता है.कि “गाँव बालों की गवाही दिलवाकर यह साबित कर देगा कि नोखेराम बिना रसीद दिये लगान वसूली करते हैं।" यही नहीं गोबर उसे यह भी धमकी देता है कि वह रायसाहब के समक्ष उसकी पोल खोल देगा। गोबर की इन बातों का तुरन्त प्रभाव होता है और होरी की जान बच जाती है।

स्वयं उपन्यासकार गोबर की इस दृढ़ता में सत्य का बल प्रदर्शित करते हुए कहता है "उसकी वाणी में सत्य का बल था। डरपोक प्राणियों में सत्य भी गूंगा हो जाता है। वही सीमेण्ट जो ईंट पर चढ़कर पत्थर हो जाता है, मिट्टी पर चढ़ा दिया जाय तो मिट्टी हो जायेगा। गोबर की निर्भीक स्पष्टवादिता ने उस अनीति के बख्तर को बेध डाला, जिससे सज्जित होकर नोखेराम की आत्मा अपने को शक्तिमान समझ रही थी।" गोबर की पीढ़ी ने इसी निर्भीकता के बल से नोखेराम जैसे कारकुनों के अत्याचारों से मुक्ति प्राप्त कर ली है परन्तु अभी साहूकारों से अपना गला नहीं छुड़ा पायी है। इस प्रकार से गोबर भारतीय किसानों की उस पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करता है जो अन्यायं का प्रतिरोध करती हुई अपने उज्जवल भविष्य की ओर अग्रसर हो रही है। 

गोबर के चरित्र के सम्बन्ध में श्री कपूर का निम्न कथन बड़ा ही सार्थक है- "गोबर" गोदान का सबसे अधिक प्रभावशाली एवं यथार्थ पात्र है। उसमें नवयुवक के सभी गुण-अवगुण विद्यमान हैं। प्रेमचन्द ने उसके चरित्र-चित्रण द्वारा एक आशावादी एवं अस्थिर मन वाले उधत नवयुवक का जीवन-चित्र प्रस्तुत किया है। होरी की पीढ़ी का भारतीय कृषक, गोबर की पीढी में आने पर बहत कुछ बदल गया था। पुराने आचार-विचार, जीवन एवं नैतिक मूल्यों में क्रान्तिकारी परिवर्तन होने लगे थे।

विरोध और विद्रोह का तत्त्व

वास्तव में गोबर ऐसे पात्रों के विकास की चरम सीमा है। जहाँ वह नयी पीढ़ी के असन्तोष का प्रतीक है वही दूसरी ओर वह शासकों की दुनिया को मिटाने की बात भी सोचता है। गोबर यौवन के आकर्षण से परिपूर्ण इकहरे डील-डौल का युवक होने के साथ-साथ उसके रक्त में विरोध और विद्रोह का तत्त्व ही प्रबल रूप से दृष्टिगोचर होता है। सारांशत: गोबर प्रेमचन्द की एक अमोल कृति एवं अनूठी सृष्टि है, जिसके माध्यम से उन्होंने अपने 'गोदान' पयास नयी गति प्रदान की है। 

COMMENTS

Leave a Reply: 1
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,37,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,4,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,5,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,7,कविता,1474,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,38,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,2,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,6,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,35,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,76,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,6,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,10,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,4,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,202,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,139,प्रयोजनमूलक हिंदी,38,प्रेमचंद,47,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,88,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,9,भक्ति साहित्य,143,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,17,भीष्म साहनी,8,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,10,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,3,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,8,मोहन राकेश,15,यशपाल,15,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,124,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,8,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,2,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,8,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,57,शैलेश मटियानी,2,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,4,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,33,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,44,समसामयिक हिंदी लेख,269,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,20,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,86,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,431,हिंदी लेख,531,हिंदी व्यंग्य लेख,14,हिंदी समाचार,182,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aapka-banti-mannu-bhandari,6,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,11,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,20,hindi essay,423,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,679,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,67,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,22,kavyagat-visheshta,25,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,11,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,raag-darbari-shrilal-shukla,7,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,sponsored news,10,suraj-ka-satvan-ghoda-dharmveer-bharti,4,Syllabus,7,top-classic-hindi-stories,51,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: गोदान उपन्यास में गोबर का चरित्र चित्रण
गोदान उपन्यास में गोबर का चरित्र चित्रण
गोदान उपन्यास में गोबर का चरित्र चित्रण गोबर का चरित्र चित्रण गोदान उपन्यास में गोबर का चरित्र character sketch of gobar in godan in hindi गोदान का पात्र परिचय गोदान का गोबर गोदान उपन्यास के नाम होरी के पुत्र का नाम बताइए character sketch of gobar in godan - गोदान में प्रेमचन्द ने अपने पात्रों के मनोभावों को केवल बुद्धि से ही नहीं, वरन् हृदय से भी समझा है।
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjuMxgAcBE7gYI5CtJtc95ZTiUUmblE4c5IaFvGGhl1EwHm1yXuELGw7Y6fdsupqt_RtAi1DXhCjxHF617NDFhJGOK7Zgkn8L7YlPpgDvmKTt1XDTXqeq7ltjBbW_caAAyN2ymrgKKaPUTq/s320/20200205_193052.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjuMxgAcBE7gYI5CtJtc95ZTiUUmblE4c5IaFvGGhl1EwHm1yXuELGw7Y6fdsupqt_RtAi1DXhCjxHF617NDFhJGOK7Zgkn8L7YlPpgDvmKTt1XDTXqeq7ltjBbW_caAAyN2ymrgKKaPUTq/s72-c/20200205_193052.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2020/02/gobar-in-godan.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2020/02/gobar-in-godan.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका