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साथी हाथ बढ़ाना साहिर लुधियानवी
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साथी हाथ बढ़ाना कविता की व्याख्या
साथी हाथ बढ़ाना, साथी हाथ बढ़ाना
एक अकेला थक जाएगा मिल कर बोझ उठाना
साथी हाथ बढ़ाना
हम मेहनतवालों ने जब भी मिलकर क़दम बढ़ाया
सागर ने रस्ता छोड़ा पर्वत ने शीश झुकाया
फ़ौलादी हैं सीने अपने फ़ौलादी हैं बाँहें
हम चाहें तो पैदा कर दें, चट्टानों में राहें,
साथी हाथ बढ़ाना।
व्याख्या - साथी हाथ बढ़ाना गीत में साहिर लुधियानवी जी ने बताया है कि काम करने में सभी को मिलकर करना चाहिए।अकेले कार्य करने में व्यक्ति थक जाएगा ,उसका कार्य पूरा नहीं होगा। किसी काम को पूरा करने में सभी को मिलाकर करना चाहिए। कवि सभी को प्रेरणा देता हुआ कहता है कि परिश्रमी व्यक्ति ने जब भी मिलकर कार्य किया ,तो बड़े से बड़ा कार्य संपन्न हुआ है। यदि हम मिलकर काम करते हैं तो समुन्द्र में भी राह निकल पड़ती है और पहाड़ को भी अपने बल से गिराया जा सकता है। हमारे सीने और बाँहें फौलादी है।हम इतने मजबूत है कि चट्टानों को भी तोड़कर अपनी राह निकाल सकते हैं। अतः हमें मिलकर काम करना होगा।
मेहनत अपनी लेख की रेखा मेहनत से क्या डरना
कल ग़ैरों की ख़ातिर की अब अपनी ख़ातिर करना
अपना दुख भी एक है साथी अपना सुख भी एक
अपनी मंज़िल सच की मंज़िल अपना रस्ता नेक,
साथी हाथ बढ़ाना।
व्याख्या - कवि प्रेरणा देता हुआ कहता है कि परिश्रम ही हमारी नियति है। अतः फिर परिश्रम से क्या डरना। हम दूसरों के लिए परिश्रम करते रहते हैं। आज हमें अपने लिए परिश्रम करने के आवश्यकता आन पड़ी है। हम मजदूरों का दुःख सुख एक है।हमारे लक्ष्य एक है।हमारी मंजिल सच्चाई के मार्ग पर जाती है। हमें सही राह पर चल रहे हैं।अतः हमें सही मार्ग पर चलने की आवश्यकता है।
एक से एक मिले तो कतरा बन जाता है दरिया
एक से एक मिले तो ज़र्रा बन जाता है सेहरा
एक से एक मिले तो राई बन सकता है पर्वत
एक से एक मिले तो इन्सान बस में कर ले क़िस्मत,
साथी हाथ बढ़ाना।
व्याख्या - कवि लोगों को प्रेरणा देते हुए कहता है कि एक एक बूँद मिलकर जल बन जाते हैं ,इसी प्रकार मिलते हुए नदी का रूप धारण कर लेते हैं। इस प्रकार एक एक कण मिलकर पर्वत बन जाता है। इस प्रकार मनुष्य चाहे तो दृढ़ प्रतिज्ञ होकर अपने लक्ष्य तो पा सकते हैं। यदि हमें एक दूसरे का साथ देना चाहे ,तो कठिन से कठिन लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।अपने लक्ष्यों को पाने के लिए हमें मिलकर काम करना चाहिए।
साथी हाथ बढ़ाना questions and answers
प्र १. इस गीत की किन पन्क्तियों को तुम अपने आसपास की जिंदगी में घटते हुए देख सकते हो ?
उ. निम्नलिखित पंक्तियों को मैं अपने आसपास की जिंदगी में घटित होते हुए देखता हूँ -
अपना दुख भी एक है साथी अपना सुख भी एक
अपनी मंज़िल सच की मंज़िल अपना रस्ता नेक .
प्र.२. सागर ने रस्ता छोड़ा ,परबत ने सीस झुकाया। " - साहिर ने ऐसा क्यों कहा है ? लिखो।
उ. साहिर ने इसीलिए कहा है कि क्योंकि यदि हम मिलकर कार्य करते हैं।तो बड़े से बड़े काम कर सकते हैं। हमारी सामूहिक शक्ति से समुन्द्र और पहाड़ भी अपना रास्ता छोड़ देते हैं।मिलकर ही पृथ्वी को अपने अनुकूल बना सकते हैं।अतः मिलकर हम काम करेंगे तो कठिन काम को भी आसानी से हल कर पायेंगे।
प्र.३. गीत में सीने और बाँहों को फौलादी क्यों कहा गया है ?
उ. साहिर ने कहा है कि ईश्वर ने हमारे सीने और बाँहों को बहुत मजबूत बनाया है।हम इस मजबूती का इस्तेमाल करके ,अपने जीवन को वृहत्तर बना सकते हैं।मुश्किल से मुश्किल कामों को हम अपने मजबूत इरादों से कर सकते हैं। हमें आवश्यकता है कि हम मिलकर काम करें। तभी इरादे फौलादी सीने और बाँहों का उपयोग हो पायेगा।
लेख की रेखा का अर्थ
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