बालकृष्ण शर्मा नवीन का जीवन परिचय बालकृष्ण शर्मा नवीन का जीवन परिचय बालकृष्ण शर्मा नवीन का साहित्यिक परिचय balkrishna sharma naveen ka sahityik parichay bal krishna sharma naveen pictures balkrishna sharma ka jivan parichay balkrishna sharma naveen ka jeevan parichay in hindi
बालकृष्ण शर्मा नवीन का जीवन परिचय
बालकृष्ण शर्मा नवीन का जीवन परिचय बालकृष्ण शर्मा नवीन का साहित्यिक परिचय balkrishna sharma naveen ka sahityik parichay bal krishna sharma naveen pictures balkrishna sharma ka jivan parichay balkrishna sharma naveen ka jeevan parichay in hindi - राष्ट्रीय सांस्कृतिक धारा के प्रमुख कवि श्री बालकृष्ण शर्मा नवीन जी का जन्म मध्य प्रदेश के शुजालपुर गाँव में सन १८९७ ई. में हुआ था। इनके पिता श्री जमनादास शर्मा वैष्णव धर्म में दीक्षित थे।वे उदयपुर के प्रसिद्ध तीर्थस्थान श्रीनाथद्वार में सपरिवार रहते थे।जब माँ ने यह देखा कि वहां रहते हुए इनकी शिक्षा में बाधा पड़ती है ,तब वह इन्हें लेकर मध्य प्रदेश के शाजापुर स्थान में आ गयी। इन्होने मिडिल की परीक्षा यही से पास की। फिर उज्जैन चले गए और वहां सन १९१७ ई. में हाई स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की। उसके बाद ये कानपुर चले गए। वहां ये गणेश शंकर विद्यार्थी के पास रहने लगे। उन्होंने इन्हें कॉलेज में दाखिला दिला दिया।सन १९२० ई. में महात्मा गांधी के आह्वान पर कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी तथा प्रताप एवं प्रभा पत्रिकाओं के संपादन में विद्यार्थी जी की सहायता करने लगे।अपने राजनितिक कार्यों के कारण ये ब्रिटिश सरकार के कोपभाजन हुए और अनेक बार जेल गए। इनके जेल के साथियों में प. जवाहरलाल नेहरु ,राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन ,देवदास गांधी ,महादेव देसाई आदि थे। देश के स्वतंत्र के बाद ये पहले लोकसभा तथा फिर राज्यसभा के सदस्य रहे। ये राष्ट्रवादी कवि हैं।इनका जीवन अपनी मातृभूमि को समर्पित रहा है।इनका व्यक्तित्व आकर्षक था।यह अच्छे वक्ता थे। संगीत के प्रति इनका प्रेम था।इनका निधन १९६० में हुआ था।
बालकृष्ण शर्मा नवीन की काव्यगत विशेषताएँ
नवीन जी राष्ट्रीय वीर काव्य के प्रणेता थे।उनकी रचनाओं में स्वतंत्रता संग्राम की कठोर अनुभूतियाँ एवं जागरण के स्वर व्यंजित हुए हैं।राष्ट्रीय आन्दोलन के तूफानी दिनों में मस्तक ऊँचा करके ,सीना तानकर ,मुट्ठियाँ बांधकर नवयुवक जिस ओज गुण प्रधान गीत को गाया करते थे ,वह गीत व कविता नवीन जी रचा करते थे।आपने प्रभा व प्रताप के संपादन के साथ ही पत्रकारिता के क्षेत्र में भी नए प्रतिमान खड़े किये।
बालकृष्ण शर्मा नवीन की भाषा शैली
ब्रजभाषा नवीन जी की मातृभाषा थी ,इस कारण इन्होने ब्रजभाषा को आधुनिक साहित्य में समृद्ध किया किन्तु इनकी भाषा में ब्रजभाषा के साथ खड़ी बोली का प्रयोग अकुशलता से हुआ है।इस अव्यवस्था का कारण है कि राजनैतिक व्यस्तता के कारण ये भाषा के संस्कार के प्रति ध्यान नहीं दे सकते थे और इसका कारण यह भी था कि ये ह्रदय के उद्गारों की अभिव्यक्ति के लिए कविता लिखते थे और इसका कारण यह भी था कि ये ह्रदय के उद्गारों की अभिव्यक्ति के लिए कविता लिखते थे ,भाषिक सुधार के लिए नहीं। इन्होने तुकांत मात्रिक छंदों में कविताएँ लिखी हैं। अर्थ सौन्दर्य ,नाद सौन्दर्य एवं चित्र सौन्दर्य की झंकार इनकी कविताओं में अद्वितीय रूप में मिलती हैं। इनकी शैली में ओज की प्रमुखता है।
बालकृष्ण शर्मा नवीन की रचनाएँ
नवीन जी की रचनाओं में प्रमुख काव्य संग्रह इस प्रकार है - कुंकुम, रश्मि रेखा ,अपलक,क्वासी ,विनोबा स्तवन ,उर्मिला ,प्राणापर्ण और हम विश्याई जन्म के आदि हैं।
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बहुत ही अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद
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