रामनरेश त्रिपाठी का जीवन परिचय रामनरेश त्रिपाठी का जन्म ram naresh tripathi ka jivan parichay रामनरेश त्रिपाठी का जीवन परिचय रामनरेश त्रिपाठी का जन्म कहां हुआ था रामनरेश त्रिपाठी की रचना है ram naresh tripathi rachna ram naresh tripathi ka janm kab hua tha ram naresh tripathi ki jivani shri ram naresh tripathi ka janm kab hua tha ram naresh tripathi ki rachna hai रामनरेश त्रिपाठी की माता का नाम राम नरेश त्रिपाठी के माता पिता का नाम रामनरेश त्रिपाठी की कविता रामनरेश त्रिपाठी का मृत्यु कब हुआ था रामनरेश त्रिपाठी का जन्म कब हुआ था
रामनरेश त्रिपाठी का जीवन परिचय
रामनरेश त्रिपाठी का जन्म ram naresh tripathi ka jivan parichay रामनरेश त्रिपाठी का जीवन परिचय रामनरेश त्रिपाठी का जन्म कहां हुआ था रामनरेश त्रिपाठी की रचना है ram naresh tripathi rachna ram naresh tripathi ka janm kab hua tha ram naresh tripathi ki jivani shri ram naresh tripathi ka janm kab hua tha ram naresh tripathi ki rachna hai रामनरेश त्रिपाठी की माता का नाम राम नरेश त्रिपाठी के माता पिता का नाम रामनरेश त्रिपाठी की कविता रामनरेश त्रिपाठी का मृत्यु कब हुआ था रामनरेश त्रिपाठी का जन्म कब हुआ था
हिंदी के प्रसिद्ध कवि श्री रामनरेश त्रिपाठी का जन्म सन १८८९ ई. में जौनपुर जिले के कोइरीपुर नामक ग्राम में हुआ था। ये जाति के ब्राह्मण थे। इनके पिता का नाम प.रामदत्त त्रिपाठी थे। बचपन में इनकी प्रारम्भिक शिक्षा गाँव के प्राथमिक विद्यालय में हुई। आपको अधिक शिक्षा प्राप्त नहीं हो सकी। परन्तु स्वाध्याय एवं देशाटन से इन्होने असाधारण ज्ञान प्राप्त किया।भारतीय ग्रामों से इन्हें विशेष प्रेम एवं सहानुभूति है। ये हिंदी साहित्य सम्मलेन की इतिहास परिषद् के सभापति पद को सुशोभित कर चुके हैं।इनकी मृत्यु सन १९६२ ई. में हुई।
रामनरेश त्रिपाठी की भाषा शैली
रामनरेश त्रिपाठी जी की भाषा शुद्ध खड़ी बोली है।इनकी भाषा में संस्कृत शब्दों की भरमार है। भाषा व्याकरण के नियमों पर कसी हुई एवं परिमार्जित है। भाषा में भावों की स्पष्टता और प्रसाद गुण हर जगह विद्यमान है। भाषा भावों के अनुकूल स्वयं परिवर्तित हो जाती है।त्रिपाठी जी की शैली अति सरल और संगीतमय है। जहाँ प्रकृति अथवा अन्य भावों का वर्णन किया जाता है ,वहाँ वर्णनात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।जहाँ कवि ने अपने आदर्श भावों का प्रकट किया है ,वहाँ पर उपदेश शैली का प्रयोग हुआ है।अलंकारों के प्रयोग में त्रिपाठी जी को अद्भुत सफलता मिली है। उनके काव्य में अलंकार स्वाभाविक रूप से आये हैं। वे जबरन थोपे हुए नहीं लगते हैं।इससे उनकी कविता का भाव पक्ष और भी निखर उठा है।
रामनरेश त्रिपाठी का काव्य
राम नरेश त्रिपाठी जी एक आदर्शवादी कवि हैं। त्याग और देश प्रेम उनके महान आदर्श रहे हैं।इनके सभी चरित्र प्रकृति एवं देश प्रेम में ही पूर्णता पाते हैं।इन्होने ग्राम्य जीवन का बड़ा सजीव एवं प्रभावपूर्ण वर्णन किया है। आपने गद्य एवं पद्य दोनों ही क्षेत्रों में काम किया ,जिससे हिंदी साहित्य नयी ऊँचाईयों को पहुंचा। आपकी रचनाओं में तुलसीदास व उनकी कालजयी रचना रामचरितमानस का भी प्रभाव है।गांधीजी के निर्देश प्राप्त होने पर आप दक्षिण भारत हिंदी साहित्य सम्मलेन के प्रचार मंत्री के रूप में गए। आप पक्के गांधीभक्त व देश के अमर सपूत थे। आपने देश की स्वाधीनता के लिए कई बार जेल यात्रा भी की। साहित्य में आपने श्रीधर पाठक द्वारा शुरू की गयी स्वछंदता वाद की परंपरा को आगे बढ़ाया। इस प्रकार हिंदी साहित्य आपके द्वारा किये गए कार्यों का ऋणी रहेगा।
रामनरेश त्रिपाठी की रचना
रामनरेश त्रिपाठी जी द्वारा लिखी रचनाओं का वर्णन निम्नलिखित है -
- खंडकाव्य - पथिक ,मिलन ,स्वप्न।
- काव्य संग्रह - मानसी।
- नाटक - प्रेमलोक।
- आलोचना - गोस्वामी तुलसीदास और उनकी कविता।
- संपादन - कविता कौमुदी
हमें पंडित रामनरेश त्रिपाठी जी द्वारा लिखी 'एक प्याला चाय' की प्रति की तलाश है। यदि आपके पास उसकी इ - प्रति उपलब्ध हो तो हमें कृपया इ-मेल द्वारा भेजने की कृपा करें। हमारा इ-मेल पता है: anilsrivast@gmail.com.
जवाब देंहटाएंभवदीय,
अनिल श्रीवास्तव
कृपया हमें भी यह प्रति देने का कष्ट करें।
जवाब देंहटाएंshobhitbhl@gmail.com