आधुनिकीकरण और शिक्षा आधुनिकीकरण में शिक्षा का महत्व शिक्षा पर आधुनिकीकरण के प्रभाव modernization and education आज यह महसूस किया जा रहा है कि हम शिक्षा में अपेक्षाकृत गतिहीन रहे हैं जबकि दूसरे देश तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं।
आधुनिकीकरण और शिक्षा
आधुनिकीकरण और शिक्षा आधुनिकीकरण में शिक्षा का महत्व शिक्षा पर आधुनिकीकरण के प्रभाव modernization and education आज यह महसूस किया जा रहा है कि हम शिक्षा में अपेक्षाकृत गतिहीन रहे हैं जबकि दूसरे देश तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं। हमारी शिक्षा का स्तर पश्चिम के अन्य विकसित देशों के समान नहीं हैं। कुछ विषयों में तो हम बहत पीछे हैं। विदेशी शासकों ने हमारे विश्वविद्यालयों के स्तर को आक्सफोर्ड और कैम्बिज विश्वविद्यालयों के स्तर के बराबर नहीं रखा।
स्वतन्त्रता प्राप्ति के उपरान्त शिक्षा के क्षेत्र में आमूल परिवर्तन होते दिखायी पड़ रहे हैं।आधुनिकीकरण की प्रक्रिया का प्रभाव शिक्षा पर भी पड़ा है।हमारी शिक्षा में जहाँ विषयक विभिन्नीकरण पर जोर दिया गया वहीं उसमें गुणात्मक सुधार भी किये गये हैं।विज्ञान और टेक्नालॉजी के इस युग में जहाँ अमेरिका, जर्मनी, इंग्लैण्ड तथा जापान और सोवियत रूस ने नवीनतम शैक्षिक प्रक्रिया को अपनाया वहीं वैज्ञानिक ,व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा क क्षेत्र में भी बहुत उन्नति की है।भारत ने भी इस दिशा में काफी कुछ किया है और हमारी शिक्षा की प्रवत्ति निरन्तर आधुनिकीकरण की ओर है।आधुनिकीकरण के प्रभाव के कारण ही सभा स्तर के शैक्षिक उद्देश्यों, पाठ्यक्रमों में परिवर्तन किया गया। शिक्षण की नवीनतम तकनीकों को प्रयोग में लाया जा रहा है।नवीनतम शिक्षण सामग्री तैयार की जा रही है, शिक्षकों के लिए अनवरत शिक्षा, अभिनवन कोर्स आदि प्रारम्भ किये गये, मूल्यांकन की नवीनतम तकनीकी का प्रयोग किया जा रहा है।
आधुनिकीकरण और शिक्षा |
विकसित देशों की शैक्षिक प्रणाली के अनुरूप, अपनी शिक्षा में सुधार लाने हेतु पंचवर्षीय योजनाओं में शैक्षिक आयोजन को प्राथमिकता दी गयी। इंजीनियरिंग कालेजों में नवीनतम तकनीकी प्रयुक्त की जा रही है, कृषि, चिकित्सा तथा औद्योगिक शिक्षा के क्षेत्र में गत तीन दशकों में काफी परिवर्तन और सुधार आया है। शिक्षा में समान अवसर, धर्मनिरपेक्ष शिक्षा, शिक्षा में सामुदायिक भावना का विकास, शिक्षा को व्यवसायपरक बनाने की प्रवृत्ति, मुक्त विश्वविद्यालयों की स्थापना, निर्विद्यालयीकरण, पत्राचार पाठ्यक्रम, स्त्री शिक्षा का विकास, शिक्षा में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास आदि बातें आधुनिकीकरण के प्रभाव के कारण ही दिखायी पड़ती हैं।
भारतीय शिक्षा में आधुनिकीकरण का एक श्याम पक्ष भी दिखायी पड़ता है। शिक्षा संस्थाओं में बढ़ती हुई अनुशासनहीनता, शिक्षक और शिक्षार्थी के मध्य सम्बन्धों का अभाव, परीक्षा में बढ़ती नकल की प्रवृत्ति, कक्षाओं में छात्रों की घटती हुई उपस्थिति, शिक्षा संस्थाओं के बढ़ते हुए यौन अपराध तथा नशाखोरी की प्रवृत्ति एवं बढ़ती हुई शिक्षित बेरोजगारी की समस्या आधुनिकीकरण की ही देन है। आधुनिक शिक्षा संस्थाएँ फैशन के अड्डे बन गये हैं। जहाँ छात्र-छात्राएँ अपने वस्त्रों एवं अंगों का प्रदर्शन करते हैं। शिक्षा संस्थाओं में प्राचीन भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का लोप हो रहा है तथा पाश्चात्य सभ्यता के दर्शन होते हैं। आधुनिक भारतीय शिक्षा में अंग्रेजीकरण की प्रवृत्ति दिखायी पड़ती है।
संक्षेप में, आधुनिकता के प्रभाव से शिक्षा के क्षेत्र में टी. वी, कम्प्यूटर, वीडियो टेप आदि का प्रयोग होने लगा है। नयी पद्धतियों का प्रयोग, नये विचारों की स्वीकृति, वैचारिक स्वतन्त्रता, समय के सदुपयोग के प्रति जागरूकता और संसार के प्रति व्यावहारिक दष्टिकोण रखने पर बल दिया जा रहा है। नवीन मूल्यों की स्थापना तथा विज्ञान एवं तकनीकी व जास्था की वृद्धि ऐसे उदाहरण हैं, जिनसे स्पष्ट होता है कि भारतीय शिक्षा में आधनिकीकरण की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
शिक्षा पर आधुनिकीकरण का प्रभाव
सैद्धान्तिक और व्यावहारिक रूप से देखें तो पता चलता है कि जिन समाजों में शिक्षा पर्याप्त होती है, शिक्षा की व्यापकता होती है तथा जिनमें शिक्षा का उच्च स्तर तथा प्रचार-प्रसार पर्याप्त होता है।उन समाजों में आधनिकीकरण अधिक पाया जाता है तथा आधुनिकीकरण की प्रक्रिया तीव्र गति से होती है। इसके लिए निम्नलिखित कारण होते हैं -
दृष्टिकोणों की विस्तृतता
शिक्षा द्वारा ही व्यक्तियों के दृष्टिकोणों में विस्तता आता है। उस विस्तृतता तथा व्यापकता के कारण नैतिक मूल्यों में गत्यात्मकता विकसित होती है। इस गत्यात्मकता के कारण व्यक्ति प्राचीन नैतिक मूल्यों को त्यागकर नये मूल्य ग्रहण करता है तथा संकीर्णता का परित्याग करता है।
ज्ञान भण्डार में वृद्धि
जिन व्यक्तियों के समाज में शिक्षा का अभाव है वे समाज विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति नहीं कर पाते। शिक्षा ही एक ऐसा साधन है जिसके द्वारा व्यक्तियों को दर्शन, विज्ञान, साहित्य, प्रौद्योगिकी तथा इलेक्ट्रॉनिक्स के बारे में जानकारी मिलती है। इसके ज्ञान के आधार पर ही वह आधुनिक समाजों से सम्पर्क कर पाता है।
सामाजिक परिवर्तन में तीव्रता
शिक्षा सामाजिक परिवर्तन का एक सशक्त साधन है। शिक्षा विभिन्न साधनों द्वारा सामाजिक परिवर्तन लाती है और इस सामाजिक परिवर्तन के फलस्वरूप आधुनिकीकरण का प्रादुर्भाव होता है। अतः सामाजिक परिवर्तन हेतु प्रेरणा का माध्यम सृजित होता है।
आर्थिक विकास में सहायक
विकसित देशों ने यह सिद्ध कर दिया है कि शिक्षा आर्थिक, औद्योगिक एवं नैतिक विकास का सबसे उत्तम साधन है। शिक्षण एवं प्रशिक्षण द्वारा श्रमिकों की कार्यकुशलता बढ़ती है। उत्पादन के नये-नये साधन विकसित होते हैं, प्रबन्ध कौशल में परिपक्वता आती है एवं विनिमय तथा वितरण की नवीनतम विधियों की जानकारी होती है।
जीवन-स्तर का उन्नयन
शिक्षा हर व्यक्ति के जीवन-स्तर को उठाती है। व्यक्ति को सीमित साधनों की सहायता से अधिकतम उपयोगिता की विधि सिखाती है। आधुनिकीकरण के लिए अच्छा जीवन-स्तर आवश्यक है।
साम्यावस्था का सृजन
जब समाज में कुछ परिवर्तन होता है तो इस संक्रामक स्थिति के अन्तर्गत उस समाज की सामाजिक व्यवस्था में असन्तुलन आ जाता है। असाम्यावस्था तथा अस्थिरता का यह काल अनिश्चितता लाता है और इस काल में ही व्यक्ति विभिन्न वर्गों में विभक्त होकर सन्देह की स्थिति में हो जाते हैं। इस भ्रम की स्थिति में समाज या व्यक्ति यह निर्णय नहीं ले पाता कि जीवन के विकास हेतु प्राचीन मान्यताएँ अपनायी जायें अथवा नवीन मान्यताएँ। शिक्षा इस स्थिति में दूरदर्शिता उत्पन्न कर साम्यावस्था का सृजन करती है।
COMMENTS