सिनेमा और पत्रकारिता का साहित्य में योगदान

SHARE:

सिनेमा और पत्रकारिता का साहित्य में योगदान पत्रकारिता और साहित्य एक सिक्के के दो पहलू हैं। दोनों के लिए तथ्य और तत्व की जरूरत होती है, जो समाज से ही प्राप्त होते हैं।साहित्यिक पत्रकारिता वास्तविक कथा का एक रूप है जो कथात्मक तकनीकों और शैलीगत रणनीतियों के साथ तथ्यात्मक रिपोर्टिंग को पारंपरिक रूप से कथा साहित्य से जोड़ती है।

सिनेमा और पत्रकारिता का साहित्य में योगदान


सिनेमा और पत्रकारिता का साहित्य में योगदान साहित्य का अर्थ है - सबका कल्याण. सः हितः. यानी ऐसी युक्ति ऐसा नियोजन, ऐसा माध्यम, ऐसी संप्रेरणा जिसके पीछे किसी एक वर्ग-जाति-धर्म-समाज-समूह-संप्रदाय-देश के बजाय समस्त विश्व-समाज के कल्याण की भावना सन्निहित हो. साहित्यकार के पास भरपूर कल्पनाशीलता और विश्वदृष्टि होती है. अपनी नैतिक चेतना से अभिप्रेत, कल्पनाशीलता के सहयोग से वह श्रेयस् के स्थायित्व एवं उसकी सार्वत्रिक व्याप्ति के लिए शब्दों तथा अभिव्यक्ति के अन्य माध्यमों द्वारा प्राणीमात्र के कल्याण का प्रयोजन रचता रहता है। भारत में छपाई मशीन 1674 में ही आ चुकी थी, किंतु अखबार-प्रकाशन के लिए 102 वर्ष का लंबा इंतजार करना पड़ा. 1776 में विलेम बाल्ट नामक अंगे्रज ने ईस्ट इंडिया कंपनी के समाचारों को लोगों तक पहुंचाने के लिए अंगे्रजी में अखबार निकालना आरंभ किया. भारत का पहला समाचारपत्र जिसमें समाचारों की विविधता के साथ स्वतंत्र अभिव्यक्ति को भी महत्त्व दिया गया था। हिंदी के पहले साप्ताहिक ‘उदंत मार्तंड’ का प्रकाशन 1826 में कलकत्ता की हवेली नंबर 37, आमड़तल्ला गली, कोलू टोला नामक स्थान से हुआ था. संपादक थे-जुगलकिशोर मुकुल. पहला अंक 30 मई, 1826 को बाजार में पहुंचा. इसके बाद तो वह प्रत्येक मंगलवार को पाठकों के दरवाजे पर दस्तक देने लगा. पत्र के प्रथम अंक से ही पत्रकारिता और हिंदी साहित्य के शाश्वत रिश्ते का संकेत मिलता है. 

पत्रकारिता और साहित्य एक सिक्के के दो पहलू हैं। दोनों के लिए तथ्य और तत्व की जरूरत होती है, जो समाज से ही प्राप्त होते हैं।साहित्यिक पत्रकारिता वास्तविक कथा  का एक रूप है जो कथात्मक तकनीकों और शैलीगत रणनीतियों के साथ तथ्यात्मक रिपोर्टिंग को पारंपरिक रूप से कथा साहित्य से जोड़ती है। लेखन के इस रूप को कथात्मक पत्रकारिता या नई पत्रकारिता भी कहा जा सकता है। साहित्यिक पत्रकारिता शब्द का उपयोग कभी-कभी रचनात्मक रूप से गैर-काल्पनिक कथाओं के साथ किया जाता है। एंथोलॉजी द लिटररी जर्नलिस्ट्स में, नॉर्मन सिम्स ने लिखा है  साहित्यिक पत्रकारिता "जटिल, एवं कठिन विषयों में विसर्जन की मांग करती है। विश्व
सिनेमा और पत्रकारिता का साहित्य में योगदान
सिनेमा और पत्रकारिता का साहित्य में योगदान
स्तर पर मीडिया पर विज्ञापनों का दबाव बढ़ने के कारण साहित्यिक पत्रकारिता हाशिए पर चली गयी है, जो कि देश और समाज के लिए बेहद निराशाजनक है। हिन्दी में महावीर प्रसाद द्विवेदी ने खड़ी बोली गद्य का विकास हिंदी पत्रकारिता के माध्यम से ही किया। साथ ही दुनियाभर के मुद्दों से पाठकों को परिचित करवाया। स्वाधीनता आंदोलन के दौरान तिलक और गांधी जी ने प्रतिरोध की पत्रकारिता की, जिसकी वजह से उन्हें जेल जाना पड़ा। उस समय पत्रकारिता ने ही सबसे पहले स्वदेशी और बंगाल विभाजन जैसे ज्वलंत मुद्दों को उठाया था। साहित्यिक पत्रकारिता ही उस समय मुख्य धारा की पत्रकारिता थी। लेकिन आज हालात एकदम बदल गये हैं। उन्होंने कहा कि साहित्यिक पत्रकारिता ने पत्रकारिता की विश्वसनीयता इतनी मजबूत बना दी थी कि लोग अखबार में लिखी गई खबर को झूठ मानने को तैयार ही नहीं होते थे। बाद के दौर में विज्ञापनों के दबाव के चलते साहित्यिक पत्रकारिता हाशिए पर जाने लगी. साहित्य और पत्रकारिता को सामाजिक मान्यता तभी मिलती है, जब वह समाज के विभिन्न वर्गों में समन्वय और सद्भाव की बात करे. नैतिक मूल्यों से आबद्ध साहित्यकार और पत्रकार केवल प्रचार अथवा सत्ताप्राप्ति की लालसा में ऐसा कोई कार्य नहीं कर सकता जो मानवादर्शों के विपरीत हो. अपनी व्याप्ति को व्यापक, स्थायी एवं संग्रहणीय बनाने के लिए साहित्य रसज्ञता का गुण रखता है।

भारतेंदु हरिश्चंद्र ने ही आगे चलकर हरिश्चंद्र मैग्जीन, बाला बोधिनी, हरिश्चंद्र चंद्रिका पत्रिकाएं निकालीं. उनसे प्रेरणा लेकर अन्य पत्रकारों-साहित्यकारों ने भी समाचारपत्र-पत्रिकाओं के संपादन-प्रकाशन का दायित्वभार संभाला. हिंदी के कुछ प्रमुख आरंभिक पत्र, पत्रिकाओं में हिंदी प्रदीप(बालकृष्ण भट्ट), आनंद कादंबिनी(चैधरी बद्रीनारायण प्रेमधन), ब्राह्मण(प्रतापनारायण मिश्र), भारत मित्र(रुद्रदत्त शर्मा), सरस्वती(महावीर प्रसाद द्विवेदी) आदि प्रमुख हैं. इसके बाद तो उनकी बाढ़-सी आ गई. काशी की नागरी प्रचारिणी सभा के प्रबंधन में- नागरी प्रचारिणी पत्रिका, विशाल भारत, चांद, मतवाला, इंदु, माधुरी, हंस, सरस्वती आदि पत्रिकाएं हिंदी साहित्य के प्रचार-प्रसार का आधार बन गईं. यह सिलसिला लगातार आगे, देश के दूसरे हिस्सों में भी फैलता चला गया.
सिम्स के अनुसार, कुछ लचीले नियम और सामान्य विशेषताएं साहित्यिक पत्रकारिता को परिभाषित करती हैं। "साहित्यिक पत्रकारिता की साझा विशेषताओं में विसर्जन रिपोर्टिंग, जटिल संरचनाएं, चरित्र विकास, प्रतीकवाद, आवाज, सामान्य लोगों पर ध्यान केंद्रित करनाऔर सटीकता प्रमुख हैं।
साहित्यक पत्रकारिता की कुछ विशिष्टताएँ निम्नांकित है  
  •  साहित्य के पत्रकार खुद को विषयों की दुनिया में डुबो देते हैं ...
  •  साहित्यिक पत्रकार सटीकता और स्पष्टवादिता के बारे से कथा का वर्णन करते हैं। 
  •  साहित्यिक पत्रकार ज्यादातर नियमित घटनाओं के बारे में लिखते हैं।
  •  साहित्यिक पत्रकार पाठकों की क्रमिक प्रतिक्रियाओं से अर्थ विकसित करते हैं।

साहित्यिक पत्रकारों को जटिल चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उन्हें तथ्यों को वर्तमान घटनाओं के आधार पर वर्णित कर उन्हें इस तरह पेश करना पड़ता है जो संस्कृति, राजनीति और जीवन के अन्य प्रमुख पहलुओं के बारे में बहुत बड़ी तस्वीर के सच को बयां करती हैं। साहित्यिक पत्रकार, को अन्य पत्रकारों की तुलना में प्रामाणिकता से अधिक बंधा हुआ रहना पड़ता है। 

भूमंडलीकरण और उपभोक्तावाद के आने के बाद से मीडिया में अपराध, सेक्स और दुर्घटनाओं की खबरों को ज्यादा महत्व दिया जाने लगा है। इसका कारण यह है कि इसे साधारण पाठक भी सरलता से समझ लेता है, जबकि साहित्यिक पत्रकारिता को समझने में उसे कुछ मुश्किल आती है। लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि संपादकीय और साहित्यिक पृष्ठ पढ़नेवाले 10-12 प्रतिशत पाठक ही समाज का नेतृत्व करते हैं। इसलिए संचार माध्यमों में साहित्यिक और वैचारिक सामग्री को रोका नहीं जा सकता है. मुक्त अर्थव्यवस्था आने के बाद से मीडिया में संपादक की जगह ब्रांड मैनेजर लेने लगे। ये मैनेजर अखबार को ऐसा उत्पाद बनाने लगे जिसे विशाल जनसमूह खरीदें। इस वजह से साहित्यिक और सांस्कृतिक विमर्श हाशिए पर चले गए।समाज बदल गया है, इसलिए पत्रकारिता भी बदली है। हमें साहित्य और पत्रकारिता में एक सामंजस्य बनाना होगा। साहित्य को पत्रकारिता में संस्कार भरने का काम करना चाहिए और पत्रकारिता को साहित्य को लोकप्रिय बनाने में योगदान देना चाहिए।हिंदी साहित्य को ज़िंदा रखने में पत्रिकाओं का बहुत योगदान है.धर्मयुग साप्ताहिक पत्रिका थी. यह पत्रिका "टाइम्स ऑफ़ इंडिया" ग्रुप द्वारा मुंबई से प्रकाशित होती थी. यह पत्रिका 1949 से लेकर 1993 तक प्रकाशित हुई थी. अपने दौर में यह पत्रिका पत्रकारिता और साहित्य में रूचि रखने वालों की अलख को ज़िंदा रखने का काम बख़ूबी करती थी. दूसरी पत्रिका  हंस थी जो हिंदी साहित्य के रत्न कहे जाने वाले "मुंशी प्रेमचंद” ने इस पत्रिका को प्रकाशित किया था. इस पत्रिका के संपादक मंडल में महात्मा गांधी भी रह चुके हैं।साहित्यकार राजेंद्र यादव ने प्रेमचंद के जन्मदिन के दिन ही 31 जुलाई 1986 को अक्षर प्रकाशन के तले इस पत्रिका को पुन: शुरू किया था। हिंदी साहित्य में "आलोचना" को स्थापित करने का श्रेय नामवर सिंह को जाता है. आपको बता दें कि "आलोचना" एक त्रैमासिक पत्रिका है एवं इसके प्रधान संपादक नामवर सिंह थे . इसका संपादन अरुण कमल संभाल रहे हैं. यह पत्रिका हिंदी साहित्य में आलोचना को ज़िंदा रखे हुए है। अगस्त 2015 में नया ज्ञानोदय  पत्रिका का 150वां अंक आया था. यह साहित्यक पत्रिका नई दिल्ली के भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित की जाती है. पहले इसका संपादन साहित्यकार रवीन्द्र कालिया देखते थे लेकिन उनके इंतकाल के बाद लीलाधर मंडलोई इसके संपादन का कार्यभार संभाल रहे हैं। "पाखी "यह मासिक पत्रिका है. इसके संपादक प्रेम भारद्वाज हैं. सिंतबर 2008 से इसका प्रकाशन शुरू हुआ था. इसका लोकार्पण नामवर सिंह ने किया था। अहा! ज़िंदगी यह पत्रिका साहित्य, सिनेमा, संस्कृति और कला के अन्य आयामों को थामे चल रही है. यह पत्रिका दैनिक भास्कर समूह द्वारा प्रकाशित की जाती है. आलोक श्रीवास्तव इसके संपादक हैं. जानेमाने पत्रकार एवं कवि मंगलेश डबराल का कहना था कि पत्रकारिता इतिहास का पहला ड्राफ्ट होती है और साहित्यिक रचना अंतिम ड्राफ्ट होती है। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रानिक मीडिया में हत्या, बलात्कार, आपदा और झगड़े की खबरें भी मनोरंजन बन गई हैं। हिंदी पत्रकारिता हिंदी साहित्य से ही निकली है। भारतेंदु हरिश्चंद्र से लेकर रघुवीर सहाय तक साहित्यकारों ने इसमें महत्वपूर्ण योगदान किया। हिन्दी के जाने-माने कवि लीलाधर जगूड़ी ने कहा कि केवल बाज़ार को कोसने से कुछ नहीं होगा। बाज़ार तो हजारों वर्षों से हमारी संस्कृति का अंग रहा है. यह भी सच है कि वैश्विक बाजार से हमारे स्थानीय बाज़ार को पंख लगे हैं। इसलिए बाजार का नहीं, अनैतिक बाजार का विरोध होना चाहिए।

सिनेमा 

सिनेमा एक नवसृजित कला है, इसने रंगमंच और साहित्य की पिछली पीढ़ियों से अपने सबसे कमजोर वर्षों में सफलता पाई है। विश्व में कई संस्कृतियाँ और महाद्वीप हैं, जिसमें बहुपक्षीय दर्शन और बेतहाशा असंगत धर्मशास्त्र समृद्ध और उपजाऊ मिट्टी है, जिसमें सिनेमा ने अपनी जड़ें जमायी हैं और हमेशा  फलता-फूलता रहा है क्योंकि इसने सदियों से साहित्य का सहारा लिया है । साहित्य और सिनेमा में एक चीज साझी है। दोनों एक स्तर पर  वृतांतपरक कला-रूप हैं। जहाँ तक सिनेमा की बात की जाए, लक्षण विज्ञान में काफी विशेषीकृत भाषा को ईजाद किया गया है। 

सिनेमा की स्थापना के बाद से, साहित्य ने सभी रचनात्मक फिल्म निर्माताओं को आकर्षित किया है। भारत में, प्रमथेश बरुआ और देबकी बसु जैसे अग्रणियों फिल्म निर्माताओं ने अपनी फिल्मों को शरत चटर्जी जैसे लेखकों के काम पर आधारित किया है। सत्यजीत रे की फिल्म पाथेर पांचाली, जिसने पहली बार भारतीय सिनेमा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाई थी, प्रसिद्ध साहित्यकार, भिबूती भूषण बंदोपाध्याय द्वारा, साहित्य के महान कार्य पर आधारित थी। दुनिया भर में प्रख्यात निर्देशक अभी भी शेक्सपियर, डिकेंस और हेमिंग्वे के कार्यों पर आधारित फिल्में बना रहे हैं। इससे यह बात साबित होती है, कि  फिल्म निर्माताओं के लिए अनूठा आकर्षण साहित्य ही है!सिनेमा का साहित्य से अटूट रिश्ता रहा है। लगभग दुनिया भर में सबसे लोकप्रिय फ़िल्मों में से आधी फ़िल्में साहित्य के आधार पर ही लोकप्रिय हुई हैं। इसी प्रकार हम ऐसे लेखकों का नाम ले सकते हैं कि जिन्होंने दुनिया भर में प्रसिद्ध होने के साथ साथ फ़िल्म निर्माताओं का ध्यान अपनी ओर खींचा है। जैसे कि विलियम शेक्सपीयर, चार्ल्ज़ डिकेंस और एलेक्ज़ैंडर डूमाज़ का नाम लिया जा सकता है। इसके अलावा  अनेक दूसरे स्क्रिप्ट राइटरों के नाम लिए जा सकते हैं, जिन्होंने प्रसिद्ध और लोकप्रिय फ़िल्में दीं।

1900 के दशक की शुरुआत में सिनेमा के आगमन ने, फिल्म और साहित्य के बीच तेजी से जुड़ाव पैदा किया।  दोनों माध्यमों का संगम विशेष रूप से 1930 के दशक के प्रारंभ में महत्वपूर्ण हो गया, यह एक ऐसी अवधि थी जिसे अक्सर क्लासिक सिनेमाई काल कहा जाता है। यद्यपि फिल्मों  और साहित्य  के बीच संबंध काफी हद तक फायदेमंद रहा है. हाल के वर्षों में, साहित्य और सिनेमा के बीच टाई में एक गहन और निरंतर पुनरुद्धार देखा गया है, लेकिन आलोचकों और समीक्षकों के बीच फिक्शन के ग्रंथों से फिल्म रूपांतरण की विश्वसनीयता कमजोर हुई है। 

कुछ महत्वपूर्ण हिंदी फिल्म जो साहित्यिक कृतियों पर आधारित हैं उनका विवरण निम्नानुसार है -
(1 ) विजयराम तेंदुलकर के इसी नाम के मराठी नाटक पर आधारित  घासीराम कोतवाल  (मणि कौल, 1976)।(2) रवीन्द्रनाथ टैगोर के इसी नाम के एक उपन्यास पर आधारित "चार अध्याय " (कुमार शाहनी, 1997)।(3) सुबोध घोष की जोतु गृह पर आधारित "इज़्ज़त " (गुलज़ार, 1987)।(4) रस्किन बॉन्ड के नॉवेल ए फ्लाइट ऑफ पीजन्स पर आधारित "जूनून" (श्याम बेनेगल, 1978)।(5) रबींद्रनाथ टैगोर की इसी नाम की लघु कथा पर आधारित "कबाली" (तपन सिन्हा, 1965)।(६) हिंदी लेखक मोहन राकेश के नाटक आषाढ़ का दिन (१ ९ ५Y) पर आधारित वन मानसून डे (मणि कौल, 1991) 7) इडीयट  (मणि कौल, 1991) फ्योदोर दोस्तोयेव्स्की के 1869 के उपन्यास पर आधारित है।8) सारा आकाश  (बसु चटर्जी, 1969) हिंदी लेखक रंजेंद्र यादव के इसी नाम के उपन्यास पर आधारित है।(9) शरत चंद्र चट्टोपाध्याय के इसी नाम (1914) के उपन्यास पर आधारित "परनीता "(पशुपति चटर्जी, 1942; बिमल रॉय, 1953; अजॉय कुमार, 1969)।10) संस्कार  (पट्टाभि राम रेड्डी, 1970) यू.आर. अनंतमूर्ति के एक उपन्यास पर आधारित है।।11) उर्दू पत्रों की महिला उर्दू लेखक इस्मत चुगताई द्वारा इसी नाम की एक छोटी कहानी पर आधारित" ज़िद्दी"  (शहीद लतीफ़, 1948)।12) सुबोध घोष की एक छोटी कहानी पर आधारित सुजाता  (बिमल रॉय, 1959)।१३) एक ही नाम (१ ९ ३६) के मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास पर आधारित एक गाय (एक त्रिलोक जेटली, १ ९ ६२) का गोदान एके।14) यूटीएसएवी (गिरीश कर्नाड, 1984) सुद्रका के संस्कृत नाटक मृच्छकटिकम पर आधारित है।15) शरत चंद्र चटर्जी (1914) के इसी नाम के उपन्यास पर आधारित विराज बहु  (बिमल रॉय, 1954)16) समकालीन हिंदी लेखक प्रियंवद की एक छोटी सी कहानी पर आधारित, खरगोश द रेबिट  (परेश कामदार, 2009)।17) 15 वीं सदी के हिंदी कवि कबीरदास की आधुनिक भारत में विरासत पर 4 वृत्तचित्रों की एक श्रृंखला, कबीर (शबनम विरमानी) के साथ चार्लीज़। वृत्तचित्र हैं: हद-आहद; चलो हमरा देश; कबीरा खाड़ा बाजार में और कोई सुनता है।18) सैमुअल बेकेट के कम एंड गो पर आधारित एन्ड नॉट एक अंतराल (आशीष अविकुंठक, 2005)।19) निराकार छाया फॉर्म लेस शेडो  (आशीष अविकुंथक, 2007), मलयालम लेखक सेतुमाधवन के उपन्यास पांडवपुरम से प्रेरित है।

कुछ लेखक जिनके काम पर भारतीय निर्देशकों ने काम किया है:
रबीन्द्रनाथ बाघ (1861-1941): चारुलता, घर और दुनिया… विभूतिभूषण बंद्योपाध्याय (1894-1950): अपू त्रयी, दूर थंडर एके अशानी साकेत सरत चंद्रा चेटर्जी (1876-1938): देवदास, परिणीता, बिराज बहु  ...विनोद कुमार शुक्ल  (B. 1937): द सर्वेंट शर्ट एक नौकर की कमीज  (1979) की लेखक और अमित दत्ता की फिल्म आदमी और औरत (ट्री ऑन द मैन द वुमन) की दो लघु कथाएँ।विनोद कुमार शुक्ला के उपन्यास द सेवर्स शर्ट। धर्मवीर भारती (1926-1997): सूर्य का सातवां घोड़ा मोहन राकेश (1925-1972): हमारी रोजी रोटी एक उसकी रोटी ; वन मॉनसून डे आषाढ़ का एक दिन  (1958) निर्मल वर्मा (1929-2005): द मिरर ऑफ़ इल्यूजन माया दर्पन गजानन माधव मुक्तिबोध  (1917-1964): मणि कौल का धरातल से उठना उनके लेखन पर आधारित है।

डेटाबेस में फ़िल्में और लेखक जिनके काम इन पर आधारित हैं:
1) हिंदी लेखक मोहन राकेश की इसी कहानी की लघु कथा पर आधारित I (उसकी रोटी)  (मणि कौल, 1970)। 2) (आदमी की औरत और अन्य कहानियाँ)  द मैन वोमन एंड अदर स्टोर्स (अमित दत्ता, 2009), 3 छोटी कहानियों के आधार पर: रूम ऑन द ट्री (प्रति परि कामरा, 1988) और द मैन ऑफ द मैन हिंदी लेखक विनोद कुमार शुक्ला द्वारा महिला (आधार की और, 1996); उर्दू लेखक सआदत हसन मंटो द्वारा 200 वाट्स का एक बल्ब। 3) निर्मल वर्मा के इसी नाम की लघु कहानी पर आधारित  (माया दर्पण)  मिरर ऑफ़ इलूजन (कुमार शाहनी, 1972)। 4) विभूतिभूषण  के उपन्यास पर आधारित रोड  (सत्यजीत रे, 1955) का गीत पार्थ पंचाल 5) अपराजितो ए के विभूति (सत्यजीत रे, 1956) विभूतिभूषण बंद्योपाध्याय के उपन्यास पर आधारित है। ६) ए पीआर संसार उर्फ द वर्ल्ड ऑफ ए पी यू (सत्यजीत रे, 1969 ) विभूतिभूषण बंद्योपाध्याय के उपन्यास पर आधारित है। 7 ) विभूतिभूषण बंद्योपाध्याय के उपन्यास पर आधारित डस्टेन थंडर  (सत्यजीत रे, 1972)। 8 ) ताराशंकर बनर्जी के एक उपन्यास पर आधारित जालसाज  (सत्यजीत रे, 1958)। रवींद्रनाथ टैगोर के उपन्यास नस्तनिरह (1901) पर आधारित चार्लीटा एके द लॉनी वाइफ (सत्यजीत रे, 1964)।11) (शतरंज के खिलाड़ी)  (सत्यजीत रे 1977) को हिंदी लेखक मुंशी प्रेमचंद की इसी नाम की लघु कहानी से रूपांतरित किया गया।12) I (सतह से उठता आदमी)  राइजिंग फ्रॉम सरफेस  (मणि कौल, 1980) हिंदी लेखक मुक्तिबोध के लेखन पर आधारित है।13) हिंदी लेखक धर्मबीर भारती के इसी नाम के उपन्यास पर आधारित सूर्या का सेवन घोडा (सूरज का सातवाँ घोड़ा) द सेवंथ हार्स ऑफ द सन  (श्याम बेनेगल, 1993)। 14) एंटोन चेखव द्वारा लघु कहानी इन द गुली पर आधारित क़स्बा  ( कुमार शाहनी, 1991) प्रमुख हैं। 

हालाँकि चिंतक ,लेखक और आलोचक हिंदी सिनेमा को साहित्य का हिस्सा मानने से हमेशा हिचकते रहें हैं। बॉलीवुड के सिनेमा को कलात्मक सम्मान के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है और इसने अब भी दुनिया के सामने अपनी सौंदर्यशास्त्रीय क्षमता का प्रदर्शन नहीं किया है। यह ऐसे विचलन का संकेत देता है, जो वास्तव में उपयोग और रूपांतरण की प्रक्रिया के मिलावट तक जा पहुँचने की दास्तान बयान करता है। कलात्मक और रचनात्मक रूप से दीवालिया बॉलीवुड ने कई रूपांतरणों में अपना हाथ आजमाया है, लेकिन वे आखिरकार सिर्फ मिलावट ही साबित हुए हैं। भारतीय सिनेमा निश्चय ही हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार में अपनी विश्वव्यापी भूमिका का निर्वाह कर रहा है। उनकी यह प्रक्रिया अत्यंत सहज, बोधगम्य, रोचक, संप्रेषणीय और ग्राह्य हैं। हिन्दी यहाँ भाषा, साहित्य और जाति तीनों अर्थों में ली जा सकती है। जब हम भारतीय सिनेमा पर दृष्टिपात करते हैं तो भाषा का प्रचार-प्रसार, साहित्यिक कृतियों का फिल्मी रुपांतरण, हिंदी गीतों की लोकप्रियता, हिन्दी की उपभाषाओं, बोलियों का सिनेमा और सांस्कृतिक एवं जातीय प्रश्नों को उभारने में भारतीय सिनेमा का योगदान जैसे मुद्दे महत्वपूर्ण ढंग से सामने आते हैं।


- सुशील शर्मा 

COMMENTS

Leave a Reply
नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,37,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,4,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,5,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,7,कविता,1478,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,40,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,3,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,53,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,6,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,35,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,77,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,7,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,12,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,4,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,202,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,141,प्रयोजनमूलक हिंदी,38,प्रेमचंद,50,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,88,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,9,भक्ति साहित्य,143,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,18,भीष्म साहनी,9,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,10,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,3,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,8,मोहन राकेश,16,यशपाल,19,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,125,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,8,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,3,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,8,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,57,शैलेश मटियानी,3,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,4,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,34,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,44,समसामयिक हिंदी लेख,270,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,22,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,88,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,438,हिंदी लेख,536,हिंदी व्यंग्य लेख,14,हिंदी समाचार,186,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aapka-banti-mannu-bhandari,6,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,divya-upanyas-yashpal,5,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,12,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,20,hindi essay,430,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,682,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,77,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,24,kavyagat-visheshta,26,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,12,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,raag-darbari-shrilal-shukla,8,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,sponsored news,10,suraj-ka-satvan-ghoda-dharmveer-bharti,6,Syllabus,7,tamas-upanyas-bhisham-sahni,4,top-classic-hindi-stories,59,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: सिनेमा और पत्रकारिता का साहित्य में योगदान
सिनेमा और पत्रकारिता का साहित्य में योगदान
सिनेमा और पत्रकारिता का साहित्य में योगदान पत्रकारिता और साहित्य एक सिक्के के दो पहलू हैं। दोनों के लिए तथ्य और तत्व की जरूरत होती है, जो समाज से ही प्राप्त होते हैं।साहित्यिक पत्रकारिता वास्तविक कथा का एक रूप है जो कथात्मक तकनीकों और शैलीगत रणनीतियों के साथ तथ्यात्मक रिपोर्टिंग को पारंपरिक रूप से कथा साहित्य से जोड़ती है।
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhqFnChlBTpwnqeV4a6P75gWqkw6pGtf0mgcVygOGKihwvgB59YpRHnGMZiJRzP9SJXt7Y_kZZm-83yucLyTGUKh0zIuQN1_INd7dHZvixKrUlg9argfcsuGG1HWNo5Y38IkBN80hRMEIMo/s1600/images+%25288%2529.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhqFnChlBTpwnqeV4a6P75gWqkw6pGtf0mgcVygOGKihwvgB59YpRHnGMZiJRzP9SJXt7Y_kZZm-83yucLyTGUKh0zIuQN1_INd7dHZvixKrUlg9argfcsuGG1HWNo5Y38IkBN80hRMEIMo/s72-c/images+%25288%2529.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2020/05/cinema-patrakarita-sahitya.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2020/05/cinema-patrakarita-sahitya.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका