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Chawal Ki Rotiyan चावल की रोटियाँ
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चावल की रोटियां Summary Class 5 Hindi चावल की रोटियां पाठ का सारांश
चावल की रोटियां पाठ एक एकांकी (नाटक) पर आधारित है | इस नाटक का मुख्य किरदार 'कोको' है, जो शारीरिक रूप से थोड़ा मोटा है | वह आठ वर्ष का एक बर्मी लड़का है | उसके तीन बर्मी दोस्त हैं --- नीनी, तिन सू और मिमि | नीनी और तिन सू बर्मी लड़के हैं, जो क्रमश: नौ और आठ साल के हैं | मिमि सात साल की बर्मी लड़की | उ बा तुन जनता की दुकान का प्रबंधक है | कुल मिलाकर नाटक बेहद हास्यस्पद और मनोरंजक है |
नाटक में उल्लेखित पात्र के अनुसार, एक रोज़ कोको अपने माता-पिता के खेत पर चले जाने के बाद उठता है | माँ की गैरहाजिरी में उसे घर की देखभाल भी करना है | उसकी माँ उसके लिए चावल की चार रोटियाँ बनाकर अलमारी में रखकर गई है | कोको को चावल की रोटियाँ बहुत पसंद है | कोको जैसे ही बैठता है रोटी खाने के लिए | वैसे ही उसे दरवाजे पर किसी के आने की आहट सुनाई देती है | वह दरवाज़ा खोलने जाता, उससे पहले रोटियों को छिपा देता है | तत्पश्चात् दरवाजा खोलता है | दरवाजे पर नीनी होता है | वह तुरन्त कोको से पूछ बैठता है कि उसने दरवाजा खोलने में इतनी देर क्यूँ लगा दी | कोको नीनी से झूठ बोल जाता है कि वह नाश्ता करके मुँह धोने लगा था | नीनी उसके पास रेडियो पर परीक्षा संबंधी सूचना के बारे में जानकारी लेने आता है | कोको बहाना बनाता है कि उसका रेडियो ख़राब हो गया है | नीनी को सूचना सुनना जरूरी है | इसलिए वह बिना देरी किए तिन सू के घर चला जाता है |
चावल की रोटियाँ |
नीनी के जाने के पश्चात् कोको सुकून की साँस लेता है | तत्पश्चात् पुनः चावल की रोटियाँ लेकर खाने बैठने ही वाला रहता है कि दरवाजे पर फिर किसी के आने की आहट सुनाई देती है | इस बार मिमि रहती है | कोको फिर रोटियाँ छिपाने के बाद दरवाज़ा खोलता है | नीनी की तरह मिमि भी पूछ बैठती है कि उसने दरवाजा खोलने में देर क्यों लगाई | कोको फिर से वही बहाना बनाता है, जो नीनी के पूछने पर बनाया था | आगे मिमि उसे बताती है कि अभी-अभी उसकी माँ मुझे मिली थीं | उन्होंने बताया कि तुम्हारे लिए चावल की कुछ रोटियाँ रखी हैं | कोको जल्दी से बोल पड़ता है कि रोटियाँ थीं, लेकिन मैंने सब खा लीं | मिमि कहती है कि अकेले-अकेले खाना बुरी बात होती है | मेरी माँ ने मुझे चार केले के पापड़ दिए, दो तुम्हारे लिए और दो मेरे लिए | चावल की रोटियों के साथ केले के पापड़ का नाश्ता बड़ा अच्छा लगता है | खैर, तुम्हारा पेट तो भर चुका है और तुम अब कुछ खा नहीं सकते | मिमि की बातें सुनकर कोको मन ही मन पछताने लगता है | उसका पेट भूख से गुड़गुड़ाने लगा था | मिमि एक पापड़ उठाकर कोको से चाय माँगती है | कोको उसे बताता है कि चाय अलमारी पर रखी है | मिमि खुद चाय पीने लगती है और कोको से कहती है कि तुम्हारा पेट बहुत भरा हुआ है | अतः चाय भी मत पिओ | उसी समय कोको का पेट फिर भूख से व्याकुल होने लगता है | मिमि के पूछने पर बताता है कि हमारे घर में चूहा घुस आया है | वही यह आवाज कर रहा है |
दरवाजे पर फिर किसी के आने की आवाज़ सुनाई देती है | इस बार तिन सू होता है | वह गेंदे के फूलों का गुच्छा लाता है | मिमि उसे केले का पापड़ देती है और एक कप चाय | तिन सू फूलदान में फूल लगाने के लिए बढ़ता है | कोको उसे रोक देता है, क्योंकि वहीं पर उसने रोटियाँ छिपाई है | दरवाजे पर फिर से किसी के आने की आवाज़ आती है | कोको दरवाजा खोलता है तो देखता है कि 'उ बा तुन' (दुकान का प्रबंधक) आया है | वह कोको से कहता है कि तुम्हारी माँ हमारी दुकान से एक फूलदान लाई थी | वह नीला फूलदान चाहती थी | लेकिन उस समय वह मेरे पास नहीं था | अतः वे गुलाबी फूलदान ले आई है | मेरे पास अब नीला फूलदान आ गया है | मैं उसे बदलने के लिए आया हूँ | इतना कहकर उ बा तुन गुलाबी फूलदान उठाकर उसकी जगह नीला फूलदान रख देता है | फूलदान के साथ कोको की चावल की रोटियाँ भी चली जाती है | कोको को इस बात से बहुत दुख होता है क्योंकि वह चारों रोटियाँ खाने के चक्कर में एक भी नहीं खा पाता है...||
चावल की रोटियाँ नाटक का उद्देश्य
चावल की रोटियां एकांकी (नाटक) हमें हमेशा आपस में मिलजुलकर रहने और चीज़ों को बाँटकर खाने की शिक्षा देता है | झूठ बोलने से हमारी परेशानियाँ बढ़ जाती हैं | अत: झूठ बोलने से बचना चाहिए |
चावल की रोटियां प्रश्न उत्तर chawal ki rotiyan question answer
प्रश्न-1 नाटक में हिस्सा लेने वालों को पात्र कहते हैं | जिन पात्रों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है उन्हें ‘मुख्य पात्र’ और जिनकी भूमिका ज़्यादा महत्वपूर्ण नहीं होती है उन्हें ‘गौण पात्र’ कहते हैं | बताओ इस नाटक में कौन-कौन मुख्य और गौण पात्र कौन हैं ?
उत्तर- प्रस्तुत नाटक में ‘कोको’, ‘मिमि’ और ‘तिन सू’ मुख्य पात्र हैं | वहीं ‘नीनी’ और ‘उ बा तुन’ गौण पात्र हैं |
प्रश्न-2 कहते हैं, एक झूठ बोलने के लिए सौ झूठ बोलने पड़ते हैं | क्या तुम्हें कहानी पढ़कर ऐसा लगता है ? कहानी की मदद से इस बात को समझाओ |
उत्तर- बेशक, एक झूठ छिपाने के लिए सौ झूठ बोलने पड़ते हैं | नाटक में भी कोको, नीनी और मिमि से झूठ बोलता है, ताकि उसकी मनपसंद चावल की रोटियाँ कोई और न खा ले | अंतत: पूरी रोटी खुद खाने के चक्कर में वह भूखा रह जाता है | तत्पश्चात् वह रोटियाँ फूलदान के साथ 'उ बा तुन' ले जाता है |
प्रश्न-3 कोको के माता-पिता कहाँ और क्यूँ गए थे ? कोको की माँ उसके लिए क्या बनाकर रख दी थी ?
उत्तर- कोको के माता-पिता खेत पर गए थे | वे खेतों में धान लगाने गए थे | खेतों पर जाने से पहले कोको की माँ उसके लिए चावल की चार रोटियाँ बनाकर रख दी थी |
चावल की रोटियां शब्दार्थ
• तश्तरी - छोटा प्लेट
• प्रबंधक - व्यवस्था करने वाला
• भुक्खड़ - बहुत भूखा
• दस्तक देना - दरवाजा खटखटाना, आना
• पेट में चूहे दौड़ना - बहुत भूख लगना
• तलाशी - खोजबीन, छानबीन
• बदकिस्मती - दुर्भाग्य, अभाग्य
• खुशकिस्मती - सौभाग्य
• जिस्म - शरीर, बदन, देह, काया
• यकीन - विश्वास, भरोसा
• इर्द-गिर्द - आसपास
• नेकी - भलाई
कोको कहाँ का रहने वाला था?
जवाब देंहटाएंCoco Burma ka Rahane wala hai
हटाएंThanks
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