Chitthi ka Safar चिठ्ठी का सफ़र चिट्ठी का सफर चिट्ठी का सफर कहानी चिट्ठी का सफर की कहानी चिट्ठी का सफर क्वेश्चन आंसर NCERT Solutions for Class 5 Hindi चिट्ठी का सफर Summary Class 5 Hindi Chithhi ka Safar NCERT Solutions for Class 5 Hindi Chapter 6 चिट्ठी का सफ़र Chitthi Ka Safar Chapter 6 Class 5 Hindi with Question and Answers
Chitthi ka Safar चिठ्ठी का सफ़र
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चिट्ठी का सफर पाठ का सारांश
चिट्ठी का सफर पाठ या लेख में चिट्ठियों के महत्व को बताते हुए उसके ऐतिहासिक सफ़र का वर्णन किया गया है | जब सेलफोन, कम्प्यूटर या तकनीकी यंत्र का विस्तार नहीं हो पाया था, तब चिट्ठी ही दूरसंचार का महत्वपूर्ण साधन हुआ करती थी | पत्र-लेखन की परम्परा अत्यन्त पुरानी है|चिट्ठियों का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है | पत्र पर डाक टिकट लगाना और उसपर सही-सही पूरा पता लिखना भी होता है | तत्पश्चात्, पते में सबसे छोटी भौगोलिक इकाई से शुरू करके बड़ी की ओर बढ़ा जाता है | छोटी से बड़ी भौगोलिक इकाई का मतलब है घर
चिट्ठी का सफर |
चिट्ठी का सफर लेख के अनुसार, डाकतार विभाग के द्वारा पिनकोड की शुरूआत 15 अगस्त 1972 को हुई थी | पिन या PIN का पूर्ण रूप Postal Index Number होता है | किसी भी स्थान का पिनकोड 6 अंकों का होता है | हर अंक का एक खास स्थानीय अर्थ है | उदाहरण के लिए पिनकोड 110016 लें | इसमें पहले स्थान पर दिया गया अंक यानि 1 यह बताता है कि यह पिनकोड दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब या जम्मू-कश्मीर का है | अगले दो अंक यानि 10 यह तय करते हैं कि यह दिल्ली (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) के उपक्षेत्र दिल्ली का कोड है | अगले तीन अंक 016 दिल्ली उपक्षेत्र के ऐसे डाकघर का कोड है, जहाँ से डाक बाँटी जाती है |
जैसे-जैसे वक़्त गुज़रता गया, वैसे-वैसे डाक सेवाओं में निरंतर बदलाव और विकास देखने को मिला है | एक दिलचस्प बात यह है कि पुराने समय में कबूतरों के द्वारा संदेश भेजे जाते थे | जब संचार और परिवहन के साधन सीमित या बहुत कम थे, तब हरकारे पैदल चलकर लोगों तक चिट्ठी-पत्री पहुँचाते थे | राजा-महाराजाओं के पास घुड़सवार हरकारे होते थे | इन हरकारों को न सिर्फ हर तरह की जगहों पर पहुँचना होता था, बल्कि डाकू, लुटेरों या जंगली जानवरों से डाक की रक्षा भी करनी होती थी | आज भी भारतीय डाकसेवा कुछ दुर्गम इलाकों तक डाक पहुँचाने के लिए हरकारों पर निर्भर करती है |
जब से संचार माध्यमों का तकनीकी रूप में विकास सम्भव हुआ है, तब से आजतक संदेश भेजने के नए-नए और तेज साधन उपलब्ध हो गए हैं, जिसके फलस्वरूप डाक विभाग पत्र, मनीआर्डर, ई-मेल, बधाई कार्ड आदि लोगों तक पहुँचाने में सक्षम है |
वाकई, आश्चर्यजनक है कि कबूतर जैसा पक्षी संदेशवाहक का काम कैसे करता होगा | दरअसल, कबूतर की सभी प्रजातियाँ संदेश ले जाने का काम नहीं करती | केवल 'गिरहबाज' या 'हूमर' नामक प्रजाति को ही प्रशिक्षित करके डाक संदेश भेजने के काम में लाया जा सकता है | उड़ीसा पुलिस आज भी हूमर कबूतरों का इस्तेमाल राज्य के कई दुर्गम इलाकों में संदेश पहुँचाने के लिए कर रही है | कबूतरों की संदेश सेवा बेहद सस्ती है और उन पर खास खर्च नहीं आता है | इन कबूतरों का जीवनकाल 15-20 साल का होता है...||
चिट्ठी का सफर शब्दार्थ
• चिट्ठी - पत्र
• सफ़र - यात्रा
• गौर से - ध्यान से
• भौगोलिक - भूगोल से संबंधित
• गंतव्य - पहुँचने का स्थान
• जाहिर है - स्पष्ट है
• निरंतर - लगातार
• बेहद - अत्यधिक
• हरकारे - पैदल चलकर संदेश पहुँचाने वाला
• दुर्गम - कठिन
• दिलचस्प - मजेदार
• प्रजाति - किस्म
• प्रशिक्षित - अच्छी तरह सीखे हुए
• प्रवासी - अपने देश या शहर से बाहर जाकर रहने वाले
चिट्ठी का सफर क्वेश्चन आंसर
प्रश्न-1 गांधी जी को सिर्फ़ उनके नाम और देश के नाम के सहारे पत्र कैसे पहुँच गया होगा ?
उत्तर- अहिंसा के पुजारी गाँधी जी एक सार्वभौमिक व्यक्तित्व और छवी वाले इंसान थे | देश गर्व से उनको बापू कहना पसंद करता था | ऐसा कोई नहीं था, जो उनको नहीं जानता होगा | सभी के दिलों में उनके नाम की एक तस्वीर छपी थी | इसलिए पत्र उनके नाम और देश के नाम के सहारे ही पहुँच जाते होंगे |
प्रश्न-2 अगर एक पत्र में पते के साथ किसी का नाम हो तो क्या पत्र ठीक जगह पर पहुँच जाएगा ?
उत्तर- जी हाँ, पत्र ठीक जगह पर पहुँच जाएगा | बल्कि नाम का भी उल्लेख होने से पत्र से सम्बन्धित व्यक्ति को तलाशने में डाकिए को परेशानी नहीं होगी |
प्रश्न-3 नाम न होने से क्या समस्याएँ आ सकती हैं ?
उत्तर- नाम न होने से पत्र को सही व्यक्ति तक पहुँचाने में डाकिए को बहुत परेशानी होगी | वह बाकी पते के सहारे वहाँ तक पहुँच तो जाएगा, पर वास्तव में वह पत्र किसका है, यह पता लगाना बहुत मुश्किल होगी |
प्रश्न-4 पैदल हरकारों को किस-किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता होगा ?
उत्तर- हर तरह के मौसम में हरकारों को मीलों दूर पैदल ही चलना पड़ता है | रास्ते भी सपाट नहीं होते | कहीं पहाड़ियों को पार करना होता है, तो कहीं बर्फीले चट्टानों का सामना करना पड़ता है | ऊपर से जंगली जानवरों का खतरा भी रहता होगा | रास्ते में चोर-डाकूओं का भी भय लगा रहता होगा | लंबी यात्रा के कारण वह अत्यधिक थक जाता होगा |
प्रश्न-5 पिन कोड की शुरुआत कब हुई थी और इसका पूरा नाम क्या है ?
उत्तर- चिट्ठी का सफर लेख के अनुसार, डाकतार विभाग के द्वारा पिनकोड की शुरूआत 15 अगस्त 1972 को हुई थी | पिन या PIN का पूर्ण रूप पोस्टल इंडेक्स नम्बर या Postal Index Number होता है |
very good
जवाब देंहटाएंThanks
हटाएंHello
जवाब देंहटाएंHello
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