भारत में किसानों की आत्महत्या पर निबंध भारत में किसानों की आत्महत्या पर निबंध Farmers' suicides in India (भारत में किसान आत्महत्या) भारत में किसान आत्महत्या के कारण Essay on Farmer Suicide in Hindi essay on farmer suicide in india in hindi Major causes responsible for Farmers suicide in India - भारत में किसानों की आत्महत्या एक गम्भीर मुद्दा होने के साथ-साथ चिंता का विषय भी है|
भारत में किसानों की आत्महत्या पर निबंध
भारत में किसानों की आत्महत्या पर निबंध Farmers' suicides in India (भारत में किसान आत्महत्या) भारत में किसान आत्महत्या के कारण Essay on Farmer Suicide in Hindi essay on farmer suicide in india in hindi Major causes responsible for Farmers suicide in India - भारत में किसानों की आत्महत्या एक गम्भीर मुद्दा होने के साथ-साथ चिंता का विषय भी है| किसानों की आत्महत्या का मामला दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है | भारत में कुल आबादी का तकरीबन 70 प्रतिशत हिस्सा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है तथा देश में कुल आत्महत्याओं का 11.2% हिस्सा किसानों की ही है | सरकार इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए निरन्तर प्रयासरत्त है |
किसान आत्महत्या के लिए जिम्मेदार कारक
देश में प्रत्येक वर्ष किसानों की आत्महत्या के कई मामले दर्ज किए जाते हैं | कई ऐसे कारक हैं, जिनकी वजह से किसान इस कठोर कदम को उठाने के लिए मज़बूर हो जाते हैं | आत्महत्या के मुख्य कारणों में शामिल - सूखा, बाढ़, मौसम की अनियमित स्थिति, ऋण बोझ, समय-समय पर सरकारी नीतियों में बदलाव, स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे, पारिवारिक दबाव, आदि हैं |
किसान आत्महत्या को रोकने की सरकार की पहल
किसानों की बढ़ती आत्महत्या को रोकने के लिए केन्द्र और राज्य शासन के द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण कदम या
भारत में किसानों की आत्महत्या |
• राहत पैकेज 2006 - वर्ष 2006 में भारत सरकार के द्वारा केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के 31 जिलों की पहचान करके किसानों की परेशानी को कम करने के लिए पुनर्वास पैकेज पेश किया गया | इन राज्यों में किसानों की आत्महत्या का दर सबसे ज्यादा है |
• महाराष्ट्र विधेयक 2008 - किसानों से सम्बन्धित, यह महाराष्ट्र सरकार द्वारा उठाया गया कदम था |
महाराष्ट्र सरकार के द्वारा किसानों को निजी धन उधार को विनियमित करने के लिए मनी लेंडिंग (विनियमन) अधिनियम, 2008 पारित किया गया था |
• कृषि ऋण छूट और ऋण राहत योजना - भारत सरकार के द्वारा कृषि ऋण छूट और ऋण राहत योजना को वर्ष 2008 में शुरू किया गया था, जिसका लाभ 3 करोड़ 60 लाख से अधिक किसानों को हुआ | इस योजना के तहत किसानों के हित में कुल 653 अरब रुपये खर्च किए गए थे |
• केरल के किसानों के ऋण राहत आयोग (संशोधन) बिल 2012 - वर्ष 2012 में केरल सरकार ने किसानों के ऋण राहत आयोग अधिनियम 2006 को संशोधित किया, ताकि व्यथित किसानों को ऋण प्रदान किया जा सके |
• इसके साथ ही किसानों की आत्महत्या को रोकने के लिए अन्य राज्य सरकारों की पहल भी सराहनीय है | संकट की स्थिति में किसानों की सहायता के लिए समूह बनाए गए हैं और मौद्रिक सहायता प्रदान करने के लिए धन भी जुटाया गया है |
• वर्तमान मोदी सरकार के द्वारा भी भारत में किसानों की आत्महत्या के मुद्दे से निपटने के लिए ठोस कदम उठाए गए हैं | किसानों को इनपुट सब्सिडी में राहत दी गई है | प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना और प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना का शुभारंभ किया गया है | सरकार मृदा स्वास्थ्य कार्ड (soil health card) भी जारी कर रही है, जिसमें किसानों को कृषि उत्पादकता बढ़ाने में मदद करने के लिए पोषक तत्वों और उर्वरकों की हर सम्भव मदद करने का प्रावधान है |
किसान आत्महत्या को नियंत्रित करने के उपाय
इस समस्या से मुक्ति पाने के लिए कुछ जरूरी उपाय यह भी हो सकते हैं कि -
• कृषि गतिविधियों को आयोजित करने पर जोर दिया जाए |
• फसलों की खेती, सिंचाई और कटाई के लिए उचित नियोजन किया जाए |
• कृषि उत्पादकता को बढ़ाने में कृषकों की मदद के लिए आधुनिक कृषि तकनीकों को सिखाने का पहल किया जाना चाहिए |
• सरकार को यह नज़र रखना होगा कि किसानों को निश्चित खरीद मूल्य मिल पा रहा है या नहीं |
• उत्पादों को सीधे बाजार में बेचने के लिए किसानों के हित में प्रावधान करने की ज़रूरत है |
• सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शुरू की गईं सब्सिडी और योजनाएं किसानों तक सही-सही पहुँच पा रहा है या नहीं |
• जहाँ तक हो सके, अचल संपत्ति के मालिकों को उपजाऊ ज़मीन बेचना बंद कर दिया जाना चाहिए |
• सिंचाई सुविधाओं में सुधार करने की आवश्यकता है |
• किसानों को आय के वैकल्पिक स्रोतों के लिए भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए तथा सरकार को उन्हें नए कौशल हासिल करने में मदद करनी चाहिए |
निष्कर्ष
अत: हम इस निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं कि किसानों की आत्महत्या को रोकने के लिए सरकार द्वारा कुछ महत्वपूर्ण और ठोस कदम तो जरूर उठाए जा रहे हैं | परन्तु, बिचौलियों द्वारा किसानों का शोषण थमने का नाम नहीं ले रहा है | फलस्वरूप, किसान अवसादग्रस्त होकर आत्महत्या करने पर विवश हो रहे हैं | वैसे सरकार की कोशिशें हैं कि ऋणों पर ब्याज दरों को कम करके और कृषि ऋण को बंद करके आर्थिक रूप से किसानों की मदद की जाए | हालाँकि, सरकार को इनसे ज्यादा मदद नहीं मिल पा रही है |
फिलहाल, सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती किसानों की आत्महत्या के मूल कारण को पहचानने और उसे नियंत्रित करने का है | यह सही समय है जब भारत सरकार को किसानों की आत्महत्याओं के मुद्दे को गंभीरता से लेना शुरू कर देना चाहिए | अब तक की गई कार्यवाही इन मामलों को सुलझाने में सक्षम नहीं है | इसका मतलब यह है कि पालन किये जा रहे रणनीतियों का पुनः मूल्यांकन करके, उन्हें क्रियान्वित करने की ज़रूरत है...||
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