गुरु और चेला कविता guru aur chela poem in hindi class 5

SHARE:

गुरु और चेला कविता guru aur chela poem in hindi class 5 गुरु और चेला कविता का अर्थ कविता की व्याख्या गुरु और चेला कविता Ch 12 गुरु और चेला Guru Aur Chela Hindi, Grade 5 CBSE Easy explanation गुरु और चेला Guru Aur Chela Chapter 12 Class 5 Hindi With Question & Answers NCERT गुरु और चेला Summary Class 5 Hindi गुरु और चेला कविता का सारांश Class 5 Hindi Chapter 12 Guru Aur Chela Summary गुरु और चेला का प्रश्न उत्तर गुरु और चेला कविता का अर्थ कविता की व्याख्या

गुरु और चेला कविता


गुरु और चेला कविता Ch 12 गुरु और चेला Guru Aur Chela Hindi, Grade 5 CBSE Easy explanation गुरु और चेला  Guru Aur Chela  Chapter 12  Class 5 Hindi With Question & Answers NCERT गुरु और चेला Summary Class 5 Hindi गुरु और चेला कविता का सारांश Class 5 Hindi Chapter 12 Guru Aur Chela Summary गुरु और चेला का प्रश्न उत्तर

गुरु और चेला कविता का अर्थ कविता की व्याख्या


1.गुरु एक थे और था एक चेला,
चले घूमने पास में था न धेला |
चले चलते-चलते मिली एक नगरी,
चमाचम थी सड़कें चमाचम थी डगरी।

मिली एक ग्वालिन धरे शीश गगरी,
गुरु ने कहा तेज़ ग्वालिन न भग री |
बता कौन नगरी, बता कौन राजा,
कि जिसके सुयश का यहाँ बजता बाजा |

व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘गुरु और चेला’ कविता से ली गई हैं, जो कवि 'सोहन लाल द्विवेदी' के द्वारा रचित है | कवि इन पंक्तियों के माध्यम से कहना चाहते हैं कि एक गुरु थे और उनका एक चेला था | इनके पास पैसा अर्थात् कोई धन न था | एक रोज़ दोनों घूमने निकल पड़े | चलते-चलते दोनों एक नगर में पहुँच गए | नगर के रास्ते चमक रहे थे | तभी उन्हें एक ग्वालिन दिख जाती है | उसके सिर पर एक घड़ा था | गुरु ने ग्वालिन से पूछा कि यह कौन सी नगरी है ग्वालिन ? यहाँ का राजा कौन है ? आख़िर, किसका बोल-बाला है यहाँ पर ? 

2. कहा बढ़के ग्वालिन ने महाराज पंडित,
पधारे भले हो यहाँ आज पंडित |
यह अंधेर नगरी है अनबूझ राजा,
टके सेर भाजी, टके सेर खाजा।

गुरु ने कहा-जान देना नहीं है,
मुसीबत मुझे मोल लेना नहीं है |
न जाने की अंधेर हो कौन छन में ?
यहाँ ठीक रहना समझता न मन में | 

व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘गुरु और चेला’ कविता से ली गई हैं, जो कवि 'सोहन लाल द्विवेदी' के द्वारा रचित है | कवि इन पंक्तियों के माध्यम से कहना चाहते हैं कि गुरु ने जब ग्वालिन से पूछा कि यह कौन सी नगरी है और यहाँ का राजा कौन है ? तो ग्वालिन ने कहा महाराज पंडित, भले ही आप यहाँ आए हैं, लेकिन यह अंधेर नगरी है | इसका राजा मूर्ख है | यहाँ सब कुछ टके सेर मिलता है, चाहे वह भाजी हो या खाजा | यह सुनकर गुरु घबरा गए | उनको लगा कि यहाँ रहना ख़तरे से खाली नहीं है | जाने किस वक़्त मुसीबत हमारे पीछे पड़ जाए | अत: गुरु का मन कहता है कि यहाँ से चले जाना ही उचित होगा | 

3. गुरु ने कहा किंतु चेला न माना,
गुरु को विवश हो पड़ा लौट जाना |
गुरुजी गए, रह गया किंतु चेला,
यही सोचता हूँगा मोटा अकेला | 

चला हाट को देखने आज चेला,
तो देखा वहाँ पर अजब रेल-पेला | 
टके सेर हल्दी, टके सेर जीरा,
टके सेर ककड़ी टके सेर खीरा | 

व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘गुरु और चेला’ कविता से ली गई हैं, जो कवि 'सोहन लाल द्विवेदी' के द्वारा रचित है | कवि इन पंक्तियों के माध्यम से कहना चाहते हैं कि गुरु, मूर्ख राजा की अंधेर नगरी को छोड़कर चेला से चलने को कहे | किन्तु, चेला नहीं माना | गुरुजी विवश होकर चले गए और चेला वहीं अकेला रह गया | जब एकदिन चेला वहाँ का बाज़ार देखने गया, तो वह जानकर हैरान रह गया कि वहाँ सब कुछ टके सेर बिक रहा था | चाहे वह हल्दी हो, जीरा हो, ककड़ी हो, या फिर खीरा |

4. टके सेर मिलती है रबड़ी मलाई,
बहुत रोज़ उसने मलाई उड़ाई | 
सुनो और आगे का फिर हाल ताज़ा,
थी अंधेर नगरी, था अनबूझ राजा | 

बरसता था पानी, चमकती थी बिजली,
थी बरसात आई, दमकती थी बिजली |
गरजते थे बादल, झमकती थी बिजली,
थी बरसात गहरी, धमकती थी बिजली | 

व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘गुरु और चेला’ कविता से ली गई हैं, जो कवि 'सोहन लाल द्विवेदी' के द्वारा रचित है | कवि इन पंक्तियों के माध्यम से कहना चाहते हैं कि उस मूर्ख राजा के अंधेर नगरी में सबकुछ टके सेर ही मिलता था | चेले ने खूब रबड़ी मलाई खाई | तत्पश्चात् कवि मूर्ख राजा की अंधेर नगरी का आगे का ताज़ा हाल सुना रहे हैं | उस साल वहाँ खूब बारिश हुई थी | खूब बिजली चमकती थी और खूब बादल गरजते थे | 

5. गिरी राज्य की एक दीवार भारी,
जहाँ राजा पहुँचे तुरंत ले सवारी |
झपट संतरी को डपट कर बुलाया,
गिरी क्यों यह दीवार, किसने गिराया ?

कहा संतरी ने-महाराज साहब,
न इसमें खता मेरी, ना मेरा करतब !
यह दीवार कमज़ोर पहले बनी थी,
इसी से गिरी, यह न मोटी घनी थी | 

व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘गुरु और चेला’ कविता से ली गई हैं, जो कवि 'सोहन लाल द्विवेदी' के द्वारा रचित है | कवि इन पंक्तियों के माध्यम से कहना चाहते हैं कि बारिश की वजह से राज्य की एक दीवार गिर गई थी | राजा तुरंत वहाँ पहुँच गए | उन्होंने संतरी को बुलाया और उससे दीवार गिरने का कारण पूछा | संत्री ने फ़ौरन जवाब दिया कि दीवार उसकी गलती से नहीं गिरी है | दरअसल, दीवार कमज़ोर बनी थी | यह मोटी और घनी भी नहीं थी | इसीलिए शायद गिर गई | 

6. खता कारीगर की महाराज साहब,
न इसमें खता मेरी, या मेरा करतब !
बुलाया गया, कारीगर झट वहाँ पर,
बिठाया गया, कारीगर झट वहाँ पर | 

कहा राजा ने कारीगर को सजा दो,
खता इसकी है आज इसको कज़ा दो | 
कहा कारीगर ने, ज़रा की न देरी,
महाराज! इसमें खता कुछ न मेरी | 

व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘गुरु और चेला’ कविता से ली गई हैं, जो कवि 'सोहन लाल द्विवेदी' के द्वारा रचित है | कवि इन पंक्तियों के माध्यम से कहना चाहते हैं कि राजा ने जब संतरी से दीवार गिरने का कारण पूछा तो उसने कहा कि दीवार कमज़ोर बनी थी इसीलिए गिर गई | इसमें गलती उसकी नहीं बल्कि कारीगर की है | कारीगर को फ़ौरन बुलाया गया | राजा ने कारीगर को सजा देने का आदेश दे दिया | कारीगर बिना देरी किए बोल पड़ा, महाराज ! इसमें मेरी कोई गलती नहीं है, मुझे क्षमा करें | 

7. यह भिश्ती की गलती यह उसकी शरारत,
किया गारा गीला उसी की यह गफलत | 
कहा राजा ने जल्द भिश्ती बुलाओ | 
पकड़ कर उसे जल्द फाँसी चढ़ाओ | 

चला आया भिश्ती, हुई कुछ न देरी,
कहा उसने-इसमें खता कुछ न मेरी | 
यह गलती है जिसने मशक को बनाया,
कि ज़्यादा ही उसमें था पानी समाया | 
गुरु और चेला कविता
गुरु और चेला कविता

व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘गुरु और चेला’ कविता से ली गई हैं, जो कवि 'सोहन लाल द्विवेदी' के द्वारा रचित है | कवि इन पंक्तियों के माध्यम से कहना चाहते हैं कि जब कारीगर ने तुरंत अपना बचाव करते हुए राजा से कहा कि यह उसकी नहीं बल्कि भिश्ती की गलती है, क्योंकि उसी ने गारा गीला कर दिया था | तब राजा ने हुक्म दिया कि भिश्ती को फ़ौरन बुलाकर उसे फाँसी पर चढ़ा दिया जाए | भिश्ती आते ही अपना बचाव किया और कहा इसमें मेरी गलती नहीं है हुजूर | बल्कि मशक बनाने वाले की गलती है | उसी ने मशक में पानी ज्यादा मिला दिया था, जिसके कारण दीवार कमज़ोर हो गई और गिर गई | 

8. मशक वाला आया, हुई कुछ न देरी,
कहा उसने इसमें खता कुछ न मेरी | 
यह मंत्री की गलती, है मंत्री की गफ़लत,
उन्हीं की शरारत, उन्हीं की है हिकमत | 

बड़े जानवर का था चमड़ा दिलाया, 
चुराया न चमड़ा मशक को बनाया | 
बड़ी है मशक खूब भरता है पानी,
ये गलती न मेरी, यह गलती बिरानी | 

व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘गुरु और चेला’ कविता से ली गई हैं, जो कवि 'सोहन लाल द्विवेदी' के द्वारा रचित है | कवि इन पंक्तियों के माध्यम से कहना चाहते हैं कि भिश्ती के कहने पर मशक वाले को बुलाया गया |उसने भी अपना बचाव करते हुए कहा दीवार गिरने में मेरी नहीं बल्कि मंत्री की गलती है | उन्होंने ही मुझे बड़े जानवर का चमड़ा दिलवा दिया था | मैंने चमड़ा चुराया नहीं और एक बड़ी मशक बना दिया था | बड़ी मशक होने की वजह से उसमें पानी ज्यादा भरता है | इसलिए, यह गलती मेरी नहीं बल्कि मंत्री का है महाराज | 

9. है मंत्री की गलती तो मंत्री को लाओ,
हुआ हुक्म मंत्री को फाँसी चढ़ाओ | 
चले मंत्री को लेके जल्लाद फौरन,
चढ़ाने को फाँसी उसी दम उसी क्षण | 

मगर मंत्री था इतना दुबला दिखाता,
न गर्दन में फाँसी का फंदा था आता | 
कहा राजा ने जिसकी मोटी हो गर्दन,
पकड़ कर उसे फाँसी दो तुम इसी क्षण | 

व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘गुरु और चेला’ कविता से ली गई हैं, जो कवि 'सोहन लाल द्विवेदी' के द्वारा रचित है | कवि इन पंक्तियों के माध्यम से कहना चाहते हैं कि राजा को जैसे ही मालूम चला कि दीवार मंत्री की वजह से गिरी है, तो उसने मंत्री को हाजिर होने का आदेश दिया | मंत्री आया तो राजा ने उसे फाँसी पर चढ़ा देने का फ़रमान सुना दिया | जल्लाद मंत्री को उसी क्षण लेकर फाँसी पर चढ़ाने के लिए गया | किन्तु मंत्री काफी दुबला था | उसकी गर्दन इतनी पतली थी कि फाँसी के फंदे में नहीं आ पा रही थी |  मूर्ख राजा ने उसकी जगह किसी मोटी गर्दन वाले को पकड़कर लाने को कहा, ताकि उसे फाँसी पर चढ़ाया जा सके | 

10. चले संतरी ढूँढ़ने मोटी गर्दन,
मिला चेला खाता था हलुआ दनादन | 
कहा संतरी ने चलें आप फ़ौरन,
महाराज ने भेजा न्यौता इसी क्षण | 

बहुत मन में खुश हो चला आज चेला,
कहा आज न्यौता छकूँगा अकेला !!
मगर आके पहुँचा तो देखा झमेला,
वहाँ तो जुड़ा था अजब एक मेला | 

व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘गुरु और चेला’ कविता से ली गई हैं, जो कवि 'सोहन लाल द्विवेदी' के द्वारा रचित है | कवि इन पंक्तियों के माध्यम से कहना चाहते हैं कि राजा के कहने पर संतरी मोटी गर्दन वाले व्यक्ति की तलाश में निकल पड़े | तभी उन्हें चेला हलुआ खाते हुए मिल गया | उन्होंने चेले से कहा, महाराज ने आपको न्यौता दिया है | संतरी की बात सुनकर चेला मन ही मन बहुत खुश हो गया यह सोचकर कि राजा के दरबार में खूब छककर खायेगा | लेकिन आकर देखा तो वहाँ एक नया झमेला खड़ा था | वहाँ लोगों की अजीब भाव मुद्रा में भीड़ लगी थी | 

11. यह मोटी है गर्दन, इसे तुम बढ़ाओ,
कहा राजा ने इसको फाँसी चढ़ाओ!
कहा चेले ने-कुछ खता तो बताओ,
कहा राजा ने-‘चुप’ न बकबक मचाओ | 

मगर था न बुद्धू - था चालाक चेला,
मचाया बड़ा ही वहीं पर झमेला!!
कहा पहले गुरु जी के दर्शन कराओ,
मुझे बाद में चाहे फाँसी चढ़ाओ | 

व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘गुरु और चेला’ कविता से ली गई हैं, जो कवि 'सोहन लाल द्विवेदी' के द्वारा रचित है | कवि इन पंक्तियों के माध्यम से कहना चाहते हैं कि मोटी गर्दन वाले चेला को देखकर राजा ने फ़ौरन उसे फाँसी पर चढ़ाने का हुक्म दे दिया | चेला ने राजा से अपनी ख़ता पूछा तो राजा ने उसे चुप करा दिया कि ज्यादा बकबक मत करो | लेकिन चेला बहुत चालाक था | उसने वहीं पर एक बड़ा झमेला खड़ा कर दिया | कहा मुझे फाँसी पर चढ़ाने से पहले मेरे गुरु का एक बार दर्शन करा दो | 

12. गुरुजी बुलाए गए झट वहाँ पर,
कि रोता था चेला खड़ा था जहाँ पर | 
गुरु जी ने चेले को आकर बुलाया,
तुरंत कान में मंत्र कुछ गुनगुनाया | 

झगड़ने लगे फिर गुरु और चेला,
मचा उनमें धक्का बड़ा रेल-पेला | 
गुरु ने कहा-फाँसी पर मैं चढ़ूँगा, 
कहा चेले ने—फाँसी पर मैं मरूंगा | 

व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘गुरु और चेला’ कविता से ली गई हैं, जो कवि 'सोहन लाल द्विवेदी' के द्वारा रचित है | कवि इन पंक्तियों के माध्यम से कहना चाहते हैं कि चेला के कहने पर गुरुजी को बुलाया गया | उन्होंने चेला को रोते हुए देखा तो उसके पास गए और कान में कुछ मंत्र गुनगुनाए | तत्पश्चात् दोनों आपस में झगड़ने लगे | एक-दूसरे को धक्का देने लगे | गुरु कहते थे कि मैं फाँसी पर चढ़ूँगा और चेला कहता था मैं फाँसी पर चढ़ूँगा | 

13. हटाए न हटते अड़े ऐसे दोनों,
छुटाए न छुटते लड़े ऐसे दोनों | 
बढ़े राजा फ़ौरन कहा बात क्या है ?
गुरु ने बताया करामात क्या है | 

चढ़ेगा जो फाँसी महूरत है ऐसी,
न ऐसी महूरत बनी बढ़िया जैसी | 
वह राजा नहीं, चक्रवर्ती बनेगा,
यह संसार का छत्र उस पर तनेगा | 

व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘गुरु और चेला’ कविता से ली गई हैं, जो कवि 'सोहन लाल द्विवेदी' के द्वारा रचित है | कवि इन पंक्तियों के माध्यम से कहना चाहते हैं कि फाँसी पर चढ़ने के लिए गुरु और चेला में भिडंत ज़ारी था, तभी राजा ने आगे बढ़कर पूछा कि आख़िर बात क्या है ? इस पर गुरु ने बताया कि यह फाँसी पर चढ़ने का शुभ महूरत है | इस मुहूर्त में जो फाँसी पर चढ़ेगा, वह राजा नहीं चक्रवर्ती बनेगा |  पूरे संसार का छत्र उसपर तनेगा अर्थात् उसके सिर पर ताज सजेगा | 

14. कहा राजा ने बात सच गर यही,
गुरु का कथन, झूठ होता नहीं है | 
कहा राजा ने फाँसी पर मैं चढ़ूँगा, 
इसी दम फाँसी पर मैं ही टॅगूंगा | 

चढ़ा फाँसी राजा बजा खूब बाजा,
प्रजा खुश हुई जब मरा मूर्ख राजा |
बजा खूब घर-घर बधाई का बाजा,
थी अंधेर नगरी, था अनबूझ राजा | 

व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘गुरु और चेला’ कविता से ली गई हैं, जो कवि 'सोहन लाल द्विवेदी' के द्वारा रचित है | कवि इन पंक्तियों के माध्यम से कहना चाहते हैं कि जब राजा को गुरु जी से पता चला कि इस शुभ मुहूर्त में फाँसी पर चढ़ने वाला चक्रवर्ती राजा बनेगा, तो उसने कहा कि अगर यह बात सच है तो मैं स्वयं फाँसी पर चढ़ूँगा | तत्पश्चात्, राजा फाँसी पर चढ़ जाता है | प्रजा में खुशी की लहर दौड़ जाती है |  मूर्ख राजा के मरते ही घर-घर में बधाई का बाजा बजने लगता है | 


गुरु और चेला Summary Class 5 Hindi गुरु और चेला कविता का सारांश

गुरु और चेला कविता, कवि 'सोहन लाल द्विवेदी' के द्वारा रचित बुद्धिमता पर आधारित कविता है | इस कविता के माध्यम से एक मूर्ख राजा से प्रजा को छुटकारा दिलाने के लिए कवि द्वारा एक गुरु और उसका चेला के किरदार को सृजित किया गया है | 

गुरु और चेला कविता के अनुसार, गुरु और उसका चेला एकदिन बिना पैसे के घूमने निकल पड़ते हैं | दोनों चलते हुए एक नगर पहुँचते हैं | वहाँ उन्हें एक ग्वालिन से मुलाकात होती है | ग्वालिन बताती हैं कि यह अंधेर नगरी है और इसका राजा बिल्कुल मूर्ख (अनबूझ) है | इस नगरी में सभी चीजों का दाम एक टका है | गुरुजी ने सोचा ऐसी नगरी में रहना ठीक नहीं है | अतः उन्होंने अपने चेले से वहाँ से चलने को कहा | चेले ने गुरुजी के साथ वापस जाने से इनकार कर दिया | गुरुजी चले गए, पर चेला वहीं पर रुक गया | 

एक रोज चेला बाजार गया | वहाँ उसने देखा कि सभी चीजें टके सेर मिल रही हैं | चाहे वह खीरा हो या रबड़ी मलाई | चेले को सब कुछ अजीब लग रहा था | उस साल बरसात में बहुत बारिश हुई थी | नतीजा यह हुआ कि राज्य की एक दीवार गिर गई थी | राजा ने संतरी को फ़ौरन बुलाया और उससे दीवार गिरने की वजह पूछा | संतरी ने कारीगर को दोषी ठहराया | फिर कारीगर को बुलाया गया | 

कारीगर ने भिश्ती की गलती ठहराया क्योंकि उसने गारा गीला कर दिया था | भिश्ती ने मशकवाले को दोषी बनाया, जिसने ज्यादा पानी की मशक बना दी थी | मशकवाले ने मंत्री पर आरोप लगाया, क्योंकि उसी ने बड़े जानवर का चमड़ा दिलवाया था | तत्काल मंत्री को बुलाया गया | वह अपने बचाव में कुछ न कह सका | अतः मंत्री को फाँसी देने का हुक्म राजा के द्वारा दे दिया गया | जल्लाद उसे फाँसी पर चढ़ाने चला | लेकिन मंत्री इतना दुबला था कि उसकी गर्दन में फाँसी का फंदा आया ही नहीं | अपनी मूर्खता का नमूना पेश करते हुए राजा ने आदेश दिया कि कोई मोटी गर्दन वाले को पकड़ लाओ और उसे फाँसी पर चढ़ा दो | 

संतरी मोटी गर्दन वाले की तलाश में निकल पड़े |अचानक उन्हें चेला दिख गया | उसकी गर्दन मोटी थी | संतरी ने चेले को पकड़कर राजा के सामने पेश किया | राजा ने उसे फाँसी पर चढ़ा देने का हुक्म दे दिया | बेचारा चेला भारी मुसीबत में फँस गया |  मगर वह अपनी चालाकी का उदाहरण पेश करते हुए कहा कि फाँसी पर चढ़ाने से पहले मुझे मेरे गुरुजी का दर्शन करा दो | गुरुजी को बुलाया गया | गुरुजी चेले के कान में कुछ बोले | फिर गुरु-चेला दोनों आपस में झगड़ने लगे | गुरु और चेला दोनों फाँसी पर चढ़ने के लिए तैयार थे | राजा कुछ देर तक उनका झगड़ा देखता रहा | फिर उसने उन दोनों को अपने पास बुलाया और झगड़ा का कारण पूछा तो गुरुजी ने कहा कि यह बहुत ही शुभ मुहूर्त है | इस मुहूर्त में जो फाँसी पर चढ़ेगा वह राजा नहीं बल्कि चक्रवर्ती बनेगा | संसार का छत्र उसके सिर तनेगा | तभी मूर्ख राजा बोल पड़ा, यदि ऐसी बात है तो मैं फाँसी पर चढ़ूँगा | तत्पश्चात्, उधर राजा को फाँसी पर चढ़ा दिया गया | इधर प्रजा में खुशी की लहर दौड़ गई | 

आख़िरकार, प्रजा को एक मूर्ख राजा से मुक्ति मिल गई...|| 



गुरु और चेला का प्रश्न उत्तर

प्रश्न-1 टका पुराने ज़माने का 'सिक्का' था | अगर आजकल सब चीज़ें एक रुपया किलो मिलने लगें तो उससे किस तरह के फ़ायदे और नुकसान होंगे ?

उत्तर- अगर आजकल सब चीज़ें एक रुपया किलो मिलने लगें, तो इससे सभी को फ़ायदा होगा | फिर किसी को भूखा रहने की जरूरत नहीं होगी | लेकिन वहीं विक्रेताओं को नुकसान उठाना पड़ेगा | उन्हें अपने वस्तुओं की लागत भी निकलना मुश्किल होगा | इससे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा | अंतत: क्रय-विक्रय का सिलसिला गड़बड़ा जाएगा | 

प्रश्न-2 भारत में कोई चीज़ खरीदने-बेचने के लिए ‘रुपये’ का इस्तेमाल होता है और बांग्लादेश में ‘टके’ का |  ‘रुपया’ और ‘टका’ क्रमश: भारत और बांग्लादेश की मुद्राएँ हैं | नीचे लिखे देशों की मुद्राएँ कौन-सी हैं ? 

सऊदी अरब, जापान, फ्रांस, इटली, इंग्लैंड 

उत्तर- मुद्राएँ निम्नलिखित देशों की है - 
• सऊदी अरब - रियाल 
• जापान - येन 
• फ्रांस - यूरो 
• इटली - यूरो 
• इंग्लैंड - पाउंड स्टर्लिंग 

प्रश्न-3 अँधेर नगरी की प्रजा राजा के मरने पर खुश क्यों हुई ? 

उत्तर- अंधेर नगरी की प्रजा राजा के मरने पर इसलिए खुश हुई क्योंकि वहाँ का राजा बेहद मूर्ख था | राजा का शासन व्यवस्था, व्यापार व्यवस्था, न्याय व्यवस्था और दंड देने का तरीका सब कुछ गलत था | वहाँ किसी और की सजा या करतूत का परिणाम कोई और भुगतता था | 

प्रश्न-4 “गुरु का कथन, झूठ होता नहीं है |”

(क) गुरुजी ने क्या बात कही थी ?

(ख) राजा यह बात सुनकर फाँसी पर लटक गया |तुम्हारे विचार से गुरुजी ने जो बात कही, क्या वह सच थी ?

उत्तर- 
(क)-  गुरुजी ने कहा था कि जो इस मुहुर्त में फाँसी  पर चढ़ेगा, वह चक्रवर्ती राजा बनेगा |संसार      का ताज उसके सिर चढ़ेगा | 

(ख)- फाँसी पर लटक कर राजा सिर्फ अपनी मूर्खता का परिचय दिया है |गुरुजी की बात झूठी थी | 

प्रश्न-5 राजा गुरुजी की बातों में न आता तो क्या होता ? 

उत्तर- अगर राजा गुरुजी की बातों में न आता, तो चेले को फाँसी दे दी जाती | 


गुरु और चेला कविता का शब्दार्थ 


• चेला -      शिष्य, शागिर्द, छात्र, 
• धेला -    पैसा
• डगरी -    रास्ता
• शीश -    सिर, मस्तक 
• सुयश -    प्रसिद्धि, शोहरत 
• पधारे -    आये, आमद, 
• भाजी -    सब्जी
• मुसीबत - समस्या, तकलीफ़ 
• विवश -  मजबूर
• हाट -      बाज़ार
• खता -    गलती, 
• भिश्ती -  पानी भरने वाला
• गफलत - भूल
• हुक्म -            आदेश
• जल्लाद - फाँसी पर चढ़ाने वाला आदमी
• दनादन - जल्दी-जल्दी, शीघ्रता से 
• फौरन -     तुरंत


COMMENTS

Leave a Reply: 1
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,37,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,4,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,5,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,7,कविता,1475,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,39,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,3,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,6,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,35,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,76,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,6,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,11,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,4,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,202,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,139,प्रयोजनमूलक हिंदी,38,प्रेमचंद,48,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,88,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,9,भक्ति साहित्य,143,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,17,भीष्म साहनी,8,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,10,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,3,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,8,मोहन राकेश,15,यशपाल,18,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,124,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,8,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,2,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,8,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,57,शैलेश मटियानी,2,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,4,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,33,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,44,समसामयिक हिंदी लेख,269,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,20,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,86,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,432,हिंदी लेख,532,हिंदी व्यंग्य लेख,14,हिंदी समाचार,183,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aapka-banti-mannu-bhandari,6,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,divya-upanyas-yashpal,3,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,11,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,20,hindi essay,424,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,680,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,67,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,23,kavyagat-visheshta,25,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,12,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,raag-darbari-shrilal-shukla,8,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,sponsored news,10,suraj-ka-satvan-ghoda-dharmveer-bharti,5,Syllabus,7,top-classic-hindi-stories,54,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: गुरु और चेला कविता guru aur chela poem in hindi class 5
गुरु और चेला कविता guru aur chela poem in hindi class 5
गुरु और चेला कविता guru aur chela poem in hindi class 5 गुरु और चेला कविता का अर्थ कविता की व्याख्या गुरु और चेला कविता Ch 12 गुरु और चेला Guru Aur Chela Hindi, Grade 5 CBSE Easy explanation गुरु और चेला Guru Aur Chela Chapter 12 Class 5 Hindi With Question & Answers NCERT गुरु और चेला Summary Class 5 Hindi गुरु और चेला कविता का सारांश Class 5 Hindi Chapter 12 Guru Aur Chela Summary गुरु और चेला का प्रश्न उत्तर गुरु और चेला कविता का अर्थ कविता की व्याख्या
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhqG8XvLErYJPNG-mx-nRz6w1oX_sYCnyWc50JdmYuWpTuGd42brSzuUJze0vyEwETCP4CCTyitlkfNqsJsJvD7CXfHBi5_EmIxvc2z7zp4xTO446nk0Ib0PEDOl59MAlB6slzK5tr1X_21/s320/guru+aur+chela.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhqG8XvLErYJPNG-mx-nRz6w1oX_sYCnyWc50JdmYuWpTuGd42brSzuUJze0vyEwETCP4CCTyitlkfNqsJsJvD7CXfHBi5_EmIxvc2z7zp4xTO446nk0Ib0PEDOl59MAlB6slzK5tr1X_21/s72-c/guru+aur+chela.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2020/06/guru-aur-chela-poem.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2020/06/guru-aur-chela-poem.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका