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नन्हा फनकार Nanha Fankar
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नन्हा फनकार पाठ का सारांश
नन्हा फनकार पाठ या कहानी में दस साल के नन्हा केशव की पत्थर नक्काशी का बेहतरीन कारीगरी का दृष्टांत मिलता है | कहानी के अनुसार केशव को यह हुनर अपने पिता से मिला था | दरअसल, वह अभी पत्थर नक्काशी का काम सीख रहा था | पिता के द्वारा एक बार करके दिखा देने पर वह सीधी लकीरों वाले और घुमावदार डिज़ाइन उकेरने में सक्षम था | पर उसे घंटियाँ बनाना ज्यादा मुश्क़िल लगता था |
केशव एक होनहार बालक था | उसे पूरी तरह विश्वास था कि एक दिन वह अपने पिता की तरह बारीक जालियाँ, महीन-नफ़ीस बेल बूटे, कमल के फूल, लहराते हुए साँप और इठलाकर चलते हुए घोड़े पत्थर पर उकेर पाने में जरूर सफल होगा |
कहानी के अनुसार, केशव के जन्म से पहले ही उसके माता-पिता गुजरात से आगरा में आकर बस गए थे | बादशाह अकबर उस समय आगरे का किला बनवा रहे थे और केशव के पिता को यहीं काम मिल गया था | केशव का जन्म आगरे में ही हुआ था | लेकिन अब वह सीकरी में रहता है |
एक दिन जब नन्हा केशव अपने काम पर लगा था, तब एक शख़्स, जो वास्तव में बादशाह अकबर थे, उसके पास आकर खड़े हो गए और उसके द्वारा बनाई हुई घंटियों की बड़ाई करने लगे |
नन्हा फनकार |
बादशाह अकबर सफेद अँगरखा और पाजामा पहने हुए थे | उसके लंबे बाल गहरे लाल रंग की पगड़ी में अच्छी तरह से ढंके हुए थे | केशव उन्हें पहचाना नहीं लेकिन इतना वह जरूर समझ गया कि वह कोई बड़ा आदमी है | अभी केशव उस आदमी के व्यक्तित्व का मुआयना कर ही रहा था कि तभी एक पहरेदार ने आकर उसे सावधान किया कि जो शख़्स उसके सामने खड़ा है, वह बादशाह अकबर हैं और वह उनसे काफी अदब से खड़े होकर बात करे |
केशव हक्का-बक्का रह गया | बदहवासी में छेनी उसके हाथ से छूटकर नीचे गिर गई और वह जल्दी से उठकर खड़ा हो गया | उसने बादशाह को झुककर सलाम किया | उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था | लेकिन बादशाह की मुस्कुराहट देखकर वह बहुत जल्द भयमुक्त हो गया |
अकबर ने केशव के सामने नक्काशी सीखने की इच्छा ज़ाहिर की | केशव फौरन दौड़कर अपने पिता के पास गया और छेनी-हथौड़ा लाकर बादशाह अकबर को दे दिया और बादशाह को काम करना सिखाने लगा |
बादशाह नन्हा केशव के पास जमीन पर बैठ गए | केशव ने कोयले के टुकड़े से पत्थर पर लकीरें खींचकर एक आसान सा नमूना बनाया और उसे बादशाह को ध्यान से तराशने के लिए कहा | बादशाह अकबर ने पत्थर पर छेनी रखी और जोर से हथौड़े से वार किया, जिससे कटाव बहुत गहरा हो गया | केशव ने तुरंत गलती पकड़ी और बादशाह को हिदायत दी कि वे हथौड़े को आहिस्ता मारे | इस समय वह बिल्कुल भूल गया था कि उसके बगल में बैठा व्यक्ति हिंदुस्तान का बादशाह है | एक अनाड़ी से वयस्क पर अपने काम की धाक जमाने में उसे मजा आ रहा था | लकीरें उकेरते समय अगर बादशाह से थोड़ी भी गलती हो जाती तो उसे गुस्सा आ जाता था |
केशव के काम करने के अंदाज को देखकर अकबर ने धीमे से कहा ---
“केशव, देखना, एक दिन तुम बड़े फनकार बनोगे | हो सकता है एक दिन तुम मेरे कारखाने में काम करो |”
नन्हा केशव कारखाने वाली बात समझ न सका | फिर अकबर ने उसे बताया कि महल तैयार हो जाने के बाद जब लोग आगरा में आकर रहने लगेंगे, तब वे एक कारखाना बनवाएंगे | जो सल्तनत के सबसे बढ़िया फ़नकार और शिल्पकार होंगे, उनको काम पर यानी कारखाने में रखा जाएगा | यह सुनकर केशव का चेहरा चमक उठा | उसे भरोसा हो गया कि जब कारखाना खुलेगा, तब उसे काम अवश्य मिलेगा |
रात हो चली थी | केशव बहुत थका हुआ था | धीरे से वह अपने पिता के बिस्तर में घुस गया और पूछ बैठा ---
“बादशाह अकबर के पास आगरा में एक से बढ़कर एक ख़ूबसूरत महल है | फिर वे सीकरी में यह शहर क्यों बनवा रहे हैं ?”
पिता ने उसे बताया कि जब बादशाह की कोई संतान नहीं थी, तब वे सीकरी में ख़्वाजा सलीम चिश्ती के पास आए थे | उनके आशीर्वाद से बादशाह को तीन-तीन संतानें हुईं --- शाहज़ादा सलीम, मुराद और दनियाल | फिर उन्होंने ख़्वाजा सलीम चिश्ती के सम्मान में सीकरी में नगर बसा दिया | इतना ही नहीं उन्होंने अपने एक बेटे का नाम भी सलीम रख दिया...||
नन्हा फनकार कहानी का उद्देश्य
हमें सदा व्यवहार-कुशल रहना चाहिए | हमेशा कुछ नया सीखने के लिए तत्पर रहना चाहिए | ताकि अपने जीवन में आए सुअवसरों से हम वंचित न हो सकें |
नन्हा फनकार के प्रश्न उत्तर
प्रश्न-1 अकबर को पहरेदार की दखलंदाज़ी अच्छी क्यों नहीं लगी ?
उत्तर- नन्हा केशव अनजाने में आम इंसान समझकर बादशाह अकबर से मासूमियत भरी बातें कर रहा था | बादशाह भी केशव की बातों का लुत्फ उठा रहे थे | पहरेदार के आने से उनकी बातचीत में बाधा उत्पन्न हो गई थी और केशव यह जान गया कि जिस इंसान से वह अबतक बातें कर रहा था, वह कोई और नहीं बल्कि बादशाह अकबर हैं | केशव कुछ पल के लिए भयभीत भी हो गया था | इसलिए पहरेदार की दखलंदाज़ी अकबर को पसंद नहीं आई |
प्रश्न-2 “लगता है कोई बहुत बड़ा आदमी है”, यहाँ पर ‘बड़े आदमी’ से केशव का क्या मतलब है ?
उत्तर- प्रस्तुत कहानी के अनुसार, यहाँ 'बड़े आदमी' से केशव का मतलब धनवान और प्रतिष्ठित आदमी से है |
प्रश्न-3 अकबर ने जब नक्काशी सीखना चाहा, तो केशव ने उन्हें संदेहभरी नज़रों से क्यों देखा ?
उत्तर- प्रस्तुत कहानी के अनुसार, अकबर एक बहुत बड़े बादशाह थे | उन्हें इस तरह के कार्य करने की कोई जरूरत नहीं थी | जब उन्होंने नन्हा केशव के साथ बैठकर पत्थर तराशने की इच्छा जतायी, तो उसे बड़ी हैरानी हुई | उसका मन नहीं मान रहा था कि एक बादशाह भला उससे नक्काशी क्यूँ सीखेंगे | इसलिए उसने उन्हें संदेहभरी नज़रों से देखा |
प्रश्न-4 “माशा अल्लाह ! ये घंटियाँ कितनी सुंदर हैं ! तुमने खुद बनाई हैं ?” बादशाह अकबर ने यह बात किसलिए कही होगी –
उत्तर- क्योंकि उन्हें यकीन नहीं था कि 10 साल का बच्चा केशव इतनी सुंदर घंटियाँ बना सकता है |
प्रश्न-5 “खरगोश की–सी कातर आँखें” पशु-पक्षियों से तुलना करते हुए और भी बहुत-सी बातें कही जाती हैं जैसे – ‘हिरन जैसी चाल’ | ऐसे ही कुछ उदाहरण तुम भी बताओ |
उत्तर-
• कोयल जैसी आवाज़
• कुत्ते जैसा दुम
• शेर जैसी दहाड़
• लोमड़ी जैसा चालाक
• हिरनी जैसी आँखें
• जिराफ जैसा लम्बा
• गाय जैसा सीधा
• हाथी जैसा विशाल
• सांप जैसा जहरीला
• चींटी जैसा अनुशासन
नन्हा फनकार के शब्द अर्थ
• फनकार - कलाकार
• बुदबुदाई - धीरे से बोलना, आहिस्ता बोलना
• उकेरना - उतारना
• संगतराश - साथ में काम करने वाले
• बारीक - महीन, पतला
• नफ़ीस - सुन्दर, निर्मल
• पुश्तैनी - ख़ानदानी, पैतृक
• अंगरखा - पुरुषों का लम्बा पोशाक, कुर्ता
• पाजामा - कमर से नीचे पैर ढंकने वाला पोशाक
• आहट - आवाज़
• तल्खी - कड़ुवापन, कटुता, तपाक से
• घूरते हुए - गौर से देखते हुए
• जुर्रत - साहस, हिम्मत
• बदहवासी - व्याकुलता, बेहोशी, व्याकुलता
• दखलंदाजी - बीच में आ पड़ना या बोलना
• खीझकर - खिन्न होकर
• अनमने भाव से - अनिच्छा से
• कौतूहल - जिज्ञासा
• नेक - अच्छा, सच्चा,
• लाडला - प्यारा, दुलारा ||
अति सुन्दर प्रयास, बच्चों के लिए बहुत लाभदायक
जवाब देंहटाएंआपके द्वारा किया गया प्रयास बहुत ही अच्छा है और सराहनीय है
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