सांस्कृतिक और साहित्यिक पर्यटन : आगरा नगरी (जीवेम शरदः शतम् --- सोम ठाकुर ) यमुना के किनारे बसी , आगरा नगरी, वैसे तो, ताजमहल के लिए प्रसिद्ध है और 1638 तक, ( फिर राजधानी दिल्ली बनाई ) , यह देश की राजधानी भी रही है ,लेकिन यहां के संत महात्माओं का भी सांस्कृतिक और साहित्यिक मूल्यों को स्थापित करने में अनमोल योगदान रहा है। मिठाई “ पेठा ” तो मशहूर है ही ।इसने 1666 में ओरंग्ज़ेब के हाथ शिवाजी की नज़रबंदी और कई अच्छे - बुरे हालातों कई गवाह रही है ।
सांस्कृतिक और साहित्यिक पर्यटन : आगरा नगरी
(जीवेम शरदः शतम् --- सोम ठाकुर )
यमुना के किनारे बसी , आगरा नगरी, वैसे तो, ताजमहल के लिए प्रसिद्ध है और 1638 तक, ( फिर राजधानी दिल्ली बनाई ) , यह देश की राजधानी भी रही है ,लेकिन यहां के संत महात्माओं का भी सांस्कृतिक और साहित्यिक मूल्यों को स्थापित करने में अनमोल योगदान रहा है। मिठाई “ पेठा ” तो मशहूर है ही ।इसने 1666 में ओरंग्ज़ेब के हाथ शिवाजी की नज़रबंदी और कई अच्छे - बुरे हालातों कई गवाह रही है ।
1502 में सिकंदर लोदी ने इसे बसाया , लेकिन ठीक 22 साल बाद , इसे, पानीपत की तीसरी लडाई में जीत के बाद ,बाबर ने कब्जा लिया कलात्मक व वास्तुकारी के लिए निकट ही मुगलों ने फतेह्पुर सीकरी का निर्माण कराया ।
श्री सोम ठाकुर व लेखक |
राजा विके टका में भैया ऐसो देश हमारो ,
सच के पालनहारो सुत के शीश चलावे आरो,
राजा हरिचंद और राजा मोरध्वज के सात्विक और राजसी चरित्र को उजागर किया गया है क्या राजधर्म होना चाहिए , किस तरह राजा को कर्तव्य का पालन करना चाहिए लेकिन इस अलंकारिक भाषा का एक निहायत ही घटिया पहलू यह है कि, तब हरिचंद अपने सपने के कारण बिक गए थे , तब आज के राजनेता इतने नीच हो गए हैं, इतने भ्रष्ट हो गए हैं कि वे जब दूसरे के सपनों का भक्षण करते हैं तब उनके पासंग में कहीं ठहरते ही नहीं हैं । इस सांस्कृतिक मूल्य को जिस तरह उजागर किया गया है वह युवा पीढ़ी और अभिजात्य वर्ग और संपूर्ण मानव जाति को उत्तिष्ठ करने के लिए पर्याप्त है।
शाहजहां की बीवी मुमताज के मकबरे के अलावा आगरा बेहद प्रसिद्ध है कि यहां पीपल वाली मंडी जहां इंद्रभान गर्ल्स इंटर कॉलेज है वहां मोहल्ले में गालिब का जन्म हुआ था। सत्ता वाले काशी नरेश के राजकुमार के साथ वहां पतंगबाजी किया करते थे लेकिन बाद में उन्हें यह शहर छोड़ना पड़ा और वह दिल्ली के होकर रह गए और बल्लीमारान में जाकर बस गए।
आगरा मुख्यतया ब्रज प्रदेश में ही है और जब मैंने एक बुजुर्ग महाशय से यह बात की कि कुछ इलाकों में खारा पानी है तो उनका जवाब भी जो उन्होंने भी सुना था वह बताया कि राधा जी से श्रीकृष्ण कह दिया करते थे कि मैं आता हूं वहां मिलेंगे लेकिन वह वहां पहुंचे नहीं कहा तो सही लेकिन वह नहीं दिखाया तब जहां-जहां राधा जी के आंसू गिरे हैं उन जगहों पर खारा पानी मिलता है।कहते हैं कि बड़े लोगों में कुछ खास बातें विशिष्ट हुआ करती हैं और ऐसी ही एक खास बात विशिष्ट रूप से मुझे आदरणीय श्री सोम ठाकुर जी के व्यक्तित्व में मिली वह प्रातः काल 4:00 बजे के आसपास पिछले कई वर्षों से मुझे स्वरचित दोहे भेजते आ रहे हैं ।ब्रह्म मुहूर्त में मिले यह दोहे पहले अंग्रेजी में हुआ करते थे, लेकिन अब हिंदी में प्राप्त हो रहे हैं।
दोहे -
दशरथ नंदन राम से यही एक अरदास।
मने प्राणों में दरस की बनी रहे नित प्यास।।
यही हमारी कामना यही हमारी आस।
राम लखन सिया हृदय में निशदिन करें निवास।।
सियाराम के गुणों का कैसे करें बखान।
पारिजात के फूल राम है सिया गुणों की खान।।
रघुनंदन के देश में शील शक्ति संचार।
यहां वैर या घृणा की भला कहां दरकार ।।
भादो बीता करें आज हम फिर पुरखों को याद।
देते हैं प्रभु राम हमें एक सात्विक अवसाद।।
प्रात राम पद कंज में रात सिया की गोद ।
जीवन बिता भक्तों में कर आमोद प्रमोद।।
राम नाम को तू बना अपना नित गलहार।
वह तेरा गंतव्य है वह तेरा संसार।।
लुटी जा रही मनुजता जग अधर्म के साथ।
आज विषम कलिकाल में लाज राम के हाथ।।
केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा भी विदेशी छात्र छात्राओं को हिंदी साहित्य और भाषा के संबंध में अनुसंधान एवं
व्यवहारिक प्रयोगात्मक अध्ययन करा रहा है। आगरा के आसपास स्वामी संप्रदाय और इसकान संप्रदाय एक भव्य मंदिर का और निर्माण कराने जा रहा है। सच तो यह है कि मथुरा और आगरा के चप्पे-चप्पे में राधेश्याम की मूर्तियां एवं मंदिर विराजमान है ।।
व्यवहारिक प्रयोगात्मक अध्ययन करा रहा है। आगरा के आसपास स्वामी संप्रदाय और इसकान संप्रदाय एक भव्य मंदिर का और निर्माण कराने जा रहा है। सच तो यह है कि मथुरा और आगरा के चप्पे-चप्पे में राधेश्याम की मूर्तियां एवं मंदिर विराजमान है ।।
श्री सोम ठाकुर मेरे बडे भाई सरीखे हैं और मुझे उनका विशेष स्नेह प्राप्त हुआ है।जब में उनसे मिला वे 86 वर्ष के थे ,और इंदोर में एक सारस्वत सम्मान प्राप्त करने की तैयारी कर रहे थे ,और जनवरी 2020 में दिल्ली के लाल किले से आज उनकी अध्यक्षता में हिंदी अकादमी दिल्ली कए सौजन्य से कवि सम्मेलन है , आज मैं कहता हूं कि सोम ठाकुर धन्य हैं उन्होंने उन मूल्यों को भी अनिवार्य रूप से हर मंच पर बनाए रखा कि वे अपनी वाहवाही में कभी किसी को ( श्रोताओं ) ताली बजाने को नहीं कहा आज के कवि तो हथकंडे और जुगाडबाज़ी में परले दरज़े के माहिर हैं
यह वही आगरा है जिस की किसी समय भरत्पुर के राजा सूरज्मल की धाक थी , और वह धाक बल्लभगढ तक थी ।अब आगरा का टूरिज्म दिल्ली की वज़ह से पिछड गया है सब शाम को दिल्ली लौट जाना चाहते हैं आगरा अग्रवाल समाज के लिए भी सिरमौर रहा है ।
छोटे अपने से वरिष्ठ को आशीष दें यह हो नहीं सकता , पर जो मेरी ईश्वर से प्रार्थना है वह यह कि वे स्वस्थ , सानंद रहें और जैसा कि गायंति देवा किल गीतिकानि की ही वैदिक ऋचा के साथ कि :
जीवेम शरदः शतम् --- सोम ठाकुर
क्षेत्रपाल शर्मा , भारत सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी रहे हैं कई वर्षों तक समाचार पत्रों व मीडिया से जुडे रहे हैं और गीतकार , अनुवादक हैं , पता 19/17 , शांतिपुरम , सासनी गेट , आगरा रोड , अलीगढ 202001
COMMENTS