Do Bailon Ki Katha दो बैलों की कथा मुंशी प्रेमचंद दो बैलों की कथा लेखक दो बैलों की कथा प्रश्नोत्तर दो बैलों की कथा पाठ का सारांश दो बैलों की कथा चरक्टेर्स दो बैलों की कथा के मुहावरे दो बैलों की कथा का उद्देश्य दो बैलों की कथा extra questions दो बैलों की कथा do bailon ki katha summary in hindi do bailon ki katha short question answer do bailon ki katha do bailon ki katha moral in hindi do bailon ki katha class 9 do bailon ki katha characters do bailon ki katha class 9 extra questions do bailon ki katha se kya shiksha milti hai दो बैलों की कथा पाठ का सारांश
Do Bailon Ki Katha दो बैलों की कथा मुंशी प्रेमचंद
दो बैलों की कथा लेखक दो बैलों की कथा प्रश्नोत्तर दो बैलों की कथा पाठ का सारांश दो बैलों की कथा चरक्टेर्स दो बैलों की कथा के मुहावरे दो बैलों की कथा का उद्देश्य दो बैलों की कथा extra questions दो बैलों की कथा do bailon ki katha summary in hindi do bailon ki katha short question answer do bailon ki katha do bailon ki katha moral in hindi do bailon ki katha class 9 do bailon ki katha characters do bailon ki katha class 9 extra questions do bailon ki katha se kya shiksha milti hai
दो बैलों की कथा पाठ का सारांश
दो बैलों की कथा पाठ या कहानी या कथा प्रेमचंद के द्वारा लिखित है | इस कथा के माध्यम से प्रेमचंद ने कृषक समाज और पशुओं के भावात्मक संबंध का वर्णन किया है | इस कहानी में उन्होंने यह भी बताया है कि स्वतंत्रता आसानी से नहीं मिलती, उसके लिए बार-बार संघर्ष करना पड़ता है | इस पाठ के अनुसार, जानवरों में गधा सबसे ज्यादा बुद्धिहीन समझा जाता है | गधा एक सीधा और निरापद (संकटरहित) जानवर है | वह कभी क्रोध नहीं करता | चाहे जितना उसे मारो, चाहे सड़ी हुई घास सामने डाल दो, वह कभी असंतोष की भावना प्रकट नहीं करता | वह सुख-दुख , लाभ-हानि, किसी भी दशा में कभी नहीं बदलता | उसमें ऋषि-मुनियों के जैसे गुण समाहित होते हैं | फिर भी लोग उसे बेवकूफ़ कहते हैं | लेखक इसे सद्गुणों का अनादर मानते हैं |
लेखक के अनुसार, गधे का एक छोटा भाई और भी है, जो उससे कम ही गधा है और वह है "बैल" | कुछ लोग शायद बैल को मुर्खों में सर्वश्रेष्ठ मानते हैं | परन्तु, लेखक के अनुसार, बैल कभी-कभी मारता भी है, कभी-कभी अड़ियल बैल भी देखने को मिलता है और वह कई बार अपना असंतोष भी प्रकट कर देता है | अतएव, बैल का स्थान गधे से नीचा है |
झूरी काछी के दोनों बैलों के नाम 'हीरा' और 'मोती' थे | दोनों पछाई जाति के थे | देखने में सुंदर, काम में चौकस और डील में ऊँचे थे | साथ में रहते-रहते दोनों बैलों में भाईचारा हो गया था | दोनों आमने-सामने बैठकर मूक भाषा में एक-दूसरे से बातें करते थे | जिस वक़्त ये दोनों बैल हल या गाड़ी में जोत दिए जाते और गर्दन हिला-हिलाकर चलते, उस वक़्त हर एक की यही चेष्टा होती थी कि ज्यादा से ज्यादा बोझ उसकी ही गर्दन पर रहे |
आगे लेखक कहते हैं कि एक बार झूरी ने दोनों बैलों को अपने ससुराल भेज दिया | संध्या के समय दोनों बैल अपने नए स्थान पर पहुँच गए थे | नया घर, नया गाँव, नए आदमी, उन्हें बेगानों से लगते थे |परिणामस्वरूप, दोनों रस्सी तोड़कर झूरी के पास भाग आए | झूरी उन्हें देखकर बहुत प्रसन्न हुआ और अब उन्हें खाने-पीने की कोई कमी नहीं थी |
दोनों बैल बहुत खुश थे | किन्तु, झूरी की स्त्री (पत्नी) को बैलों का भागकर वापस आना पसंद नहीं आया | वह ईर्ष्या से बोली उठी --- " कैसे नमकहराम बैल हैं कि एक दिन भी वहाँ काम न किया और भाग खड़े हुए...|" तभी झूरी अपने बैलों के पक्ष में बोल पड़ा --- " नमकहराम क्यों हैं ? चारा दाना न दिया होगा, तो क्या करते...?" इस पर झूरी की स्त्री ने रौब दिखाते हुए कहा --- " बस, तुम्हीं तो बैलों को खिलाना जानते हो, और तो सभी पानी पिला-पिलाकर रखते हैं | अब मैं भी देखूँ, कहाँ से खली और चोकर मिलता है ! सूखे भूसे के सिवा कुछ न दूँगी, खाएँ चाहे मरें...!" वैसा ही हुआ, जैसा झूरी की स्त्री ने कहा | मजूरों को बोल दिया गया कि उन्हें सिर्फ सूखा भूसा ही दिया जाए |
दूसरे दिन झूरी का साला फिर आया और बैलों को ले चला | इस बार उसने दोनों को गाड़ी में जोता | कई बार मोती ने गाड़ी को खाई में गिराने की कोशिश किया, पर हीरा ने संभाल लिया | क्योंकि वह मोती की अपेक्षा ज्यादा सहनशील था | दोनों बैलों को दिन भर खूब मार पड़ी | अपमान सहने के पश्चात् शाम के समय में सिर्फ सूखा भूसा ही मिला |
दूसरे दिन गया ने बैलों को हल में जोता, पर इन दोनों ने जैसे पाँव न उठाने की कसमें खा ली थी | वह मारते-
दो बैलों की कथा |
एक रात को जब बालिका रोटियाँ खिलाकर चली गई, तो दोनों बैलों ने रस्सियाँ चबाकर उसे तोड़ने का प्रयत्न करने लगे थे | पर सफलता नहीं मिल पा रही थी | सहसा घर का द्वार खुला और वही छोटी लड़की निकली | दोनों सिर झुकाकर उसका हाथ चाटने लगे | तभी उस लड़की ने दोनों बैलों के माथे सहलाकर बोली --- " खोले देती हूँ | चुपके से भाग जाओ, नहीं तो यहाँ लोग मार डालेंगे | आज घर में सलाह हो रही है कि इनकी नाकों में नाथ डाल दी जाए...|" तत्पश्चात् लड़की ने रस्सी खोल दिया और दोनों बैल भाग निकले | बैलों के पीछे-पीछे गया और गाँव के दूसरे लोग भी उन्हें पकड़ने दौड़े पर पकड़ न सके | भागते-भागते दोनों बैल नई जगह पहुँच गए | झूरी के घर जाने का रास्ता वे भूल गए थे | फिर भी बहुत खुश थे | दोनों को एक मटर का खेत दिखा, वहाँ पर दोनों ने मटर खाई और स्वतंत्रता का अनुभव करने लगे | तत्पश्चात्, वहीं मटर के खेत में, एक साँड से उनका मुकाबला हुआ | दोनों ने मिलकर पूरी हिम्मत से उस साँड़ का सामना किया और उसे मार भगाया | किन्तु, मटर के खेत में चरते समय खेत के मालिक और गाँव के कुछ लोग आकर चारों तरफ से उन्हें घेर लिए | तत्पश्चात्, पकड़कर दोनों को कांजीहौस में बंद कर दिया गया |
कांजीहौस में और भी जानवर बंद थे | सबकी हालत बहुत ख़राब थी | हीरा-मोती को दिनभर के भूख-प्यास के पश्चात् जब रात को भी भोजन न मिला तो उनके दिल में विद्रोह की ज्वाला भड़क उठी | फिर एक दिन दीवार गिराकर दोनों ने दूसरे जानवरों को भगा दिया | हीरा को मोटी रस्सी से बांध दिया गया था, इसलिए भाग नहीं पा रहा था | मोती भाग सकता था, पर हीरा को बँधा देखकर वह भी भाग न सका | कांजीहौस के मालिक को पता लगने पर उसने मोती की खूब पिटाई की और उसे मोटी रस्सी से बाँध दिया |
कहानी के अनुसार, एक सप्ताह बाद कांजीहौस के मालिक ने दोनों बैलों को कसाई के हाथों बेच दिया | एक दढ़ियल आदमी नीलामी में ऊँची बोली लगाकर हीरा-मोती को ले जाने लगा | दोनों समझ गए कि अब उनका अंत निकट है | दोनों की बोटी-बोटी काँप रही थी | बेचारे पाँव तक न उठा सकते थे, पर भय के मारे गिरते-पड़ते भागे जाते थे | क्योंकि दढ़ियल थोड़ा भी चाल धीमी हो जाने पर जोर से डंडा जमा देता था |
चलते-चलते अचानक उन्हें लगा कि वे परिचित रास्ते पर आ गए हैं | वही खेत, वही बाग, वही गाँव मिलने लगे | दोनों बैलों में उत्सुकता जाग गई | सारी थकान, सारी दुर्बलता दूर हो गई | झूरी का घर करीब आ गया था | दोनों खुश होकर उछलने लगे और दौड़ते हुए झूरी के द्वार पर आकर खड़े हो गए | झूरी बैलों को देखते ही दौड़ा और उन्हें बारी-बारी से गले लगाने लगा | अचानक दढ़ियल ने आकर बैलों की रस्सियाँ पकड़ ली | झूरी ने कहा कि वे उसके बैल हैं , पर दढ़ियल ज़ोर-ज़बरदस्ती करने लगा | तभी मोती ने दढ़ियल को दूर तक खदेड़ दिया | थोड़ी देर पश्चात् नाँदों में खली, भूसा, चोकर और दाना भर दिया गया | दोनों मित्र खाने लगे | झूरी खड़ा दोनों को सहला रहा था और बीसों लड़के तमाशा देख रहे थे | पूरे गाँव में उत्साह का माहौल था | उसी समय मालकिन ने आकर दोनों के माथे चूम लिए...||
दो बैलों की कथा का उद्देश्य
दो बैलों की कथा कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपनी स्वतंत्रता के लिए निरन्तर प्रयास करते रहना चाहिए | साथ ही साथ अपने नैतिक मूल्यों को भी भूलना नहीं चाहिए | हीरा और मोती ने भी अपनी स्वतंत्रता को पाने के लिए हर कष्ट सहते रहे | अंतत: उनकी सुखद जीत हुई |
दो बैलों की कथा पाठ के प्रश्न उत्तर
प्रश्न-1 कांजीहौस में कैद पशुओं की हाज़िरी क्यों ली जाती होगी ?
उत्तर- कांजीहौस में ऐसे पशुओं को कैद करके रखा जाता है, जो खेती को नुकसान पहुँचाते हैं तथा बेवजह इधर-उधर चरते रहते हैं | ऐसे पशुओं के मालिक बदले में कुछ देकर अपने-अपने पशुओं को छुड़ाते हैं | हाज़िरी लेने से पशुओं की संख्या की जानकारी सही-सही हो पाती है | कांजीहौस से यदि कोई पशु भाग जाए, तो उसका शीघ्रता से पता लगाया जाए, इसलिए कांजीहौस में कैद पशुओं की हाज़िरी ली जाती होगी |
प्रश्न-2 छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम क्यों उमड़ आया ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, लड़की की माँ मर चुकी थी | उसकी सौतेली माँ उसे मारती रहती थी | दोनों बैल भी सताए हुए थे, उन्हें भी प्यार की जरूरत थी | छोटी बच्ची और दोनों बैल एक-दूसरे का कष्ट समझ सकते थे | इसीलिए छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम उमड़ आया |
प्रश्न-3 किन घटनाओं से पता चलता है कि हीरा और मोती में गहरी दोस्ती थी ?
उत्तर- निम्नलिखित घटनाओं से पता चलता है कि हीरा और मोती में गहरी दोस्ती थी ---
• दोनों आमने-सामने बैठकर मूक भाषा में एक-दूसरे से बातें किया करते थे |
• दोनों एक-दूसरे को चाटकर और सूंघकर अपना प्रेम प्रकट करते थे |
• जिस वक़्त ये दोनों बैल हल या गाड़ी में जोत दिए जाते और गर्दन हिला-हिलाकर चलते, उस वक़्त हर एक की यही चेष्टा होती थी कि ज्यादा से ज्यादा बोझ उसकी ही गर्दन पर रहे |
• नाँद में खली, भूसा, चोकर और दाना पड़ जाने के बाद दोनों एक साथ ही नाँद में मुँह डालते और साथ में ही बैठते थे | एक के मुँह हटा लेने पर दूसरा भी हटा लेता था |
• जब मटर के खेत से पकड़कर ले जाने के लिए दोनों को घेर लिया गया, तब हीरा बचकर निकल गया था | किन्तु, मोती के पकड़े जाने पर वह भी बंधक बनने के लिए तैयार हो गया |
• कांजीहौस की दीवार टूटने पर जब रस्सियों से बंधा हीरा भागने से मना कर दिया, तो अवसर होने पर भी मोती उसे छोड़कर नहीं भागा |
प्रश्न-4 ‘लेकिन औरत जात पर सींग चलाना मना है, यह भूल जाते हो |’ -- हीरा के इस कथन के माध्यम से स्त्री के प्रति प्रेमचंद के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए |
उत्तर- ‘लेकिन औरत जात पर सींग चलाना मना है, यह भूल जाते हो |’ -- हीरा के इस कथन के माध्यम से स्त्री के प्रति प्रेमचंद के दृष्टिकोण सकारात्मक और सम्मान से भरा हुआ है | प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं में भी स्त्रीयों को सर्वोपरि और पूजनीय स्थान देकर स्त्री पात्र का आदर्श रूप प्रस्तुत किया है | अत: इस बात से स्पष्ट हो जाता है कि प्रेमचंद के मन में नारी जाति के प्रति सम्मान की भावना थी |
प्रश्न-5 ‘इतना तो हो ही गया कि नौ दस प्राणियों की जान बच गई | वे सब तो आशीर्वाद देंगें’ --- मोती के इस कथन के आलोक में उसकी विशेषताएँ बताइए |
उत्तर- ‘इतना तो हो ही गया कि नौ दस प्राणियों की जान बच गई | वे सब तो आशीर्वाद देंगें’ --- मोती के इस कथन के आलोक में उसकी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं ---
• मोती को इस बात पर पूर्ण निष्ठा था कि 'अच्छे कर्म का अच्छा फल ही मिलता है' |
• वह आशावादी प्रवृत्ति का था | क्योंकि उसे यह विश्वास था कि वह इस कैद से मुक्त हो सकता है |
• वह जरा भी स्वार्थी नहीं था | स्वयं भागने के बजाए उसने सबसे पहले दूसरे मवेशियों को भगाया |
• वह साहस और सकारात्मकता से भरा था |
प्रश्न-6 उस एक रोटी से उनकी भूख तो क्या शांत होती; पर दोनों के हृदय को मानो भोजन मिल गया | आशय स्पष्ट कीजिए |
उत्तर- दिन भर दोनों बैलों के काम करने के बाद भी उन्हें भूखा रहना पड़ता था | पर ज्यों ही उस छोटी सी लड़की द्वारा प्रेम से एक रोटी दी जाती थी, उनका रोम-रोम खिल उठता था | एक रोटी से उनकी भूख तो नहीं मिटती थी, परन्तु दोनों के हृदय को संतुष्टि अवश्य मिल जाती थी | यहाँ मनुष्य और पशुओं के आत्मीय सम्बन्धों को व्यक्त किया गया है | हीरा और मोती को उस छोटी सी लड़की से आत्मीय लगाव हो गया था |
प्रश्न-7 हीरा और मोती ने शोषण के खिलाफ़ आवाज़ उठाई लेकिन उसके लिए प्रताड़ना भी सही | हीरा-मोती की इस प्रतिक्रिया पर तर्क सहित अपने विचार प्रकट करें |
उत्तर- हीरा और मोती अपने साथ हुए शोषणों के खिलाफ निरन्तर लड़ते रहे | परिणामस्वरूप, उन्हें प्रताड़ना भी सहन करना पड़ा | अपने मालिक झूरी के प्रति उनका प्रेम अत्यधिक था | दोनों गया के साथ जाना नहीं चाहते थे | परन्तु, मालिक की खुशी के लिए वे गया के साथ जाने को तैयार हो जाते हैं | गया का व्यवहार हीरा और मोती के प्रति ठीक नहीं था | वह उन्हें दिनभर भूखा रखकर पूरा काम करवाता था | ऊपर से उनपर लाठी भी बरसाता था | पशुओं के प्रति मनुष्य का यह व्यवहार न्यायोचित नहीं है | जब हीरा और मोती से रहा नहीं गया, तो वे विद्रोही बन गए | ऐसा होना भी स्वाभाविक था | आखिर, सहनशक्ति की भी एक सीमा होती है | स्वतंत्रता हर किसी को प्यारी है | अंतत: दोनों बैलों ने रास्ते में आए हर कष्टों का दृढ़तापूर्वक सामना करके ये बता दिया कि 'हार न मानना ही सबसे बड़ी जीत है' |
प्रश्न-8 क्या आपको लगता है कि यह कहानी आज़ादी की लड़ाई की ओर भी संकेत करती है ?
उत्तर- जी हाँ, यह कहानी आज़ादी की लड़ाई की ओर भी संकेत करती है | किसी भी जीव को पराधीनता स्वीकार नहीं होती | फिर चाहे वह पशु हो या मनुष्य | चुँकि, प्रेमचंद स्वतंत्रता पूर्व लेखक रहे हैं | इसलिए इनकी रचनाओं में भी स्वतंत्रता प्राप्ति की गुहार तथा शोषणों के विरुद्ध संघर्ष दिखाई देता है | प्रस्तुत कहानी से भी यही वेदना प्रस्फुटित होती है |
प्रेमचंद ने साहित्य को माध्यम बनाकर, अंग्रेज़ों द्वारा भारतीयों पर किए गए अत्याचारों को व्यक्त किया है | इस कहानी में उन्होंने यह भी कहा है कि स्वतंत्रता सहज ही नहीं मिलती, बल्कि इसके लिए निरंतर संघर्ष करना पड़ता है | जिस प्रकार अंग्रेजों के अत्याचार से पीड़ित मनुष्यों का धैर्य टूट गया था और जिसकी परिणति स्वतंत्रता संग्राम में हुई थी | तत्पश्चात्, लम्बे संघर्ष के बाद हम आजाद हए थे | ठीक उसी प्रकार, बैलों का गया के प्रति आक्रोश भी संघर्ष के रूप में भड़क उठा था |
दो बैलों की कथा पाठ का शब्दार्थ
• परले दरजे का - जो पूरी तरह से हो, मुकम्मल, शुद्ध रूप से
• सहिष्णुता - सहनशीलता
• निरापद – बिना संकट के, आपत्तिरहित
• पछाई – पालतू पशुओं की एक नस्ल या प्रकार
• गोईं – जोड़ी
• कुलेल – क्रीड़ा
• विषाद – उदासी
• पराकाष्ठा – अंतिम सीमा, चरमोत्कर्ष
• बेवकूफ़ - मूर्ख
• पगहिया – पशु बाँधने की रस्सी
• गराँव – फंदेदार रस्सी जो बैल आदि के गले में पहनाई जाती है
• मजबूत - ठोस, कठोर
• टिटकार – मुँह से निकलने वाला टिक-टिक का शब्द
• मसहलत – हितकर, भलाई के लिए सलाह
• मनोहर - मन को जीतने वाला
• रगेदना – खदेड़ना, भगाना
• साबिका – वास्ता, सरोकार, जान-पहचान,मुलाकात
• नमकहराम - किसी के वफ़ादारी के बदले उसे धोखा देना
• काँजीहौस – मवेशी खाना
• रेवड़ – पशुओं का झुंड
• तिरस्कार - अपमान, अनादर, अवज्ञा
• थान – पशुओं की बाँधे जाने की ज़गह
• उछाह – उत्सव/आनंद
• व्याकुल - बेचैन, परेशान
• कांजीहौस - कांजीहौस में ऐसे पशुओं को कैद करके रखा जाता है, जो खेती को नुकसान पहुँचाते हैं तथा बेवजह धर-उधर चरते रहते हैं |
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