ल्हासा की ओर राहुल सांकृत्यायन

SHARE:

ल्हासा की ओर राहुल सांकृत्यायन ल्हासा की ओर राहुल सांकृत्यायन ल्हासा की ओर सारांश ल्हासा की ओर पूरा पाठ ल्हासा की ओर पाठ योजना lhasa ki aur short summary in hindi lhasa ki aur lhasa ki aur chapter lhasa ki aur extra question answers lhasa ki aur class 9 lhasa ki or lhasa ki aur mcq ल्हासा की ओर पाठ के शब्दार्थ ल्हासा की ओर पाठ ल्हासा की ओर ल्हासा की ओर प्रश्न उत्तर ल्हासा की ओर पाठ का

ल्हासा की ओर राहुल सांकृत्यायन 


ल्हासा की ओर राहुल सांकृत्यायन lhasa ki aur class 9 ncert solutions ल्हासा की ओर सारांश ल्हासा की ओर पूरा पाठ ल्हासा की ओर पाठ योजना lhasa ki aur short summary in hindi lhasa ki aur lhasa ki aur  chapter lhasa ki aur extra question answers lhasa ki aur class 9 lhasa ki or lhasa ki aur mcq ल्हासा की ओर पाठ के शब्दार्थ ल्हासा की ओर पाठ ल्हासा की ओर ल्हासा की ओर प्रश्न उत्तर ल्हासा की ओर पाठ का 


ल्हासा की ओर पाठ का सारांश 

ल्हासा की ओर  पाठ या यात्रा-वृत्तांत लेखक राहुल सांकृत्यायन जी के द्वारा लिखित है | लेखक सन् 1929-30 ई. में नेपाल के रास्ते 'तिब्बत' की यात्रा पर गए थे | उस समय भारत के लोगों को तिब्बत यात्रा की अनुमति नहीं थी | इसलिए लेखक को यह यात्रा एक भिखमंगे के वेश में करना पड़ा था | इस यात्रा-वृत्तांत में तिब्बत की राजधानी 'ल्हासा' की ओर जाने वाले दुर्गम रास्तों का वर्णन किया गया है | राहुल सांकृत्यायन जी के इस यात्रा-वृत्तांत के द्वारा हमें तत्कालीन तिब्बती समाज के बारे में भी जानकारी मिलती है | प्रस्तुत यात्रा-वृत्तांत के अनुसार, लेखक जिस रास्ते की बात कर रहे हैं, वह नेपाल से तिब्बत जाने का मुख्य रास्ता है | फरी-कलिङ्पोङ् का रास्ता जब अस्तित्व में नहीं आया था, तब सिर्फ नेपाल की ही नहीं, बल्कि हिन्दुस्तान की भी चीज़ें इसी रास्ते से तिब्बत जाया करती थीं | यह व्यापारिक रास्ता होने के साथ-साथ सैनिक रास्ता भी था | इसलिए जगह-जगह पर फौजी चौकियाँ बनी हुई थीं | तिब्बत में यात्रियों के लिए कुछ कष्ट भी है और कुछ आराम भी | वहाँ न जाति-पाँति पाई जाती है, न छुआछूत की कोई भावना है और न ही वहाँ की महिलाएँ परदा करती हैं | चोरी के डर से एकदम निम्न श्रेणी के भिखमंगो को कोई अपने घर में घुसने नहीं देता, वरना आप अपरिचित होने पर भी किसी के भी घर के अंदर प्रवेश कर सकते हैं और जरूरत पड़ने पर अपनी झोली से चाय निकाल कर दे सकते हैं, घर की बहु या सास उसे आपके लिए पका देगीं | 

इस यात्रा-वृत्तांत में आगे लेखक के अनुसार, परित्यक्त चीनी किले से जब वे आगे बढ़े तो एक आदमी राहदारी
ल्हासा की ओर
माँगने के उद्देश्य से आया | लेखक ने दोनों चिटें उसे दे दिया | तत्पश्चात्, वे थोङ्ला के पहले के अंतिम गाँव में पहुँच गए | उस गाँव में सुमति (जो लेखक का दोस्त था) के परिचित लोग रहते थे, जिस वजह से उन्हें ठहरने को अच्छी जगह मिल गई थी | पांच वर्ष पश्चात् जब वे लोग पुनः इसी रास्ते से लौटे थे, तब वे भिखमंगे के वेश में नहीं, बल्कि एक भद्र (सभ्य और सुशिक्षित) यात्री के रूप में घोड़े पर सवार होकर लौटे थे | किन्तु, गाँव में किसी ने उन्हें रहने के लिए कोई जगह नहीं दी थी | उन्हें गाँव के किसी गरीब झोपड़ी में रुकना पड़ा था | दूसरे दिन लेखक और उनके दोस्त सुमति को डाँड़ा थोङ्‍ला पार करना था | लेखक के अनुसार, तिब्बत में डाँड़े खतरनाक जगहें होती हैं | सोलह-सत्रह हजार फीट की ऊँचाई होने के कारण दोनों तरफ गाँवों का अस्तित्व ही नहीं दिखाई देता | यह डाकूओं के लिए छिपने का सबसे अच्छा स्थान है | वहाँ डाकूओं को कोई पकड़ भी नहीं पाता | डकैत सबसे पहले हाथ लगे लोगों को मार डालते हैं | तत्पश्चात्, यह देखते हैं कि संबंधित व्यक्ति के पास कुछ पैसे आदि हैं कि नहीं | वहाँ हथियार का कोई कानून ही नहीं था, जिसके कारण लोग लाठियों के स्थान पर पिस्तौल और बंदूक लिए घूमते रहते थे |

लेखक को डाकूओं से भय नहीं था, क्योंकि वे लोग भिखारी के वेश में थे | जहाँ कहीं उन्हें डाकू या वैसी सूरत होने का आभास होता था, वे लोग तुरन्त भीख माँगना आरम्भ कर देते थे | लेखक और उनके साथी सुमति का अगला लक्ष्य 'लङ्कोर' था, जो लगभग 16-17 मील का था | लेखक ने अपने मित्र सुमति से कहा कि लङ्कोर के लिए दो घोड़े कर लेते हैं | सामान भी रख लेंगे और चढ़े भी चलेंगे | दूसरे दिन दोनों घोड़े की सवारी करके डाँडे़ की ओर चले गए और वहाँ दोपहर तक पहुँच गए थे | वे जब डाँड़े पर पहुँचे, तो समुद्रतल से लगभग 17-18 हजार फिट की ऊँचाई पर थे | वहाँ उन्हें बिना किसी बर्फ और हरियाली के नंगे पहाड़ दिखे | डाँड़े के सबसे ऊँचे स्थान पर वहाँ के देवता का स्थान था, जो पत्थरों के ढेर, जानवरों की सींगों और रंग-बिरंगे कपड़े की झंडियों से उसे सजाया गया था | 

वापस उतरते समय लेखक का घोड़ा सुस्त होकर धीमा चलने लगा, जिसके कारण लेखक अपने दोस्त सुमति से थोड़ा पीछे हो गए थे | आगे आने पर लेखक को दो रास्ते दिखाई दिए | वे बाएँ की ओर डेढ़ मील आगे चल दिए | बाद में किसी घर में पूछने पर पता चला कि लङ्कोर का रास्ता दाएँ वाला था | वे फिर डेढ़ मील वापस लौटकर सही रास्ता पकड़े, जिससे लेखक को देर हो गयी | लेखक को सुमति गुस्से में मिले तथा उसने लेखक को संबोधित करते हुए कहा --- " मैंने दो टोकरी कंडे फूँक डाले, तीन-तीन बार चाय को गरम किया | परन्तु, लेखक के द्वारा कारण बताए जाने पर सुमति का गुस्सा ठंडा हो गया और वे लङ्कोर में एक अच्छी जगह पर ठहर गए | यहाँ भी उनके अच्छे शुभचिंतक मिले थे | दोनों ने पहले चाय-सत्तू खाया, फिर उन्हें रात को गरमागरम थुक्पा मिला | 

लेखक के अनुसार, दूसरे दिन वे तिङरे के विशाल मैदान में थे, जो की पहाड़ों से घिरा टापू सा दिखाई देता था | इस टापू में दूर एक छोटी सी पहाड़ी मैदान के भीतर दिखाई पड़ती थी | उसी पहाड़ी का नाम 'तिङरी-समाधि-गिरि' था | वहाँ भी आसपास के गाँवों में सुमति के बहुत पहचान वाले थे, सुमति ने अपने परिचितों से जाकर मिलने की इच्छा प्रकट की, तो लेखक ने उसे मना कर दिया और ल्हासा पहुंचकर पैसे देने का वादा कर लिया, जिसे सुमति ने भी स्वीकार कर लिया | तत्पश्चात्, दोनों ने आगे बढ़ना आरम्भ किया | वे सुबह जल्दी चलना शुरू नहीं किए थे, इसीलिए उन्हें कड़ी धूप में चलना पड़ रहा था | वे अपने-अपने सामान पीठ पर लादकर, हाथ में डंडा लिए चल रहे थे | सुमति एक और यजमान से मिलना चाहते थे, जिसके लिए वे बहाना करके लेखक को शेकर विहार की ओर चलने को कहा | लेखक के अनुसार, तिब्बत की भूमि छोटे-बड़े जागीरदारों में बँटी है | इन जागीरों का बड़ा हिस्सा मठों (विहारों) के हाथों में है | अपनी-अपनी जागीर में प्रत्येक जागीरदार कुछ खेती स्वयं भी करता है, जिस काम के लिए मजदूर उन्हें बेगार में मिल जाया करते हैं | खेती का प्रबंध देखने के लिए वहाँ कोई भिक्षु भेजा जाता है, जो जागीर के आदमियों के लिए किसी राजा से कम नहीं होता | 

शेकर की खेती के मुखिया भिक्षु (नम्से) एक भद्र व्यक्ति थे | वे लेखक से बड़े प्रेम से मिले | वहाँ पर एक अच्छा और नामी मंदिर था, जिसमें कन्जुर (बुद्धवचन-अनुवाद) की हस्तलिखित 103 पोथियाँ रखी थीं | लेखक का आसन भी वहीं पर था | लेखक उसे पढ़ने में मग्न हो गए थे, तभी सुमति ने आसपास अपने परिचितों से मिलकर आने के लिए लेखक से पूछा, जिसे लेखक ने स्वीकार कर लिया था | लेखक अपने मन में सोच रहे थे कि सुमति को लौटने में दो-तीन दिन का समय लग जाएगा, परन्तु वे दोपहर तक वापस आ गए थे | तिङरी गाँव वहाँ से दूर नहीं था | तत्पश्चात्, दोनों ने अपना-अपना सामान पीठ पर उठाया और भिक्षु नम्से से विदाई लेकर चल पड़े...|| 



ल्हासा की ओर पाठ के प्रश्न उत्तर 


प्रश्न-1 थोङ्‌ला के पहले के आखिरी गाँव पहुँचने पर भिखमंगे के वेश में होने के बावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला जबकि दूसरी यात्रा के समय भद्र वेश भी उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका | क्यों ? 

उत्तर- थोङ्‌ला के पहले के आखिरी गाँव पहुँचने पर भिखमंगे के वेश में होने के बावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान इसलिए मिल गया था, क्योंकि लेखक के साथी सुमति का उस गाँव में लोगों से परिचय था | 

जबकि दूसरी यात्रा के समय भद्र वेश भी उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका क्योंकि जब वे लोग गाँव पहुँचे थे, तब शाम हो चुकी थी और बहुत सी बातें, अधिकतर लोगों की तत्कालीन मनोवृत्ति पर भी निर्भर करती हैं | खासकर शाम के समय छङ् पीकर बहुत कम लोग अपने होश-हवास को ठीक रख पाते हैं | 

प्रश्न-2 उस समय के तिब्बत में हथियार का कानून न रहने के कारण यात्रियों को किस प्रकार का भय बना रहता था ? 

उत्तर- उस समय के तिब्बत में हथियार का कानून न रहने के कारण यात्रियों को डाकूओं के हाथों मारे जाने का भय बना रहता था | 

प्रश्न-3 लेखक ने शेकर विहार में सुमति को उनके यजमानों के पास जाने से रोका, परंतु दूसरी बार रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया ? 

उत्तर- लेखक ने शेकर विहार में सुमति को उनके यजमानों के पास जाने से रोका, परंतु दूसरी बार रोकने का प्रयास इसलिए नहीं किया, क्योंकि वहाँ पर एक अच्छा और नामी मंदिर था, जिसमें कन्जुर (बुद्धवचन-अनुवाद) की हस्तलिखित 103 पोथियाँ रखी थीं | लेखक का आसन भी वहीं पर था | लेखक उसे पढ़ने में मग्न हो गए थे | 

प्रश्न-4 अपनी यात्रा के दौरान लेखक को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा ? 

उत्तर-अपनी यात्रा के दौरान लेखक को निम्नलिखित कठिनाइयों का सामना करना पड़ा --- 

• भारत के लोगों को तिब्बत यात्रा की अनुमति नहीं थी,   जिसके कारण लेखक को यह यात्रा एक भिखमंगे के 
  वेश में करना पड़ा था |

• 'डाँड़ा थोङ्‍ला' जैसी ख़तरनाक जगह को पार करना   पड़ा, जिसकी ऊँचाई लगभग 16-17 हजार फिट थी |   साथ में खूनी डाकूओं का भी खतरा था | 

• लङ्कोर से वापस लौटते समय लेखक रास्ता भटक  गए थे | 

प्रश्न-5 सुमति के यजमान और अन्य परिचित लोग लगभग हर गाँव में मिले | इस आधार पर आप सुमति के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का चित्रण कर सकते हैं ? 

उत्तर- सुमति के यजमान और अन्य परिचित लोग लगभग हर गाँव में मिले | इस आधार पर सुमति के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताओं का चित्रण किया जा सकता है --- 

• सुमति का व्यक्तित्व बहुत समृद्ध था | 
• वे मित्रतापूर्ण व्यवहार के धनी थे | 
• वे स्वभाव से अच्छे थे | 
• पृथक-पृथक स्थानों पर विचरण करना उन्हें बहुत   पसंद था | 
• सुमति का तिब्बत के प्रत्येक गाँव में परिचय वाले थे | इससे ज्ञात होता है कि वे अनेक बार तिब्बत आ चुके 
  थे | 

प्रश्न-6 लेखक लङ्‌कोर के मार्ग में अपने साथियों से किस कारण पिछड़ गया ? 

उत्तर- लङ्‌कोर से वापस उतरते समय लेखक का घोड़ा सुस्त होकर धीमा चलने लगा था तथा लेखक बाद में रास्ता भी भटक गए थे, जिसके कारण लेखक अपने साथियों से पिछड़ गए | 

प्रश्न-7 किसी भी बात को अनेक प्रकार से कहा जा सकता है, जैसे --- 

सुबह होने से पहले हम गाँव में थे | 

पौ फटने वाली थी कि हम गाँव में थे | 

तारों की छाँव रहते-रहते हम गाँव पहुँच गए | 

नीचे दिए गए वाक्य को अलग-अलग तरीके से लिखिए --- 

‘जान नहीं पड़ता था कि घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे |'

उत्तर - इस प्रकार कहा जा सकता है - 

• मालूम नहीं पड़ता था कि घोड़ा आगे है या पीछे | 

• समझ में नहीं आता था कि घोड़ा मेरे आगे जा रहा है   या पीछे | 

• घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे समझ से परे था | 

प्रश्न-8 पाठ में कागज़, अक्षर, मैदान के आगे क्रमश: मोटे, अच्छे और विशाल शब्दों का प्रयोग हुआ है | इन शब्दों से उनकी विशेषता उभर कर आती है | पाठ में से कुछ ऐसे ही और शब्द छाँटिए जो किसी की विशेषता बता रहे हों | 

उत्तर-  कुछ शब्द निम्नलिखित हैं - 

• टोंटीदार बर्तन 
• खुफ़िया विभाग
• अच्छी जगह 
• बहुत दूर 
• रंग-बिरंगे कपड़े 
• श्वेत शिखर
• अच्छे यजमान 
• छोटी-सी पहाड़ी 
• बरफ़ की सफ़ेदी
• भद्र पुरूष 
• अच्छा मंदिर 



ल्हासा की ओर पाठ के शब्दार्थ 


• पलटन -         सैनिक दल, फौज 
• परित्यक्त -       उपेक्षित भाव से छोड़ा हुआ 
• तकलीफ़ -       कष्ट 
• दुरुस्त -          ठीक 
• खुफ़िया -        गुप्त 
• डाँडा -           उँची जमीन
• थोङ्‍ला -        तिब्बती सीमा का एक स्थान
• भीटे -            टीले के आकार सा उँचा स्थान
• कंडे -            गाय-भैंस के गोबर से बने उपले, जिसे ईंधन के काम में लाया जाता है
• थुक्पा -          सत्तू या चावल के साथ मूली,हड्डी और  माँस के साथ पतली लेइ के तरह पकाया गया खाद्य-पदार्थ
• कसूर -           गलती, दोष, अपराध 
• हस्तलिखित -   हाथ से लिखा हुआ 
• पोथियाँ -         पुस्तकें 
• गंडा -             मंत्र पढ़कर गाँठ लगाया हुआ धागा या कपड़ा
• चिरी -            फाड़ी हुई 
• भरिया -          भारवाहक | 


COMMENTS

Leave a Reply: 1
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,37,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,4,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,5,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,7,कविता,1478,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,40,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,3,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,6,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,35,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,77,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,7,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,12,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,4,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,202,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,141,प्रयोजनमूलक हिंदी,38,प्रेमचंद,50,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,88,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,9,भक्ति साहित्य,143,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,18,भीष्म साहनी,9,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,10,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,3,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,8,मोहन राकेश,16,यशपाल,19,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,125,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,8,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,3,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,8,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,57,शैलेश मटियानी,3,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,4,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,34,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,44,समसामयिक हिंदी लेख,270,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,22,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,87,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,438,हिंदी लेख,536,हिंदी व्यंग्य लेख,14,हिंदी समाचार,186,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aapka-banti-mannu-bhandari,6,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,divya-upanyas-yashpal,5,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,12,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,20,hindi essay,430,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,682,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,77,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,23,kavyagat-visheshta,26,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,12,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,raag-darbari-shrilal-shukla,8,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,sponsored news,10,suraj-ka-satvan-ghoda-dharmveer-bharti,6,Syllabus,7,tamas-upanyas-bhisham-sahni,4,top-classic-hindi-stories,59,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: ल्हासा की ओर राहुल सांकृत्यायन
ल्हासा की ओर राहुल सांकृत्यायन
ल्हासा की ओर राहुल सांकृत्यायन ल्हासा की ओर राहुल सांकृत्यायन ल्हासा की ओर सारांश ल्हासा की ओर पूरा पाठ ल्हासा की ओर पाठ योजना lhasa ki aur short summary in hindi lhasa ki aur lhasa ki aur chapter lhasa ki aur extra question answers lhasa ki aur class 9 lhasa ki or lhasa ki aur mcq ल्हासा की ओर पाठ के शब्दार्थ ल्हासा की ओर पाठ ल्हासा की ओर ल्हासा की ओर प्रश्न उत्तर ल्हासा की ओर पाठ का
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj7wXLrIENV6AaQOOp9T0upEgQCiYUjGbHKDTSKgxTivXVEbRx_Pk5OA9C8YpwHlPfoQsUSjCPebTdpJKtvrFyCWvArsOu2eMtfLkA5cBeWPJVp-Ju9QalBVm-0gGxJOQMVhsl6yLXNtvxr/s320/%25E0%25A4%25B2%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25B9%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BE+%25E0%25A4%2595%25E0%25A5%2580+%25E0%25A4%2593%25E0%25A4%25B0+.png
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj7wXLrIENV6AaQOOp9T0upEgQCiYUjGbHKDTSKgxTivXVEbRx_Pk5OA9C8YpwHlPfoQsUSjCPebTdpJKtvrFyCWvArsOu2eMtfLkA5cBeWPJVp-Ju9QalBVm-0gGxJOQMVhsl6yLXNtvxr/s72-c/%25E0%25A4%25B2%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25B9%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BE+%25E0%25A4%2595%25E0%25A5%2580+%25E0%25A4%2593%25E0%25A4%25B0+.png
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2020/07/lhasa-ki-aur-class-9-ncert-solutions.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2020/07/lhasa-ki-aur-class-9-ncert-solutions.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका