चार दशकों पूर्व तक नाटक के क्षेत्र में कार्य कर रहे थे। उन्हें कोई मंच नहीं मिलने के कारण वे अपनी कला का प्रदर्शन ग्रामीण स्तर तक ही सीमित रखे थे। उसके बाद गाँवों में नाटकों का प्रचलन धीरे-धीरे बंद होने लगा। पहले दशहरा और छठ के अवसर पर प्रतिवर्ष गाँवों में नाटकों का आयोजन होता रहा है। संप्रति इंटरनेट और अन्य सोशल मीडिया के आने के बाद नाटकों के आयोजन के साथ-साथ अन्य ग्रामीण खेल-कूद भी बंद होने लगे हैं।
नाट्य कार्यशाला का आयोजन
संगीत नाटक अकादेमी, नई दिल्ली के सहयोग से डॉ. अकेलाभाइ प्रोग्रेसिव फाउंडेशन, छाप (गोपालगंज) द्वारा सिसई स्थित मॉडर्न पब्लिक स्कूल में हिंदी नाट्य कार्यशाला का आयोजन दिनांक 24 फ़रवरी से 9 मार्च तक फाउंडेशन के कार्यक्रम निदेशक श्री जान मुहम्मद के संयोजन में सफल आयोजन किया गया। इस कार्यशाला के दौरान रंगमंच का इतिहास, वाचिक परंपरा, नाटक की उपयोगिता, रोजगार के अवसर, अभिनय, संवाद, लेखन, स्मरण शक्ति का प्रयोग, मंच व्यवस्था, रेडियो नाटक आदि विषयों पर श्री जान मुहम्मद, गियासद्दीन अंसारी, विकास सिंह कुशवाहा और नियाजुद्दिन सिद्दिकी ने गहन रूप से विद्यार्थियों को समझाया।
इस कार्यशाला में रिजवान आलम, नवाज शरीफ, अशोक कुमार सिंह, श्रीनिवास सिंह, शाजिया परवीन, नाजिया
नाट्य कार्यशाला का आयोजन |
कार्यक्रम निदेशक श्री जान मुहम्मद ने इस संवाददाता को बताया कि फाउंडेशन के सदस्य विगत चार दशकों पूर्व तक नाटक के क्षेत्र में कार्य कर रहे थे। उन्हें कोई मंच नहीं मिलने के कारण वे अपनी कला का प्रदर्शन ग्रामीण स्तर तक ही सीमित रखे थे। उसके बाद गाँवों में नाटकों का प्रचलन धीरे-धीरे बंद होने लगा। पहले दशहरा और छठ के अवसर पर प्रतिवर्ष गाँवों में नाटकों का आयोजन होता रहा है। संप्रति इंटरनेट और अन्य सोशल मीडिया के आने के बाद नाटकों के आयोजन के साथ-साथ अन्य ग्रामीण खेल-कूद भी बंद होने लगे हैं। फाउंडेशन की स्थापना से उन्हें एक मंच मिला है और वे इस मंच के माध्यम से अपनी कला का विकास राज्य और देश स्तर पर करेंगे। श्री जान मुहम्मद ने फाउंडेशन के उद्देश्यों की चर्चा करते हुए बताया कि यह फाउंडेशन ग्रामीण क्षेत्र के नए और रुचि वान कलाकारों की प्रतिभा के विकास के लिए कार्य करेगा।
बातचीत के दौरान श्री जान मुहम्मद ने बताया कि इस कार्यशाला के बाद एक नाटक के मंचन के लिए अभ्यास भी एक सप्ताह तक कराया गया और नाटक वापसी का मंचन विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर दिनांक 29 मार्च को होना निश्चित हुआ था पर कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण उस नाटक के मंचन को स्थगित कर दिया गया। जैसे ही स्थिति सामान्य हो जाएगी स कार्यशाला में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को फिर से बुलाया जाएगा और नाटक वापसी का मंचन फाउंडेशन के परिसर में ही किया जाएगा।
इस कार्यशाला के दौरान शिक्षक गियासद्दीन ने अभिनय और नियाजुद्दिन सिदिकी ने वेशभूषा के महत्व पर प्रकाश डाला जबकि जान मुहम्मद जी नाटक के हर पहलुओं पर विस्तृत रूप से बताया। उन्होंने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि इस क्षेत्र में उभरते कलाकारों की कमी नहीं है। पहली बात तो यह है कि यहाँ के अभिभावक स सब विषयों से अनभिज्ञ हैं। वे अपने बच्चों को रोज़गारोन्मुख शिक्षा देना चाहते हैं। उनका कहना है कि नाटक सीख कर पेट कैसे भरा जा सकता है। लेकिन जब वे भी कुछ दिनों के लिए इस कार्यशाला में शामिल हुए और विषयों को जाना तब उनकी भ्रांति दूर हो गई। इस कार्यशाला का आयोजन शाम के समय विद्यालय की पढ़ाई समाप्त होने के बाद की जाती रही। इससे छात्रों और अभिभावकों को अधिक परेशानी नहीं हुई।
श्री जान मुहम्मद जी बताया कि फाउंडेशन द्वारा समय-समय पर अन्य खेल-कूद और ग्रामीण विकास के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहे हैं। इस फाउंडेशन की स्थापना से इस क्षेत्र के लोगों में विश्वास जगा है कि इस संस्था से उनके बच्चों का मार्गदर्शन होगा। छाप पंचायत की तरफ से एक हैंडपम्प फाउंडेशन के परिसर में पानी की सुविधा के लिए प्रदान किया गया है जिससे इस परिसर में आने वालों को पानी के लिए नहीं सोचना पड़ता है। जान मुहम्मद जी ने इस छाप पंचायत के मुखिया श्री हीरालाल सिंह को फाउंडेशन की ओर से धन्यवाद और आभार व्यक्त किया। इसके साथ ही श्री राकेश मांझी, रिजवान अली, आरजू अंसारी, विकास कुमार, कलीम हवारी, संजय सिंह विकास सिंह आदि सदस्यों को धन्यवाद दिया। इस कार्यशाला का समापन राष्ट्र-गीत की प्रस्तुति के साथ हुआ।
*********
COMMENTS