दूध का दाम कहानी प्रेमचंद

SHARE:

दूध का दाम प्रेमचंद दूध का दाम सारांश दूध का दाम कहानी का उद्देश्य Summary of doodh ka daam story by premchand दूध का दाम कहानी का सार बताते हुए इसका उद्देश्य स्पष्ट कीजिए दूध का दाम कहानी का सार बताते हुए उसका उद्देश्य स्पष्ट कीजिए दूध का दाम किसकी रचना है Doodh Ka Daam by Munshi Premchand oodh ka daam premchand summary in hindi doodh ka daam premchand pdf dudh ka daam premchand summary doodh ka daam summary in english doodh ka daam question answer in hindi दूध का दाम प्रेमचंद दूध का दाम कहानी का सारांश

दूध का दाम कहानी प्रेमचंद



दूध का दाम प्रेमचंद दूध का दाम सारांश दूध का दाम कहानी का उद्देश्य Summary of doodh ka daam story by premchand दूध का दाम कहानी का सार बताते हुए इसका उद्देश्य स्पष्ट कीजिए दूध का दाम कहानी का सार बताते हुए उसका उद्देश्य स्पष्ट कीजिए दूध का दाम किसकी रचना है Doodh Ka Daam by Munshi Premchand doodh ka daam premchand summary in hindi doodh ka daam premchand pdf dudh ka daam premchand summary doodh ka daam summary in english doodh ka daam question answer in hindi दूध का दाम प्रेमचंद

                  

दूध का दाम कहानी का सारांश  

प्रस्तुत पाठ अथवा कहानी दूध का दाम लेखक प्रेमचंद जी के द्वारा लिखित है | इस कथा के माध्यम से प्रेमचंद ने गांव में बच्चों के जन्म के समय होने वाली समस्याओं के बारे में बताया है। लेखक कहते हैं कि बड़े शहरों में दाई, नर्स, स्री डॉक्टर आसानी से मिल जाते हैं पर‌‌ गांव में ज‌च्चेखानों पर आज भी भंगिनो (मेहतर की पत्नी) का ही  सर्वस्व  ‌है। और उन्हें आने वाले भविष्य में इसमें किसी प्रकार के परिवर्तन की सम्भावना भी नजर नहीं आती। बाबू महेशनाथ अपने गांव के एक पढ़े‌- लिखे शिक्षीत इंसान थे और वे ज‌च्चेखानों में सुधार को‌ जरूरी ‌समझते थे। पर इस रास्ते में ‌बहुत सी बाधाएं ‌थी, जिस पर वे कैसे विजय प्राप्त करते हैं, लेखक ने बताया है।

कोई भी नर्स गांव जाने को तैयार नहीं होती थी , अगर बहुत मिन्नतें करने के बाद तैयार होती भी तो इतना अधिक फीस मांग ‌लेती की बाबू साहब को सिर झुकाकर आना पड़ता। लेडी डॉक्टर के पास जाने की उनमें शक्ति न थी, उनकी फीस ही इतनी अधिक थी कि उनको उसे पूरा करने के लिए अपनी आधी जायदाद ही बेचनी पड़ जाती। तीन लड़कियों के बाद जब चौथा लड़का हुआ तो वहां गुदड़ और गुदड़ की बहू ही थी। बच्चे अक्सर रात को ही पैदा हुआ करते हैं। एक दिन आधी रात में चपरासी ने गुर्जर के घर पर ऐसी आवाज लगाई के आस पड़ोस के सारे लोग जाग गए। आखि़र कार वह एक लड़की तो था नहीं कि वह धीमी आवाज में बुलाता ।

प्रेमचंद
इस शुभ अवसर के लिए महीनों पहले से तैयारियां की जा रही थी उन्हें इस बात का भय सता रहा था कि कहीं फिर से इस बार बेटी ना हो जाए। इस बात को लेकर कई बार पति पत्नी में झगड़े भी हुए, गुदड़ के पत्नी हमेशा कहा करती थी, अगर बेटा ना हुआ तो मैं तुम्हें अपनी शक्ल ना दिखाऊंगी और गुदड़ कहा कहता था कि देख लेना बेटी ही होगी, अगर बेटा हुआ तो अपने मूंछ मूड़ा लूंगा। गुदड़ समझता था कि इस तरह वह अपनी पत्नी के मन में पुत्र कामना को बढ़ा रहा है। 

भूंगी कहती है- मूंछे मूडा़ लो,मैं कहती ‌थी ना‌, लड़का ही होगा। मैं खुद ही तेरी मूछ मूड़ूंगी, थोड़ा सा भी नहीं छोडूंगी। 
गूदड़ कहता है- अच्छा बाबा मूड़ लेना, भोंगी ने तीन महीने के बालक को गूदड़ को दिया और सिपाही के साथ जाने लगी ।
गूदड़ ने पुकारा- कहां भागी चली! मुझे भी बधाई देने जाना है, इसे कौन संभालेगा?
भोगी कहती है इसे वहीं जमीन पर सुला देना मैं आकर इसे दूध पिला दूंगी। 

लेखक कहते हैं कि महेश नाथ के यहां‌ भूंगी की बहुत ख़ातिरदारीयां होने लगी। सुबह को‌‌ पिस्ता बदाम, दोपहर में हलवा पूरी और रात को भी खाने को मिलता था। ढोंगी अपने बच्चों को सुबह से रात तक में एक दो बार से ज्यादा बार दूध नहीं पिला सकती थी, उनके लिए वह बाहर का दुध मंगवाती थी। भूंगी का दुध  बाबू साहब का भाग्यवान पुत्र पीता था। मालकिन मोटी ताजी स्त्री थी, मगर इस बार दुध हुआ ही नहीं था। तीनों लड़कियों के समय जरूरत से ज्यादा दूध हुआ था, जिसे लड़कियों को बदहजमी भी हो जाती थी पर इस बार एक बूंद भी नहीं हुई। भोंगी दाई भी थी, और वह दूध भी पिलाती थी ।

मालकिन कहती थी भूंगी हमारे बच्चों को पाल दे फिर उसके बाद बैठकर तु खाती रहना। पांच बीघा जमीन तेरे नाम करवा दूंगी तेरे नाती पोते भी खाते रहेंगे।भूंगी मुंडन के समय चूड़े लेना चाहती है। मालकिन ने कहा अच्छा बाबा सोने के ले‌‌ लेना।घर में मालकिन के बाद भूंगी की ही चलती थी  घर में सभी उसका रोब मानते थे कभी-कभी तो बहु जी भी उनसे ही दब जाती थी।

भूंगी का शासनकाल साल भर से ज्यादा नहीं चल पाया। शास्त्रियों ने बालक को भंगिन का दूध पिलाने पर आपत्ति जताई और प्रायश्चित का प्रस्ताव भी कर दिया। दूध भी छुड़ा दिया गया लेकिन प्रायश्चित की बात को गंभीरता से नहीं लिया गया।  महेश नाथ ने फटकार लगाते हुए कहा प्रायश्चित की क्या बात कही शास्त्री जी ने कल तक उसी भंगिन  का खून पीकर बड़ा और आज उसी में छूत घुस गई, क्या यही आपका धर्म है‌!

शास्त्री जी फटकार कर बोले‌- यह सत्य है कल तक बच्चा जैसे भी पला बढ़ा, कल की बात कल की थी और आज की बात अलग है। जगन्नाथपुरी में छूत-अछूत सभी एक ही थाली में खाते हैं पर यहां तो ऐसा नहीं हो सकता ना। बीमारी में तो हम भी कपड़े पहनकर ही खाना खाते हैं खिचड़ी भी खा लेते हैं। बाबूजी, लेकिन अच्छे हो जाने के बाद तो नियम का पालन करना ही पड़ता है। तो इसका अर्थ यह है कि धर्म बदलता रहता है- कभी कुछ, कभी कुछ?

शास्त्री कहते हैं हां!  राजा का धर्म अलग और प्रजा का धर्म अलग। अमीरों का धर्म अलग और गरीबों का धर्म अलग। राजा- महाराजा जो चाहे खाएं, जिसके साथ चाहे शादी ब्याह करें, उनके लिए कोई बंधन नहीं है।भूंगी को गद्दी से उतरना पड़ा। हां जरूरत से ज्यादा दान- दक्षिणा‌ मिली, इतनी कि अकेले ना ले जा सके। उसे सोने के कड़े भी मिले एक की जगह दो सुंदर साड़ियां मिली। 

लेखक कहते हैं कि इसी साल प्लेग  का आगमन भी  हुआ और  गूदड़  पहले ही चपेट में आ गया। भूंगी  अकेली हो गई पर किसी तरह घर गृहस्थी चलती रही। एक दिन जब भूंगी परनाला साफ कर रही थी तो उसे एक सांप ने काट लिया । सांप को तो मार डाला गया लेकिन भूंगी को ना बचा सके। भूंगी का बेटा मंगल अब अनाथ था। वह दिन भर महेश बाबू के घर के आस-पास ही घूमा करता । जूठन इतना बचता था कि खाने की कोई कमी नहीं थी। उसे उस वक्त बुरा लगता था, जब‌ उसे मिट्टी के बर्तन में ऊपर से खाना दिया जाता था और सभी अच्छे-अच्छे बर्तनों में खाते। उसे इस भेदभाव का ज्ञान तो‌ ना था मगर गांव के बच्चे उसे चिढा़-चिढा़- कर उसका अपमान करते।  उसके साथ कोई खेलता भी नहीं था । मकान के सामने एक नीम का पेड़ था उसी पेड़ के नीचे मंगल रहता था एक फटा सा टाट, दो मिट्टी के बर्तन और एक धोती, जो सुरेश बाबू की उतारी हुई थी। मंगल के साथ गांव का एक कुत्ता भी रहता था | मंगल और टाॅ‌मी में गहरी दोस्ती थी। वह प्रतिदिन एक न एक बार अपने पुराने घर को देखने जाया करता था, वह उसी टूट चुके छत टूटे दीवारों मैं बैठकर जीवन के बीते और आने वाले सपने देखा करता।

एक दिन कई लड़के खेल रहे थे, मंगल भी पहुंच गया सुरेश को उस पर दया आई या खेलने वालों की जोड़ी पूरी ना हुई , उसे भी खेल में शामिल कर लिया गया।सुरेश ने कहा चल तू घोड़ा बनेगा और हम तुम्हारी सवारी करेंगे।
मंगल ने शंका से पूछा- मैं हमेशा घोड़ा ही बना रहूंगा या सवारी भी करूंगा। सुरेश ने कुछ पल सोच कर कहा- तुझे अपनी पीठ पर कौन बैठेगा आखिर तू एक भंगी है कि नहीं?मंगल ने कहा- मैं कब कहता हूं कि मैं भंगी नहीं हूं? लेकिन तुम्हें मेरी मां ने अपना दूध पिला कर पाला है। जब तक मुझे भी सवारी करने नहीं मिलेगी, तब तक मैं भी घोड़ा नहीं बनूंगा।

सुरेश ने डाट कर कहा- तुझे घोड़ा बनना पड़ेगा और उसे पकड़ने के लिए दौड़ा। मंगल भागा, सुरेश ने दौड़ाया पर दौड़ने में सुरेश की सांस फूलने लगी।
आखिरकार सुरेश ने रुक कर कहा- घोड़ा बन जाओ मंगल, वरना किसी दिन पूरी तरह पीटूंगा। 
मंगल ने कहा- तुम्हें भी घोड़ा बनना पड़ेगा‌
अच्छा हम भी बन जाएंगे
मोहन ने दिमाग लगाते हुए कहा- तुम पीछे से निकल जाओगे। पहले तुम घोड़ा बन जाओ, पहले मैं सवारी कर लेता हूं उसके बाद मैं घोड़ा बन जाऊंगा । 
सुरेश और उसके दोस्तों ने मंगल को घेर लिया और उसे घोड़ा बनाकर उस पर सवारी करने लगे। कुछ देर के बाद सुरेश मंगल के पीठ से गिर गया और रोने लगा।
मां ने पूछा किसने मारा है? 
सुरेश ने रो कर कहा, मंगल ने छू दिया।
सुरेश की मां ने मंगल को बुलाकर कहा- तुम्हें याद है कि नहीं, मैंने तुम्हें इसे छूने से मना किया था।
मंगल ने दबी आवाज से कहा - मुझे याद है।
जितनी हो सकती थी उसने उसे गालियां दी और हुकुम दी कि अभी यहां से निकल जा।
मंगल ने अपना टाट, धोती उठाई और अपने पुराने खंडहर की ओर चल दिया।
उसने टॉमी से पूछा अब क्या खाओगे टॉमी?
टॉमी ने कु-कु करके शायद कहा- ऐसे अपमान तो जिंदगी भर सहना है इतने में ही हार मान जाओगे तो कैसे चलेगा!

मंगल और टॉमी अंधेरे में मालिक के घर के बाहर छुप कर खड़े हो गए और सोचा अगर कोई हमें पुकारेगा तो हम चले जाएंगे, पर उसे किसी ने आवाज नहीं दी। कुछ देर तक वह निराश  वहां खड़ा रहा और जैसे ही नौकर पत्तल में थाली का झूठा ले जाता हुआ नजर आया, मंगल अंधेरे से निकलकर प्रकाश में चला आया।

नौकर ने उसे देखकर कहा- ले खा ले।
मंगल ने उसकी और कृतज्ञता भरी नजरों से देखा। 
मंगल टॉमी से कहता है- लोग कहते हैं दूध का दाम कोई नहीं चुका सकता और मुझे दूध का ये दाम मिल रहा है। 
टॉमी ने उसकी बातों पर दुम हिला दी…|| 



दूध का दाम कहानी का उद्देश्य 

प्रस्तुत पाठ में प्रेमचंद ने जात- पात, ऊंच- नीच, छुआछूत जैसे समस्याओं का वर्णन किया है। इसमें बताया गया है कि किस प्रकार गरीब लोग अमीरों द्वारा सताए जाते हैं। दूध का दाम कहानी दलितों के प्रति समाज के रवैये को प्रदर्शित करता है।जिसमें बताया गया है कि कैसे गरीबों को अपनी सेवा का फल तिरस्कार के रूप में मिलता है और उसे दुनिया भर की ठोकर खानी पड़ती है। 



दूध का दाम कहानी के प्रश्न उत्तर


प्रश्न-1 भूंगी की मृत्यु के बाद मंगल की क्या स्थिति हुई ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, भूंगी की मृत्यु के बाद मंगल अनाथ हो गया। वह दिन भर महेश बाबू‌ के‌ घर के आसपास  ही घूमा करता। उसे जूठन खाना पड़ता। उसे मिट्टी के‌ बर्तन में उपर से‌ खाना दिया जाता। उसके साथ कोई खेलता नही था। मकान के सामने एक नीम का पेड़ था उसी पेड़ के नीचे मंगल रहता था। उसके पास एक फटा सा टाट, दो मिट्टी के बर्तन और एक धोती, जो सुरेश बाबू की उतारी हुई थी |  

प्रश्न-2 सुरेश और मंगल के बीच क्या झगड़ा हुआ ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, सुरेश, मंगल को घोड़ा बनाकर उस पर सवारी करना चाहता था। मंगल चाहता था कि अगर घोड़ा बनकर वह सुरेश को सवारी कराए, तो सुरेश भी उसे घोड़ा बनकर सवारी करवाए। पर सुरेश चाहता था कि मंगल केवल घोड़ा बनकर उसे सवारी करवाता रहे, जिसे लेकर दोनों के बीच झगड़ा हो गया।

प्रश्न-3 मंगल के दुर्दिनों में उसका सबसे अच्छा मित्र कौन था ? उन दोनों में क्या समानता नज़र आती है ? 

उत्तर- इस पाठ के अनुसार, मंगल के साथ गांव का एक कुत्ता भी रहता था, जिसका नाम टॉमी था। मंगल और टाॅ‌मी में गहरी दोस्ती थी। दोनों का कोई घर-ठिकाना नहीं था। मंगल लोगों से सताया हुआ था तो उधर टॉमी भी सारे कुत्तों का सताया हुआ था। दोनों एक ही टाट में सोते थे। वे दोनों ही सुरेश और मालकिन का जूठल खाकर अपना जीवन यापन करते थे।

प्रश्न-4 हद से ज्यादा प्यार ने उसके बुद्धि के साथ वही किया था, जो हद से ज्यादा भोजन ने उसके देह के साथ --- यह किसके लिए कहा गया है ? इस कथन का क्या आशय है ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, हद से ज्यादा प्यार ने उसके बुद्धि के साथ वही किया था, जो हद से ज्यादा भोजन ने उसके देह के साथ- यह कथन सुरेश के लिए कहा गया है। इसका आशय है कि अत्यधिक प्यार मिलने से उसकी बुद्धि भ्रष्ट हो गई थी तथा अत्यधिक भोजन करने से उसका शरीर मोटा हो चूका था।

प्रश्न-5 लोग कहते हैं कि दूध का दाम कोई नहीं चुका सकता और मुझे दूध का यह दाम मिल रहा है ---  इस कथन में क्या मर्म छिपा है ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- लोग कहते हैं कि दूध का दाम कोई नहीं चुका सकता और मुझे दूध का यह दाम मिल रहा है! इस कथन में लेखक बताना चाहते हैं कि अगर कोई दाई किसी के बच्चे को अपना दूध पिलाती है तो कोई भी उस दूध का कर्ज नहीं चुका सकता पर मंगल के साथ जैसा बर्ताव किया जा रहा था, उससे स्पष्ट होता है कि उसे उस दूध का दाम नहीं मिल पाया जिसे उसने सुरेश के लिए त्यागा था।

प्रश्न-6 वाह रे आपका धर्म! इस वाक्य में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- देवताओं ने बालक के भंगिन का दूध पीने पर आपत्ति की, मोटेराम शास्त्री तो प्रायश्चित्त का प्रस्ताव कर बैठे। दूध तो छुड़ा दिया गया; लेकिन प्रायश्चित्त की बात हँसी में उड़ गयी। महेशनाथ ने फटकारकर कहा, ‘प्रायश्चित्त की खूब कही शास्त्रीजी, कल तक उसी भंगिन का खून पीकर पला, अब उसमें छूत घुस गयी। वाह रे आपका धर्म। शास्त्रीजी शिखा फटकारकर बोले यह सत्य है, वह कल तक भंगिन का रक्त पीकर पला। मांस खाकर पला, यह भी सत्य है; लेकिन कल की बात कल थी, आज की बात आज।



दूध का दाम कहानी के कठिन शब्द शब्दार्थ 


• ऊजड़ - वीरान
• गावदी - मंदबुद्धि
• बरौठे - बैठक
• चूड़े - कंगन
• बीघा - जमीन मापने की इकाई
• टाट - जूट से बनाया गया जालनुमा कपड़ा
• सकोरा - मिट्टी का बर्तन
• रान - जांघ 
• साइत - मुहरत 
• फरियाद - विनती
• अवाई - आना
• लाज़िम - आवश्यक
• तब्दीली - परिवर्तन
• जायदाद - संपत्ति
• बदहजमी - अपच
• गलीज - मैला
• तजवीज - सलाह
• कृतज्ञत - अहसान
• निरीह - बेचारा 
• प्रभुत्व - अधिकार | 



COMMENTS

Leave a Reply
नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,37,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,4,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,5,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,7,कविता,1478,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,40,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,3,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,6,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,35,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,77,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,7,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,12,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,4,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,202,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,141,प्रयोजनमूलक हिंदी,38,प्रेमचंद,50,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,88,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,9,भक्ति साहित्य,143,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,18,भीष्म साहनी,9,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,10,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,3,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,8,मोहन राकेश,16,यशपाल,19,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,125,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,8,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,3,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,8,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,57,शैलेश मटियानी,3,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,4,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,34,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,44,समसामयिक हिंदी लेख,270,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,22,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,87,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,436,हिंदी लेख,536,हिंदी व्यंग्य लेख,14,हिंदी समाचार,186,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aapka-banti-mannu-bhandari,6,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,divya-upanyas-yashpal,5,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,12,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,20,hindi essay,428,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,682,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,77,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,23,kavyagat-visheshta,26,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,12,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,raag-darbari-shrilal-shukla,8,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,sponsored news,10,suraj-ka-satvan-ghoda-dharmveer-bharti,6,Syllabus,7,tamas-upanyas-bhisham-sahni,4,top-classic-hindi-stories,58,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: दूध का दाम कहानी प्रेमचंद
दूध का दाम कहानी प्रेमचंद
दूध का दाम प्रेमचंद दूध का दाम सारांश दूध का दाम कहानी का उद्देश्य Summary of doodh ka daam story by premchand दूध का दाम कहानी का सार बताते हुए इसका उद्देश्य स्पष्ट कीजिए दूध का दाम कहानी का सार बताते हुए उसका उद्देश्य स्पष्ट कीजिए दूध का दाम किसकी रचना है Doodh Ka Daam by Munshi Premchand oodh ka daam premchand summary in hindi doodh ka daam premchand pdf dudh ka daam premchand summary doodh ka daam summary in english doodh ka daam question answer in hindi दूध का दाम प्रेमचंद दूध का दाम कहानी का सारांश
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgsYHe9QIItgH9A1MU6nTC3AFrMj9-cIYnwitwjEC9AbFQE_g87XVjeqPVvSiaFVJDIUfuhxt5hNwrmM7Fq5YXiYCKwUpvHG4pKztqGNSsv4qg2Wh84ntM5HbM40tyHhPBsuBwnBO3OWuXP/s1600/download.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgsYHe9QIItgH9A1MU6nTC3AFrMj9-cIYnwitwjEC9AbFQE_g87XVjeqPVvSiaFVJDIUfuhxt5hNwrmM7Fq5YXiYCKwUpvHG4pKztqGNSsv4qg2Wh84ntM5HbM40tyHhPBsuBwnBO3OWuXP/s72-c/download.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2020/08/doodh-ka-daam-munshi-premchand.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2020/08/doodh-ka-daam-munshi-premchand.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका