घर की याद भवानी प्रसाद मिश्र

SHARE:

घर की याद कविता - भवानी प्रसाद मिश्र ncert solutions for class 11 hindi aroh ghar ki yaad घर की याद कविता व्याख्या ghar ki yaad explanation ghar ki yaad summary bhawani prasad mishr Class 11 hindi Aaroh घर की याद भवानी प्रसाद मिश्र ghar ki yaad chapter class 11th ghar ki yaad class 11th ghar ki yaad class 11 poem ghar ki yaad class 11 explanation ghar ki yaad class 11 summary in hindi class 11 Ghar ki yaad घर की याद भवानी प्रसाद मिश्र Ghar ki yaad class 11 summary in hindi घर की याद Class 11 ghar ki yaad Ghar ki yaad class 11 hindi Ghar ki yaad class 11 poem Ghar ki yaad chapter class 11th Ghar ki yaad class 11 full explanation ghar ki yaad class 11th ghar ki yaad class 11 full explanation ghar ki yaad class 11th ghar ki yaad class 11 summary NCERT CBSE aaroh bhag 1 explanation Ghar ki yaad kavita vyakhya Class 11 hindi bhawani prasad mishr poet

घर की याद कविता - भवानी प्रसाद मिश्र


ncert solutions for class 11 hindi aroh ghar ki yaad घर की याद कविता व्याख्या ghar ki yaad explanation ghar ki yaad summary bhawani prasad mishr Class 11 hindi Aaroh घर की याद भवानी प्रसाद मिश्र ghar ki yaad chapter class 11th ghar ki yaad class 11th ghar ki yaad class 11 poem ghar ki yaad class 11 explanation ghar ki yaad class 11 summary in hindi class 11 Ghar ki yaad घर की याद भवानी प्रसाद मिश्र Ghar ki yaad class 11 summary in hindi घर की याद Class 11 ghar ki yaad Ghar ki yaad class 11 hindi Ghar ki yaad class 11 poem Ghar ki yaad chapter class 11th Ghar ki yaad class 11 full explanation ghar ki yaad class 11th ghar ki yaad class 11 full explanation ghar ki yaad class 11th ghar ki yaad class 11 summary NCERT CBSE aaroh bhag 1 explanation Ghar ki yaad kavita vyakhya Class 11 hindi bhawani prasad mishr poet 



घर की याद कविता की व्याख्या अर्थ 


आज पानी गिर रहा है, 
बहुत पानी गिर रहा है, 
रात भर गिरता रहा है, 
प्राण मन घिरता रहा है, 

बहुत पानी गिर रहा है, 
घर नज़र में तिर रहा है, 
घर कि मुझसे दूर है जो, 
घर खुशी का पूर है जो,

घर कि घर में चार भाई,
मायके में बहिन आई,
बहिन आई बाप के घर,
हाय रे परिताप के घर ! 

घर कि घर में सब जुड़े हैं, 
सब कि इतने कब जुड़े हैं,
चार भाई चार बहिनें, 
भुजा भाई प्यार बहिनें, 

भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ भवानी प्रसाद मिश्र जी के द्वारा रचित कविता घर की याद से उद्धृत हैं | यह कविता भवानी प्रसाद मिश्र जी के जेल प्रवास के दौरान लिखी गई है | जब एक रात निरन्तर वर्षा हो रही थी तो कवि के मन मस्तिष्क में घर की यादें समाहित व सक्रिय हो जाती हैं | फलस्वरूप, कवि प्रस्तुत कविता के माध्यम से अपनी पीड़ा व्यक्त करते हैं | उक्त पंक्तियों के द्वारा कवि कह रहे हैं कि आज सचमुच बहुत पानी गिर रहा है | रातभर गिरता रहा है | ऐसे में कवि के मन और प्राण घर की याद से घिर जाते हैं | तत्पश्चात्, कवि कहते हैं कि उनका घर बहुत दूर है, परंतु वह खुशियों से भरा-पूरा है | उनके घर में चार भाई हैं और बहन मायके आई हैं, यानी पिता के घर आई हैं | मगर अफ़सोस कि उसे मायके आकर दुख ही मिला, क्योंकि उसका एक भाई उसकी नज़रों से दूर जेल में बंद है | आगे कवि कह रहे हैं कि घर में सभी आपस में जुड़े हुए हैं | उसके चार भाई व चार बहने हैं | चारों भाई भुजाएँ हैं, तो बहनें प्यार हैं | अर्थात् भाई भुजा के समान कर्मशील व बलिष्ठ हैं और बहनें प्यार व स्नेह का भंडार हैं | 

(2)- और माँ बिन-पढ़ी मेरी, 
दु:ख में वह गढ़ी मेरी 
माँ कि जिसकी गोद में सिर, 
रख लिया तो दुख नहीं फिर, 

माँ कि जिसकी स्नेह-धारा, 
का यहाँ तक भी पसारा, 
उसे लिखना नहीं आता, 
जो कि उसका पत्र पाता | 

पिता जी जिनको बुढ़ापा, 
एक क्षण भी नहीं व्यापा,
जो अभी भी दौड़ जाएँ
जो अभी भी खिलखिलाएँ, 

मौत के आगे न हिचकें,
शेर के आगे न बिचकें,
बोल में बादल गरजता,
काम में झंझा लरजता, 

भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ भवानी प्रसाद मिश्र जी के द्वारा रचित कविता घर की याद से उद्धृत हैं | यह कविता भवानी प्रसाद मिश्र जी के जेल प्रवास के दौरान लिखी गई है | जब एक रात निरन्तर वर्षा हो रही थी तो कवि के
भवानी प्रसाद मिश्र
भवानी प्रसाद मिश्र
मन मस्तिष्क में घर की यादें समाहित व सक्रिय हो जाती हैं | फलस्वरूप, कवि प्रस्तुत कविता के माध्यम से अपनी पीड़ा व्यक्त करते हैं | इन पंक्तियों में माँ व पिता के बारे में बताया गया है | उक्त पंक्तियों के द्वारा कवि कह रहे हैं कि मेरी माँ अनपढ़ है | उसने बहुत कष्ट सहन किए हैं | यदि उसकी गोद में सिर रख लिए तो फिर दुख बाकी नहीं रह जाता | अर्थात् माँ की ममता के सामने दुखों का अंत हो जाता है | माँ का स्नेह इतना व्यापक और शक्तिशाली है कि जेल में भी कवि उसे अनुभव कर रहे हैं | कवि मायूस होकर कहते हैं कि माँ तो लिखना भी नहीं जानती | यदि वह लिखना जानती तो उसका पत्र भी मेरे पास आता और मैं उसे पढ़ पाता | तत्पश्चात्, कवि अपने पिता की विशेषताओं के बारे में बताते हुए कहते हैं कि वे अभी भी चुस्त और फुर्तीला हैं | बुढ़ापा तो एक क्षण के लिए भी उनके आस-पास नहीं भटकता | पिताजी आज भी दौड़ सकते हैं और खिल-खिलाकर हँस सकते हैं | आगे कवि कहते हैं कि पिताजी इतने साहसी हैं कि मौत के आगे भी हिचकते नहीं हैं और शेर के आगे कभी घुटने नहीं टेकते | उनकी आवाज़ आज भी दमदार है | मानो बादल गरज रहे हों | बेशक पिताजी आज भी जब काम करते हैं तो उनसे तूफ़ान भी शरमा जाए, अर्थात् वे अत्यधिक तेज गति से काम करने का दमखम रखते हैं |

(3)- आज गीता पाठ करके, 
दंड दो सौ साठ करके,
खूब मुगदर हिला लेकर, 
मूठ उनकी मिला लेकर, 

जब कि नीचे आए होंगे, 
नैन जल से छाए होंगे, 
हाय, पानी गिर रहा है, 
घर नज़र में तिर रहा है, 

चार भाई चार बहिनें,
भुजा भाई प्यार बहिनें
खेलते या खड़े होंगे,
नज़र उनको पड़े होंगे | 

पिता जी जिनको बुढ़ापा,
एक क्षण भी नहीं व्यापा,
रो पड़े होंगे बराबर,
पाँचवें का नाम लेकर,

भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ भवानी प्रसाद मिश्र जी के द्वारा रचित कविता घर की याद से उद्धृत हैं | यह कविता भवानी प्रसाद मिश्र जी के जेल प्रवास के दौरान लिखी गई है | जब एक रात निरन्तर वर्षा हो रही थी तो कवि के मन मस्तिष्क में घर की यादें समाहित व सक्रिय हो जाती हैं | फलस्वरूप, कवि प्रस्तुत कविता के माध्यम से अपनी पीड़ा व्यक्त करते हैं | उक्त पंक्तियों के द्वारा कवि अपने पिताजी के बारे में कह रहे हैं कि आज वे गीता पाठ करके, दो सौ साठ दंड अर्थात् उठक -बैठक लगाकर, व्यायाम करने के उपकरण अर्थात् मुगदर को हिलाकर व उनकी मूठों को मिलाकर जब वे नीचे आए होंगे तो उनकी आँखों से आँसू छलका होगा | कवि कहते हैं कि मुझे याद करके पिताजी की आँखें नम हो गई होंगी | आगे कवि कहते हैं कि पानी बहुत गिर रहा है और घर की याद भी बहुत आ रही है | घर में चार भाई व चार बहने हैं | चारों भाई भुजाएँ हैं, तो बहनें प्यार हैं | अर्थात् भाई भुजा के समान कर्मशील व बलिष्ठ हैं और बहनें प्यार व स्नेह का भंडार हैं | उन्हें खेलते या खड़े देखकर पिता जी को पाँचवें की यानी मेरी याद जरूर आई होगी | कवि कहते हैं कि बुढ़ापा तो एक क्षण के लिए भी पिताजी के आस-पास नहीं भटकता | लेकिन वे मेरा नाम लेकर अवश्य ही रो पड़े होंगे | 

(4)- पाँचवाँ मैं हूँ अभागा, 
जिसे सोने पर सुहागा, 
पिता जी कहते रहे हैं, 
प्यार में बहते रहे हैं,

आज उनके स्वर्ण बेटे,
लगे होंगे उन्हें हेटे,
क्योंकि मैं उन पर सुहागा
बँधा बैठा हूँ अभागा,

और माँ ने कहा होगा, 
दुःख कितना बहा होगा, 
आँख में किस लिए पानी 
वहाँ अच्छा है भवानी 

वह तुम्हारा मन समझकर,
और अपनापन समझकर,
गया है सो ठीक ही है, 
यह तुम्हारी लीक ही है,

पाँव जो पीछे हटाता,
कोख को मेरी लजाता,
इस तरह होओ न कच्चे,
रो पड़ेंगे और बच्चे,


भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ भवानी प्रसाद मिश्र जी के द्वारा रचित कविता घर की याद से उद्धृत हैं | यह कविता भवानी प्रसाद मिश्र जी के जेल प्रवास के दौरान लिखी गई है | जब एक रात निरन्तर वर्षा हो रही थी तो कवि के मन मस्तिष्क में घर की यादें समाहित व सक्रिय हो जाती हैं | फलस्वरूप, कवि प्रस्तुत कविता के माध्यम से अपनी पीड़ा व्यक्त करते हैं | उक्त पंक्तियों के द्वारा कवि कहते हैं कि वह अपने पिताजी का पाँचवाँ अभागा पुत्र हैं | वे उनके साथ नहीं हैं, लेकिन पिताजी की नज़रों में सबसे प्यारा हैं | जब भी घर में कभी कवि के बारे में चर्चा चलती है तो उनके पिताजी भावुक हो जाते हैं | कवि कहते हैं कि आज पिताजी को अपने सोने जैसे बेटा तुच्छ लगा होगा | क्योंकि अभाग्यवश उनका सबसे प्यारा बेटा उनसे दूर जेल में बैठा है | 

आगे कवि कहते हैं कि माँ ने पिताजी को समझाया होगा और समझाते वक़्त उनके मन में भी बहुत दु:ख बहा होगा | माँ की आँखों से आँसूओं की धार जारी होगी और वह पिताजी से कह रही होगी कि जेल में बहुत अच्छा है भवानी | तुम्हें आँसू बहाने की कोई जरूरत नहीं है | वह आपके बताए मार्ग पर ही अग्रसर है और यही उसके जीवन का उद्देश्य है | यह तुम्हारी ही परंपरा है और ठीक भी है | आगे कवि कहते हैं कि माँ पिताजी को समझाती हुई कहती हैं कि यदि वह आगे बढ़कर पीठ दिखाता या वापस आता तो यह मेरे लिए लज्जा की बात होती | अत: तुम्हें अत्यधिक कमज़ोर होने की जरूरत नहीं है | अगर तुम इस तरह रोओगे तो घर के दूसरे बच्चे भी रोने लगेंगे अर्थात् वे भी कमज़ोर हो जाएंगे | 

(5)- पिता जी ने कहा होगा, 
हाय, कितना सहा होगा, 
कहाँ, मैं रोता कहाँ हूँ,
धीर मैं खोता, कहाँ हूँ,

हे सजीले हरे सावन, 
हे कि मेरे पुण्य पावन,
तुम बरस लो वे न बरसें
पाँचवें को वे न तरसें,

मैं मज़े में हूँ सही है,
घर नहीं हूँ बस यही है,
किंतु यह बस बड़ा बस है, 
इसी बस से सब विरस है, 

किंतु उनसे यह न कहना, 
उन्हें देते धीर रहना, 
उन्हें कहना लिख रहा हूँ, 
उन्हें कहना पढ़ रहा हूँ, 

काम करता हूँ कि कहना, 
नाम करता हूँ कि कहना, 
चाहते हैं लोग कहना, 
मत करो कुछ शोक कहना,

भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ भवानी प्रसाद मिश्र जी के द्वारा रचित कविता घर की याद से उद्धृत हैं | यह कविता भवानी प्रसाद मिश्र जी के जेल प्रवास के दौरान लिखी गई है | जब एक रात निरन्तर वर्षा हो रही थी तो कवि के मन मस्तिष्क में घर की यादें समाहित व सक्रिय हो जाती हैं | फलस्वरूप, कवि प्रस्तुत कविता के माध्यम से अपनी पीड़ा व्यक्त करते हैं | उक्त पंक्तियों के माध्यम से कवि कहना चाहते हैं कि माँ की बातें सुनकर पिताजी ने अपने मन में सारी पीड़ा को समेटते हुए कहा होगा कि मैं रो नहीं रहा हूँ और न ही धीरज खो रहा हूँ | 

तत्पश्चात्, कवि सावन को संबोधित करते हुए कहते हैं कि हे सजीले और हरे सावन, तुम पुण्य पावन हो | तुम चाहे जितना बरस लो, किन्तु मेरे माता-पिता की आँखों से आँसू न बरसें | वे अपने पाँचवें बेटे की याद में दुखी न हों | आगे कवि कहते हैं कि वह मजे में हैं | इसमें सिर्फ इतना अंतर है कि मैं घर पर नहीं हूँ | कवि कहते हैं कि इस वियोग से मेरा जीवन दुखमय हो गया है | मैं अलगाव का नरक भोग रहा हूँ | आगे कवि सावन को संबोधित करते हुए कहते हैं कि तुम मेरे माता-पिता से मेरे कष्टों के बारे में न बताना | तुम उन्हें धीरज देते हुए कहना कि तेरा बेटा जेल में भी लिख-पढ़ रहा है | उन्हें कहना कि वह यहाँ काम कर रहा है तथा अपने देश का नाम रौशन कर रहा है | उसे अनेक लोग चाहते हैं | उनसे कहना कि वे शोक न करें | 

(6)- और कहना मस्त हूँ मैं,
कातने में व्यस्त हूँ मैं,
वज़न सत्तर सेर मेरा, 
और भोजन ढेर मेरा,

कूदता हूँ, खेलता हूँ, 
दु:ख डटकर ठेलता हूँ,
और कहना मस्त हूँ मैं,
यों न कहना अस्त हूँ मैं, 

हाय रे, ऐसा न कहना, 
है कि जो वैसा न कहना, 
कह न देना जागता हूँ, 
आदमी से भागता हूँ, 

कह न देना मौन हूँ मैं, 
खुद न समझूँ कौन हूँ मैं,
देखना कुछ बक न देना,
उन्हें कोई शक न देना,

हे सजीले हरे सावन,
हे कि मरे पुण्य पावन,
तुम बरस लो वे न बरसें, 
पाँचवें को वे न तरसें | 

भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ भवानी प्रसाद मिश्र जी के द्वारा रचित कविता घर की याद से उद्धृत हैं | यह कविता भवानी प्रसाद मिश्र जी के जेल प्रवास के दौरान लिखी गई है | जब एक रात निरन्तर वर्षा हो रही थी तो कवि के मन मस्तिष्क में घर की यादें समाहित व सक्रिय हो जाती हैं | फलस्वरूप, कवि प्रस्तुत कविता के माध्यम से अपनी पीड़ा व्यक्त करते हैं | उक्त पंक्तियों के माध्यम से कवि सावन को संबोधित करते हुए कहते हैं कि उन्हें यह बताना कि मैं यहाँ मस्त हूँ अर्थात् सुखी हूँ | मैं यहाँ सूत कातने में व्यस्त रहता हूँ | मेरा वजन सत्तर सेर है और मेरे पास खाने-पीने के लिए ढेर सारा भोजन रहता है | आगे कवि कहते हैं, कहना कि मैं यहाँ खेलता-कूदता हूँ और दुःख का सामना भी डटकर करता हूँ | मैं यहाँ मस्त हूँ | उन्हें यह न कह देना कि मैं डूबते सूर्य की भाँति हो गया हूँ | आगे पुनः कवि सावन को संबोधित करते हुए कहते हैं कि मेरे घर वालों को मेरी सच्चाई न बता देना | उन्हें यह न बताना कि मैं देर रात तक जागता रहता हूँ और आदमी से दूर भागता हूँ | उन्हें यह मत कह देना कि मैं चुपचाप रहता हूँ | यह भी न बताना कि मैं चिंता में इस तरह डूब जाता हूँ कि खुद को भूल जाता हूँ | तुम देखना, सावधानी से बातें करना | उन्हें कोई शक न होने देना कि मैं दुखी और चिंतित हूँ | तत्पश्चात्, कवि सावन को संबोधित करते हुए कहते हैं कि हे सजीले और हरे सावन, तुम पुण्य पावन हो | तुम चाहे जितना बरस लो, किन्तु मेरे माता-पिता की आँखों से आँसू न बरसें | वे अपने पाँचवें बेटे की याद में दुखी न हों |


घर की याद कविता की समीक्षा मूल भाव सारांश 

प्रस्तुत पाठ या कविता घर की याद कवि भवानी प्रसाद मिश्र जी के द्वारा रचित है | इस कविता में कवि के घर के मर्म का उद्घाटन है | कवि भवानी प्रसाद मिश्र जी को जेल-प्रवास के दौरान घर से विस्थापन की पीड़ा सालती है | कवि की यादों में उसके परिजन बारी-बारी कर शामिल होते चले जाते हैं | कविता की केन्द्रीय संवेदना घर की अवधारणा की सार्थक और मार्मिक याद है | जब स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कवि को जेल में बंद कर दिया गया था, तब बरसात के दिनों में कवि अपने घर-परिवार को याद करते हैं | कवि अपने शोकाकुल परिवार के बारे में सोचकर दुखी हैं | यहाँ तक कि कवि ‘सावन’ से आग्रह करते हैं कि वो उनके परिवार तक उनकी सलामती का पैगाम पहुँचा दे...|| 


घर की याद कविता के प्रश्न उत्तर  


प्रश्न-1 पानी के रात भर गिरने और प्राण-मन के घिरने में परस्पर क्या संबंध है ? 

उत्तर- स्वाभाविक तौर पर देखा जाए तो पानी का गिरना अर्थात् वर्षा का होना मन में प्रसन्नता का भाव जगा जाता है तथा वर्षा के कारण किसी अपने से मिलने की इच्छा मन में जाग्रत होती है | प्राण-मन के घिरने का आशय है मन से उदास या दुखी होना | कवि जेल में अपनों को याद करके उदास हो जाते हैं तथा वर्षा के कारण घर से अलग होने का दुःख उनके अंतःकरण में सक्रिय हो जाता है | 

प्रश्न-2 मायके आई बहन के लिए कवि ने घर को ‘परिताप का घर’ क्यों कहा है ? 

उत्तर- आमतौर पर देखा जाए तो विवाह पश्चात् जब बेटियाँ अपने मायके आती हैं तो अपने परिवार से मिलकर बहुत खुश होती हैं | लेकिन कवि की बहन जब मायके आई तो कवि को घर में न पाकर दुःख से भर गई | कवि जेल में बंद थे | फलस्वरूप, घर में शोक का माहौल था | इसलिए मायके आई बहन के लिए कवि ने घर को ‘परिताप का घर’ अर्थात् दुःख का घर कहके संबोधित किया है | 

प्रश्न-3 पिता के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं को उकेरा गया है ? 

उत्तर- कवि के द्वारा पिता के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताओं को उकेरा गया है --- 

• कवि के पिताजी एक सच्चे देशभक्त और बहादुर इंसान थे | 

• पिताजी वृद्धावस्था के पड़ाव पर पहुँच गए थे, लेकिन अब भी उनके अंदर युवकों जैसा उत्साह और साहस भरा था | 

• पिताजी स्वस्थ शरीर के मालिक हैं | वे अब भी लंबी दौड़ लगाने में सक्षम थे | 

• उनकी वाणी में बादलों जैसी गर्जना थी | 

• पिताजी के चेहरे पर हर वक़्त मुस्कुराहट पसरी रहती थी | 

• कवि के पिताजी एक भावुक व्यक्ति थे और मौत से कभी नहीं डरते थे | 

प्रश्न-4 निम्नलिखित पंक्तियों में ‘बस’ शब्द के प्रयोग की विशेषता बताइए | 

मैं मजे में हूँ सही है,
घर नहीं हूँ बस यही है,
किंतु यह बस बड़ा बस है,
इसी बस से सब विरस है,

उत्तर- उक्त पंक्तियों के द्वारा कवि ने अलग-अलग भावों को व्यक्त करने के लिए ‘बस’ का प्रयोग किया है | 
वैसे इन पंक्तियों में ‘बस’ का प्रयोग चार बार किया गया है, जिसके पृथक-पृथक भाव निम्नलिखित हैं --- 

• घर नहीं हूँ बस यही है ---  यहाँ ‘बस’ का तात्पर्य है, ‘केवल’ अर्थात् ‘इतनी सी बात’ | घर पर नहीं हूँ जेल में हूँ, इतनी सी बात है | 

• किंतु यह बस बड़ा बस है --- इस पंक्ति में 'बस' का दो बार प्रयोग हुआ है | यहाँ पहली बार ‘बस’ का प्रयोग 'मजबूरी' या 'विवशता' के लिए किया गया है | दूसरी बार इसका प्रयोग ‘कारण’ के लिए किया गया है | 

• इसी बस से सब विरस है --- इस पंक्ति में ‘बस’ का प्रयोग 'नीरसता' या 'उदासीनता' का भाव व्यक्त करने के लिए किया गया है | अर्थात् कवि कहना चाहते हैं कि यहाँ सब कुछ होने के बाद भी ‘बस’ अपनों का साथ नहीं है | 

प्रश्न-5 कविता की अंतिम 12 पंक्तियों को पढ़कर कल्पना कीजिए कि कवि अपनी किस स्थिति व मनःस्थिति को अपने प्रियजनों से छिपाना चाहता है ? 

उत्तर- प्रस्तुत कविता के अनुसार, यदि कविता की अंतिम 12 पंक्तियों पर नज़र डालें तो जेल में कैद कवि मानसिक रूप से व्याकुलता से भरे हुए हैं | उनके अंतःकरण में परिवार वालों से दूर होने का गहरा दुःख है | जेल में उन्हें नींद नहीं आती | वे रात भर जागते रहते हैं | अपने प्रियजनों की याद में खोए-खोए से रहते हैं | वे अपने पिता को अपनी वास्तविक स्थिति के बारे में बताकर उन्हें दुखी नहीं करना चाहते | वे ऐसी कोई बात नहीं करना चाहते, जिससे उनके परिवारवालों को इस सच्चाई का पता चल जाए और उनकी आँखों से आँसू बहने लगे | 


घर की याद कविता के कठिन शब्द  शब्दार्थ 


• धीर खोना - धैर्य या धीरज खोना
• पुण्य पावन - अति पवित्र
• बस - नियंत्रण, केवल
• विरस - रसहीन, फीका 
• गिर रहा - बरसना, गिरना 
• प्राण-मन धिरना - प्राणों और मन में छा जाना
• तिरना - तैरना
• नजर - निगाह, दृष्टि 
• खुशी का पूर - खुशी का भंडार
• परिताप - कष्ट, दुःख 
• खिलखिलाएँ - खुलकर हँसना
• हिचकें - संकोच या शर्म करना
• बिचकें - डरें
• बोल - आवाज़ 
• झांझा - तूफ़ान
• लरजता - काँपता
• गढ़ी - डूबी
• स्नेह - प्रेम, प्यार 
• पसारा - फैलाव
• पत्र - चिट्ठी
• व्यापा - फैला हुआ
• दंड - व्यायाम के समय उठक-बैठक करना 
• मुगदर - व्यायाम करने का उपकरण
• मूठ - पकड़ने का स्थान
• नैन - नयन
• क्षण - पल
• अभागा - भाग्यहीन, बदकिस्मत 
• प्यार में बहना - भाव-विभोर होना
• स्वर्ण - सोना, कंचन 
• हेटे - तुच्छ
• शोक - दुःख
• डटकर ठेलना - तल्लीनता से हटाना
• मस्त - अपने में मग्न रहना
• मौन - चुपचाप, खामोश 
• बक देना - फिजूल की बात कहना 
• शक - संदेह
• लीक - परंपरा
• पाँव पीछे हटाना - कर्तव्य से हटना
• कोख को लजाना - माँ को लज्जित करना
• कच्चे - कमजोर | 



COMMENTS

Leave a Reply: 8
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,37,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,4,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,5,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,7,कविता,1478,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,40,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,3,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,53,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,6,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,35,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,77,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,7,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,12,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,4,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,202,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,141,प्रयोजनमूलक हिंदी,38,प्रेमचंद,50,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,88,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,9,भक्ति साहित्य,143,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,18,भीष्म साहनी,9,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,10,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,3,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,8,मोहन राकेश,16,यशपाल,19,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,125,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,8,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,3,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,8,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,57,शैलेश मटियानी,3,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,4,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,34,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,44,समसामयिक हिंदी लेख,270,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,22,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,88,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,438,हिंदी लेख,536,हिंदी व्यंग्य लेख,14,हिंदी समाचार,186,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aapka-banti-mannu-bhandari,6,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,divya-upanyas-yashpal,5,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,12,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,20,hindi essay,430,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,682,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,77,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,24,kavyagat-visheshta,26,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,12,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,raag-darbari-shrilal-shukla,8,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,sponsored news,10,suraj-ka-satvan-ghoda-dharmveer-bharti,6,Syllabus,7,tamas-upanyas-bhisham-sahni,4,top-classic-hindi-stories,59,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: घर की याद भवानी प्रसाद मिश्र
घर की याद भवानी प्रसाद मिश्र
घर की याद कविता - भवानी प्रसाद मिश्र ncert solutions for class 11 hindi aroh ghar ki yaad घर की याद कविता व्याख्या ghar ki yaad explanation ghar ki yaad summary bhawani prasad mishr Class 11 hindi Aaroh घर की याद भवानी प्रसाद मिश्र ghar ki yaad chapter class 11th ghar ki yaad class 11th ghar ki yaad class 11 poem ghar ki yaad class 11 explanation ghar ki yaad class 11 summary in hindi class 11 Ghar ki yaad घर की याद भवानी प्रसाद मिश्र Ghar ki yaad class 11 summary in hindi घर की याद Class 11 ghar ki yaad Ghar ki yaad class 11 hindi Ghar ki yaad class 11 poem Ghar ki yaad chapter class 11th Ghar ki yaad class 11 full explanation ghar ki yaad class 11th ghar ki yaad class 11 full explanation ghar ki yaad class 11th ghar ki yaad class 11 summary NCERT CBSE aaroh bhag 1 explanation Ghar ki yaad kavita vyakhya Class 11 hindi bhawani prasad mishr poet
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjBKBkYELNGeqzr8F2tERtuGEiWi8MyIPZ3FnGAzQU-l4QhDgc_V_U-bb-xzt2imfrs4WBy3esAjr63Iqs9sq3W-fR3dgO4xh0BRI4MTgv7unzsA_qMxQvBs_AtgPt0yRuBIYqqtLkxGll7/s1600/%25E0%25A4%25AD%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25A8%25E0%25A5%2580+%25E0%25A4%25AA%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25A6+%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B6%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25B0.jpeg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjBKBkYELNGeqzr8F2tERtuGEiWi8MyIPZ3FnGAzQU-l4QhDgc_V_U-bb-xzt2imfrs4WBy3esAjr63Iqs9sq3W-fR3dgO4xh0BRI4MTgv7unzsA_qMxQvBs_AtgPt0yRuBIYqqtLkxGll7/s72-c/%25E0%25A4%25AD%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25A8%25E0%25A5%2580+%25E0%25A4%25AA%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25A6+%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B6%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25B0.jpeg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2020/08/ghar-ki-yaad-bhawani-prasad-mishra.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2020/08/ghar-ki-yaad-bhawani-prasad-mishra.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका