कब्रिस्तान पर संकट कब्रिस्तान ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि बढती आबादी का बोझ उसके सीने पर भी पड़ेगा , वह तो मर चुको को अपने दामन में समेट कर मज़े से जी रहा था कि अचानक मरने वालो की संख्या इतनी ज़्यादा होने लगी कि कब्रस्तान का दामन भी छोटा पड़ गया |
कब्रिस्तान पर संकट ( व्यंग्य )
कब्रिस्तान ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि बढती आबादी का बोझ उसके सीने पर भी पड़ेगा , वह तो मर चुको को अपने दामन में समेट कर मज़े से जी रहा था कि अचानक मरने वालो की संख्या इतनी ज़्यादा होने लगी कि कब्रस्तान का दामन भी छोटा पड़ गया | वह मुर्दों के सामने शर्मिंदा है , वह अपने पुराने मुर्दों को जाने का भी नहीं कह सकता , आखिर शराफ़त भी तो कोई चीज़ है और नये आने वालो को अपनी बाहों में भी नहीं समां सकता क्योकि उसके पास अब और ज़मीन नहीं है और न ही सरकार के पास नये नये कब्रस्तान बसाने की कोई योजना है | अपने नये मेहमानों के लिए उसके पास जगह नहीं है इस ग्लानी से कब्रस्तान मारे शर्म के मरे जा रहा है , आज उसके सामने चुल्लू भर पानी में डूब मरने वाली नौबत आ गई है | कब्रस्तान आज बहुत बड़े संकट से घिर गया है |
एक रात कब्रस्तान ने अपने वरिष्ठ मुर्दों की आपातकालीन बैठक बुलाई और उनसे सलाह मांगी कि इस संकट की घड़ी में क्या करना चाहिए ?
एक मुर्दे ने कहा – हम लोगो को शहर में मेयर से मुलाक़ात करनी चाहिये और उनसे निवेदन करना चाहिये कि नगर निगम की सीमा में जितने भी लोग आते है उनके अप्रत्याशित मरने पर रोक लगा दी जाये | जो लोग ज़िंदगी भर अलाली और सुस्ती में ही दिन गुज़ारे वो मरने में इतनी फुर्ती क्यों दिखा रहे है कि किसी ट्रक वाले ने हल्की सी ठोकर मारी और जनाब स्पॉट पर ही मर गये ? यह कोई मरने का तरीका है , अरे मरना कोई बच्चो का खेल नहीं है कि जब चाहा मर गये | आदमी का मरना उत्सव के समान होना चाहिये , योजनाबद्ध तरीके से होना चाहिये | जो चुपचाप मुर्दा मौत मर जाये उनके मरने को मान्यता नहीं दी जानी चाहिये |
दूसरे मुर्दे ने कहा – शासन को बिना अनुमति मरने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा देनी चाहिए | सरकारी कर्मचारियों को घर घर जाकर सर्वे करना चाहिये और आम आदमी को समझाना चाहिए कि बिना अनुमति कोई न मरे | इसके बावजूद भी जो बिना अनुमति मरता है उन्हें दस हज़ार रूपये जुर्माना और दो साल के लिए जेल में बंद कर दिया जाये | एक बार चार मुर्दों को जेल हो जाये तो सब लाइन में आ जायेगे |
तीसरे मुर्दे ने कहा – सरकार को मरने से संबंधित नया कानून लाना चाहिये कि जिन्हें भी मरना हो , या उनके
कब्रिस्तान पर संकट |
एक बुज़ुर्ग मुर्दे ने कहा – सैकड़ो फ़िट कब्रस्तान की ज़मीन पर जो अवैध कब्ज़े कर लिये गए है उन्हें ही खाली करा ले तो फिलहाल तो राहत हो सकती है | लेकिन एक नेता रह चुके मुर्दे ने बताया कि अवैध कब्जाधारियों को हटाना ज़रा भी संभव नहीं है क्योकि वो वोट बैंक है , उन्हें कोई नाराज़ नहीं करेगा |
सभा की अध्यक्षता कर रहे मुर्दे ने हालात पर चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा – सरकार के भरोसे बैठे रहने से समस्या हल होने वाली नहीं है | यह सरकार हमारी एक नहीं सुनेगी क्योकि सरकार नई है और हमारे मुर्दे पुराने है | आज मुर्दों के बारे में सोचने का समय किसी के पास नहीं है क्योकि मुर्दे वोट बैंक नहीं है |
तो क्या चूड़ियां पहन कर कब्र में लेटे रहे ? एक पहलवान मुर्दे ने जोश में कहा |
बुज़ुर्ग मुर्दे ने उसे शांत करते हुए कहा – देखो अभी तुम्हे मरे जुमा जुमा आठ दिन ही हुए है ज़्यादा जोश नही दिखाओ यह मसला जोश से नहीं होश से हल होने वाला है | यह बहुत ही नाज़ुक और संवेदनशील मसला है , हमारे लिए परीक्षा की घड़ी है | हमारे पास ज़मीन सीमित है और मरने वाले असीमित | न तो हमारी जगह बढ़ सकती है और न ही उनकी संख्या कम हो सकती है | आज कब्रस्तान बहुत ही नाज़ुक मोड़ पर खड़ा है , हमारा एक गलत फैसला कब्रस्तान का इतिहास बदल सकता है , कब्रस्तान का भविष्य अंधकारमय कर सकता है |
तभी एक बिल्डर मुर्दे ने कहा – कब्रस्तान के पास जगह इतनी कम है कि अब हर मुर्दे को एक कब्र देना संभव नहीं है , अब तीन या चार मुर्दों को एक ही कब्र शेयर करनी पड़ेगी | मुर्दों के लिए कब्रों का आबंटन बहुत ही सोच समझ कर करना होगा | इससे कब्रस्तान की शांति भी भंग हो सकती है | कब्रों को लेकर मुर्दों में सिर फुटव्वल की नौबत भी आ सकती है , कही ऐसा न हो कि दो गज ज़मीन के लिए कोई मुर्दा अपने मुर्दा भाई की हत्या कर दे | मेरा सुझाव है अब कब्रस्तान को भी बहुमंजिला कर देना चाहिये | यहाँ हम कब्रों की प्री बुकिंग भी चालू कर सकते है ताकि मरने के बाद किसी को चक्कर न काटना पड़े | कब्रस्तान प्रबंधन कमेटी को यह स्कीम भी लानी चाहिए कि अगर कोई मुर्दा स्वेच्छा से कब्र खाली कर देता है तो उसे ज़मीन के बदले आज के बाज़ार भाव से राशि दी जायेगी |
तभी एक शराबी मुर्दा नशे में झूमते हुए कहा – कोई टेंशन नहीं , जितने मुर्दे आते है आने दो , सब को एक ही कब्र में भर देगे ये कह कर की बहुत जगह है पीछे निकल जाओ | यह स्टेट ट्रांसपोर्ट की बस में कंडक्टर था , इसे सवारी को ठूस ठूस के भरने का लम्बा अनुभव था |
तभी एक सुकोमल नाज़ुक सा मुर्दा खड़ा हुआ और बेहद संयमित और प्रभावशाली भाषा में बोलने के कारण सब का ध्यान उसने अपनी ओर आकर्षित कर लिया | यह मैनेजमेंट का कोर्स कर के मरा था इसने अध्यक्ष महोदय को संबोधित करते हुए कहा – महोदय अब समय आ गया है कि शरणार्थी मुर्दों को यहाँ से निकाल बाहर किया जाये | जो बाहर से आकर यहाँ मरे है उन्हें यहाँ के कब्रस्तान में दफन होने का कोई अधिकार नहीं है | यहाँ दूसरे राज्यों के मुर्दों ने अधिकाँश कब्रे हथिया ली है परिणाम स्वरूप स्थानीय मुर्दों के सामने गंभीर संकट खड़ा हो गया है | स्थानीय मुर्दों की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं की जा सकती |
तभी सुबह होने का समय हो गया तो सभी मुर्दे रात को पुनः मिलने की बात कह कर अपनी अपनी कब्र में चले गए |
- अखतर अली
निकट मेडी हेल्थ हास्पिटल
आमानाका , रायपुर (छ.ग.)
मो.न. 9826126781 Email – akhterspritwala@gmail.com
वाह. बहुत खूब
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