मेरे बचपन के दिन महादेवी वर्मा Mere Bachpan Ke Din मेरे बचपन के दिन क्षितिज Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7 Question And Answer mere bachpan ke din summary by mahadevi verma मेरे बचपन के दिन एनसीईआरटी सलूशन मेरे बचपन के दिन Mere Bachpan ke din Hindi Mahadevi Verma Class 9 Hindi Chapter 7 Mere Bachpan ke din मेरे बचपन के दिन मेरे बचपन के दिन कहानी mere bachpan ke din extra questions mahadevi verma ka bachpan मेरे बचपन के दिन पाठ का सारांश
मेरे बचपन के दिन महादेवी वर्मा
Mere Bachpan Ke Din मेरे बचपन के दिन क्षितिज Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7 Question And Answer mere bachpan ke din summary by mahadevi verma मेरे बचपन के दिन एनसीईआरटी सलूशन मेरे बचपन के दिन Mere Bachpan ke din Hindi Mahadevi Verma Class 9 Hindi Chapter 7 Mere Bachpan ke din मेरे बचपन के दिन मेरे बचपन के दिन कहानी mere bachpan ke din extra questions mahadevi verma ka bachpan
मेरे बचपन के दिन पाठ का सारांश
मेरे बचपन के दिन पाठ या संस्मरण लेखिका महादेवी वर्मा जी के द्वारा लिखित है | इस संस्मरण के माध्यम से लेखिका अपने विद्यालय के दिनों की बात का उल्लेख की हैं | प्रस्तुत संस्मरण में लेखिका के द्वारा अपने सहपाठिनों और समाज में लड़कियों के प्रति सोच, छात्रावास का जीवन और आजादी के आंदोलनों का सजीव वर्णन किया गया है | लेखिका कहती हैं कि एक लड़की के रूप में लगभग दो सौ वर्षों की प्रतीक्षा के बाद मैं अपने परिवार में पैदा हुई थी | मेरे जन्म लेने पर मुझे बहुत लाड-प्यार मिला और मुझे वो सब नहीं सहन करना पड़ा, जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है | मेरे बाबा फ़ारसी और उर्दू के जानकार थे | वे अंग्रेजी भी पढ़े थे, पर घर में हिन्दी का कोई वातावरण नहीं था | लेकिन जब मेरी माताजी जबलपुर से आईं, तब वे अपने साथ हिन्दी लेकर आईं | उन्होंने ही मुझे सबसे पहले 'पंचतंत्र' पढ़ना सिखाया |
लेखिका आगे कहती हैं कि मेरे बाबा मुझे 'विदुषी' बनाना चाहते थे | मुझे उर्दू-फ़ारसी सीखने में कोई अभिरूचि नहीं थी | माँ को गीता में विशेष रूचि थी, जब वो पूजा-पाठ करती थी तो मैं भी उनके साथ बैठ कर सुनती थी | बाद में मैं क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज में कक्षा पाँचवी में भर्ती हो गई | यहाँ का वातावरण बहुत अच्छा था | हिन्दू लड़कियों के साथ-साथ ईसाई लड़कियाँ भी पढ़ती थीं | लेखिका को वहाँ छात्रावास में पहली दोस्त के रूप 'सुभद्रा कुमारी चौहान' मिलीं | लेखिका से सुभद्रा कुमारी चौहान दो साल सीनियर थीं और कविता लिखा करती थीं | लेखिका भी बचपन से तुक मिलाया करती थीं |
लेखिका कहती हैं कि मेरी माँ लिखती और गाती भी थीं | विशेष रूप से मीरा के पद गाना पसंद करती थीं | माँ को सुन-सुनकर मैंने भी ब्रजभाषा में लिखना आरम्भ किया | उस समय सुभद्रा कुमारी जी खड़ी बोली में लिखती थीं और प्रतिष्ठित भी थीं | मैं उनसे छिपकर कविता लिखा करती थी | एकदिन उन्होंने मुझसे कहा --- " महादेवी, तुम कविता लिखती हो ?" तो मैंने 'न' में जवाब दिया | अत: वो जान गई कि मैं कविता लिखती हूँ, तो मैं सहज ही स्वीकार कर ली | तत्पश्चात्, हमारी मित्रता हो गई |
उन दिनों "स्त्री दर्पण" नामक एक पत्रिका निकलती थी | उसमें लेखिका और सुभद्रा जी दोनों अपनी-अपनी
महादेवी वर्मा |
लेखिका कहती हैं कि बाद में सुभद्रा कुमारी चौहान छात्रावास छोड़कर चली गईं | उनकी जगह एक मराठी लड़की 'ज़ेबुन्निसा' हमारे कमरे में रहने आई | ज़ेबुन्निसा मेरा बहुत सारा काम कर देती थी, जिसकी वजह से मुझे कविता लिखने का समय मिल जाता था | लेखिका अपना तात्कालीन अनुभव बताते हुए कहती हैं कि उस समय हमारे मध्य साम्प्रदायिकता नहीं थी | हम अलग-अलग प्रांत से संबंध रखने के कारण स्वतंत्र रूप से अपनी बोलियाँ या भाषा में व्यवहार किया करते थे | हम साथ मिलकर हिन्दी और उर्दू भी पढ़ते थे, हम एक मेस में खाना खाते थे और बिना किसी विवाद के एक प्रार्थना में खड़े होते थे |
लेखिका बचपन में जहाँ रहती थी, वहाँ उनके घर के पड़ोस में रहने वाले नवाब साहब के परिवार से उनके बहुत अच्छे संबंध थे | दोनों परिवार एक-दूसरे से घुल-मिल गए थे | एक-दूसरे का जन्मदिन भी मिलकर मनाया करते थे | एक-दूसरे के त्यौहारों में शामिल हुआ करते थे | नवाब साहब के द्वारा ही उनके छोटे भाई का नाम 'मनमोहन' रखा गया था, जो आगे चलकर जम्मू यूनिवर्सिटी और गोरखपुर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर बने |
लेखिका आज की स्थिति पर अफसोस जताती हुई कहती हैं कि आज वह आपसी मोहब्बत,एकता और भाईचारा का सपना कहीं खो गया है | यदि वह सपना सच हो जाता, तो भारत की कथा कुछ और ही होती...||
मेरे बचपन के दिन क्लास 9 प्रश्न उत्तर
प्रश्न-1 'मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है |' इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि ---
(क) उस समय लड़कियों की दशा कैसी थी ?
(ख) लड़कियों के जन्म के संबंध में आज कैसी परिस्थितियाँ हैं ?
उत्तर- निम्नलिखित है -
(क) लेखिका के कथन से अनुमान लगता है कि उस समय लड़कियों की दशा दयनीय थी | उनका जीवन चार दिवारी के भीतर कैद था | पुरुषों की तुलना में लड़कियों को हेय दृष्टि से देखा जाता था | समाज में व्याप्त कई कुरीतियों का उन्हें सामना भी करना पड़ता था | जैसे दहेज प्रथा, बाल विवाह, सती प्रथा आदि | लड़कियों को शिक्षा हासिल करने के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था | समाज के अवहेलनाओं का सामना करना पड़ता था |
(ख) लड़कियों के जन्म के संबंध में आज परिस्थितियाँ थोड़ी बदली हैं | पहले की तुलना में आज लोगों की सोच में परिवर्तन आया है | लोगों का ध्यान बेटियों की शिक्षा की तरफ भी अग्रसर हुआ है | भ्रूण हत्या जैसे जघन्य मामलों की रोकथाम के लिए कड़ी कानून व्यवस्था अस्तित्व में लाई गई है | परन्तु, अभी भी स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में नहीं है | बेटियों को साथ अनाचार जैसे मामले निरन्तर जारी है |
प्रश्न-2 लेखिका उर्दू-फ़ारसी क्यों नहीं सीख पाई ?
उत्तर- लेखिका उर्दू-फ़ारसी इसलिए नहीं सीख पाई, क्योंकि उन्हें उर्दू-फ़ारसी सीखने में कोई रूचि नहीं थी | फलस्वरूप, वह उर्दू-फ़ारसी पढ़ने में ध्यान नहीं लगाती थी |
प्रश्न-3 लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है ?
उत्तर- लेखिका की माँ एक संस्कारी महिला थीं | उनको गीता पाठ में विशेष रूचि थी | उन्हें हिन्दी और संस्कृत का ज्ञान था | वो लेखन और गायन में भी रूचि लेती थीं | लेखिका की माँ मीरा के पद विशेष रूप से गाती थीं | वह सुबह-सुबह 'जागिए कृपानिधान पंछी बन बोले' गाती थीं और शाम में भी मीरा का कोई पद गाती थीं | लेखिका कहती हैं कि मैंने अपनी माँ से ही सीखकर ब्रजभाषा में लिखना आरम्भ किया |
प्रश्न-4 जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को लेखिका ने आज के संदर्भ में स्वप्न जैसा क्यों कहा है ?
उत्तर- हिन्दू-मुस्लिम विवाद और संघर्ष वर्षों से हमारे मुल्क की कमजोरी रही है | बल्कि आजादी से पहले हम मिलकर स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिए थे | उस वक़्त हमारी एकता प्रगाढ़ थी | परन्तु, स्वतंत्रता पश्चात् हम आपस में धार्मिकता के आधार पर ज्यादा उलझ गए | साम्प्रदायिक घटनाओं को खुलकर अंजाम दिया जाने लगा | ऐसी स्थिति में यदि दो कट्टर विरोधी धर्म के लोग या परिवार आपस में सारे झगड़े-झंझटों को त्यागकर प्रेमपूर्वक रहने लगे, तो ये सचमुच किसी स्वप्न के समान है | इसलिए जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को लेखिका ने आज के संदर्भ में स्वप्न जैसा कहा है |
प्रश्न-5 महादेवी वर्मा को काव्य प्रतियोगिता में चाँदी का कटोरा मिला था | अनुमान लगाइए कि आपको इस तरह का कोई पुरस्कार मिला हो और वह देशहित में या किसी आपदा निवारण के काम में देना पड़े तो आप कैसा अनुभव करेंगे / करेंगी ?
उत्तर - यदि वास्तव में देखा जाए, तो देशहित से बड़ा कोई धर्म या कर्तव्य नहीं | लेखिका महादेवी वर्मा जी की तरह मुझे भी कोई पुरस्कार मिला होता, तो संकट की स्थिति में उसे देश के नाम करने से जरा भी संकोच नहीं करता | अपनी मातृभूमि के हित में कुछ योगदान देकर मुझे प्रसन्नता और गर्व का एहसास होता |
प्रश्न-6 पाठ से निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द ढूँढ़कर लिखिए --- विद्वान, अनंत, निरपराधी, दंड, शांति |
उत्तर - विलोम शब्द निम्नलिखित हैं -
• विद्वान --- मूर्ख
• अनंत --- संक्षिप्त
• निरपराधी --- अपराधी
• दंड --- पुरस्कार
• शांति --- अशांति |
प्रश्न-7 निम्नलिखित उपसर्ग-प्रत्ययों की सहायता से दो-दो शब्द लिखिए ---
उपसर्ग - अन् ,अ, सत् , स्व, दुर्
प्रत्यय - दार, हार, वाला, अनीय
उत्तर- उपसर्ग-प्रत्यय शब्द निम्नलिखित हैं -
उपसर्ग -
• अन् - अन्यत्र, अन्तर
• अ - असम्भव, असत्य
• सत् - सत्कर्म, सत्यानाश
• स्व - स्वतंत्रता, स्वर्ग
• दुर् - दुर्घटना, दुर्लभ |
प्रत्यय -
1. दार - किराएदार, हवलदार
2. हार - होनहार, पालनहार
3. वाला - मतवाला, दूधवाला
4. अनीय - दर्शनीय, प्रशंसनीय |
मेरे बचपन के दिन पाठ का शब्दार्थ
• साथिन - लड़की दोस्त
• परमधाम - स्वर्ग, जन्नत
• प्रतिष्ठित - सम्मानित
• अवकाश - छुट्टी
• उस्तानी - महिला शिक्षक
• वाइस चांसलर - कुलपति
• निराहार - बिना आहार के
• फूल - ताँबे और राँगे से बनी एक मिश्रधातु
• पदक - धातु का एक गोल या चौकोर टुकड़ा, जो विजेता को इनाम के रूप में दिया जाता है
• लहरिया - रंग-बरंगी धारियों वाली साड़ी
• यूनिवर्सिटी - विश्वविद्यालय |
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