स्वतंत्र विचारधारा अमित बहुत परेशान था। जी तोड मेहनत के बाद उसे एक अच्छी नौकरी मिली थी। नौकरी मिलने के बाद ऊंचा पद पाने के लिए भी उसने दिन रात एक किया था। लेकिन एक झटके में सब कुछ बिखर गया था। जिस प्लांट में वो काम करता था, वो बंद हो गया था। अचानक रात में गैस का रिसाव होने से सब जलकर खाक हो गया था।
स्वतंत्र विचारधारा
अमित बहुत परेशान था। जी तोड मेहनत के बाद उसे एक अच्छी नौकरी मिली थी। नौकरी मिलने के बाद ऊंचा पद पाने के लिए भी उसने दिन रात एक किया था। लेकिन एक झटके में सब कुछ बिखर गया था। जिस प्लांट में वो काम करता था, वो बंद हो गया था। अचानक रात में गैस का रिसाव होने से सब जलकर खाक हो गया था। जो लोग उस समय ड्यूटी पर थे, उन्होंने भागकर अपनी जान बचाई थी। यह भी संयोग था कि वो सभी सोए नहीं थे,जाग रहे थे। फिर भी गैस सूंघने के कारण बेहोश हो गए थे। हस्पताल में भर्ती करवाया गया था। प्लांट बंद होने से सभी कर्मचारी अपने अपने घर लौट गए थे। इतनी भयंकर दुर्घटना के बाद कोई भी इस स्थिति में नहीं था कि तुरंत दूसरी नौकरी ढूंढ सके। अमित सबसे बुद्धिमान एवम् कर्मठ कर्मचारी था परन्तु अब उसकी मानसिक स्तिथि सामान्य नहीं थी। वह कुछ भी करने के बारे में सोचता तो उसे लगने लगता कि कुछ समय बाद सब ख़त्म हो जाएगा। उसके दिमाग में यह बात घर कर चुकी थी कि कुछ भी करेगा तो उसे नुकसान ही होगा। किसी भी काम के बारे में सोचता तो प्लांट के आग में धू धू कर जलने का दृश्य उसकी आंखों के सामने घूमने लगता।
दिन तेजी से गुजर रहे थे। मुआवजे में मिले पैसे भी अब ख़त्म होने वाले थे। अमित किसी से भी बात नहीं करता
अर्चना त्यागी |
मां ने पहले मंदिर में पूजा की। कान्हा को भोग लगाया, झूला झुलाया। चलते समय मां पंडितजी के पैर छूने गई। अमित भी साथ में ही था। उसने भी उन्हें प्रणाम किया। उन्होंने अमित को अपने सामने बैठने को कहा। फिर बोले " बेटा बहुत सही समय पर मुझसे मिलने आए हो। आने वाले छह महीने तुम्हारे जीवन का अमूल्य समय है। तुम जो भी इस समय करोगे, उसी में सफलता के शिखर पर पहुंच जाओगे।" अमित ने उनकी बात का कोई उत्तर नहीं दिया। वह हैरान था कि उन्हें उसके समय का अनुमान कैसे लगा। मां ने बताया होगा उसने सोचा। उनकी छह महीने वाली बात उसके दिमाग में बैठ गई थी।
अगले दिन उसने अपने दोस्तों से बात करना प्रारंभ किया। सभी अपने अपने घर पर थे। सभी कुछ बेहतर करना चाहते थे। अमित फिर से एक मिशन में जुट गया। स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले उसने मां को बताया कि कल यानी अगस्त को भूमि पूजन के लिए जाना है। और झंडा भी फहराना है। पंडितजी को बुला लेना। मां बहुत खुश थी। उसी समय मंदिर जाकर पंडितजी को निमंत्रण देकर अा गई।
अगले दिन भूमि पूजन हुआ। ध्वजारोहण भी हुआ। गांव के बाहर पड़ी बंजर जमीन पर अमित और उसके दोस्तों ने एक प्लांट लगाने का निश्चय किया था। आज उसी का शुभारंभ था। अमित ने पंडितजी से पूछा कि उसके समय के बारे में उन्होंने कैसे अनुमान लगाया ?
पंडितजी मुस्कुराकर बोले " बेटा तुम्हारे बारे में गांव में सभी जानते हैं। मैं मानता हूं जो मेहनत तुमने दूसरे के प्लांट में की वही अपने में करोगे तो वैसी दुर्घटना शायद न हो। गांव के लोगों को भी रोजगार मिलेगा। बस यही सोचकर मैंने तुम्हे राय दी थी।"
अमित ने उनके पैर छू लिए। एक छोटी सी बात ने उसकी सोच बदल दी थी।
- अर्चना त्यागी
व्याख्याता रसायन विज्ञान
एवम् कैरियर परामर्शदाता
जोधपुर ( राज.)
COMMENTS