नौकर पाठ अनु बंदोपाध्याय नौकर पाठ का सारांश नौकर पाठ के प्रश्न उत्तर Class 6th hindi Naukar naukar class 6 summary नौकर पाठ का सारांश Class 6 Hindi With Question And Answers class 6 hindi chapter 15 question answer ncert class 6 hindi chapter 15 answers cbse class 6 hindi chapter 15 question answer class 6 hindi chapter 15 question answer in hindi Naukar नौकर CBSE Class 6th Hindi naukar class 6 solutions नौकर पाठ ,अनु बंदोपाध्याय जी द्वारा लिखा गया है। नौकर पाठ का सारांश
नौकर पाठ अनु बंदोपाध्याय
नौकर पाठ का सारांश नौकर पाठ के प्रश्न उत्तर Class 6th hindi Naukar naukar class 6 summary नौकर पाठ का सारांश Class 6 Hindi With Question And Answers class 6 hindi chapter 15 question answer ncert class 6 hindi chapter 15 answers cbse class 6 hindi chapter 15 question answer class 6 hindi chapter 15 question answer in hindi Naukar नौकर CBSE Class 6th Hindi naukar class 6 solutions
नौकर पाठ का सारांश
नौकर पाठ ,अनु बंदोपाध्याय जी द्वारा लिखा गया है। प्रस्तुत पाठ में गाँधी जी के बारे में बताया गया है। गाँधी जी शारीरिक परिश्रम से जी नहीं चुराते थे। वे अपना काम स्वयं करना पसंद करते थे। वे स्वयं बैरिस्टर थे ,लेकिन सुबह वे हाथ से चक्की पर आटा पीसते थे। साबरमती आश्रम पर भी वे पिसाई का काम करते थे। एक बार आश्रम के कार्यकर्ता ने बताया कि आटा कम पड़ गया है तो वे स्वयं आटा पीसने के काम में जुट गए। एक बार कुछ छात्र ,उनसे मिलने आये थे ,जिन्हें अपने अंग्रेजी ज्ञान पर घमंड था ,तो गाँधी जी उन्हें गेंहू बीनने का काम सौंप दिया ,जिससे वे बड़ी मुश्किल में पड़ गए। कुछ समय बाद वे आश्रम के भण्डार को सँभालने में मदद करते थे। वे प्रार्थना के बाद रसोईघर में सब्जियाँ छीलने थे। यदि वे कहीं गन्दगी देखते थे ,तो वे स्वयं साफ़ करते थे। उन्हें सब्जी ,फल और अनाज के पौष्टिक गुणों का ज्ञान था। आश्रम का नियम था कि सभी लोग अपने झूठे बर्तन स्वयं साफ़ करें। यदि कहीं बर्तनों में गंदगी मिलती थी ,तो वे स्वयं साफ़ -सफाई में जुट जाते थे। उन्हें पता था कि कैसे लोहे के बर्तनों को माँजकर चांदी का सा चमका सकते थे।
आश्रम के निर्माण के समय मेहमानों को तम्बुओं में सोना पड़ता था। एक नवागत को पता नहीं था कि बिस्तर को कहाँ रखा जाए ,वह सही जगह खोजने चला जाता है। इसी समय क्या देखता है कि गाँधी जी स्वयं उसका बिस्तर कंधे पर उठाये रखने चले आ रहे हैं। यह उनका नियम था कि शरीर में जब तक लाचारी न हो ,तब तक उन्हें यह बिलकुल पसंद नहीं था कि कोई महात्मा या बूढ़े होने के कारण उन्हें अपने हिस्से का दैनिक शारीरिक श्रम न करना पड़े। हर प्रकार के काम करने की अद्भुत क्षमता और शक्ति थी। उनमें थकान का नामोनिशान नहीं था। ऐसा वे दक्षिण अफ्रीका में बोअर युद्ध में सिद्ध कर चुके थे। एक बार किसी तालाब की भराई का काम चल रहा है ,जिसमें गाँधी जी के साथी लगे हुए थे। एक बार सुबह काम खत्म करके ,वे लोग फावड़े ,कुदाल और टोकरियाँ लेकर जब लौटते थे ,तो गाँधी जी उनके लिए तश्तरियों में नास्ते के लिए फल आदि तैयार रखते थे। गांधीजी दूसरों से काम लेने में बहुत सख्त थे ,लेकिन अपने लिए दूसरों के काम कराना ,उन्हें नापसंद था। वे इंग्लैंड में रह आये थे। अतः उन्हें पता था कि वहाँ घरेलू नौकरों को परिवार की तरह रखा जाता है। उन्हें अपना नौकर नहीं माना जाता है। अतः वे कहते हैं कि मैं किसी को अपना नौकर नहीं मानता हूँ। आप मेरी जो सेवा करते हो ,उसका मूल्य मैं नहीं दे सकता हूँ ,लेकिन ईश्वर आपको जरुर देगा।
नौकर पाठ के प्रश्न उत्तर
निबंध से
प्र. आश्रम में कॉलेज के छात्रों से गांधी जी ने कौन सा काम करवाया और क्यों?
उ. आश्रम में गाँधी जी से मिलने कुछ अंग्रेजी पढ़े लिखे छात्र आये थे। उन्हें पता था कि गाँधी जी उन्हें पढने लिखने का काम देंगे। लेकिन अपेक्षा के विपरीत गाँधी जी उन्हें गेंहू बीनने का काम सौंप गए। जिसे उन्होंने बेमन से किया।
महात्मा गाँधी |
प्र. आश्रम में गांधी कई ऐसे काम भी करते थे, जिन्हें आमतौर पर नौकर-चाकर करते हैं।’ पाठ से तीन ऐसे प्रसंगों को अपने शब्दों में लिखो जो इस बात का प्रमाण हों।
उ. आश्रम में गाँधी जी कई ऐसे काम करते थे ,जिन्हें आमतौर पर नौकर चाकर किया करते थे। ये निम्नलिखित तीन प्रसंग हैं -
- गाँधी जी घर में रोटी बनाने के लिए महीन या मोटा आटा खुद पीस लेते थे।
- रसोईघर में सब्जियाँ छीलते थे।
- सोने से पहले ,कमरे की फर्श बुहारते थे।
प्र. लंदन में भोज पर बुलाए जाने पर गांधी जी ने क्या किया?
उ. लन्दन में भोज पर बुलाये जाने पर वे समय से पहले पहुँचे। वहां वे छात्रों के साथ शामिल हो गए और तश्तरी धोने ,सब्जी साफ़ करने और अन्य छुट -पुट काम करने में उनकी मदद करने लगे। जब उनका छात्र नेता आया तो पता चला कि वे सम्मानित अतिथि स्वयं गाँधी जी थे।
प्र. गांधी जी ने श्रीमती पोलक के बच्चे को दूध कैसे छुड़वाया?
उ. गाँधी जी के मित्र की पत्नी श्रीमती पोलक बहुत ही दुबली और कमजोर हो गयी थी। उनका बच्चा दूध नहीं छोड़ रहा था। माँ का दूध छुड़ाने का काम गाँधी जी को सौंपा गया। गाँधी जी ,जिस दिन लौटे उसी रात से उन्होंने बच्चे की देखभाल का काम अपने हाथों ले लिया। रात को थके मांदे घर लौट कर बच्चे को बिस्तर पर उठा लाते। चारपाई के पास बर्तन में पानी भरकर रखते ,जिसमें बच्चे को प्यास लगने पर वे पानी पिला सके। बच्चा अब रोता नहीं था। कुछ दिनों के बाद बच्चे ने माँ का दूध गांधीजी की कोशिशों के बाद छोड़ दिया।
प्र. आश्रम में काम करने या करवाने का कौन सा तरीका गांधी जी अपनाते थे? इसे पाठ पढ़कर लिखो।
उ. गांधीजी किसी को नौकर नहीं मानते थे। वे सबसे प्रेम करते थे। वे स्वयं आगे बढ़कर काम करते थे। जिससे लोगों को उनसे प्रेरणा मिल सके। वह थकान का नाम भी नहीं जानते थे। वे कई काम आश्रम में ऐसा करते थे ,जिसे सामान्यतया नौकर चाकर करते थे। इन्ही उदाहरणों को देखकर ,आश्रम के लोग सीखते थे।
निबंध से आगे
प्र. गांधी जी इतना पैदल क्यों चलते थे? पैदल चलने से क्या लाभ हैं? लिखो।
उ. गांधीजी ,स्वस्थ्य जीवन का रहस्य जानते थे। वे जानते थे कि पैदल चलना स्वस्थ्य के लिए लाभदायक है। पैदल चलना एक सम्पूर्ण व्यायाम है। इससे शरीर में फुर्ती व तंदुरुस्ती मौजूद रहती है। जो लोग शरीर को स्वस्थ रखना चाहे ,उन्हें पैदल चलना चाहिए। पैदल चलने के बाद किसी अन्य व्यायाम की आवश्यकता नहीं रह जाती है। इससे केवल शरीर ही नहीं ,बल्कि मन भी खुश रहता है।
Very good answer
जवाब देंहटाएंVery good answer
जवाब देंहटाएंVery good
जवाब देंहटाएंYou are right 👍