गिल्लू कहानी महादेवी वर्मा ncert class 9 hindi chapter gillu ncert class 9 hindi chapter gillu mcq ncert class 9 hindi chapter 1 gillu ncert solutions
गिल्लू कहानी महादेवी वर्मा
गिल्लू कहानी महादेवी वर्मा ncert class 9 hindi chapter gillu ncert class 9 hindi chapter gillu mcq ncert class 9 hindi chapter 1 gillu ncert solutions for class 9 hindi sanchayan chapter 1 gillu summary ncert solutions for class 9 hindi sanchayan chapter 1 gillu ncert class 9 hindi chapter gillu solutions कक्षा 9 हिंदी NCERT Class 9 Hindi Class 9 Hindi Gillu Katha notes कक्षा 9 हिंदी पाठ गिल्लू, महादेवी वर्मा कक्षा 9 Hindi Course b गिल्लू कक्षा 9 Mahadevi Verma गिल्लू कहानी महादेवी वर्मा गिल्लू कहानी महादेवी वर्मा की गिल्लू और महादेवी वर्मा की कहानी stories of Mahadevi Verma
गिल्लू पाठ का सारांश
प्रस्तुत पाठ या संस्मरण गिल्लू लेखिका महादेवी वर्मा जी के द्वारा लिखित है | इस पाठ के माध्यम से लेखिका महादेवी वर्मा जी ने गिलहरी जैसे एक चंचल और छोटे जीव के प्रति प्रेम का चित्रण किया है | प्रस्तुत पाठ में लेखिका ने गिलहरी के विभिन्न क्रियाकलापों और जीवन का बड़ी रोचकता से चित्रण किया है |प्रस्तुत पाठ या संस्मरण के अनुसार, एक बार लेखिका महादेवी वर्मा जी की दृष्टि बरामदे में गिलहरी के एक छोटे से बच्चे पर पड़ी, जो अनुमानतः अपने घोंसले से ज़मीन पर गिर गया होगा | उस गिलहरी के बच्चे को दो कौवे मिलकर अपना शिकार बनाने की तैयारी में जुटे थे | तत्पश्चात्, लेखिका ने गिलहरी के घायल बच्चे को कौवे की चोंच या गिरफ़्त से बचाकर अपने रूम ले गई और उसका मरहम-पट्टी किया | प्रस्तुत पाठ के अनुसार, लेखिका के द्वारा किए गए उपचार और देखभाल के पश्चात् तीसरे दिन गिलहरी का बच्चा इतना स्वस्थ हो गया था कि वह अपने पंजो से लेखिका की ऊँगली पकड़ने लगा था | लेखिका ने उस गिलहरी के बच्चे का नाम 'गिल्लू' रखा | तीन से चार महीने में गिल्लू के चिकने रोएँ, झब्बेदार पूँछ और चमकती आँखों की प्रगति सभी को आश्चर्य में डालने लगीं थी | आगे पाठ के अनुसार, महादेवी वर्मा जी ने फूल रखने वाली एक हल्की डलिया में रुई बिछाकर तार से खिड़की पर लटका दिया था, जो अगले दो सालों तक गिल्लू के रहने का ठिकाना बन गया | आगे पाठ के अनुसार, गिल्लू अकसर लेखिका का ध्यान खींचने के लिए लेखिका के पैर तक आता और तुरन्त अपने चंचल भरे अंदाज़ में पर्दे पर चढ़ जाता | तत्पश्चात्, पुनः उसी तेजी से उतरने-चढ़ने की क्रिया जारी रखता | गिल्लू दौड़ लगाने का काम तब तक करता रहता, जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए तत्पर न हो जाती | तत्पश्चात्, गिल्लू अपनी ख़ूबसूरत चमकीली आँखों के द्वारा लेखिका के क्रियाकलापों पर भी नज़र रखा करता | भूख लगने पर वह लेखिका को चिक-चिक कर आवाज़ लगाता |
प्रस्तुत पाठ के अनुसार, एक दिन गिल्लू के जीवन में पहले बसंत का आगमन हुआ | गिल्लू खिड़की के जाली के पास जाकर बैठा रहता | अन्य गिलहरियाँ भी वहाँ आकर चिक-चिक करती रहती थीं | इस क्रियाकलाप को देखकर लेखिका ने जाली के एक हिस्से को खोलकर गिल्लू को बाहर आजाद छोड़ दिया | इस प्रकार लेखिका के कमरे से बाहर जाने पर गिल्लू भी जाली से बाहर चला जाता | तत्पश्चात्, दिन भर दूसरे गिलहरियों के साथ उछलता-कूदता और शाम होते ही अपने झूले में वापस आ जाता | जब लेखिका खाना खाते रहती, तब गिल्लू अकसर लेखिका के कमरे में पहुँचता और थाली में बैठ जाने को व्याकुल हो उठता | बहुत मुश्किल से लेखिका ने गिल्लू को थाली के पास बैठना सिखाया | बाद में गिल्लू लेखिका के खाने के वक़्त साथ में बैठता करता और चावल का एक-एक दाना बड़ी सफाई से खाता | आगे प्रस्तुत पाठ के अनुसार, गिल्लू का पसंदीदा खाद्य पदार्थ काजू था | जब गिल्लू को कई दिनों तक काजू नहीं मिलता, तब वह दूसरे खानें की चीजों को भी लेना बंद कर देता | कभी उन चीज़ों को झूले से नीचे फेंक देता था |
प्रस्तुत संस्मरण के अनुसार, एक रोज लेखिका मोटर दुर्घटना में आहत हो गईं, जिससे उन्हें कुछ दिन अस्पताल में ही रुकना पड़ा | जब लेखिका अस्पताल में थी, तब गिल्लू ने काजू लेना काफी कम कर दिया था | तत्पश्चात्, जब लेखिका अस्पताल से घर लौटी, तब गिल्लू लेखिका के सिरहाने बैठकर अपने नन्हें और कोमल पंजों से लेखिका के सर और बालों को धीरे-धीरे सहलाता | गर्मी के दिनों में गिल्लू लेखिका के पास रखी सुराही पर लेट जाता | इस प्रकार, वह लेखिका के करीब रहने के साथ-साथ ठंडक में भी रहता |
आगे प्रस्तुत पाठ या संस्मरण के अनुसार, वास्तव में गिलहरियों की उम्र दो वर्ष से अधिक नहीं होती है | इसलिए गिल्लू के जीवन का भी अंत आ गया था | उस रोज पूरा दिन उसने कुछ नहीं खाया-पीया | रात में वह झूले से उतरा और लेखिका के बिस्तर पर आ गया | वह ठंडे पंजों से लेखिका की उँगली पकड़कर चिपक गया | जब लेखिका ने गिल्लू को ठंड के जकड़ में पाया तो उसने गिल्लू को हीटर जलाकर ऊष्मा देने की कोशिश किया | परन्तु, लेखिका की हर कोशिश व्यर्थ रही | अंततः गिल्लू हमेशा के लिए सो गया | तत्पश्चात्, लेखिका ने मृत गिल्लू का सोनजुही की लता के नीचे समाधि बना दी | अत: लेखिका को सोनजुही में एक पीली कली को देखकर गिल्लू की याद आ गई थी...||
महादेवी वर्मा का जीवन परिचय
प्रस्तुत पाठ की लेखिका महादेवी वर्मा जी हैं | इनका जीवनकाल 1907 से 1987 के दरम्यान रहा है | इन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है | इन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से भी नवाज़ा गया और वे साहित्य अकादमी की फैलो भी रहीं हैं | लेखिका महादेवी वर्मा जी हिन्दी के महत्वपूर्ण काव्ययुग-छायावाद के कवि-चतुष्ट्य में से एक हैं | लेखिका प्रेम और करूणा से ओत-प्रोत काव्य गीतों एवं संस्मरणात्मक रेखाचित्रों के लिए बहुप्रशंसित |प्रमुख कृतियाँ -
इनकी प्रमुख कृतियाँ हैं --- रश्मि, नीरजा, नीहार, दीपशिखा, यामा (कविता संग्रह) ; श्रृंखला की कड़ियाँ (निबंध) ; अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएं (संस्मरण)...||
प्रश्न-1 सोनजुही में लगी पीली कली को देख लेखिका के मन में कौन से विचार उमड़ने लगे ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ या संस्मरण के अनुसार, सोनजुही में लगी पीली कली को देखकर लेखिका के मन में उस नन्हीं गिलहरी की याद आ गई, जिसे वह प्यार से 'गिल्लू' कहके पुकारा करती थीं |
प्रश्न-2 पाठ के आधार पर कौए को एक साथ समादरित और अनादरित प्राणी क्यों कहा गया है ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के आधार पर कौए को एक साथ समादरित और अनादरित प्राणी इसलिए कहा गया है, क्योंकि कौआ जब छत पर बैठकर अपनी आवाज़ से प्रियजनों के आने की सूचना देता है, तो इसे अच्छे व्यवहार के कारण समादरित की श्रेणी में रखते हैं | लेकिन जब कौए की आवाज़ बहुत कड़वी होती है, तो इसे अनादरित की श्रेणी में रखते हैं |
प्रश्न-3 गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार किस प्रकार किया गया ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, लेखिका महादेवी वर्मा जी ने गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार पूरी निष्ठा से किया | लेखिका ने उस नन्हें घायल गिलहरी को अपने कमरे में ले जाकर रुई से उसका घाव पोंछा | तत्पश्चात्, उस पर पेंसिलिन दवा लगाने के बाद उसके मुँह में दूध डालने की कोशिश की, परन्तु उसका मुँह खुल नहीं सका | लगभग तीन दिन के बाद उसने आँखे खोली और धीरे-धीरे स्वस्थ हुआ | इस प्रकार लेखिका ने उस गिलहरी के बच्चे की खूब सेवा की |
प्रश्न-4 लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू क्या करता था ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू लेखिका के पैर तक आता और तुरन्त अपने चंचल भरे अंदाज़ में पर्दे पर चढ़ जाता | तत्पश्चात्, पुनः उसी तेजी से उतरने-चढ़ने की क्रिया जारी रखता | गिल्लू दौड़ लगाने का काम तब तक करता रहता, जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए तत्पर न हो जाती |
प्रश्न-5 गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता क्यों समझी गई और उसके लिए लेखिका ने क्या उपाय किया ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, जब एक दिन गिल्लू के जीवन में पहले बसंत का आगमन हुआ | गिल्लू खिड़की के जाली के पास जाकर बैठा रहता | अन्य गिलहरियाँ भी वहाँ आकर चिक-चिक करती रहती थीं | इस क्रियाकलाप को देखकर लेखिका ने जाली के एक हिस्से को खोलकर गिल्लू को बाहर आजाद छोड़ देना जरूरी समझा | इस प्रकार लेखिका के कमरे से बाहर जाने पर गिल्लू भी जाली से बाहर चला जाता | तत्पश्चात्, दिन भर दूसरे गिलहरियों के साथ उछलता-कूदता और शाम होते ही अपने झूले में वापस आ जाता |
प्रश्न-6 गिल्लू किन अर्थों में परिचारिका की भूमिका निभा रहा था ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, जब लेखिका मोटर दुर्घटना में आहत हो गईं और कुछ दिन वह अस्पताल में रुकने के पश्चात् घर लौटी, तब गिल्लू लेखिका के सिरहाने बैठकर अपने नन्हें और कोमल पंजों से उनके सर और बालों को धीरे-धीरे सहलाता रहता | इस प्रकार हम कह सकते हैं कि गिल्लू सच्चे अर्थों में परिचारिका की भूमिका का निर्वहन कर रहा था |
प्रश्न-7 गिल्लू की किन चेष्टाओं से यह आभास मिलने लगा था कि अब उसका अंत समय समीप है ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ या संस्मरण के अनुसार, वास्तव में गिलहरियों की उम्र दो वर्ष से अधिक नहीं होती है | इसलिए गिल्लू के जीवन का भी अंत आ गया था | उस रोज पूरा दिन उसने कुछ नहीं खाया-पीया |
रात में वह झूले से उतरा और लेखिका के बिस्तर पर आ गया | वह ठंडे पंजों से लेखिका की उँगली पकड़कर चिपक गया | जब लेखिका ने गिल्लू को ठंड के जकड़ में पाया तो उसने गिल्लू को हीटर जलाकर ऊष्मा देने की कोशिश किया | परन्तु, लेखिका की हर कोशिश व्यर्थ रही | अंततः गिल्लू हमेशा के लिए सो गया | गिल्लू की इन्हीं चेष्टाओं से यह आभास मिलने लगा था कि अब उसका अंत समय समीप है |
प्रश्न-8 'प्रभात की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने के लिए सो गया' --- का आश्य स्पष्ट कीजिए |
उत्तर- 'प्रभात की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने के लिए सो गया' --- का आश्य यह है कि सुबह की सुगबुगाहट के साथ ही गिल्लू की मृत्यु हो गई थी | वह चिरनिद्रा में सो गया, ताकि किसी और जीवन में जन्म लेकर एक नई ज़िंदगी पा सके |
प्रश्न-9 सोनजुही की लता के नीचे बनी गिल्लू की समाधि से लेखिका के मन में किस विश्वास का जन्म होता है ?
उत्तर - प्रस्तुत पाठ या संस्मरण के अनुसार, सोनजुही की लता के नीचे बनी गिल्लू की समाधि से लेखिका के मन में इस विश्वास का जन्म होता है कि इस छोटे से जीव को इस बेल पर लगे फूल के रूप में देखेगी | सोनजुही की लता में जब पीले फूल खिलेंगे तो लेखिका के सामने गिल्लू की यादें ताज़ा हो जाएँगी | परिणामतः गिल्लू संतोष से भर जाएगी |
• स्निग्ध - चिकना
• विस्मित - आश्चर्यचकित
• लघुगात - छोटा शरीर
• अपवाद - सामान्य नियम से अलग
• परिचारिका - सेविका
• मरणासन्न - जिसकी मृत्यु निकट हो
• उष्णता - गर्मी
• पीताभ - पीले रंग का
• सोनजुही - एक प्रकार के पीला फूल
• अनायास - अचानक
• हरीतिमा - हरियाली
• लघुप्राण - छोटा जीव
• छुआ-छुऔवल - चुपके से छूकर छुप और फिर छूना
• काकभुशुंडि - एक रामभक्त ब्राह्मण जो लोमश ऋषि के शाप से कौआ हो गए
• समादरित - विशेष आदर
• अनादरित - बिना आदर के
• अवतीर्ण - प्रकट
• कर्कश - कटु
• काकद्वय - दो कौए
• निश्चेष्ट - बिना किसी हरकत के |
गिल्लू पाठ का प्रश्न उत्तर
प्रश्न-1 सोनजुही में लगी पीली कली को देख लेखिका के मन में कौन से विचार उमड़ने लगे ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ या संस्मरण के अनुसार, सोनजुही में लगी पीली कली को देखकर लेखिका के मन में उस नन्हीं गिलहरी की याद आ गई, जिसे वह प्यार से 'गिल्लू' कहके पुकारा करती थीं |
प्रश्न-2 पाठ के आधार पर कौए को एक साथ समादरित और अनादरित प्राणी क्यों कहा गया है ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के आधार पर कौए को एक साथ समादरित और अनादरित प्राणी इसलिए कहा गया है, क्योंकि कौआ जब छत पर बैठकर अपनी आवाज़ से प्रियजनों के आने की सूचना देता है, तो इसे अच्छे व्यवहार के कारण समादरित की श्रेणी में रखते हैं | लेकिन जब कौए की आवाज़ बहुत कड़वी होती है, तो इसे अनादरित की श्रेणी में रखते हैं |
प्रश्न-3 गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार किस प्रकार किया गया ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, लेखिका महादेवी वर्मा जी ने गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार पूरी निष्ठा से किया | लेखिका ने उस नन्हें घायल गिलहरी को अपने कमरे में ले जाकर रुई से उसका घाव पोंछा | तत्पश्चात्, उस पर पेंसिलिन दवा लगाने के बाद उसके मुँह में दूध डालने की कोशिश की, परन्तु उसका मुँह खुल नहीं सका | लगभग तीन दिन के बाद उसने आँखे खोली और धीरे-धीरे स्वस्थ हुआ | इस प्रकार लेखिका ने उस गिलहरी के बच्चे की खूब सेवा की |
प्रश्न-4 लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू क्या करता था ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू लेखिका के पैर तक आता और तुरन्त अपने चंचल भरे अंदाज़ में पर्दे पर चढ़ जाता | तत्पश्चात्, पुनः उसी तेजी से उतरने-चढ़ने की क्रिया जारी रखता | गिल्लू दौड़ लगाने का काम तब तक करता रहता, जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए तत्पर न हो जाती |
प्रश्न-5 गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता क्यों समझी गई और उसके लिए लेखिका ने क्या उपाय किया ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, जब एक दिन गिल्लू के जीवन में पहले बसंत का आगमन हुआ | गिल्लू खिड़की के जाली के पास जाकर बैठा रहता | अन्य गिलहरियाँ भी वहाँ आकर चिक-चिक करती रहती थीं | इस क्रियाकलाप को देखकर लेखिका ने जाली के एक हिस्से को खोलकर गिल्लू को बाहर आजाद छोड़ देना जरूरी समझा | इस प्रकार लेखिका के कमरे से बाहर जाने पर गिल्लू भी जाली से बाहर चला जाता | तत्पश्चात्, दिन भर दूसरे गिलहरियों के साथ उछलता-कूदता और शाम होते ही अपने झूले में वापस आ जाता |
प्रश्न-6 गिल्लू किन अर्थों में परिचारिका की भूमिका निभा रहा था ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, जब लेखिका मोटर दुर्घटना में आहत हो गईं और कुछ दिन वह अस्पताल में रुकने के पश्चात् घर लौटी, तब गिल्लू लेखिका के सिरहाने बैठकर अपने नन्हें और कोमल पंजों से उनके सर और बालों को धीरे-धीरे सहलाता रहता | इस प्रकार हम कह सकते हैं कि गिल्लू सच्चे अर्थों में परिचारिका की भूमिका का निर्वहन कर रहा था |
प्रश्न-7 गिल्लू की किन चेष्टाओं से यह आभास मिलने लगा था कि अब उसका अंत समय समीप है ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ या संस्मरण के अनुसार, वास्तव में गिलहरियों की उम्र दो वर्ष से अधिक नहीं होती है | इसलिए गिल्लू के जीवन का भी अंत आ गया था | उस रोज पूरा दिन उसने कुछ नहीं खाया-पीया |
प्रश्न-8 'प्रभात की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने के लिए सो गया' --- का आश्य स्पष्ट कीजिए |
उत्तर- 'प्रभात की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने के लिए सो गया' --- का आश्य यह है कि सुबह की सुगबुगाहट के साथ ही गिल्लू की मृत्यु हो गई थी | वह चिरनिद्रा में सो गया, ताकि किसी और जीवन में जन्म लेकर एक नई ज़िंदगी पा सके |
प्रश्न-9 सोनजुही की लता के नीचे बनी गिल्लू की समाधि से लेखिका के मन में किस विश्वास का जन्म होता है ?
उत्तर - प्रस्तुत पाठ या संस्मरण के अनुसार, सोनजुही की लता के नीचे बनी गिल्लू की समाधि से लेखिका के मन में इस विश्वास का जन्म होता है कि इस छोटे से जीव को इस बेल पर लगे फूल के रूप में देखेगी | सोनजुही की लता में जब पीले फूल खिलेंगे तो लेखिका के सामने गिल्लू की यादें ताज़ा हो जाएँगी | परिणामतः गिल्लू संतोष से भर जाएगी |
गिल्लू कहानी महादेवी वर्मा पाठ से संबंधित शब्दार्थ
• स्निग्ध - चिकना
• विस्मित - आश्चर्यचकित
• लघुगात - छोटा शरीर
• अपवाद - सामान्य नियम से अलग
• परिचारिका - सेविका
• मरणासन्न - जिसकी मृत्यु निकट हो
• उष्णता - गर्मी
• पीताभ - पीले रंग का
• सोनजुही - एक प्रकार के पीला फूल
• अनायास - अचानक
• हरीतिमा - हरियाली
• लघुप्राण - छोटा जीव
• छुआ-छुऔवल - चुपके से छूकर छुप और फिर छूना
• काकभुशुंडि - एक रामभक्त ब्राह्मण जो लोमश ऋषि के शाप से कौआ हो गए
• समादरित - विशेष आदर
• अनादरित - बिना आदर के
• अवतीर्ण - प्रकट
• कर्कश - कटु
• काकद्वय - दो कौए
• निश्चेष्ट - बिना किसी हरकत के |
Fu
जवाब देंहटाएं