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कीचड़ का काव्य काका कालेलकर
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कीचड़ का काव्य पाठ का सारांश
प्रस्तुत पाठ या निबंध कीचड़ का काव्य लेखक काका कालेलकर जी के द्वारा लिखित है | एक हिन्दीतर भाषी लेखक के द्वारा मूलत: हिन्दी में लिखे इस ललित निबंध कीचड़ का काव्य में काका ने कीचड़ की उपयोगिता काव्यात्मकता शैली में वर्णित किया है |आगे प्रस्तुत पाठ के अनुसार, श्री कालेकर जी ने बताया है की कोई भी कवि या लेखक अपने कृतियों या रचनाओं में
काका कालेलकर |
आगे प्रस्तुत पाठ के अनुसार, लेखक कहते हैं कि यदि हमें कीचड़ के विशाल रूप को देखना है तो गंगा या सिंधु के किनारे जाना चाहिए या फिर सीधे खम्भात ही पहुंच जाना चाहिए, वहाँ हमारी नज़र जहाँ तक जाएगी, वहाँ तक चारों ओर कीचड़ ही कीचड़ दिखाई देगा | आगे लेखक अपनी बातों पर बल देते हुए कहते हैं कि हमारे कवि मल के द्वारा उत्पन्न शब्द का प्रयोग शान से करते हैं, परन्तु मल को स्थान नहीं देते | इस विषय पर चर्चा कवियों से चर्चा न करना ही उत्तम है |
प्रस्तुत पाठ के अनुसार, लेखक कहते हैं कि अगर मनुष्य को ये स्मरण रहे कि उनका अन्न कीचड़ की ही देन है तो वह इसका तिरस्कार न करे...||
काका कालेलकर का जीवन परिचय
प्रस्तुत पाठ के लेखक श्री काका कालेलकर जी हैं | इनका जन्म महराष्ट्र के सतारा नगर में 1885 में हुआ था | श्री कालेलकर जी की मातृभाषा मराठी थी | साथ ही साथ उन्हें हिन्दी, गुजराती, बांग्ला और अंग्रेज़ी का भी ज्ञान था | गांधीजी के साथ राष्ट्रभाषा प्रचार में जुड़ने के बाद श्री कालेलकर हिंदी में लेखन करने लगे | स्वतंत्रता पश्चात् श्री कालेलकर जीवन भर गांधीजी के विचार और साहित्य के प्रचार-प्रसार में जुटे रहे | इन्होंने कई वर्षों तक मंगल प्रभात पत्र का संपादन भी किया |श्री कालेलकर जी की प्रमुख कृतियाँ हैं ---
हिमालयनो प्रवास, लोकमाता (यात्रा वृत्तांत), स्मरण यात्रा (संस्मरण), जीवननो आनंद, अवारनवार (निबंध संग्रह), धर्मोदय (आत्मचरित)...||
कीचड़ का काव्य पाठ के प्रश्न उत्तर
प्रश्न-1 रंग की शोभा ने क्या कर दिया है ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, रंग की शोभा ने उत्तर दिशा में जमकर कमाल ही कर दिया है |
प्रश्न-2 बादल किसकी तरह हो गए थे ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, बादल स्वेत पूनी की तरह हो गए थे |
प्रश्न-3 कीचड़ जैसा रंग कौन लोग पसंद करते हैं ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, कीचड़ जैसा रंग कलाभिज्ञ लोग पसंद करते हैं |
प्रश्न-4 नदी के किनारे कीचड़ कब सुंदर दिखता है ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, नदी के किनारे जब कीचड़ सूख जाते हैं और तत्पश्चात् उसके टुकड़े हो जाते हैं, तब वे सुंदर दिखाई देने लगते हैं |
प्रश्न-5 'पंक' और 'पंकज' शब्द में क्या अंतर है ?
उत्तर- वास्तव में, 'पंक' शब्द का अर्थ 'कीचड़' होता है तथा 'पंकज' शब्द का अर्थ 'कमल' होता है |
प्रश्न-6 कीचड़ के प्रति किसी को सहानुभूति क्यों नहीं होती ?
उत्तर- वास्तव में, कीचड़ के प्रति किसी को सहानुभूति इसलिए नहीं होती, क्योंकि कीचड़ से कपड़े मैले हो जाते हैं, शरीर गन्दा हो जाता है | कीचड़ के प्रति लोगों के मतों या विचारों की बात करें तो लोग कीचड़ को गंदगी का प्रतीक मानते हैं |
प्रश्न-7 ज़मीन ठोस होने पर उस पर किनके पदचिह्न अंकित होते हैं ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, ज़मीन ठोस होने पर उस पर बैल, गाय, पाड़े, बकरे, भैंस इत्यादि के पदचिन्ह अंकित होते हैं |
प्रश्न-8 मनुष्य को क्या भान होता जिससे वो कीचड़ का तिरस्कार न करता ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, मनुष्य को यदि यह भान होता कि उसका अन्न कीचड़ में ही उत्पन्न होता है, तो वह कीचड़ का तिरस्कार कभी न करता |
प्रश्न-9 कीचड़ का रंग किन-किन लोगों को खुश करता है ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, कीचड़ का रंग कलाभिज्ञ लोगों को भट्टी में पकाये गए मिटटी के बर्तनों के लिए पसंद है | फोटो लेते वक़्त उस पर कीचड़ का एकाध ठीकरे का रंग जम जाए तो उसे वार्मटोन कहकर विज्ञ लोग प्रसन्न होते हैं | पुस्तकों के गत्तों पर, दिवारों पर, कच्चे मकानों पर सब लोग कीचड़ के रंग को पंसद करते नज़र आते हैं |
प्रश्न-10 कीचड़ सूखकर किस प्रकार के दृश्य उपस्थित करता है ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, जब कीचड़ सूख जाता है, तब टुकड़ो में बंट जाता है | नदी के किनारे कीचड़ सूखकर जब ठोस हो जाता है तब उसपर गाय, बैल, भैंस, पाड़े के चिन्ह अंकित हो जाते हैं, जिसकी शोभा अलग प्रकार की होती है | उसमें दरारें आ जाती हैं और वे टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं तब वे सुखाए हुए खोपरे जैसे दिखाई देते हैं |
प्रश्न-11 सूखे हुए कीचड़ का सौंदर्य किन स्थानों पर दिखाई देता है ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, सूखे हुए कीचड़ का सौंदर्य नदियों के किनारे दिखाई देता है | जब दो मदमस्त पाड़े अपने सींगो से कीचड़ को रौंदते हैं तो चिन्हों से ज्ञात होता है महिषकुल के युद्ध के वर्णन हो | कीचड़ जब थोड़ा सूख जाता है तो उस पर छोटे-छोटे पक्षी बगुले आदि घूमने लगते हैं | अधिक सूखने पर गाय, भैंस पांडे, भेड़, बकरियाँ के पदचिन्ह अंकित होने लगते हैं |
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भाषा अध्ययन
प्रश्न-12 निम्नलिखित शब्दों के तीन-तीन पर्यायवाची शब्द लिखिए ---
• जलाशय .......................
• सिंधु ......................
• पंकज ........................
• पृथ्वी ......................
• आकाश .......................
उत्तर- शब्दों के तीन-तीन पर्यायवाची शब्द -
• जलाशय - सरोवर, सर, ताल,
• सिंधु - सागर, रत्नाकर, जलधि
• पंकज - कमल, राजीव, जलज
• पृथ्वी - भूमि, वसुधा, धरा
• आकाश - गगन, अंबर, नभ
प्रश्न-13 निम्नलिखित वाक्यों में कारकों को रेखांकित कर उनके नाम भी लिखिए ---
(क)- कीचड़ का नाम लेते ही सब बिगड़ जाता है |(.......................)
(ख)- क्या कीचड़ का वर्णन कभी किसी ने किया है ? (........................)
(ग)- हमारा अन्न कीचड़ से ही पैदा होता है | (........................)
(घ)- पदचिह्न उसपर अंकित होते हैं | (..............)
(ङ)- आप वासुदेव की पूजा करते हैं | (.............)
उत्तर- वाक्यों में कारकों को रेखांकित कर -
(क)- कीचड़ का नाम लेते सब बिगड़ जाता है | (का --- सबंध कारक)
(ख)- क्या कीचड़ का वर्णन कभी किसी ने किया है ? (ने --- कर्ता कारक)
(ग)- हमारा अन्न कीचड़ से ही पैदा होता है | (हमारा --- संबध कारक, से --- करण कारक)
(घ)- पदचिह्न उस पर अंकित होते हैं |(पर --- अधिकरण कारक)
(ङ)- आप वासुदेव की पूजा करते हैं |(की --- सबंध कारक)
प्रश्न-14 न, नहीं, मत का सही प्रयोग रिक्त स्थानों पर कीजिए ---
(क) तुम घर ........... जाओ |
(ख) मोहन कल ............ आएगा |
(ग) उसे ......... जाने क्या हो गया है ?
(घ) डाँटो .......... प्यार से कहो |
(ङ) मैं वहाँ कभी ........... जाऊँगा |
(च) ........... वह बोला ......... मैं |
उत्तर- सही प्रयोग रिक्त स्थानों पर
(क) तुम घर ...मत... जाओ |
(ख) मोहन कल ..नहीं.... आएगा |
(ग) उसे ..न.. जाने क्या हो गया है ?
(घ) डाँटो ..मत.... प्यार से कहो |
(ङ) मैं वहाँ कभी ..नहीं..... जाऊँगा |
(च) ..न... वह बोला ..न.. मैं |
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कीचड़ का काव्य पाठ के शब्दार्थ
• अंकित - चिन्हित
• कारवां - देशान्तर जाने वाले यात्रियों का झुण्ड
• मदमस्त - मस्त
• पाड़े - भैंस के नर बच्चे
• महिषकुल - भैंसो का परिवार
• कर्दम - कीचड़
• भास - प्रतीत
• अलोपक्ति - थोड़ा कहना
• तिरस्कार - उपेक्षा
• युक्तिशून्य - विचारहीन
• वृति - तरीका
• आकर्षक - सुन्दर
• शोभा -सुंदरता
• उत्तर - उत्तर दिशा
• कमाल - अद्भुत चमत्कारिक क्रिया
• पुनि - धूनी हुई रुई की बड़ी बत्ती जो सूत काटने के लिए बनाई जाती है।
• जलाशय - तालाब
• तठस्था - निष्पक्षता
• कलाभिज्ञ - कला का जानकार
• ठीकरा - खोपडे का टुकड़ा
• विज्ञ - जानकार |
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