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शुक्रतारे के समान - स्वामी आनंद
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शुक्रतारे के समान पाठ का सारांश
प्रस्तुत पाठ शुक्र तारे के समान लेखक स्वामी आनंद जी के द्वारा लिखित है | वास्तव में, यह पाठ मूलरूप से गुजराती भाषा में लिखा गया है | इस पाठ में लेखक ने गाँधी जी के निजी सचिव 'महादेव भाई देसाई' की बेजोड़ प्रतिभा और व्यस्ततम दिनचर्या को उकेरने का प्रयास किया है | इस पाठ के माध्यम से महादेव भाई की निष्ठा, सरलता, सज्जनता, समर्पण, लगन आदि को लेखक ने पूरी ईमानदारी से शब्दों में पिरोया है | प्रस्तुत पाठ या रेखाचित्र के माध्यम से लेखक ने महादेव भाई की तुलना शुक्र तारे से की है, जो सारे आकाश को जगमगा कर, दुनिया को मुग्ध करके अस्त हो जाता है | ठीक उसी प्रकार भाई महादेव जी भी आधुनिक भारत की स्वतंत्रता के उषाकाल में अपनी वैसी ही आभा से हमारे आकाश को जगमगाकर, देश और दुनिया को मुग्ध करके, शुक्र तारे की तरह ही अचानक अस्त हो गए | महादेव देसाई 1917 में जब गांधीजी से मिले, तब गांधीजी ने उन्हें पहचान कर अपना उत्तराधिकारी के रूप में स्वीकार कर लिया | तत्पश्चात्, 1919 में जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड के वक़्त जब गांधीजी को गिरफ़्तार किया गया, तब उन्होंने महादेव देसाई जी को अपना उत्तराधिकारी माना | उन दिनों गांधीजी के सामने अंग्रेज़ों द्वारा अत्याचारों और जुल्मो-सितम की जो दल कहानियाँ सुनाने आते थे, भाई महादेव देसाई उनकी संक्षिप्त टिप्पणियाँ बनाकर उनको गाँधी जी के समक्ष पेश किया करते थे तथा आने वालों के साथ उनकी रूबरू मुलाकातें भी करवाते थे | गांधी जी बंबई के मुख्य राष्ट्रीय अंग्रेज़ी दैनिक 'बाम्बे क्रानिकल' इन सब विषयों पर लेख लिखा करते थे |
शुक्रतारे के समान |
बाद में 'क्रॉनिकल' के अंग्रेज़ संपादक हार्नीमैन को सरकार ने देश-निकाले की सजा देकर इंग्लैंड भेज दिया | उन दिनों बंबई के तीन नए नेता हुआ करते थे | शंकर लाल बैंकर, उम्मर सोबानी और जमनादास द्वारकादास | उक्त तीनों में अंतिम श्रीमती बेसेंट के अनुयायी थे | ये नेता 'यंग इंडिया' का एक अंग्रेज़ी साप्ताहिक भी निकालते थे |परन्तु, 'यंग इंडिया' में भी 'क्रानिकल' वाले हार्नीमैन ही मुख्य रूप से लिखा करते थे | जब हार्नीमैन को देश छोड़कर निकलना पड़ा तो इन लोगों को हर सप्ताह लिखने के लिए कमी पड़ने लगी | तब इन्होंने गांधी जी से विनती की कि वे 'यंग इंडिया' के संपादक बन जाएँ | तत्पश्चात्, गांधी विनती स्वीकार कर लिए | बाद में काम बढ़ जाने के कारण 'यंग इंडिया' अख़बार को गांधी जी ने सप्ताह में दो बार निकालने का निश्चय किया |
'यंग इंडिया' के बाद 'नवजीवन' की भी ज़िम्मेदारी गांधी जी के पास आ गई | दोनों साप्ताहिक अहमदाबाद से निकलने लगे | बाद में अख़बार की ज़िम्मेदारी लेखक के हाथों में आ गई | महादेव भाई और गांधीजी का सारा समय देश-भम्रण में बीतने लगा, परन्तु महादेव जी जहाँ भी होते कुछ समय निकालकर लेख अवश्य लिखते और भेजते |
अपने तीर्व बुद्धि के कारण देसी-विदेशी समाचार पत्र वालों के ये लाडले बन गए | गांधीजी के पास आने से पहले ये सरकार के अनुवाद विभाग में नौकरी करते थे | इन्होंने कई साहित्यों का अनुवाद भी किया था | महादेव भाई गांधीजी के यात्राओं और दिन प्रतिदिन की गतिविधियों के बारे में लिखा करते | साथ ही देश-विदेश के समाचारों को पढ़कर उसपर टिका-टिप्पणियाँ भी लिखते थे |
महादेव भाई गांधीजी के जीवन में इतने रच-बस-गए थे कि उनके बिना महदेव भाई की अकेले कल्पना नहीं की जा सकती थी | गांधीजी के पत्रों में महादेव भाई की लिखावट होती थी | उनकी लिखावट लम्बी सी जेट की गति सी लिखी जाती थी, वे शॉर्टहैंड नहीं जानते थे, परन्तु उनकी लेखनी में कॉमा मात्र की भी गलती नहीं होती थी | इसलिए गांधीजी भी अपने मिलने वालों से बातचीत को उनकी नोटबुक से मिलान करने को कहते थे | वे अपने बड़े-बड़े झोलों में ताजे समाचार पत्र और पुस्तकें रखा करते, जिसे वे रेलगाड़ी, रैलियों तथा सभाओं में पढ़ते थे या फिर 'नवजीवन' या 'यंग इंडिया' के लिए लेख लिखते रहते | एक घंटे में चार घंटो का काम निपटा देते थे | वे इतने वयस्त समय में अपने लिए कब वक्त निकालते पता ही नहीं चलता था |
1934-35 में गांधी जी मगनवाड़ी से चलकर सेगांव चले गए थे | परन्तु, महादेव जी मगंवादी में ही रहे | सेगांव से मंगवादी की दूरी 11 मिल था | महादेव भाई देसाई रोज मंगवादी से पैदल चलकर सेगांव जाते तथा शाम को काम निपटाकर वापस आते थे | यही वजह है कि उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और वे अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए | इनके मृत्यु का दुःख गांधीजी को आजीवन रहा |
'महादेव भाई देसाई' जी ने गांधी जी की पुस्तक 'सत्य का प्रयोग' का अंग्रेजी में अनुवाद भी किया है | देखा जाए तो लेखक अपने प्रस्तुत रेखाचित्र के नायक के व्यक्तित्व और उसकी ऊर्जा, उनकी लगन और प्रतिभा से अभिभूत है...||
स्वामी आनंद का जीवन परिचय
प्रस्तुत पाठ के लेखक स्वामी आनंद जी हैं | इनका जन्म गुजरात के कठियावाड़ जिले के किमड़ी गाँव में 1887 में हुआ था | जब लेखक 10 वर्ष के थे तब कुछ साधु इन्हें अपने साथ हिमालय की ओर ले गए और इनका नामकरण किया – स्वामी आनंद |शुक्र तारे के समान प्रश्न उत्तर
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, महादेव भाई अपना परिचय गांधीजी के 'हम्माल' तथा 'पीर-बावर्ची-खर' के रूप में दिया करते थे |
प्रश्न-2 'यंग इंडिया' साप्ताहिक में लेखों की कमी क्यों रहने लगी थी ?
उत्तर- 'यंग इंडिया' साप्ताहिक में लेखों की कमी इसलिए रहने लगी थी, क्योंकि उसके मुख्य लेखक व संपादक 'हार्नीमैन' को अंग्रेज़ सरकार ने देश निकाला करके इंग्लैंड भेज दिया था |
प्रश्न-3 गांधीजी से मिलने से पहले महादेव भाई कहाँ नौकरी करते थे ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, गांधीजी से मिलने से पहले महादेव भाई सरकार के अनुवाद विभाग में नौकरी किया करते थे |
स्वामी आनंद |
प्रश्न-4 महादेव भाई ने गांधीजी की कौन-सी प्रसिद्ध पुस्तक का अनुवाद किया था ?
उत्तर- महादेव भाई ने गांधी जी द्वारा लिखित 'सत्य के प्रयोग' का अंग्रेजी में अनुवाद किया था |
प्रश्न-5 अहमदाबाद से कौन-से दो साप्ताहिक निकलते थे ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, अहमदाबाद से 'यंग इंडिया' और 'नवजीवन' नामक दो साप्ताहिक निकलते थे |
प्रश्न-6 गांधीजी ने महादेव को अपना वारिस कब कहा था ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, जब गांधीजी 1919 में जलियाँवाला बाग हत्याकांड के बाद पंजाब जा रहे थे तो पलवल रेलवे स्टेशन पर उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया था | तब उसी समय गांधी जी ने महादेव भाई को अपना वारिस कहके संबोधित किया था |
प्रश्न-7 महादेव भाई की साहित्यिक देन क्या है ?
उत्तर- महादेव भाई की साहित्यिक देन की बात करें तो इन्होंने सरकार के अनुवाद विभाग में नौकरी किया | 'यंग इंडिया' में लेख लिखे | शरद बाबू, टैगोर आदि की कहानियों का भी अनुवाद किया | वे प्रतिदिन डायरी भी लिखा करते थे | महादेव भाई ने 'सत्य का प्रयोग' का अंग्रेज़ी अनुवाद भी किया, जो कि गांधीजी की आत्मकथा थी |
प्रश्न-8 महादेव भाई की अकाल मृत्यु का कारण क्या था ?
उत्तर- 1934-35 में गांधी जी मगनवाड़ी से चलकर सेगांव चले गए थे | परन्तु, महादेव जी मगंवादी में ही रहे |
सेगांव से मंगवादी की दूरी 11 मिल था | महादेव भाई देसाई रोज मंगवादी से पैदल चलकर सेगांव जाते तथा शाम को काम निपटाकर वापस आते थे | यही वजह है कि उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और वे अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए | इनके मृत्यु का दुःख गांधीजी को आजीवन रहा |
प्रश्न-9 महादेव भाई के लिखे नोट के विषय में गांधीजी क्या कहते थे ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, महादेव भाई के लिखे नोट के विषय में गांधीजी कहते थे कि उनके नोट सटीक होते हैं | उनमें कभी कोमा तक की त्रुटि भी नहीं होती है | अगर किसी की टाइप करवाई हुई बातचीत में खामियां निकल जाती तो गांधीजी उन्हें कहते महादेव के लिखे नोट से मिलान कर लेना चाहिए था ना |
प्रश्न-10 पंजाब में फ़ौजी शासन ने क्या कहर बरसाया ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, पंजाब में फ़ौजी शासन ने यह कहर बरसाया कि अधिकतर नेताओं को गिरफ़्तार करके उन्हें उम्र क़ैद की सजा देकर कालापानी भेज दिया | साथ ही साथ राष्ट्रीय दैनिक पत्र 'ट्रिब्यून' के संपादक को भी 10 साल की सज़ा दी गई |
प्रश्न-11 महादेव जी के किन गुणों ने उन्हें सबका लाडला बना दिया था ?
उत्तर- महादेव जी के गुणों ने उन्हें सबका लाडला बना दिया था, क्योंकि महादेव जी एक प्रतिभावान व्यक्ति थे | देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी लोकप्रिय थे | महादेव जी एक कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति थे, विन्रम स्वभाव के मालिक थे | इनकी लेखन शैली का सभी लोहा मानते थे | वे अपने विरोधियों के साथ भी सत्यनिष्ठता और विवेक युक्त बातें करते थे |
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भाषा अध्ययन
प्रश्न-12 'इक' प्रत्यय लगाकर शब्दों का निर्माण कीजिए ---
सप्ताह - साप्ताहिक
साहित्य ..............
व्यक्ति ..............
राजनीति ..............
अर्थ .............
धर्म .............
मास ..............
वर्ष ..............
उत्तर- 'इक' प्रत्यय लगाकर शब्दों का निर्माण -
• सप्ताह - साप्ताहिक
• साहित्य - साहित्यिक
• व्यक्ति - वैयक्तिक
• राजनीति - राजनीतिक
• अर्थ - आर्थिक
• धर्म - धार्मिक
• मास - मासिक
• वर्ष - वार्षिक
प्रश्न-13 नीचे दिए गए उपसर्गों का उपयुक्त प्रयोग करते हुए शब्द बनाइए ---
अ, नि, अन, दुर, वि, कु, पर, सु, अधि
आर्य-..............आगत-..............
डर-..............आकर्षण-..............
क्रय-..............मार्ग-..............
उपस्थित-..............लोक-..............
नायक-..............भाग्य-..............
उत्तर- उपसर्गों का उपयुक्त प्रयोग करते हुए शब्द -
• आर्य - अनार्य
• डर - निडर
• क्रय - विक्रय
• उपस्थित - अनुपस्थित
• नायक - अधिनायक
• आगत - स्वागत
• आकर्षण - अनाकर्षण
• मार्ग - कुमार्ग
• लोक - परलोक
• भाग्य - सौभाग्य
प्रश्न-14 निम्नलिखित मुहावरों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए ---
आड़े हाथों लेना
अस्त हो जाना
दाँतों तले अँगुली दबाना
मंत्र मुग्ध करना
लोहे के चने चबाना
उत्तर- मुहावरों का अपने वाक्यों में प्रयोग -
• आड़े हाथों लेना - उसने सुशील को आड़े हाथों ले लिया है |
• दाँतों तले अँगुली दबाना - नन्हें बच्चों की प्रतिभाओं को देखकर सबने दाँतों तले अँगुली दबा ली |
• लोहे के चने चबाना - सफलता के लिए लोहे के चने चबाना पड़ता है |
• अस्त हो जाना − वर्षों की संघर्ष के बाद भारतीय जीते और अंग्रेज़ी हुकूमत का सूर्य अस्त हो गया |
• मंत्र-मुग्ध करना − उसने अपनी बेहतरीन अदाकारी से सबकों मंत्र-मुग्ध कर दिया |
प्रश्न-15 निम्नलिखित शब्दों के पर्याय लिखिए ---
वारिस-..............जिगरी-..............कहर-..............
मुकाम-..............रूबरू-..............फ़र्क-..............
तालीम-..............गिरफ़्तार-..............
उत्तर- शब्दों के पर्याय -
• वारिस - उत्तराधिकारी, वंश
• मुकाम - मंज़िल, लक्ष्य
• तालीम - शिक्षा, इल्म
• जिगरी - घनिष्ठ, आत्मिक दोस्त
• फ़र्क - भेद, अंतर
• गिरफ़्तार - बंद, कैद
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शुक्रतारे के समान पाठ का शब्दार्थ
• पीर – महात्मा
• कट्टर – दॄढ़
• चौकसाई - नजर रखना
• पेशा – व्यवसाय
• स्याह – काला
• सल्तनत – राज्य
• अद्यतन – अब तक का
• गाद – तलछट
• सानी – उसी जोड़ का दूसरा
• अनायास – बिना किसी प्रयास के
• नक्षत्र-मंडल – तारा समूह
• कलगी रूप – तेज़ चमकने वाला तारा
• हम्माल – कुली
• बावर्ची – रसोइया
• भिश्ती – मसक से पानी ढोने वाला व्यक्ति
• खर – गधा
• आसेतुहिमाचल - सेतुबंध रामेश्वर से हिमाचल तक विस्तीर्ण
• ब्योरा – विवरण
• रूबरू – आमने-सामने
• धुरंधर - प्रवीण |
Good content 😊👍
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