जीवन प्रमाण पत्र बनाने का तरीका आधार नंबर, पेंशन पेमेंट ऑर्डर, बैंक का नाम, अकाउंट नंबर और मोबाइल नंबर आधार नंबर और फोन नंबर बताना है और फिंगर प्रिंट
जीवन प्रमाणन – अनुभव और तरीके
अक्टूबर 2015 में सेवानिवृत्त होने पर ही मुझे जीवन प्रमाणन की आवश्यकता हुई। सरकारी कानूनन नवंबर में हर सेवानिवृत सरकारी तथा अर्धसरकारी कर्मचारी को पेंशन पाने के लिए जीवित होने का प्रमाण देना होता है। उन दिनों अपने पेंशन अदायगी बैंक में जाकर फोटो, बैंक खाता संख्या ,आधार कार्ड नंबर और पेंशन पेमेंट अथारिटी (पीपीओ) संख्या के साथ फार्म भरकर हस्ताक्षरित करके जमा करना पड़ता था। जिसे बैंक का अधिकृत अधिकारी सत्यापित करता था। मैंने भी फार्म जमा किया और मेरा पेंशन जारी रहा। मेरा पेंशन 58 की आयु पूरी होने पर ही मिलना शुरु हो गया था इसलिए मुझे नौकरी में रहते हुए भी जीवन प्रमाणन देना पड़ता था। भले ही यह फूहड़ सी बात थी, पर सरकारी कानून की अवहेलना करना यानी खुद अपनी पेंशन पर रोक लगाना होता।
मुझे तो यहाँ के रास्ते भी नहीं पता थे। पता करते हुए, दो बसों में सफर करते हुए, मैं यहाँ के क्षेत्रीय कार्यालय पहुँचा । वहाँ एक कूपन दिया गया । मेरा नंबर 95-96 के आसपास था। अंदर पहुँचा तो देखा कि वहाँ सारी जनता बैठी है और शायद सबसे कम उम्र का पेंशनर मैं ही हूँ। वहाँ 85-90 वर्ष के बुजुर्ग उपस्थित थे, जिनके कमर धरातल के समानान्तर झुक गए थे। पर उनकी जल्दी करने की विनती भी किसी को सुनाई नहीं पड़ रही थी। तब मुझे एहसास हुआ कि मुझसे बड़ी मुसीबत में तो सारी दुनिया है, मेरा दुखी होने का कोई अर्थ नहीं है। कुछ ने तो बताया कि वे बैंक में फार्म भरकर दे चुके हैं और यहाँ प्रमाणन कराने चौथी बार आए हैं। पिछले तीन बार भी उन्हें DLC दिया गया था, पर पेंशन नहीं आ रही है।
पीएफ कार्यालय से जीवन प्रमाणन का एक सर्टिफिकेट मिला था । कहा गया कि इसे मैं अपने पेशन दाता पीएफ कार्यालय में भेज दूँ। पर नेट से भी न वहाँ का पता मिला, न ही ई मेल । इसलिए मैंने फिर पी एफ ऑफिस काल किया तो उन्होंने उस दस्तावेज का आइडेंटिटी नंबर माँगा और चेक करके कहा कि आपका जीवन प्रमाण स्वीकृत कर लिया गया है। लेकिन बाद में मुझे दिल्ली के पी एफ कार्यालय से भी संदेश मिला कि मेरा जीवन प्रमाणन स्वीकृत हो चुका है और मेरी पेंशन की राशि अगले महीने बकाया के साथ खाते में जमा कर दी जाएगी। पर यह तो केवल नवंबर 2016 तक ही चलना था। तीन चार महीने में यह कार्यक्रम दोहराया जाना था।
2. चुनिंदा बैंकों द्वारा।
3. सरकारी CSC द्वारा।
4. चुनिंदा निजी नेट सर्विस केंद्रों द्वारा।
5. पोस्ट आफिस के जरिए।
पी एफ कार्यालय से जीवन प्रमाणन
1. पेंशन वाला बेक पासबुक
2. आधार कार्ड
3. मोबाईल फोन और नंबर (संभवतः अधार वाला)
4. पेंशन पेमेंट ऑर्डर
चुनिंदा बैंक ब्राँचों में जीवन प्रमाणन
यहाँ आपको एक फार्म दिया जाता है जिसमें आपको अपना आधार नंबर, फोन नंबर (आधार संबंधित हो तो बेहतर), पीपीओ नंबर और पेशन पाने वाले बैंक खाते का नंबर भरना होता है । उसके बाद बैंक कर्मचारी आपके आधार नंबर और फोन नंबर को कंप्यूटर में दर्ज करके आपका फिंगर प्रिंट लेकर अपलोड करता है जिससे आपके जीवित होने का प्रमाणन आई डी मिल जाता है. इस आई डी का एक प्रिंट आपको दे दिया जाता है और सूचना आपके पीएफ कार्यालय और बैंक ब्राँच को स्वतः प्रेषित हो जाती है। यहाँ भी जीवन प्रमाणन की सुविधा निशुल्क है।CSC सर्विस प्रोवाइडरों के पास
एक सरकारी ठेका होने पर भी व्यापारिक संस्थान हैं। यहाँ पर आपको आधार नंबर और फोन नंबर बताना है और फिंगर प्रिंट देना है। बस उन सूचनाओं के भरते ही कंप्यूटर से जीवन प्रमाणन मिल जाता है। आपको एक प्रिंट मिल जाएगा और रु 50 (कम से कम) की फीस ले ली जाएगी। कुछ केंद्रों ने हालातों के मद्देनजर रु 100 और 200 की फीस भी वसूला है।चुनिंदा (अधिकृत) निजी नेटवर्क सर्विस प्रोवाइडरों से
यह एक निजी व्यापारिक संस्थान हैं। यहाँ पर आपको आधार नंबर और फोन नंबर बताना है और फिंगर प्रिंट देना है। बस उन सूचनाओं के भरते ही कंप्यूटर से जीवन प्रमाणन मिल जाता है। आपको एक प्रिंट मिल जाएगा और रु 50 (कम से कम) की फीस ले ली जाएगी। कुछ केंद्रों ने हालातों के मद्देनजर रु 100 और 200 की फीस भी वसूला है।डाक विभाग से जीवन प्रमाणन
पॆशनर Postal info mobile app या Govt Web page पर Door step request बुक कर सकते हैं। अभी केंद्रीय कर्मचारी ही इस सुविधा का लाभ पा सकते हैं. आपका Digital Life Certificate (DLC) नंबर आपके मोबाइल पर आ जाएगा। इसके लिए आपको निम्न दस्तावेज साथ रखने होंगे।अ) पेंशन आई डी।
आ) पेंशन पेमेंट ऑर्डर।
इ) पेंशन अदायगी विभाग का नाम।
ई) पेंशन पाने वाली बैंक की जानकारी
(खाता संख्या, IFSC, br. location, bank’s name)
उ) मोबाइल नंबर ( संभवतः आधार वाला)
ऊ) ई मेल आई डी
ऋ) आधार संख्या
किसी दस्तावेज की कापी नहीं चाहिए, पर मूल को सत्यापन हेतु साथ रखना बेहतर है।
कहा जा रहा है कि कोरोना से उत्पन्न हालातों में यह एक बहुत बड़ी सुविधा है। डाकिया या ग्राम डाक सेवक स्मार्ट फोन और FPI लेकर घर पहुँचेंगे। जीवन प्रमाणन संख्या मिलने पर उनको रु70 की नगद राशि का भुगतान करना होगा।
1. गूगल प्ले स्टोर से पोस्ट इन्फो एप डाउनलोड करें।
2. उसमें सर्विस रिक्वेस्ट पर जाएँ।
3. नाम, पता, पिन कोड, मोबाइल नंबर और जो भी जानकारी माँगी जाए दीजिए।
4. उसके बाद पहले IPPB और फिर जीवन प्रमाण चुनें।
5. OTP कन्फर्म करें। इससे आपका DLC पिन केड के अनुसार पास के डाक घर में पहुँच जाएगा।
6. आपसे समय और पता पूछ कर अगले 24 घंटों में डाकिया या ग्रामीण डाक सेवक FPI & Android फोन लेकर आपकरे घर आएगा और आपका फिंगर प्रिंट लेकर तसल्ली कराएगा कि आपका DLC बन गया है।
7. आपके मोबाइल पर NIC – National Informatics Centre से SMS में आपके DLC का नंबर आएगा।
8. आपके पेंशन वाले बैंक को यह नंबर और DLC स्वतः ही पहुँच जाएगा।
9. बैंक से आपके पास SMS आएगा कि आपका DLC स्वीकृत हो गया है।
10. DLC नंबर आने पर आप डाकिया या ग्राम सेवक को रु 70 फीस की रकम नगद दे दें
11. आप के पास DLC का नंबर है , इससे आप
http://jeevanpramaan.gov.in/ppouser/login पर लॉगिन करके अपने DLC को सेव कर सकते हैं या प्रिंट ले सकते हैं।
12. यही सुविधा आप डाकघर के काउंटर पर micro ATM से भी पा सकते हैं।http://jeevanpramaan.gov.in/ppouser/login
पर आप अपने निकटवर्ती जीवन प्रमाण केंद्र भी खोज सकते हैं।
कुछ सुझाव -
1. जब पेंशनर किसी सरकारी या अर्धसरकारी संस्थान में कार्यरत है तब उससे जीवन प्रमाण लेनाकोई औचित्य नहीं रखता. इसे तुरंत प्रभाव से रोक देना चाहिए।
2. जब भी कोई नई सुविधा सुझाई जाए तब उसका पूर्ण विवरण फीस सहित दिय़ा जाए।
3. जीवन प्रमाणन के लिए CSC & selected internet providers के पास एक फीस तय की जानी चाहिए। आज वे अंधाधुँध मनमर्जी फीस ले रहे हैं।
4. पीएफ कार्यालय को शहर का विस्तार और पेंशनर जनों की संख्या के अनुसार अपने कार्यालय की अतिरिक्त शाखाएँ खोलने पर विचार करना चाहिए।
5. बैंको के सभी ब्रांचों में जीवनप्रमाणन की सुविधा उपलब्ध करा देनी चाहिए। जिससे परेंशनर अपने पास के बैंक में ही जाएंगे और इससे भीड़ कम हो जाएगी।
यह रचना माड़भूषि रंगराज अयंगर जी द्वारा लिखी पुस्तक "अंतस के मोती" से ली गयी है.आप स्वतंत्र रूप से लेखन कार्य में रत है। आप की विभिन्न रचनाओं का प्रकाशन पत्र -पत्रिकाओं में होता रहता है। आपकी पांच पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं - 1. दशा और दिशा, 2. मन दर्पण, 3. हिंदी - प्रवाह और परिवेश 4. अंतस के मोती 5. गुलदस्ता।पाँचो पुस्तकें नेट पर ऑर्डर के लिए उपलब्ध हैं। संपर्क सूत्र - एम.आर.अयंगर.8462021340,7780116592,वेंकटापुरम,सिकंदराबाद,तेलंगाना-500015 laxmirangam@gmail.com
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