घटना बयान करते हुए सैफ के चेहरे पर तनाव था | वो बार बार अपनी मुट्ठियाँ भींच रहा था और इस बात को दुहरा रहा था कि ये वो लोग हैं जिनका पेशा जानवर की चमड़ी
चमरासुर उपन्यास (3) / शमोएल अहमद
एक दर्दनाक खबर मिली | मखना गाँव के कुछ दबंग सवर्णों ने एक नाबालिग दलित लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार किया था और परिवार के तीन सदस्यों का बेरहमी से क़त्ल किया था | लड़की अर्धमृत अवस्था में सदर अस्पताल लाई गयी थी | खबर सुन कर रुक्मिणी रो पड़ी | चमरासुर और सुजाता को लेकर अस्पताल पहुँची| लड़की आई.सी.यू. में थी | माँ, बाप और भाई की लाशें पोस्टमार्टम के लिए भेज दी गयी थीं. | वार्ड में कुछ रिश्तेदार भी थे | वो डरे हुए थे और कुछ कहने से घबड़ा रहे थे | भाई की बहुत निर्मम हत्या हुई थी | आँखें निकाल दी गयी थीं | धारदार हथियार से गला रेता गया था | डाक्टर ने बताया कि लड़की की हालत गम्भीर है | कुछ कहा नहीं जा सकता | प्राइवेट पार्ट पर छुरा चला है | रुकमणी ने आई.सी.यू. में लडकी को देखा | चेहरा सूजा हुआ था | आँखें बन्द थीं | होंठ भिंचे हुए थे | पूरा चेहरा ऐंठा हुआ था.... रुक्मिणी की आँखें ये सोचकर द्रवित हो गईं कि लडकी ने बहुत दर्द सहने की कोशिश की होगी और आखिर कोमा में चली गयी | आई.सी.यू. से निकल कर वो जनरल वार्ड में आये | दोनों तरफ कतार में बेड लगे हुए थे जिनपर मरीज़ पड़े कराह रहे थे | कोने वाली बेड पर एक मरीज़ सिर को घुटने में दिए बैठा था | उसके करीब एक नौजवान कमर पर हाथ रखे खड़ा था | रुक्मिणी को नौजवान अपनी तरह का मालूम हुआ | परिचय होने पर उसने जाना कि उसका नाम सैफुल इस्लाम था और वो पहलू खान का रिश्तेदार था जिसे गौरक्षकों ने कुचला था और इस वक्त अपने दलित दोस्त को देखने अस्पताल आया हुआ था जो घुठने में सिर दिए बैठा था | उसने आत्महत्या की कोशिश की थी | उसकी मानसिक स्थिति अभी भी चिंताजनक थी | सैफ ने बताया कि उसको मनुस्मृति के अमूल्य वचन याद आते हैं , कभी हँसने लगता है कभी रोने लगता है | कभी पूरी ताकत से उछलता है | ऐसा लगता है कि वी.डी.ओ. का मंज़र उसकी निगाहों में छाया रहता है |
रुक्मिणी ने विस्तार से जानना चाहा तो उसने उन्नाव गाँव की घटना सुनाई | चार दलित युवकों की गौरक्षको ने निर्दयता से पिटाई की थी | उन्हें गोबर खाने और पेशाब पीने पर मजबूर किया था | इस घटना का वी.डी.ओ.बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया | ये देखकर कुछ दलितों ने प्रतिरोध में आत्महत्या की कोशिश की | एक तो मर भी गया | चार सौ रूपये रोज़ कमाने वाले जगदीश मजदूर को उसके रिश्तेदारों ने बचा लिया | सैफ ने बताया कि उसके दोस्त ने भी जान देनी चाही| वी.डी.ओ. का दृश्य उसकी निगाहों में घूमता था और वह जिल्लत की आग में जलने लगता था | उसको लगता उसका पूरा समुदाय जलील हुआ है....और वह बेबस है....कुछ कर नहीं सकता...वह जान देकर ही अपनी इज्जत बचा सकता है | कम से कम प्रशासन एक्शन में आएगा और अपराधियों को सज़ा मिलेगी | उसने गले में फंदा लगाकर मरने की कोशिश की लेकिन समय पर उसके पिता पहुँच गये और गले से फंदा खोलकर फेका | आदमी जब मायूसी के शिखर पर पहुंचता है तो आत्महत्या में पलायन करता है |
घटना बयान करते हुए सैफ के चेहरे पर तनाव था | वो बार बार अपनी मुट्ठियाँ भींच रहा था और इस बात को दुहरा रहा था कि ये वो लोग हैं जिनका पेशा जानवर की चमड़ी छीलना है | इनसे ये काम ऊँची ज़ात वाले ही लेते हैं, फिर इस तरह अपमानित करने का मतलब क्या है | वी.डी.ओ. वायरल करने का मतलब है कि सरकार भी साथ है | कोई कुछ बोलता क्यों नहीं ? मुखिया भी चुप है | ये जताना चाहते हैं कि आदिग्रन्थों ने जो सामाजिक ढाँचा बनाया है उसमें तुम नीच हो और नीच ही रहोगे | तुम ब्रह्मा के पाँव से पैदा हुए इसलिए सब की सेवा करोगे | तुम गाय नहीं रख सकते लेकिन मृत गाय की चमड़ी छीलनी है | जूते गढ़ना है | मैला ढोना है | गंदगी साफ़ करनी है | ये काम ऊँची ज़ात वाले नहीं करेंगे | तुम देख लो अपनी औकात इस वी.डी.ओ. में | हमने इसे वायरल कर दिया | सारी दुनिया देख रही है | तुमने गोबर खाया | मूत्र पिया | तुम साले नीच.....!
सैफ गुस्से से काँप रहा था | एक डॉक्टर वार्ड में आया | उसने दूर से ही खैरियत पूछी | नर्स उधर से चुपचाप गुजर गयी | रुक्मिणी ने महसूस किया कि इस दलित मरीज़ के पास कोई जाना नहीं चाहता है | वहाँ सिर्फ रिश्तेदार जमा थे और नर्स पास आने से कतरा रही थी | रुक्मिणी मरीज़ के करीब कुर्सी पर बैठ गयी और चाहा कि कुछ बात करे कि वो जोर से चिल्लाया |
‘’ चूतड़ काट लेंगे ....चूतड़ !’’
रुक्मिणी कुर्सी से उठ गयी | बहुत खिन्नता का एहसास हुआ | नर्स हँसने लगी | सैफ को गुस्सा आ गया |
‘’ इसकी ऐसी हालत हो रही है और आप हँस रही हैं ? आपको शर्म आनी चाहिए |’’
नर्स सौरी कहती हुई वार्ड से बाहर चली गयी |
‘’ इसके दिमाग में हर वक़्त मनुस्मृति चलती रहती है |‘’ सैफ धीरे से बोला |
मरीज़ सुजाता को घूरने लगा | फिर हँसते हुए बोला |
‘’ बहन जी के कानों में हीरे के बुँदे |’’
और उसने बिस्तर पर उलटी कर दी |
रुक्मिणी नर्स को बुलाकर लाई | नर्स ने नाक-भौं चढ़ाते हुए चादर बदली |
सैफ दुख भरे लहजे में बोला कि इसका यह हाल है और डॉक्टर कहते हैं अच्छा हो गया है |
वे देर रात अस्पताल में रुके | सरकार का कोई प्रतिनिधि लडकी को देखने नहीं आया | अस्पताल से विदा होते हुए रुक्मिणी ने दोस्ती का धागा सैफ की कलाई पर भी बाँधा |
दूसरे दिन सुजाता सुबह-सवेरे रुक्मिणी से मिलने चली आयी | इसबार मंत्री का संदेशा पहुँचाया | रुक्मिणी का जवाब था कि वो मंत्री से मिलकर क्या करेगी ? उसे किसी पद की लालच नहीं है | सुजाता ने समझाया कि पावर-लॉबी की मदद से बहुत से काम हो जाते हैं |
सुजाता की हठ पर वह मंत्री महोदय से मिलने उनकी कोठी पर पहुँची| उसे अंदर के कमरे में बिठाया गया जहाँ मंत्री ख़ास लोगों से मिलते थे | रुक्मिणी को इस कमरे में असुरक्षा का अजीब सा एहसास हुआ | उसको लगा वह ऐसी जगह आ गयी हैं जहां फर्श पर साँप बिल में छुपे बैठे हैं |
मंत्री ने बहुत मीठे स्वर में बात शुरू की |
‘’ मैं आपकी कविताएँ पढ़ता रहता हूँ | आपमें प्रतिभा है | मैं चाहता हूँ आप हमारी पार्टी के लिए सलोगन लिखें |’’
रुक्मिणी हँसने लगी |
‘’कवि का काम सलोगन लिखना नहीं है |’’
‘’ इस बार महादेवी वर्मा पुरस्कार के लिए आपका नाम सर्वोपरि है |’’
‘’ मुझे पुरस्कार से दिलचस्पी नहीं है और फिर मैं ऐसी सरकार के हाथों सम्मानित क्यों होऊँ जो दलित विरोधी है |’’
‘’ आप इस तरह क्यों कह रही हैं ?’’ मंत्री के माथे पर बल पड़ गये |
‘’ परसों की घटना है | एक दलित नाबालिग लड़की का रेप हुआ | वो कोमा में पड़ी है | सरकार का कोई आदमी उसे देखने तक नहीं गया |’’
‘’ रेप का क्या कीजिएगा ? रेप तो संस्कृति में शामिल है | इंद्र ने भी अहिल्या का रेप किया था |’’
रुक्मिणी का दम घुटने लगा | उसकी आँखों में आँसू आ गये |
‘’मुझे इजाजत दीजिए |’’ रुक्मिणी सोफे से उठ गयी | मंत्री ने उसे रोकना चाहा, लेकिन वह एक पल भी वहाँ रुकना नहीं चाहती थी |
रुक्मिणी उदास होकर वहाँ से लौटी | उसने सोच लिया कि अब कभी किसी राजनेता से नहीं मिलेगी |
- शेष अगले अंक में
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