Surdas Ke Pad Poem Explanation Class 11 Hindi सूरदास के पद अर्थ सहित

SHARE:

Surdas Ke Pad Poem Explanation Class 11 Hindi सूरदास के पद अर्थ सहित सारांश khelan me khelan mein kokako gusaiya question and answers Krishna prem mur

सूरदास के पद अर्थ सहित कक्षा 11


सूरदास के पद का सारांश सूरदास के पद अर्थ सहित खेलन में कोका कोको गुसैया कविता खेलन में को काको गुसैयाँ व्याख्या सूरदास, सूरदास की कविता कक्षा 11 सूरदास की कविता की व्याख्या class 11 सूरदास की कविता की व्याख्या 11 class soordas poem class 11th soordas Kavita khelan me khelan mein kokako gusaiya soordas ke pad surdas ke pad class 11 Surdas Ke Pad class 11 question and answers Surdas Ke Pad summary explanation, Surdas Ke Pad explanation in hindi Surdas Ke Pad cbse मुरली तऊ गोपालही भावति सूरदास के पद surdas ke pad aasan bhasha me sur ke pad ki vyakhya murli ka Krishna prem murli gopiyon ki sautan 



खेलन में को काको गुसैयाँ सप्रसंग  व्याख्या 

खेलत में को काको गुसैयां | 
हरि हारे जीते श्रीदामा बरबसहीं कत करत रिसैयां | 
जाति पांति हम तें बड़ नाहीं नाहीं बसत तुम्हारी छैयां।
अति अधिकार जनावत हम पै हैं कछु अधिक तुम्हारे गैयां | 
रुहठि करै तासों को खेलै कहै बैठि जहं तहं सब ग्वैयां | 
सूरदास प्रभु कैलो चाहत दांव दियौ करि नंद-दुहैया || 

भावार्थ - प्रस्तुत पद कवि सूरदास जी के द्वारा रचित है |  इसमें कवि कहते हैं कि कान्हा गोपियों से खेल में हारने के बाद भी हार स्वीकार नहीं करता है | उसके सखा ग्वालबाल उससे कहता है कि कृष्ण खेल-खेल में हार जाने से नाराजगी कैसी, खेल में कौन किसका स्वामी होता है। तुम हार गए हो और सखा श्रीदामा जीत गए हैं। फिर जबरदस्ती का नाराज क्यों हो रहे हो | झगड़ा क्यों कर रहे हो ? तुम्हारी जाति-पाति हमसे बड़ी तो है नहीं और न ही हम तुम्हारे अधीन हैं | तुम्हारी छाया के नीचे तो रहते नही है। तुम इतना अधिकार इसलिए दिखाते हो क्योंकि तुम्हारे बाबा के पास हमसे अधिक गाय है। हम तुम्हारे साथ नहीं खेलेंगे तुम हमेशा रूठे रहते हो | जो हमेशा खेल में रूठता है उसके साथ कौन खेलेगा। यह कहकर सब मित्र यहाँ-वँहा बिखर गए। सूरदास जी कहते हैं, प्रभु तो खेलना चाहते हैं इसलिए उन्होंने नँदबाबा की शपथ ली और कभी ना रूठने की कसम खाकर दाव मित्रों को दे दिया | 


मुरली तऊ गुपालहिं भावति व्याख्या

मुरली तऊ गुपालहिं भावति।
सुनि री सखी जदपि, नँदलालहिं नाना भाँति नचावति।
राखति एक पाइ ठाढ़ौ करि, अति अधिकार जनावति।
कोमल तन आज्ञा करवावति, कटि टेढ़ी ह्वै आवति।
अति आधीन सुजान कनौड़े गिरिधर नार नवावति।
आपुन पौढ़ि अधर सज्जा पर, कर-पल्लव पलुटावति।
भृकुटी कुटिल, नैन नासा-पुट, हम पर कोप करावति।
सूर प्रसन्न जानि एकौ छिन, धर तैं सीस डुलावति।।


भावार्थ - 
प्रस्तुत पद कवि सूरदास जी के द्वारा रचित है |  इसमें कवि कहते हैं कि गोपियाँ श्री कृष्ण के मुरली से जलती हैं। एक सखी दूसरी सखी से कहती है, सखी सुनती हो ये मुरली नंदलाल को कई तरह से नचाती है। उसके बाद भी कृष्ण को इस मुरली से इतनी मोह है। यह मुरली कान्हा को एक पैर में खड़ा करके रखती है और कान्हा पर अपना अधिकार जमाती है। और तो और उनके कोमल शरीर से आज्ञा तक मनवा लेती है। और कृष्ण की कमर भी टेढ़ी हो आती है। बस बात इतनी ही नहीं किसी दास की तरह कृष्ण का सर भी उसके सामने झुकाने को मजबूर कर देती है। जिसने पर्वत को अपने ऊँगली पर उठा लिया। किसी के सामने नहीं झुके ओ मुरली के सामने अपना शीश झुकाते हैं। यह मुरली कान्हा के होठों पर सज कर उनके हाथों से अपना पैर तक दबवाती है। उनके अधर पर मुरली को देखकर लगता है कि सेज पर कोई आराम से लेटा हो। टेढ़ी भृकुटी, बाँके नेत्रों और फड़कते हुए नासिका पुटों से हम पर क्रोध करवाती हैं। मुरली श्री कृष्ण को एक क्षण के लिए भी प्रसन्न जानकर धड़ से सिर हिलवाती है। इस तरह सखियाँ मुरली के प्रति अपना नाराजगी जता रही हैं। जिसने कान्हा को अपने वश में कर रखा। क्योंकि गोपियां कान्हा से बहुत प्रेम करती हैं, लेकिन कान्हा के मुरली के प्रति मोह उनको पसंद नहीं है | 

---------------------------------------------------------


सूरदास का जीवन परिचय

प्रस्तुत पाठ के रचयिता सूरदास जी हैं। सूरदास जी के जन्म को लेकर मतभेद है। कुछ विद्वानों के अनुसार इनका
सूरदास के पद अर्थ सहित
सूरदास
जन्म सन् 1478 को रुनकता उत्तरप्रदेश जिला आगरा में हुआ माना जाता है। और कुछ विद्वानों का मानना है कि इनका जन्म दिल्ली के निकट सीही ग्राम में हुआ था। सूरदास जी गऊघाट पर रहते थे। सूरदास भक्ति-काल के सगुण भक्ति-शाखा के श्रेष्ठ कवि हैं। महाकवि सूरदास जी वात्सल्य रस के महान सम्राट माने जाते हैं। वे महाप्रभु वल्लभाचार्य के शिष्य थे। सुरदास पुष्टिमार्ग सम्प्रदाय के 'अष्टछाप' कवियों में से सबसे प्रसिद्ध कवि थे। इनकी काव्य रचना में प्रकृति और कृष्णबाल लीला का वर्णन किया गया है। सुरदास कृष्णभक्त कवि थे उन्होंने कृष्ण के जन्म से लेकर उनके मथुरा जाने तक की कथा और कृष्ण के अन्य लीलाओं का बहुत ही मनोरम काव्य रचना की है। वे ब्रज भाषा तथा अन्य बोलचाल की भाषा में काव्य रचना करते थे। उन्होंने अपने काव्यों में भक्ति-भावना, प्रेम, वियोग, श्रृंगार इत्यादि को बड़ी ही सजगता से सरल और सहज स्वाभाविक रूप में वर्णन किया है। सुरदास जी के सभी पद गेय हैं आर्थत गायन रूप में है | उनकी रचना किसी ना किसी राग में बंधी हुई है। उनके अनुसार अटल भक्ति ही मोक्ष-प्राप्ति का एक मात्र साधन है और उन्होंने भक्ति को ज्ञान से भी बढ़ कर माना है। सूरदास की मृत्यु गोवर्धन के निकट पारसौली ग्राम में 1583 ई. में हुई मानी जाती है | 

सूरदास जी की कुछ प्रमुख कृतियाँ में सूरसागर, साहित्य लहरी, सूर सारावली आदि शामिल हैं। उनका लिखा सूरसागर ग्रन्थ सबसे ज़्यादा लोकप्रिय माना जाता है | सूरसागर को राग सागर भी कहा जाता है...|| 



खेलन में को काको गुसैयाँ मुरली तऊ गुपालहिं भावति पाठ का सारांश

प्रस्तुत दोनों पद के रचयिता सूरदास जी हैं। प्रथम पद में कवि ने कृष्ण के बाललीला का अत्यंत मनोरम वर्णन किया है। कृष्ण और सखाओं के बीच खेल-खेल में हो रहे नाराजगी को बताया है, जिसमें कान्हा खेल में हार जाते हैं लेकिन हार स्वीकार नहीं करते | उनके सखा कान्हा से कहते हैं तुम हार गए हो और तुम हमारे स्वामी नहीं हो जो हम तुम्हारी हर बात को माने | हमें इस तरह के मित्र नहीं चाहिए जो खेल में नाराज हो जाए लेकिन कवि कहते हैं कि कान्हा खेलना चाहता है और कान्हा ने अपने नँदबाबा कि शपथ भी ली है और दाव सखा को दे दिया । इस पद में बाल-मनोविज्ञान का अत्यंत सूक्ष्म चित्रण किया गया है। दूसरे पद में कवि ने कृष्ण की मुरली के प्रति गोपियों के इर्ष्या के भवना को प्रकट किया है। इसमें सारी सखियाँ कृष्ण की मुरली को अपना दुश्मन समझती हैं, कहती हैं कि इस मुरली ने कान्हा को वश में करके रखा है और इशारों पर नचा रही है। इस जलन की भावना में गोपीयों का कृष्ण के प्रति प्यार भी झलकता है। इस पद में कृष्ण और गोपियों का अनन्त प्रेम देखने को मिलता है...|| 


सूरदास के पद पाठ के प्रश्न उत्तर 


निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए --- 
प्रश्न-1 खेलन में को काको 'गुसैयाँ’ पद में कृष्ण और सुदामा के बीच किस प्रसंग का वर्णन है ? 

उत्तर- 
खेलन में को काको  'गुसैयाँ’ पद में कृष्ण और सुदामा के बीच खेल-खेल में हो रहे नाराजगी का वर्णन किया गया है। कान्हा खेल में हार जाते हैं लेकिन अपना हार स्वीकार नहीं करते हैं, जिससे नाराज होकर सभी मित्र इधर-उधर चले जाते हैं।

प्रश्न-2 हार जाने पर भी कृष्ण के क्रोध करने का क्या कारण था ? 

उत्तर- 
प्रस्तुत पाठ के अनुसार, कृष्ण हारने के बाद भी अपनी हार स्वीकार नहीं कर रहा था। जीत की रट लगा रहा था। कृष्ण के क्रोध का कारण अपनी हार को स्वीकार नहीं करना था। 

प्रश्न-3 'मुरली तऊ गुपालहिं भावति।' पद में एक सखी दूसरी सखी से क्या कहती है ? 

उत्तर- 
'मुरली तऊ गुपालहिं भावति।' पद में एक सखी दूसरी सखी से कहती है कि सखी सुनती हो ये मुरली नंदलाल को कई तरह से नचाती है। उसके बाद भी कृष्ण को इस मुरली से इतनी मोह है। यह मुरली कान्हा को एक पैर में खड़ा करके रखती है और कान्हा पर अपना अधिकार जमाती है। और तो और उनके कोमल शरीर से आज्ञा तक मनवा लेती है। और कृष्ण की कमर भी टेढ़ी हो आती है। बस बात इतनी ही नहीं किसी दास की तरह श्रीकृष्ण का सर भी उसके सामने झुकाने को मजबूर कर देती है। यह मुरली कान्हा के होठों पर सज कर उनके हाथों से अपना पैर तक दबवाती है। उनके अधर पर मुरली को देखकर लगता है जैसे कोई सेज में लेटा हो। टेढ़ी भृकुटी, बाँके नेत्रों और फड़कते हुए नासिका पुटों से हम पर क्रोध करवाती हैं। मुरली श्री कृष्ण को एक क्षण के लिए भी प्रसन्न जानकर धड़ से सिर हिलवाती हैं। इस तरह सखियाँ मुरली के प्रति अपना नाराजगी जता रही हैं | 

प्रश्न-4 कृष्ण को 'सुजान कनौड़े' क्यों कहा गया है ? 

उत्तर- 
प्रस्तुत पाठ के अनुसार, कृष्ण को 'सुजान कनौड़े' इसलिए कहा गया है क्योंकि कृष्ण की मुरली बहुत चतुर है | वह कृष्ण को अपने दास की तरह अपने सामने सिर झुकाने को मजबूर कर देती है | 

प्रश्न-5 खेल में रूठने वाले साथी के साथ सभी क्यों नहीं खेलना चाहते हैं ? 

उत्तर- खेल-खेल में किसी एक के रूठ जाने से सारा खेल का मज़ा समाप्त हो जाता है। जो खेल में अपनी हार नहीं मानता उसके साथ खेलना अच्छा नहीं लगता है। कान्हा भी अपनी हार स्वीकार नहीं करता है, इसलिए सारे मित्र उन्हें छोड़कर ईधर-उधर चले जाते हैं। कान्हा से कहते हैं जो खेल में रूठ जाए उसके साथ कौन खेलना चाहेगा। 

प्रश्न-6 खेल में कृष्ण के रूठने पर उनके साथियों ने उन्हे डॉंटते हुए क्या-क्या तर्क दिए ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, खेल में कृष्ण के रूठने से उनके सखा ग्वालबाल उनको डाँटते हुए कहते हैं कि कृष्ण खेल-खेल में हार जाने से नाराजगी कैसी, खेल में कौन किसका स्वामी होता है। तुम हार गए हो और सखा श्रीदामा जीत गए हैं। फिर जबरदस्ती का नाराज क्यों हो रहे हो | झगड़ा क्यों कर रहे हो ?  तुम्हारी जाति-पाति हमसे बड़ी तो है नहीं और न ही हम तुम्हारे अधीन है तुम्हारी छाया के नीचे तो रहते नही हैं। तुम इतना अधिकार इसलिए दिखाते हो क्योंकि तुम्हारे बाबा के पास हमसे अधिक गाय हैं |  कृष्ण को साथियों ने यही तर्क दिए | 

प्रश्न-7 कृष्ण ने नंद बाबा की दुहाई देकर दाव क्यों दिया ? 

उत्तर- 
प्रस्तुत पाठ के अनुसार, कृष्ण जब हार नहीं मानते हैं तो सारे सखा उनसे झगड़ा करके इधर-उधर भाग जाते हैं। लेकिन कृष्ण खेलना चाहते हैं। इसलिये कृष्ण ने नंद बाबा का दुहाई देकर दाव सखा को दे देता है | 

प्रश्न-8 बाँसुरी बजाते हुए कृष्ण की छवि किस प्रकार हो जाती है ? 

उत्तर- 
प्रस्तुत पाठ के अनुसार, बाँसुरी बजाते हुए कृष्ण की छवि ऐसा लगता है जैसे बाँसुरी कृष्ण के होंठों पर सज कर उनसे अपना पैर दबाव रही हो। टेढ़ी भृकुटी, बाँके नेत्रों और फड़कते हुए नासिका पुटों से हम पर क्रोध करवाती हैं |  

प्रश्न-9 गिरधर नाव नवावती से सखी का क्या आशय है ? 

उत्तर- गिरधर नाव नवावती से सखी का यह आशय है कि ये मुरली कितनी चतुर है, जिसने कृष्ण को अपने सामने झुका लिया। जो कृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपने ऊँगली में उठा लिए जो कभी किसी से सामने नहीं झुकते वो कृष्ण इस मुरली के सामने अपना मस्तक झुकाते हैं, मुरली ने इनको इतना मोह लिया है | 

प्रश्न-10 कृष्ण के अधरों की तुलना सेज से क्यों की गई है ? 

उत्तर- 
कृष्ण की अधरों की तुलना सेज से इसलिए कि गई है क्योंकि मुरली को कान्हा जब होंठों पर सजाते हैं,  तो हाथों पर मुरली को देखकर ऐसा लगता है जैसे कोई सेज में लेटा हो। कृष्ण के हाथ मुरली के लिए सेज बन जाता है | 

प्रश्न-11 पठित पदों के आधार पर सूरदास के काव्य की विषेशताएँ बताइए | 

उत्तर- 
पठित पदों के आधार पर सूरदास के काव्य की विषेशताएँ निम्नालिखित हैं --- 

• पदों में गेयता का गुण है | 
• बाल लीलाओं का मनोरम वर्णन | 
• गोपियों का कृष्ण के प्रति अत्यंत प्रेम का भाव | 
• जलन में छुपा गोपियों का कान्हा के पति प्रेम | 
• इन पदों में ब्रज भाषा का प्रयोग | 
• बाल मनोविज्ञान बालकों के स्वभाव का चित्रण | 
• अधर सज्जा ,कर - पल्लव में रुपक अलंकार का  प्रयोग है | 
• सुनिरी सखी, नैन नासा में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग | 
• इस कविता में श्रृंगार रस का प्रयोग | 

---------------------------------------------------------


सूरदास के पद पाठ से संबंधित शब्दार्थ 


• कटी - कमर
• गुसैयां - स्वामी।
• श्रीदामा - श्रीकृष्ण का एक सखा।
• बरबस हीं - जबरदस्ती ही।
• छैयां - छायाँ के नीचे , अधीन।
• सुजान - चतुर।
• कोय - क्रोध
• कनौड़े - क्रीतदास।
• नार - गर्दन, स्त्री
• सन - समान।
• गिरिधर - पर्वत को उठाने वाले
• घर तैं सीस ढुलावति - धड़ पर सिर हिलवाने  लगती है। 



COMMENTS

Leave a Reply: 1
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,37,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,4,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,5,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,7,कविता,1478,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,40,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,3,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,6,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,35,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,77,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,7,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,12,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,4,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,202,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,141,प्रयोजनमूलक हिंदी,38,प्रेमचंद,50,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,88,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,9,भक्ति साहित्य,143,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,18,भीष्म साहनी,9,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,10,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,3,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,8,मोहन राकेश,16,यशपाल,19,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,125,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,8,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,3,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,8,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,57,शैलेश मटियानी,3,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,4,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,34,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,44,समसामयिक हिंदी लेख,270,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,22,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,87,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,436,हिंदी लेख,536,हिंदी व्यंग्य लेख,14,हिंदी समाचार,186,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aapka-banti-mannu-bhandari,6,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,divya-upanyas-yashpal,5,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,12,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,20,hindi essay,428,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,682,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,77,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,23,kavyagat-visheshta,26,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,12,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,raag-darbari-shrilal-shukla,8,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,sponsored news,10,suraj-ka-satvan-ghoda-dharmveer-bharti,6,Syllabus,7,tamas-upanyas-bhisham-sahni,4,top-classic-hindi-stories,58,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: Surdas Ke Pad Poem Explanation Class 11 Hindi सूरदास के पद अर्थ सहित
Surdas Ke Pad Poem Explanation Class 11 Hindi सूरदास के पद अर्थ सहित
Surdas Ke Pad Poem Explanation Class 11 Hindi सूरदास के पद अर्थ सहित सारांश khelan me khelan mein kokako gusaiya question and answers Krishna prem mur
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjXZURsAlMD8-K9ij6r8jTZTdGchY3nA5Hc9chvNMg1BHvlt5SWkEghv-8S7XnPqGJSKvqmLxYvgP-iDzdA5xAaTqPszkAth8iBI7-MOgtkrX0M87jhAUu-YiflVviIKZlGUErOAc1ZJxmL/s320/surdas.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjXZURsAlMD8-K9ij6r8jTZTdGchY3nA5Hc9chvNMg1BHvlt5SWkEghv-8S7XnPqGJSKvqmLxYvgP-iDzdA5xAaTqPszkAth8iBI7-MOgtkrX0M87jhAUu-YiflVviIKZlGUErOAc1ZJxmL/s72-c/surdas.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2021/02/surdas-ke-pad-poem-explanation-class-11.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2021/02/surdas-ke-pad-poem-explanation-class-11.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका