टार्च बेचनेवाले हरिशंकर परसाई Torch Bechne Wale

SHARE:

टार्च बेचने वाले पाठ के प्रश्न उत्तर tourch bechne wala question answers in hindi हरिशंकर परसाई summary explanation important question Torch Bechn

टार्च बेचनेवाले - हरिशंकर परसाई



Tourch bechne wala question answer टार्च बेचने वाले पाठ के प्रश्न उत्तर tourch bechne wala question answers in hindi tourch bechne wala question answers in hindi class 11 class 11 hindi chapter 3 important question हरिशंकर परसाई टोर्च बेचने वाले tourch bechne wala important question Torch Bechne Wale class 11 class 11 Torch Bechne Wale summary Torch Bechne Wale class 11 explaination Torch Bechne Wale class 11 question and answers Torch Bechne Wale summary explanation Torch Bechne Wale full chapter Torch Bechne Wale explanation in hindi class 11 hindi chapter 3 antra question answer class 11th hindi chapter 3 question answer


टार्च बेचने वाले पाठ का सारांश 

प्रस्तुत पाठ टार्च बेचने वाले लेखक हरिशंकर परसाई जी के द्वारा लिखित है | इस पाठ में टार्च के प्रतीक के माध्यम से परसाई जी ने आस्थाओं के बाज़ारीकरण और धार्मिक पाखंड पर करारा प्रहार किया है | 

प्रस्तुत पाठ के अनुसार, लेखक एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बात करते हैं, जो पहले शहर के चौराहे पर टार्च बेचा करता था | लेखक को वह बीच में कुछ दिन नहीं दिखा | अचानक से एक दिन दिखा, मगर इस बार उस व्यक्ति ने दाढ़ी बढ़ा ली थी और लम्बा कुरता पहन रखा था | उसके हुलिए को देखकर लेखक को लगा कि शायद उसने संन्यास जीवन का निर्णय ले लिया हो | लेखक के पूछने पर उस व्यक्ति ने बताया कि वह अब टार्च बेचने का काम नहीं करता क्योंकि उसकी आत्मा की प्रकाश जल गई है | एक घटना का जिक्र करते हुए उसने बताया कि उस घटना से उसका जीवन पूर्णतः बदल गया है | 

टार्च बेचने वाले हरिशंकर परसाई

तत्पश्चात्, उस व्यक्ति ने अपने साथ हुए घटनाक्रम का बयान शुरू किया | उसने बताया कि पाँच साल पहले वह अपने एक दोस्त के साथ पैसे कमाने के लिए निकले थे | वह अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए ‘सूरज छाप’ टार्च बेचने लगा | वह लोगों को इकट्ठा कर लेता और रात के अँधेरे का भय दिखाकर शहर के चौराहे पर टार्च बेचा करता था, जिससे लोग अधिक टार्च खरीदते थे | उस व्यक्ति को लगता था कि आदमी को डराना आसान काम है | पाँच साल बाद वायदे के मुताबिक़ जब वह अपने दोस्त से मिलने उसी जगह पहुँचा, जहाँ से वे अलग हुए थे, लेकिन वह वहाँ पर नहीं मिला | वह दिनभर अपने दोस्त का इंतजार किया, लेकिन वह नहीं आया | तत्पश्चात्, वह अपने दोस्त को तलाशने निकल पड़ता है | 


एक शाम को जब वह शहर के सड़क पर चला जा रहा था तो उसने देखा कि पास के मैदान में ख़ूब रौशनी है और एक तरफ़ मंच सजा है | लाउडस्पीकर लगे हैं | मैदान में हजारों नर-नारी श्रद्धा से झुके बैठे हैं | मंच पर सुंदर रेशमी वस्त्रों से सजे एक भव्य पुरूष बैठे हैं | वह पुरुष फ़िल्मों के संत लग रहे थे | उन्होंने गुरु-गंभीर वाणी में प्रवचन शुरू किया | वे इस तरह बोल रहे थे जैसे आकाश के किसी कोने से कोई रहस्यमय संदेश उनके कान में सुनाई पड़ रहा है, जिसे वे बोल रहे हैं | वे लोगों को आत्मा के अँधेरे को दूर करने के तरीके समझा रहा थे | लेखक को वह व्यक्ति कहता है कि उस आदमी की वेशभूषा साधुओं की तरह थी, जिसके कारण वह उसे पहचान नहीं पाया | वह अपना प्रवचन पूरा कर मंच से उतरकर जैसे ही अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ा तो उसने टार्च बेचनेवाले को देखते ही पहचान लिया और कहा कि --- "बँगले तक कोई बात-चीत नहीं होगी | वहीं पर ज्ञान-चर्चा होगी |" वह व्यक्ति फौरन समझ जाता है कि पास में ड्राइवर है, इसलिए वह खुलकर बातें नहीं कर रहा है | 

आख़िरकार, दोनों दोस्त पाँच साल बाद पुनः मिले थे | एक दोस्त रात के अँधेरे को दूर करने के लिए टार्च बेचने का निर्णय लिया और दूसरा दोस्त आत्मा के अँधेरे को दूर करने के लिए उपदेश देने वाला साधु-संत बनने का | परन्तु, दोनों का मक़सद पैसा कमाना ही था | लेखक से उस व्यक्ति ने कहा कि उसने भी दूसरे दोस्त के वैभव और धन-दौलत के चमक की तरफ़ आकर्षित होकर यह निश्चय किया कि ‘सूरज कंपनी’ के टार्च बेचने से अच्छा है, वह भी धर्माचार्य या गुरू या साधु-संत बनकर लोगों के मन के अँधेरे को दूर कर पैसे कमाए | लेखक ने बड़ी ही चतुराई से टार्च बेचने वाले दो दोस्तों के माध्यम से बताया है कि आख़िर किस प्रकार संतों की वेशभूषा धारण करके आत्मा के अँधेरे को दूर करने वाली टार्च बेचकर समाज में लोग अपना धाक जमाकर बैठे हैं | अत: वह व्यक्ति लेखक को यह बताता है कि अब वह टार्च तो बेचेगा लेकिन रात के अँधेरे को दूर करने वाला नहीं, बल्कि आत्मा के अँधेरे को दूर करने वाला टार्च बेचेगा...|| 



हरिशंकर परसाई का जीवन परिचय

प्रस्तुत पाठ के लेखक हरिशंकर परसाई जी हैं | इनका जन्म जमानी गाँव, जिला होशंगाबाद (मध्य प्रदेश) में हुआ था | इन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से हिंदी में एम.ए. किया | तत्पश्चात्, कुछ वर्षों तक अध्यापन कार्य करने के पश्चात् 1947 से परसाई जी स्वतंत्र लेखन में जुट गए | परसाई जी जबलपुर से 'वसुधा' नामक साहित्यिक पत्रिका निकाली | 

इनके व्यंग्य गुदगुदाते हुए पाठक को झकझोर देने में सक्षम है | इनके व्यंग्य-लेखों की विशेषता यह है कि वे समाज में फैली विसंगतियों, विडंबनाओं पर करारी चोट करते हुए चिंतन और कर्म की प्रेरणा देते हैं | ये अपनी रचनाओं में प्रायः बोलचाल के शब्दों का प्रयोग बिल्कुल सतर्कता से करते हैं | 

परसाई जी ने लगभग दो दर्जन से अधिक पुस्तकों की रचना की है, जिनमें विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं --- हँसते हैं रोते हैं, जैसे उनके दिन फिरे (कहानी संग्रह); रानी नागफनी की कहानी, तट की खोज (उपन्यास); तब की बात और थी, भूत के पाँव पीछे, बेईमानी की परत, पगडंडियों का जमाना, सदाचार की तावीज, शिकायत मुझे भी है, और अंत में (निबंध संग्रह); वैष्णव की फिसलन, तिरछी रेखाएँ, ठिठुरता हुआ गणतंत्र, विकलांग श्रद्धा का दौर (व्यंग्य लेख-संग्रह)...|| 



टार्च बेचने वाले पाठ के प्रश्न उत्तर


प्रश्न-1 पाँच साल बाद दोनों दोस्तों की मुलाक़ात किन परिस्थितियों में और कहाँ होती है ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, पाँच साल बाद दोनों दोस्तों की मुलाक़ात एक प्रवचनस्थल पर होती है | पूर्व में दोनों दोस्त बेरोजगार थे तथा पैसे की तलाश में अलग-अलग दिशा में निकले थे | किन्तु, अब परिस्थिति पहले की तरह नहीं थी | उनमें से एक टार्च बेचने वाला तथा दूसरा उपदेश देने वाला बन गया था | 

प्रश्न-2 पहला दोस्त मंच पर किस रूप में था ? और वह किस अँधेरे को दूर करने के लिए टार्च बेच रहा था ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, पहला दोस्त मंच पर साधु-संत की वेशभूषा में था और वह आत्मा के अँधेरे को दूर करने के लिए टार्च बेच रहा था | 

प्रश्न-3 भव्य पुरूष ने कहा -- ‘जहाँ अंधकार है वहीँ प्रकाश है’ | इसका क्या तात्पर्य है ? 

उत्तर- भव्य पुरूष ने कहा -- ‘जहाँ अंधकार है वहीँ प्रकाश है’ | इससे तात्पर्य है कि जिस प्रकार, रात के अंधेरे के बाद जगमगाता हुआ सुबह भी आता है | ठीक उसी प्रकार अंधकार के साथ-साथ प्रकाश का भी उदय होता है | मनुष्य के अंदर छिपी बुराइयों में अच्छाई भी होती है, जिसे जगाने की आवश्यकता होती है | उसके प्राप्त करने के लिए अपने अंदर ही ज्ञान की रौशनी को तलाशना पड़ता है |  

प्रश्न-4 भीतर के अँधेरे की टार्च बेचने और ‘सूरज छाप’ टार्च बेचने के धंधे में क्या अंतर है ? विस्तार से लिखिए | 

उत्तर- भीतर के अँधेरे की टार्च बेचने और ‘सूरज छाप’ टार्च बेचने के धंधे में बहुत अंतर है | रात के अँधेरे में लोगों को विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जिसे टार्च का प्रकाश ही दूर कर सकता है | इसलिए एक दोस्त लोगों को रात का भय दिखाकर अँधेरे से बचने के लिए ‘सूरज छाप’ टार्च बेचता है और पैसे कमाता है | इसी प्रकार दूसरा दोस्त अपने प्रवचन से लोगों के अंदर ज्ञान का प्रकाश जलाता है | वह लोगों को अज्ञानता के अँधेरे से दूर कर उन्हें ज्ञान के प्रकाश रूपी मार्ग पर चलने का प्रेरणा देता है | इसी प्रकार वह लोगों से पैसा कमाता है | वास्तव में दोनों दोस्त का काम अपने-अपने जगह पर एक धंधे के समान ही है | 

---------------------------------------------------------

आशय स्पष्ट कीजिए --- 
प्रश्न-5 "आजकल सब जगह अँधेरा छाया रहता है | रातें बेहद काली होती हैं | अपना ही हाथ नहीं सूझता |" 

उत्तर- 
प्रस्तुत पंक्तियाँ लेखक 'हरिशंकर परसाई' जी के द्वारा रचित व्यंग्य 'टार्च बेचनेवाले' से उद्धृत हैं | कथन से संबंधित व्यक्ति अपना टार्च बेचने के लिए लोगों के मन में अँधेरे के प्रति भय पैदा करता है | जिस भय के कारण लोग टार्च खरीदने के लिए विवश हो जाते हैं | वह कहता है कि अँधेरी रातें इतनी काली होती हैं कि लोगों को अपना हाथ तक नहीं दिखाई देता | 

प्रश्न-6 "प्रकाश बाहर नहीं है, उसे अंतर में खोजो | अंतर में बुझी उस ज्योति को जगाओ |"

उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियाँ लेखक 'हरिशंकर परसाई' जी के द्वारा रचित व्यंग्य 'टार्च बेचनेवाले' से उद्धृत हैं | वह व्यक्ति, जो साधु-संत का रूप धारण कर लिया था, लोगों को अपने अंदर बसे अँधेरे को दूर करने के लिए आत्मा के प्रकाश को जगाने की सलाह देता है | वह बड़ी-बड़ी बातें करके लोगों को अपनी माया जाल में फंसाकर उनसे पैसे कमाता था | 

प्रश्न-7 " धंधा वही करूँगा, यानी टार्च बेचूँगा | बस कंपनी बदल रहा हूँ |" 

उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियाँ लेखक 'हरिशंकर परसाई' जी के द्वारा रचित व्यंग्य 'टार्च बेचनेवाले' से उद्धृत हैं | जैसा कि जब एक दोस्त के द्वारा टार्च बेचने का काम करने की अपेक्षा दूसरे दोस्त के द्वारा आत्मा के अँधेरे को दूर करने का काम पसंद कर लिया जाता है | मतलब साधु-संत का वेश धारण करके पैसे कमाने का तरीका उसे ज्यादा पसंद आता है | तभी वह उसी काम को करने का निश्चय करता है | 

--------------------------------------------------------



टार्च बेचने वाले पाठ से संबंधित शब्दार्थ 


• आह्वान - पुकारना, बुलाना
• शाश्वत - चिरंतन, हमेशा रहनेवाली
• सनातन - सदैव रहनेवाला
• गुरू गंभीर वाणी- विचारों से पुष्ट वाणी
• सर्वग्राही - सबको ग्रहण करनेवाला, सबको समाहित करनेवाला
• स्तब्ध - हैरान
• हरामखोरी - मुफ़्त में या नाजायज़ तरीके से किसी का धन या वस्तु ले लेना 
• लहुलूहान - खून से लथपथ  | 

COMMENTS

Leave a Reply: 1
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,37,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,4,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,5,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,7,कविता,1477,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,40,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,3,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,6,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,35,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,77,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,7,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,12,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,4,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,202,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,141,प्रयोजनमूलक हिंदी,38,प्रेमचंद,50,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,88,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,9,भक्ति साहित्य,143,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,18,भीष्म साहनी,9,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,10,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,3,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,8,मोहन राकेश,16,यशपाल,19,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,125,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,8,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,3,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,8,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,57,शैलेश मटियानी,3,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,4,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,34,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,44,समसामयिक हिंदी लेख,270,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,22,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,87,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,435,हिंदी लेख,536,हिंदी व्यंग्य लेख,14,हिंदी समाचार,186,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aapka-banti-mannu-bhandari,6,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,divya-upanyas-yashpal,5,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,12,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,20,hindi essay,427,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,682,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,77,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,23,kavyagat-visheshta,26,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,12,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,raag-darbari-shrilal-shukla,8,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,sponsored news,10,suraj-ka-satvan-ghoda-dharmveer-bharti,6,Syllabus,7,tamas-upanyas-bhisham-sahni,4,top-classic-hindi-stories,58,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: टार्च बेचनेवाले हरिशंकर परसाई Torch Bechne Wale
टार्च बेचनेवाले हरिशंकर परसाई Torch Bechne Wale
टार्च बेचने वाले पाठ के प्रश्न उत्तर tourch bechne wala question answers in hindi हरिशंकर परसाई summary explanation important question Torch Bechn
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEilhfkbHvleUdK0RPCzxMjEJwTi7v8QeUEkrbEyFo3nRSC5JIIRyWWrYbzOaQc56X7HnPqnmmuz-tHrflzpW8q5cP7GNVxy89lsYleZzYYsm0hCf6Wv0_N9uYCJjOMexmJsQoZK5B9atGmy/s320/parsayi.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEilhfkbHvleUdK0RPCzxMjEJwTi7v8QeUEkrbEyFo3nRSC5JIIRyWWrYbzOaQc56X7HnPqnmmuz-tHrflzpW8q5cP7GNVxy89lsYleZzYYsm0hCf6Wv0_N9uYCJjOMexmJsQoZK5B9atGmy/s72-c/parsayi.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2021/02/torch-bechne-wale.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2021/02/torch-bechne-wale.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका