छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा पहले वीरनी पुरस्कार के विजेताओं की घोषणा पुरस्कार पाने वालों में अमीरा शाह, तीजन बाई, दुती चंद, शुभा मुद्गल, रेबेका मम्मन जॉन
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा पहले वीरनी पुरस्कार के विजेताओं की घोषणा
अमीरा शाह |
भूपेश बघेल नेतृत्व में मिलकर किया गया है। पुरस्कार विजेताओं को एक प्रतिमा चिन्ह से नवाजा जाएगा जो स्थानीय लोक कलाओं, हस्तकला और कारीगरी का प्रतीक है। छत्तीसगढ़ सरकार ने एक मास्टर कारीगर के साथ मिलकर विशेष रूप से डोकरा ट्राइबल आर्ट खोई हुई मोम कास्टिंग तकनीक का उपयोग कर एक ट्रॉफी कमीशन की है। इस प्रतिमा में एक महिला को अपने-आप को मुकुट पहनाते हुए दिखाया गया है और यह प्रतिमा पुरस्कार चिन्ह छत्तीसगढ़ सरकार की महिलाओं के प्रति उनके सम्मान भावना और प्रतिबद्धता का प्रतीक है। शॉल और साड़ियों को राज्य द्वारा संचालित महिलाओं के हथकरघा सहकारी से कमीशन किया गया है, और यह क्षेत्र के प्रसिद्ध तुसर और कोसा सिल्क की समृद्ध परंपरा को विशेष डिजाइनों से बखूबी दर्शाता है। राज्य की असाधारण रीति रिवाजों और परंपराओं को दर्शाने के अलावा, ये शॉल और साड़ी कई अन्य महत्वपूर्ण कहानियाँ की झलक भी दिखाती हैं।
"8 मार्च, 2021 को, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को चिह्नित करते हुए छत्तीसगढ़ को एक ऐसा राज्य बनाने का संकल्प किया है जहाँ महिलाएँ स्वतंत्र, सशक्त और आत्मनिर्भर हों, और वे हर एक साल के हर दिन को मनाये। हमारी सरकार ने महिलाओं के सशक्तीकरण पर केंद्रित विभिन्न कार्यक्रमों और नीतियों को शिक्षा, संसाधनों और अधिकारों के माध्यम से लागू किया है। हम महिलाओं के लिए इन कार्यक्रमों और नीतियों के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी नीतियां बनाते समय महिलाओं के हितों को ध्यान में रखते हुए कार्य करेंगे।
1. रेबेका मैमन जॉन, कानून के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए: भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक वरिष्ठ अधिवक्ता हैं, वह मुख्य रूप से आपराधिक रक्षा के क्षेत्र में काम करती है। वह 1987 के हाशिमपुरा नरसंहार मामला, 1984 के सिख विरोधी दंगों और आरुषि मर्डर ट्रायल से जुड़े मामलों सहित विभिन्न ऐतिहासिक मामलों का हिस्सा रही हैं। हाल ही में उन्होंने एमजे अकबर #मीटू मानहानि मामले में प्रिया रमानी का सफलतापूर्वक बचाव किया है।
बुधरी ताती, समाज सेवा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए : बड़ी दीदी के नाम से जानी जाने वाली बुधरी ताती ने अपने जीवन के 40 वर्ष सामाजिक सेवा में व्यतीत किये हैं। वह दंतेवाड़ा में रहती है और वहीँ काम करती हैं और प्रतिवर्ष 5 से 12 साल के 50-60 बच्चों के निवास, शिक्षा और प्रशिक्षण की व्यवस्था कर रही हैं। वह महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी काम करती हैं और अब तक 551 महिलाओं (जिनमें से 55 नर्सिंग और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व्यवसायों में जा चुकी हैं) के साथ ऐसा करने में सफल हुई हैं। उनके पास महिलाओं और पुरुषों की देखभाल के लिए एक आश्रम है जो 70 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए है।
केशकुंवर पनिका, उद्यमिता और महिलाओं के वित्तीय सशक्तिकरण के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए: उन्होंने 5000 महिलाओं को रोजगार दिया और महामारी के दौरान 40,000 मास्क बनाए; वह महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वयं सहायता समूह चलाती रहती हैं।
नीतियों और पुरस्कार समारोह के बारे में अधिक जानकारी के लिए और साक्षात्कार के अनुरोधों के लिए, कृपया संपर्क करें –
संतोष कुमार : santosh@zimisha.com I 9990937676
और कवि भंसाली/ ओइजो मीडिया: chhattisgarhveerniawards@oijo.in I 9833149557
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