उठ किसान ओ कविता Class 8 Durva Hindi Uth Kisan O

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उठ किसान ओ / त्रिलोचन



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उठ किसान ओ कविता का भावार्थ व्याख्या


उठ किसान ओ, उठ किसान ओ,
बादल घिर आए हैं
तेरे हरे-भरे सावन के
साथी ये आए हैं

उठ किसान ओ कविता Class 8 Durva Hindi Uth Kisan O
उठ किसान ओ

आसमान भर गया देख तो

इधर देख तो, उधर देख तो
नाच रहे हैं उमड़-घुमड़ कर
काले बादल तनिक देख तो

तेरे प्राणों में भरने को
नए राग लाए हैं


भावार्थ - 
प्रस्तुत पंक्तियाँ  उठ किसान ओ  कविता से लिया गया है, यह कविता कवि त्रिलोचन जी के द्वारा लिखित है। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहते हैं कि किसान भाई जाग जाओ, अब उठो देखो तो तुम्हारे सावन के साथी तुम्हारे मित्र आए हैं | बादल घिर कर चारो ओर घनघोर छा गए हैं। अब हरे-भरे फसलों के दिन आ गए हैं। इधर-उधर जहाँ भी देखो आसमान बादलों से घिर गया है। जहाँ भी देखो ऐसा लगता है कि आसमान में बादल उमड़-घुमड़ कर नाच रहे हैं। इन काले बादलों को थोड़ा देखो तो ऐसा लग रहा है कि किसानों के प्राण में नए सुर-संगीत का राग लाए हैं। मानसून के आते ही किसानों के चेहरों में उमंग और उल्लास दिखाई देती है |   

यह संदेशा लेकर आई
सरस मधुर, शीतल पुरवाई
तेरे लिए, अकेले तेरे
लिए, कहाँ से चल कर आई 

फिर वे परदेशी पाहुन, सुन, 
तेरे घर आये हैं 


भावार्थ - 
प्रस्तुत पंक्तियाँ  उठ किसान ओ  कविता से लिया गया है | यह कविता कवि त्रिलोचन जी के द्वारा लिखित है। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहते हैं कि ये बादल किसानों से कहना चाह रहे हैं । यह सरस, मधुर और शीतल पुरवैया हवा यह संदेश दे रहे हैं कि देखों मैं सिर्फ तुम्हारे लिए कितने दूर से अकेले चलकर तुम्हारे पास आई हूँ | उस परदेशी मेहमान बादल का संदेश लेकर तुम्हारे घर आ गई हूँ | 

उड़ने वाले काले जलधर
नाच-नाच कर गरज-गरज कर
ओढ़ फुहारों की सित चादर
देख उतरते हैं धरती पर
छिपे खेत में, आँखमिचौनी
सी करते आये हैं 

भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ  उठ किसान ओ  कविता से लिया गया है | यह कविता कवि त्रिलोचन जी के द्वारा लिखित है। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहते हैं कि आसमान में उड़ता दिखाई देने वाला बादल खेत में आँख मिचौली करते हुए छुपन-छुपाई करते हुए नाचते, गरजते अपना खेल , खेल रहे हैं। ऐसा लगता है जैसे बादल फुहारों की सफेद चादर ओढ़कर धरती पर उतर आए हैं | 

हरा खेत जब लहराएगा
हरी पताका फहराएगा
छिपा हुआ बादल तब उसमें
रूप बदल कर मुस्काएगा

तेरे सपनों के ये मीठे
गीत आज छाए हैं 

भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ  उठ किसान ओ  कविता से लिया गया है | यह कविता कवि त्रिलोचन जी के द्वारा लिखित है। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहते हैं कि किसान अब अच्छी फसल होने का इंतजार कर रहा है | वह सपने देख रहा है कि कैसे उसके हरे खेत लहराएंगे और अपनी हरे झण्डे फहराएंगे और खेतों में छुपा बादल किस तरह अपना रूप बदलकर लहराती फसलों में मुस्कुराएगा | कवि कहते हैं कि किसान के होठों में उनके सपनों के गीत छाए हुए हैं। वह अच्छी फसल के इंतजार में मन ही मन खुश हो रहे हैं | 

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उठ किसान ओ कविता का सारांश


प्रस्तुत पाठ उठ किसान ओ कवि  त्रिलोचन जी के द्वारा रचित है। प्रस्तुत पाठ में त्रिलोचन जी ने सावन के महीने का सुंदर वर्णन किया है | बारिश का मौसम आते ही किसान खुशी से झूम उठते हैं, इसलिए कवि उन्हें सावन के आते ही आगाह करता है कि अब जाग जाओ | तुम्हारे सावन के साथी बादल नाचते हुए उमड़-घुमड़ कर आ गए हैं | चारों तरफ बादल की सफेद चादर ढकी हुई है | हवा पुरवाई तुम्हारे घर तक सन्देश पहुँचाने आयी है। कवि ने बहुत ही सुंदर पँक्तियों के साथ किसानों को आगाज किया है। जब भी मानसून आती है किसान हर्षों-उल्लास से भर जाता है। क्योंकि यह बारिश का दिन उनके लिए एक सुंदर राग बनकर उनके जीवन को मधुर कर देती है | उनके मन में ऊर्जा भर जाती है। त्रिलोचन जी कहते हैं, बादल खेतों में  छुपकर आँख मिचौली खेलते हैं | वह दृश्य बहुत ही अनोखा होता है, जब हरे-भरे खेतों में बादल सफेद चादर बन छा जाती है। अब बारिश के बाद किसान अपने अच्छी फसल के इंतजार में हरे-भरे खेतों को देखता है। खुश होता है। यह सावन किसानों के लिए फसलों का सौगात लाता है। कवि ने इस पाठ में किसानों की खुशी और मानसून के आगमन के दृश्य का बहुत ही मनमोहक चित्रण किया है...|| 



उठ किसान ओ कविता के प्रश्न उत्तर


प्रश्न-1 “तेरे हरे-भरे सावन के साथी ये आए हैं“ --- क्या बादल हरे-भरे सावन के साथी हैं अथवा किसान के ? या दोनों के | 

उत्तर- प्राकृतिक रूप से देखा जाए तो बादल सावन एवं किसान दोनों के साथी हैं | बादल के आने से ही बारिश होती है और किसान फसल उगाते हैं | 

त्रिलोचन
त्रिलोचन

प्रश्न-2 
“तेरे प्राणों में भरने को नया राग लाए हैं“ --- बादल ऐसा क्या लाए हैं जिससे किसान के प्राणों में नया राग भर जाएगा ? 

उत्तर- बादल अपने साथ पानी लेकर आए हैं, जब बारिश होगी तो किसानों के खेतों को पानी मिलेगा, जिससे वे फसल उगाएँगे | जो सभी के लिए बहुत जरूरी होता है | इसलिए कवि ने किसानों के प्राण में नए राग भरने की बात की है | 

प्रश्न-3 “यह संदेशा ले कर आई, सरस मधुर शीतल पुरवाई“ --- पुरवाई किसान के लिए क्या संदेशा लेकर आई होगी ? 

उत्तर- पुरवाई किसान के लिए बादल रूपी मेहमान का संदेश लेकर आई है, जो इतने दूर से केवल किसान के लिए अकेले चलकर उनके घर तक आए हैं | 

प्रश्न-4  “तेरे लिए, अकेले तेरे लिए, कहाँ से चलकर आई“ --- क्या सचमुच पुरवाई केवल किसान के लिए चलकर आई है ? वह कहाँ से चलकर आई होगी ? 

उत्तर-  
पुरवाई सभी के लिए आई है, लेकिन इससे किसान बहुत खुश होता है, क्योंकि उन्हें खेती के लिए पानी की अत्यधिक जरूरत होती है | पुरवाई पूर्व दिशा से आने वाली हवा होती है, जो समुन्द्र की लहरों से चलकर पहाड़ों से होते हुए आती है | 

प्रश्न-5  जब हरा खेत लहराएगा तो क्या होगा ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, जब हरा खेत लहराएगा तो वह हरी पताका फहराएगा | 

प्रश्न-6  बादलों के घिर आने पर कवि किसान को उठने के लिए क्यों कहता है ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, बादलों के घिर आने पर कवि किसान को उठने के लिए इसलिए कहता है क्योंकि बादल उसके साथी सावन के साथ आया है, जो किसान के प्राण में नए राग भरने को आया है | 

प्रश्न-7 रूप बदल कर बादल किसान के कौन से सपनों को साकार करेगा ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, बादल रूप बदल कर किसान के खेत में मुस्कुराएगा | उसकी हरी-भरी खेत में पताका बन के फहरेगा | 

प्रश्न-8 “काले बादल तनिक देख तो |" 

तुम भी अपने ढंग से ‘तनिक’ शब्द का इस्तेमाल करते हुए पाँच वाक्य बनाओ | 

उत्तर- पाँच वाक्य बनाओ - 
• तनिक ठहरो तो।
• तनिक पीछे हट जाओ।
• तनिक धैर्य धरो।
• तनिक सम्भल कर चलो
• तनिक हँस भी दो।

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उठ किसान ओ पाठ से संबंधित शब्दार्थ 


• घिरना - चारों ओर से आना, छाना
• तनिक - थोड़ा सा
• संदेशा - समाचार, खबर
• पुरवाई - पूर्व की ओर से चलने वाली हवा
• शीतल - ठण्डी
• परदेसी - दूसरे देश में रहने वाला
• पाहुन - मेहमान, अतिथि
• जलधर - पानी से भरे बादल
• फुहार - बौछार, नन्हीं-नन्हीं बूंदे
• सित - सफेद
• ओढ़ना -  किसी वस्तु से ढकना
• पताका - झंडा
• आँख मिचौनी - लुका-छुपी का खेल
• गरज - बादलों की जोरदार ध्वनि  | 



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