Class 8 Hindi Wo Subah Kabhi Toh Aayegi वह सुबह कभी तो आएगी सलमा दूर्वा पाठ का सारांश वह सुबह कभी तो आएगी पाठ के प्रश्न उत्तर पाठ के लेखक हैं NCERT
वह सुबह कभी तो आएगी - सलमा
वह सुबह कभी तो आएगी पाठ का सारांश
प्रस्तुत पाठ वह सुबह कभी तो आएगी सलमा जी के द्वारा लिखित है। यह एक संस्मरण है | पाठ में भोपाल गैस त्रासदी का वर्णन हुआ है। जिसे इस त्रासदी को सहने वाली सलमा ने वह सुबह कभी तो आएगी शीर्षक से लिखा है। इसमें सलमा ने अपने बारे में बताते हुए लिखा है कि मैं बहुत छोटी थी जब गैस रिसी थी। अम्मा मुझे पकड़कर जहाँगीराबाद भागी थी। और मुझे याद है जब मैंने पहला कदम बीमारी में ही बढ़ाया है। उस बीमारी ने मुझे अभी तक नहीं छोड़ा है। कुछ समय के लिए ठीक था। लेकिन अब फिर से वापस आ गया है। मेरा गला और आँखे सूज जाती है | सूजन के कारण मेरा चेहरा फूल जाता है। मेरे गले में अंदर-ही-अंदर खून बहता है। मेरी सांसे फूल जाती है और मैं बेहोश हो जाती हूँ । मेरे पूरे शरीर में लाल-लाल चकते निकल आते हैं | सिक्के की आकार में जो आज कल थोड़ा छोटा है। मेरे दाहिने पैर के कारण मैं ठीक से चल नहीं पाती हूँ। मेरे पैर में छाले भी पड़ गए हैं। हमने इस भयंकर गैस कांड में कितना कुछ सहन किया है, इसने तो हमारी जिंदगी ही पूरी तरह से बदल दी | हम लाचार और बेघर हो गए।वह सुबह कभी तो आएगी |
मेरे अब्बू भी इस भयंकर दुर्घटना में चल बसे। माँ ये सब सहन न कर सकी और मानसिक रूप से बीमार हो गई। दरवाजे पर बैठकर दिन भर अब्बू का इंतजार करती और किसी की आहट सुनने पर हमें कहती तुम्हारे अब्बू आ रहे हैं | चाय बना दो हमारे लाख बोलने पर की अब्बू मर चुके हैं वो नहीं मानती और हमें ही मारने लगती। डॉक्टर कहते कि इनको खुश रखा करो लेकिन उनकी हालत देख रोना आ ही जाता था। कुछ महीनों तक ये सब चलता रहा। कुछ समय बाद माँ ने खुद को संभाला शायद उनको यह एहसास हो गया कि उनको ही कुछ करना पड़ेगा नहीं तो हम जिंदा नहीं रह पाएँगे। अब्बू की दुकान बेचकर कुछ दिन तक घर का खर्चा तो चल गया। फिर माँ ने दूसरों के यहाँ काम किया दोस्तों, रिश्तोदर से उधार माँगे। सबसे ज्यादा खर्च तो मेरे ऊपर होता था। मैं हमेशा बीमार रहती थी। मेरी जुड़वा बहन बहुत अच्छी थी। माँ तो मुझसे तंग आकर कभी-कभार चिल्ला देती की मैं इतना खर्च नहीं कर सकती खर्च करके तंग आ चुकी हूँ।
एक डॉक्टर ने बताया कि मैं मरने वाली हूँ । माँ मुझे नर्सिग होम ले गई | वहाँ खर्च बहुत ज्यादा था। एक दिन का 250 रुपये और इलाज का अलग लेकिन मेरी माँ हार नहीं मानी और मेरा इलाज करवाया | पैसे को कहीं न कहीं से ले आती थी। अब मैं आयुर्वेद का दवाई खाती हूँ | काफी आराम मिलता है | अब मैं ठीक होने लगी हूँ | पाँव के छाले सुख गए हैं। पसलियों का दर्द चला गया है। चेहरे का सूजन, सिर दर्द बदन दर्द, गले से खून बहना बंद हो गया है। अब मैं ठीक हो रही हूँ। मैं बहुत खुश हूँ , मैं जीना चाहती हूँ। इस तरह से सलमा ने जिन्दगी के राह में बहुत दुख झेले लेकिन अब उसके पास ठीक होने की उम्मीद है। उस गैस त्रसदी की वजह से बहुत लोगों की जान चली गई और ना जाने कितने लोगों के घर बर्बाद हो गए। सलमा ने अपने खुद पर गुजरे आपबीती की कहानी बताई है जो सत्य है उसने उस परिस्थितियों को झेला है अपने जीवन की लड़ाई लड़ी है...||
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वह सुबह कभी तो आएगी पाठ के प्रश्न उत्तर
प्रश्न-1 सलमा का पहला कदम बीमारी में ही क्यों बढ़ा था ?
उत्तर- जब भोपाल गैस त्रासदी हुई थी तब सलमा बहुत छोटी थी और जब उसने चलना प्रारंभ किया तब अनेक बीमारियों ने उसे जकड़ लिया था। इसलिए सलमा कहती है कि उसने पहला कदम बीमारी में ही बढ़ाया है।
प्रश्न-2 सलमा अपनी अम्मा से क्या कहती थी जिससे उसकी अम्मा उसे मार देती थी ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, जब सलमा कहती कि अब्बू मर चुके हैं वे नहीं आएँगे तो उसकी अम्मा उसे मारती और कहती ऐसी बातें नहीं कहते |
प्रश्न-3 सलमा ने ऐसा क्यों कहा कि मैं तो अब जीना चाहती हूँ ?
उत्तर- सलमा आयुर्वेदिक दवाई और इलाज से ठीक होने लगी थी | उसकी सारी बीमारी धीरे-धीरे ठीक हो रही थी। सलमा बहुत खुश थी | इसलिए उसने कहा कि मैं तो अब जीना चाहती हूँ |
प्रश्न-4 इस पाठ में भोपाल गैस त्रासदी का वर्णन हुआ है, जिसे इस त्रासदी को सहने वाली सलमा ने ‘वह सुबह कभी तो आएगी’ शीर्षक से लिखा है। अब तुम बताओ कि ---
(क) तुम इसे निबंध या संस्मरण में से क्या कह सकते हो और क्यों ?
उत्तर- हम इसे संस्मरण ही कहेंगे क्योंकि सलमा ने अपनी आप बीती को याद करते हुए यह लेख लिखा है |
(ख) अगर इसे कोई कहानी कहे तो क्या होगा ?
उत्तर-इसे अगर कहानी कहा जाएगा तो उसे सच नहीं माना जाएगा। कहानी ज़्यादातर कल्पना पर आधारित होती है |
(ग) मान लो कि अगर तुम इसे लिखते तो इसका क्या शीर्षक देते और क्यों ?
उत्तर- अगर हम लिखते तो इसका शीर्षक ‘मेरी कहानी’, ‘मेरी आशाएँ’, हिम्मत, आशा की किरण आदि भी दे सकते थे | सलमा कई रोगों से ग्रस्त होने के बाद भी उसकी आशाएँ और हिम्मत नहीं टूटीं। और इसी हिम्मत के कारण वह धीरे-धीरे ठीक होने लगी |
प्रश्न-5 तुम्हारी भेंट-मुलाकात अक्सर कुछ ऐसे लोगों से भी होती होगी या हो सकती है जिनकी आँखें नहीं होतीं, जो बोल और सुन नहीं सकते। कुछ वैसे भी लोग होंगे या हो सकते हैं जो हाथ-पैर या अपने किसी अन्य अंग से सामान्य मनुष्य की तरह काम नहीं कर सकते। अब तुम बताओ कि ---
(क) यदि तुम्हें किसी गूँगे व्यक्ति से कुछ समझना हो तो क्या करोगे ?
उत्तर- हम उनसे इशारों में या लिख कर बात करेंगें जिससे उनको और हमें भी समझ आ जाए |
(ख) यदि तुम्हें किसी बहरे व्यक्ति को कुछ बताना हो तो क्या करोगे ?
उत्तर- उसे लिखकर या इशारों से समझाएँगे और समझने का प्रयास करेंगे |
(ग) यदि तुम्हें किसी अंधे व्यक्ति को कुछ बताना हो तो क्या करोगे ?
उत्तर- अंधे व्यक्ति को कुछ बताने के लिए उसे बोलकर बताएँगे या उसका हाथ पकड़कर उसे स्पर्श कराकर समझाएँगे |
(घ) किसी ऐसे व्यक्ति के साथ खेलने का अवसर मिल जाए जो चल फिर नहीं सकता हो तो क्या करोगे ?
उत्तर- उसके साथ बैठकर खेलने वाला कोई खेल खेलेंगे; जैसे –लूडो, कैरम, ताश, शतरंज आदि |
• जकड़ना - कसकर पकड़ना
• याददाश्त - याद रखने की शक्ति
• राहत - आराम
• सूजन - किसी अंग का फूलना
• बदन - शरीर
• धब्बे - दाग
• आहट - आवाज
• सेहत - स्वास्थ्य|
उत्तर- जब भोपाल गैस त्रासदी हुई थी तब सलमा बहुत छोटी थी और जब उसने चलना प्रारंभ किया तब अनेक बीमारियों ने उसे जकड़ लिया था। इसलिए सलमा कहती है कि उसने पहला कदम बीमारी में ही बढ़ाया है।
प्रश्न-2 सलमा अपनी अम्मा से क्या कहती थी जिससे उसकी अम्मा उसे मार देती थी ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, जब सलमा कहती कि अब्बू मर चुके हैं वे नहीं आएँगे तो उसकी अम्मा उसे मारती और कहती ऐसी बातें नहीं कहते |
प्रश्न-3 सलमा ने ऐसा क्यों कहा कि मैं तो अब जीना चाहती हूँ ?
उत्तर- सलमा आयुर्वेदिक दवाई और इलाज से ठीक होने लगी थी | उसकी सारी बीमारी धीरे-धीरे ठीक हो रही थी। सलमा बहुत खुश थी | इसलिए उसने कहा कि मैं तो अब जीना चाहती हूँ |
प्रश्न-4 इस पाठ में भोपाल गैस त्रासदी का वर्णन हुआ है, जिसे इस त्रासदी को सहने वाली सलमा ने ‘वह सुबह कभी तो आएगी’ शीर्षक से लिखा है। अब तुम बताओ कि ---
(क) तुम इसे निबंध या संस्मरण में से क्या कह सकते हो और क्यों ?
उत्तर- हम इसे संस्मरण ही कहेंगे क्योंकि सलमा ने अपनी आप बीती को याद करते हुए यह लेख लिखा है |
(ख) अगर इसे कोई कहानी कहे तो क्या होगा ?
उत्तर-इसे अगर कहानी कहा जाएगा तो उसे सच नहीं माना जाएगा। कहानी ज़्यादातर कल्पना पर आधारित होती है |
(ग) मान लो कि अगर तुम इसे लिखते तो इसका क्या शीर्षक देते और क्यों ?
उत्तर- अगर हम लिखते तो इसका शीर्षक ‘मेरी कहानी’, ‘मेरी आशाएँ’, हिम्मत, आशा की किरण आदि भी दे सकते थे | सलमा कई रोगों से ग्रस्त होने के बाद भी उसकी आशाएँ और हिम्मत नहीं टूटीं। और इसी हिम्मत के कारण वह धीरे-धीरे ठीक होने लगी |
प्रश्न-5 तुम्हारी भेंट-मुलाकात अक्सर कुछ ऐसे लोगों से भी होती होगी या हो सकती है जिनकी आँखें नहीं होतीं, जो बोल और सुन नहीं सकते। कुछ वैसे भी लोग होंगे या हो सकते हैं जो हाथ-पैर या अपने किसी अन्य अंग से सामान्य मनुष्य की तरह काम नहीं कर सकते। अब तुम बताओ कि ---
(क) यदि तुम्हें किसी गूँगे व्यक्ति से कुछ समझना हो तो क्या करोगे ?
उत्तर- हम उनसे इशारों में या लिख कर बात करेंगें जिससे उनको और हमें भी समझ आ जाए |
(ख) यदि तुम्हें किसी बहरे व्यक्ति को कुछ बताना हो तो क्या करोगे ?
उत्तर- उसे लिखकर या इशारों से समझाएँगे और समझने का प्रयास करेंगे |
(ग) यदि तुम्हें किसी अंधे व्यक्ति को कुछ बताना हो तो क्या करोगे ?
उत्तर- अंधे व्यक्ति को कुछ बताने के लिए उसे बोलकर बताएँगे या उसका हाथ पकड़कर उसे स्पर्श कराकर समझाएँगे |
(घ) किसी ऐसे व्यक्ति के साथ खेलने का अवसर मिल जाए जो चल फिर नहीं सकता हो तो क्या करोगे ?
उत्तर- उसके साथ बैठकर खेलने वाला कोई खेल खेलेंगे; जैसे –लूडो, कैरम, ताश, शतरंज आदि |
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वह सुबह कभी तो आएगी पाठ से संबंधित शब्दार्थ
• जकड़ना - कसकर पकड़ना
• याददाश्त - याद रखने की शक्ति
• राहत - आराम
• सूजन - किसी अंग का फूलना
• बदन - शरीर
• धब्बे - दाग
• आहट - आवाज
• सेहत - स्वास्थ्य|
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