Do Gauraiya भीष्म साहनी Ncert Class 8 Hindi Durva Chapter 2 दो गौरैया कहानी सारांश Do Gauraiya Question Answer ncert solutions for class 8 hindi durva
दो गौरैया भीष्म साहनी
दो गौरैया भीष्म साहनी ncert class 8 hindi durva chapter 2 ncert solutions for class 8 hindi durva chapter 2 दो गौरैया कहानी सारांश दो गौरैया NCERT Book Class 8 Hindi Durva Chapter 2 दो गौरेया Class 8 Hindi Durva Chapter 2 दो गौरेया Do Gauraiya Question Answer Do Gauraiya Ncert Class 8 Hindi Durva Chapter 2
दो गौरैया कहानी का सारांश
लेखक के घर के अंदर भी कुछ ऐसा ही हाल है | चूहे रात-भर एक कमरे से दूसरे कमरे की दौड़ लगाते रहते हैं | बिल्ली घर में रहती तो नहीं पर घर उसे भी बहुत पसंद है और वह कभी-कभी मन आया तो अंदर आकर दूध पी जाती है | शाम होते ही दो-तीन चमगादड़ नज़र आने लगते हैं | घर में कबूतरों की तादाद भी है | दिन-भर ‘गुटर-गूँ, गुटर-गूँ’ का संगीत सुनाई देता रहता है | और तो और घर में छिपकलियाँ भी, बर्रे भी हैं | चींटियों की तो जैसे फ़ौज ही छावनी डाले हुए है |
एक दिन दो गौरैया लेखक के घर के अंदर घुस आईं, जिसे देखकर लेखक के पिताजी बोले कि वे मकान का निरीक्षण कर रही हैं कि उनके रहने योग्य है या नहीं | दोनों गौरैया कभी किसी रोशनदान पर जा बैठतीं, तो कभी खिड़की पर | तत्पश्चात् जैसे आईं थीं वैसे ही उड़ भी गईं | दो दिन बाद पुनः घर के बैठक की छत में लगे पंखे के गोले में उन्होंने अपना बिछावन बिछा लिया था और सामान भी ले आईं थीं और मजे से दोनों बैठी गाना गा रही थीं | इसका मतलब दोनों गौरैया को लेखक का घर पसंद आया था |
दो गौरैया भीष्म साहनी |
लेखक की माँ और उनके पिताजी दोनों सोफे पर बैठकर गौरैया की ओर देखे जा रहे थे | जब लेखक की माँ बोलीं कि "अब तो ये नहीं उड़ेंगी | पहले इन्हें उड़ा भी देते, तो उड़ जातीं | अब तो इन्होंने यहाँ घोंसला बना लिया है |" तभी लेखक के पिताजी गुस्सा भाव में बोलते हैं कि "देखता हूँ ये कैसे यहाँ रहती हैं ! गौरैया मेरे आगे क्या चीज है ! मैं अभी इन्हें बाहर करता हूँ |" इतने में लेखक की माँ ने व्यंग्य करते हुए कहा कि "छोड़ो जी, चूहों को तो निकाल नहीं पाए, अब चिड़ियों को निकालेंगे !" तभी लेखक के पिताजी तुरन्त उठ खड़े हुए और पंखे के नीचे जाकर जोर से ताली बजाई और मुँह से ‘श-----शू’ कहा, बाँहें झुलाईं, फिर खड़े-खड़े कूदने लगे, कभी बाहें झुलाते, कभी ‘श---शू’ करते | लेखक की माँ को मजाक सूझा | वह हँसकर बोली, चिड़ियाँ एक दूसरी से पूछ रही हैं कि यह आदमी कौन है और नाच क्यों रहा है ? इतने में लेखक के पिताजी को और भी ज्यादा गुस्सा आ गया और वह पहले से भी ज्यादा ऊँचा कूदने लगे | गौरैया घोंसले में से निकलकर दूसरे पंखे के डैने पर जा बैठीं | मानो उन्हें पिताजी का नाचना जैसे बहुत पसंद आ रहा था | माँ फिर हँसने लगीं, "ये निकलेंगी नहीं, जी | अब इन्होंने अंडे दे दिए होंगे |"
लेखक के पिताजी गौरैया को घर से बाहर निकालने पर अड़ गए थे | एक बार तो उन्होंने लाठी ऊँची उठाकर पंखे के गोले को ठकोरा | ‘चीं-चीं’ करती गौरैया उड़कर पर्दे के डंडे पर जा बैठी | लेखक की माँ पुनः हँसकर बोली "इतनी तकलीफ़ करने की क्या जरूरत थी | पंखा चला देते तो ये उड़ जातीं |" लेखक के पिताजी ने फिर लाठी उठाई और गौरैयों पर टूट पड़े | एक बार तो लाठी लेखक की माँ के सिर पर लगते-लगते बची | चीं-चीं करती चिड़ियाँ एक जगह से दूसरी जगह जा बैठतीं | अंततः दोनों किचन की ओर खुलने वाले दरवाज़े में से बाहर निकल गईं | लेखक की माँ तालियाँ बजाने लगीं और पिताजी ने लाठी दीवार पर टिकाकर छाती फैलाए कुर्सी पर बैठे गए | लेखक के पिताजी की हर बार कोशिश असफल हो जाती थी और गौरैया किसी न किसी रास्ते से घर के अंदर आ ही जाते थे | इसलिए लेखक की माँ गम्भीरतापूर्वक बोली कि "देखो-जी, चिड़ियों को मत निकालो" "अब तो इन्होंने अंडे भी दे दिए होंगे | अब ये यहाँ से नहीं जाएँगी |" तभी पिताजी बोले कि क्या मतलब ? मैं कालीन बरबाद करवा लूँ ? तत्पश्चात् वे कुर्सी पर चढ़कर रोशनदान में कपड़ा ठूँस दिया और फिर लाठी झुलाकर एक बार फिर चिड़ियों को खदेड़ दिया | दोनों पिछले आँगन की दीवार पर जा बैठीं |
लेखक कहते हैं कि रात हो गई थी | हम खाना खाकर सो गए थे | जाने से पहले मैंने आँगन में झाँककर देखा, चिड़ियाँ वहाँ पर नहीं थीं | मैंने समझ लिया कि उन्हें अक्ल आ गई होगी | अपनी हार मानकर किसी दूसरी जगह चली गई होंगी | लेकिन दूसरे दिन इतवार को जब लेखक और उसके परिवार वाले देखे तो गौरैया फिर से वहाँ मौजूद थीं और मजे से बैठी मल्हार गा रही थीं |
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दो गौरैया कहानी Do Gauraiya Question Answer के प्रश्न उत्तर
प्रश्न-1 दोनों गौरैयों को पिताजी जब घर से बाहर निकालने की कोशिश कर रहे थे तो माँ क्यों मदद नहीं कर रही थी ? बस, वह हँसती क्यों जा रही थी ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, दोनों गौरैयों को पिताजी जब घर से बाहर निकालने की कोशिश कर रहे थे तो माँ मजाक स्वरूप हँसती जा रही थी क्योंकि पिताजी कभी ताली बजाकर, कभी बाहें झुलाकर, कभी श-शू की आवाज़ करके गौरैयों को उड़ा रहे थे | गौरैया घोंसले से सिर निकाल कर झाँकती चीं-चीं करती फिर घोसले में चली जाती | यह सब देखकर माँ मजाक उड़ाते हुए हँसने लगती |
प्रश्न-2 देखो जी, चिड़ियों को मत निकालो | माँ ने पिताजी से गंभीरता से यह क्यों कहा ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, देखो जी, 'चिड़ियों को मत निकालो |' --- माँ ने पिताजी से गंभीरता से यह इसलिए कहा क्योंकि उन्हें ऐसा लगता था कि चिड़ियों ने अब तक अंडे भी दे दिए होंगे | माँ की दृष्टि में किसी भी प्राणी को परेशान करना तथा उसका घर उजाड़ना गलत होता है |
प्रश्न-3 “किसी को सचमुच बाहर निकालना हो तो उसका घर तोड़ देना चाहिए,” पिताजी ने गुस्से में ऐसा क्यों कहा ? क्या पिताजी के इस कथन से माँ सहमत थी ? क्या तुम सहमत हो ? अगर नहीं तो क्यों ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, “किसी को सचमुच बाहर निकालना हो तो उसका घर तोड़ देना चाहिए,” पिताजी ने गुस्से में ऐसा इसलिए कहा क्योंकि चिड़िया के बार-बार आने व तिनके बिखेरने से पिताजी परेशान थे | पिताजी के इस कथन से माँ सहमत नहीं थी | हम भी सहमत नहीं हैं, क्योंकि माँ का कहना था कि किसी को निकालने के लिए उसका घर तोड़ देना ठीक नहीं | उसमें उसके अंडे या बच्चे भी रहते हैं, जो मर भी सकते हैं |
भीष्म साहनी |
प्रश्न-4 कमरे में फिर से शोर होने पर भी पिताजी अबकी बार गौरैया की तरफ़ देखकर मुसकुराते क्यों रहे ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, कमरे में फिर से शोर होने पर भी पिताजी अबकी बार गौरैया की तरफ़ देखकर मुसकुराते इसलिए रहे क्योंकि जब अंडों में से निकलते बच्चे को चीं-चीं की आवाज़ करते सुने तो उनके दिल में भी दया का भाव जाग गया | क्योंकि अब उन्हें पता चल गया था कि बच्चे होने के बाद थोड़े दिन में वे बच्चों को लेकर खुद ही उड़ जाएँगी |
प्रश्न-5 इस कहानी के शुरू में कई पशु-पक्षियों की चर्चा की गई है | कहानी में वे ऐसे कुछ काम करते हैं जैसे मनुष्य करते हैं | उनको ढूँढ़कर तालिका पूरी करो ---
उ. निम्नलिखित उत्तर हैं -
क. पक्षी --- घर का पता लिखवाकर लाए हैं |
(ख) बूढ़ा चूहा --- अंगीठी के पीछे बैठता है शायद सर्दी लग रही है |
(ग) बिल्ली --- फिर आऊँगी कह कर चली जाती है |
(घ)चमगादड़ --- पंख फौज़ ही छावनी डाले हुए हैं |
(ङ)चींटियाँ --- इनकी फौज़ ही छावनी डाले हुए हैं |
प्रश्न-6 नीचे दिए गए वाक्य को पढ़ो ---
“जब हम लोग नीचे उतरकर आए, तब वे फिर से मौजूद थीं और मज़े से बैठी मल्हार गा रही थीं |”
(क) अब तुम पता करो कि मल्हार क्या होता है ? इस काम में तुम बड़ों की सहायता भी ले सकते हो |
(ख) बताओ कि क्या सचमुच चिड़ियाँ ‘मल्हार’ गा सकती हैं ?
(ग) बताओ की कहानी में चिड़ियों द्वारा मल्हार गाने की बात क्यों कही गई है ?
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर हैं -
(क) मल्हार एक प्रकार का गीत है, जो सावन के महीने में अथवा वर्षा ऋतु में गाया जाता है |
(ख) नहीं, सचमुच का चिड़ियाँ मल्हार नहीं गा सकती हैं |
(ग) प्रस्तुत पाठ या कहानी में चिड़ियाँ चीं-चीं चों- चों करके शोर मचाती रहती है, इसलिए व्यंग्यपूर्वक कहा गया है कि ये मल्हार गा रही हैं |
प्रश्न-7 “माँ खिलखिलाकर हँस दीं |” इस वाक्य में ‘खिलखिलाकर’ शब्द बता रहा है कि माँ कैसे हँसी थीं | इसी प्रकार नीचे दिए गए रेखांकित शब्दों पर भी ध्यान दो | इन शब्दों से एक-एक वाक्य बनाओ |
(क) पिताजी ने झिड़ककर कहा, “तू खड़ा क्या देख रहा है?”
(ख) “आज दरवाज़े बंद रखो,” उन्होंने हुक्म दिया।
(ग) “देखो जी, चिड़ियों को मत निकालो,” माँ ने अबकी बार गंभीरता से कहा।
(घ) “किसी को सचमुच बाहर निकालना हो, तो उसका घर तोड़ देना चाहिए,” उन्होंने गुस्से में कहा।
उत्तर- (क) उसने झिड़ककर बच्चे को पैसे देने से इनकार कर दिया |
(ख) पिता ने बेटे को दरवाज़ा बंद करने का हुक्म दिया |
(ग) बढ़ती उम्र के साथ रोहन में भी गम्भीरता आ गई है |
(घ) रुख़सार बहुत गुस्से में रहती है |
प्रश्न-8 “पिताजी बोले, क्या मतलब ? मैं कालीन बरबाद करवा लूँ ?” ऊपर दिए गए वाक्य पर ध्यान दो और बताओ कि ---
(क) पिताजी ने यह बात किससे कही ?
(ख) उन्होंने यह बात क्यों कही ?
(ग) गौरैयों के आने से कालीन कैसे बरबाद होता ?
उत्तर- (क) पिताजी ने यह बात माँ से कही |
(ख) उन्होंने यह बात इसलिए कही क्योंकि गौरैया घोंसला बनाने के लिए जो तिनके या घास-पुश लाती थी वे कालीन पर गिरते थे,जिससे कालीन गंदा होता था |
(ग) गौरैयों के आने से कालीन पर तिनके या घास- पुश गिर जाते थे जिस वजह से कालीन खराब हो जाता था |
प्रश्न-9 अब तुम भी इन शब्दों को समझो और उनसे वाक्य बनाओ |
1. सुख - सूख
(क)- दुःख के बाद सुख के दिन भी आते हैं |
(ख)- कपड़ा सूख गया है |
2. धुल - धूल
(क)- कपड़े की गंदगी धुल गई |
(ख)- सड़क पर धूल बहुत है
3. सुना - सूना
(क)- मैंने सुना है कि उमेश की शादी हो गई है |
(ख)- घर में बहुत सूना सा लग रहा है |
(ग) बिल्ली --- फिर आऊँगी कह कर चली जाती है |
(घ)चमगादड़ --- पंख फौज़ ही छावनी डाले हुए हैं |
(ङ)चींटियाँ --- इनकी फौज़ ही छावनी डाले हुए हैं |
प्रश्न-6 नीचे दिए गए वाक्य को पढ़ो ---
“जब हम लोग नीचे उतरकर आए, तब वे फिर से मौजूद थीं और मज़े से बैठी मल्हार गा रही थीं |”
(क) अब तुम पता करो कि मल्हार क्या होता है ? इस काम में तुम बड़ों की सहायता भी ले सकते हो |
(ख) बताओ कि क्या सचमुच चिड़ियाँ ‘मल्हार’ गा सकती हैं ?
(ग) बताओ की कहानी में चिड़ियों द्वारा मल्हार गाने की बात क्यों कही गई है ?
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर हैं -
(क) मल्हार एक प्रकार का गीत है, जो सावन के महीने में अथवा वर्षा ऋतु में गाया जाता है |
(ख) नहीं, सचमुच का चिड़ियाँ मल्हार नहीं गा सकती हैं |
(ग) प्रस्तुत पाठ या कहानी में चिड़ियाँ चीं-चीं चों- चों करके शोर मचाती रहती है, इसलिए व्यंग्यपूर्वक कहा गया है कि ये मल्हार गा रही हैं |
प्रश्न-7 “माँ खिलखिलाकर हँस दीं |” इस वाक्य में ‘खिलखिलाकर’ शब्द बता रहा है कि माँ कैसे हँसी थीं | इसी प्रकार नीचे दिए गए रेखांकित शब्दों पर भी ध्यान दो | इन शब्दों से एक-एक वाक्य बनाओ |
(क) पिताजी ने झिड़ककर कहा, “तू खड़ा क्या देख रहा है?”
(ख) “आज दरवाज़े बंद रखो,” उन्होंने हुक्म दिया।
(ग) “देखो जी, चिड़ियों को मत निकालो,” माँ ने अबकी बार गंभीरता से कहा।
(घ) “किसी को सचमुच बाहर निकालना हो, तो उसका घर तोड़ देना चाहिए,” उन्होंने गुस्से में कहा।
उत्तर- (क) उसने झिड़ककर बच्चे को पैसे देने से इनकार कर दिया |
(ख) पिता ने बेटे को दरवाज़ा बंद करने का हुक्म दिया |
(ग) बढ़ती उम्र के साथ रोहन में भी गम्भीरता आ गई है |
(घ) रुख़सार बहुत गुस्से में रहती है |
प्रश्न-8 “पिताजी बोले, क्या मतलब ? मैं कालीन बरबाद करवा लूँ ?” ऊपर दिए गए वाक्य पर ध्यान दो और बताओ कि ---
(क) पिताजी ने यह बात किससे कही ?
(ख) उन्होंने यह बात क्यों कही ?
(ग) गौरैयों के आने से कालीन कैसे बरबाद होता ?
उत्तर- (क) पिताजी ने यह बात माँ से कही |
(ख) उन्होंने यह बात इसलिए कही क्योंकि गौरैया घोंसला बनाने के लिए जो तिनके या घास-पुश लाती थी वे कालीन पर गिरते थे,जिससे कालीन गंदा होता था |
(ग) गौरैयों के आने से कालीन पर तिनके या घास- पुश गिर जाते थे जिस वजह से कालीन खराब हो जाता था |
प्रश्न-9 अब तुम भी इन शब्दों को समझो और उनसे वाक्य बनाओ |
1. सुख - सूख
(क)- दुःख के बाद सुख के दिन भी आते हैं |
(ख)- कपड़ा सूख गया है |
2. धुल - धूल
(क)- कपड़े की गंदगी धुल गई |
(ख)- सड़क पर धूल बहुत है
3. सुना - सूना
(क)- मैंने सुना है कि उमेश की शादी हो गई है |
(ख)- घर में बहुत सूना सा लग रहा है |
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दो गौरैया पाठ से संबंधित शब्दार्थ
• सराय - मुसाफिर खाना, यात्रियों के लिए कुछ समय रुकने की जगह
• निरीक्षण - जाँच
• डेरा - रहने की जगह, पड़ाव
• शोर - हल्ला, कोलाहल
• धमा-चौकड़ी - उछल-कूद
• अक्ल - बुद्धि
• हुक्म - आदेश
• उबल पड़ना - गुस्साना
• बिछावन - बिस्तर
• रोशनदान - कमरे के अंदर रौशनी आने के लिए बनी खिड़की
• थिगलियाँ - छेद बंद करने के लिए टाँका गया कपड़े का टुकड़ा, पैबंद
• कसरत - व्यायाम
• अँगीठी - आग रखने का बरतन
• छावनी - जहाँ सेना या पुलिस रहती हो, शिविर |
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